सीरियाई विपक्षी गुटों ने 27 नवंबर सुबह सरकार नियंत्रित क्षेत्रों पर एक बड़ा हमला शुरू किया। यह हमला विशेष रूप से हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में हुआ, जो उत्तर-पश्चिमी सीरिया के बड़े हिस्से पर नियंत्रण रखता है।

इस हमले में अलेप्पो और इदलिब प्रांतों के कई गांव और सैन्य ठिकाने निशाना बने। विपक्षी गुटों का दावा है कि उन्होंने 15 से अधिक गांवों पर कब्जा कर लिया है और कई सैनिकों को बंधक बना लिया है। दूसरी ओर, सीरियाई और रूसी सेना ने जवाबी हवाई हमले किए, जिनमें कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई, जिनमें बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं।
नागरिकों पर संकट
इस बढ़ती हिंसा ने आम नागरिकों पर गहरा असर डाला है। अंतरराष्ट्रीय बचाव समिति (IRC) के अनुसार, कम से कम 7,000 परिवार विस्थापित हो चुके हैं। स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएँ बंद हो गई हैं, जिससे क्षेत्र में मानवीय संकट और भी गंभीर हो गया है।
क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य
यह संघर्ष उस समय हो रहा है, जब क्षेत्रीय ताकतें पहले से ही तनाव में हैं। रूस और ईरान सीरियाई सरकार का समर्थन कर रहे हैं, जबकि तुर्की विभिन्न विपक्षी गुटों की मदद करता है। इजराइल ने भी हाल के महीनों में सीरिया में ईरान और हिज़्बुल्लाह से जुड़े ठिकानों पर हमले तेज कर दिए हैं।
तुर्की ने इस आक्रमण पर बारीकी से नजर बनाए रखी है। तुर्की अधिकारियों का कहना है कि यह हमला डी-एस्केलेशन समझौते के उल्लंघन का नतीजा है। तुर्की ने पहले इस क्षेत्र में शांति बनाए रखने की कोशिश की थी, लेकिन सरकार और रूसी बलों की ओर से लगातार हो रही बमबारी के चलते ये प्रयास असफल रहे।
क्या है संघर्ष की जड़?
2019 में तुर्की, रूस, और ईरान के बीच हुए समझौते का उद्देश्य इदलिब प्रांत में संघर्ष को स्थिर करना था। यह क्षेत्र विद्रोही गुटों का अंतिम गढ़ है, जो लंबे समय से सरकार के हमलों का सामना कर रहा है।
एचटीएस, जिसे पहले अल-कायदा से जोड़ा जाता था, अब खुद को एक स्वतंत्र संगठन के रूप में दिखाने की कोशिश कर रहा है। यह समूह वर्तमान में इस संघर्ष में मुख्य भूमिका निभा रहा है।
कैसी रहेगी आगे की स्थिति?
सीरिया में जारी इस संघर्ष से यह साफ हो गया है कि शांति और स्थिरता अभी दूर है। हिंसा के बढ़ते इस दौर ने आम नागरिकों के जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस संकट को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
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