लेबनान में अब शांति है और पिछले कुछ महीनों से जहां लगातार बम धमाके हो रहे थे, इजराइली फाइटर जेट्स की उड़ानों की जो आवाज सुनी जा रही थी, वो थम गये हैं और युद्ध का शोर थमते ही, दक्षिणी लेबनान में लोगों को अपने घरों की तरफ लौटते देखा जा सकता है।

बुधवार की सुबह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेबनान में युद्धविराम का ऐलान किया था, जिसका भारत ने स्वागत किया है।
लेबनानी सेना ने भी जल्दी से घोषणा की है, कि वह उन क्षेत्रों की तरफ जाने की तैयारी कर रही है, जिन इलाकों में इजराइली सेना ने आक्रमण किया था और जहां से वो अब बाहर निकल रहे हैं। इसके अलावा, लेबनाने ने यूनाइटेड नेशंस के संकल्प 1701 के तहत “अपने मिशन को अंजाम देने” की तैयारी कर रही है।
आपको बता दें, कि 2006 के संकल्प का सम्मान करने की प्रतिज्ञा, जिसके मुताबित हिज्बुल्लाह को इजराइल की सीमा से 40 किलोमीटर दूर जाना होगा, वो इस युद्धविराम समझौते के केंद्र में है।
हालांकि, लेबनानी सेना ने अभी लोगों से अपील की है, कि वे इजराइली सेना के वापस जाने तक अग्रिम पंक्ति के गांवों में न लौटें। लेकिन अल जजीरा ने कहा है, कि नागरिकों का एक बड़ा समूह घर की ओर बढ़ रहा है।

इजराइली हमलों में तबाह हो चुका है लेबनान
दक्षिणी लेबनान के भूमध्यसागरीय तटीय शहर सिडोन से रिपोर्टिंग करते हुए, अल जजीरा की जेना खोडर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि युद्ध विराम के जारी रहने के संकेत के साथ, हजारों लोग अपने घर की ओर लौट रहे हैं।
उन्होंने कहा, कि कुछ लोग “विजय” का चिन्ह लहरा रहे हैं, क्योंकि कई लोगों के लिए घर वापसी अपने आप में एक जीत है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सभी क्षेत्रों तक पहुंच संभव होगी, क्योंकि इजराइली सेना का कहना है, कि उसके बल अभी भी कुछ हिस्सों में काम कर रहे हैं और सेना को लेबनान से निकलने के आदेश अभी भी दिए जा रहे हैं।
खोदर ने बताया है, कि लेबनान में राहत की भावना आ गई है, लेकिन लोगों के अंदर उम्मीद अभी भी कम है और लोगों को डर है, कि यह अभी भी एक बहुत ही नाजुक युद्धविराम है”।
इस युद्ध विराम के तहत, लेबनानी सेना को अगले 60 दिनों में लिटानी नदी के दक्षिण में तैनात होना होग, जो देश का दक्षिणी क्षेत्र है जो इजराइल की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। इजराइली सैनिक धीरे-धीरे पीछे हटेंगे और हिज्बुल्लाह भी इस क्षेत्र से पीछे हट जाएगा।
हालांकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि युद्ध विराम जारी है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।

मंगलवार देर रात समझौते को मंजूरी देने वाली इजराइल की सरकार ने इस बात पर जोर दिया है, कि अगर शर्तों का सम्मान नहीं किया जाता है तो वह और हमले करेगी।
वहीं, बुधवार को, इजराइली सेना ने बताया कि उसने “लेबनानी क्षेत्र में आवाजाही के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में कई संदिग्धों के साथ एक वाहन की पहचान की है।”
बयान में कहा गया है, कि उसके सैनिकों ने “उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए गोलीबारी की, और संदिग्ध क्षेत्र छोड़कर भाग गए।”
इजराइल ने भी सुबह 4 बजे (02:00 GMT) युद्धविराम की शुरुआत से पहले के घंटों में लेबनान पर हमलों की एक नई लहर चलाई, जिसमें उसके युद्धक विमानों ने सीरिया के साथ देश की सीमा पार करने वाली चौकियों पर भारी बमबारी की। इजराइल के मुख्य सहयोगी अमेरिका ने भी सीरिया में एक अज्ञात स्थान पर बमबारी की, जिसमें कहा गया, कि उसने “ईरान-गठबंधन” सशस्त्र समूह के हथियारों के भंडार को निशाना बनाया।
हिज्बुल्लाह के समर्थक ईरान ने बुधवार को युद्धविराम की खबर का स्वागत किया। विदेश मंत्रालय ने तेहरान के ”
“लेबनानी सरकार, राष्ट्र और प्रतिरोध के लिए मजबूत समर्थन” जताया है।

अब गाजा पर फिर इजराइल का फोकस!
लेबनान में युद्ध विराम से गाजा पट्टी की तरफ फिर से दुनिया का ध्यान खींचा है, जहां अक्टूबर 2023 हमास के हमले के बाद इजराइल ने युद्ध शुरू किया था। गाजा पट्टी अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है और लाखों लोग विस्थापित हैं।
इजराइली सेना ने घेरे हुए इलाके पर अपना हमला जारी रखा है। अल जजीरा के संवाददाताओं ने कहा है, कि बुधवार को गाजा शहर में विस्थापित लोगों के लिए बने अल-तबीन स्कूल आश्रय पर हुए हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है, कि वह गाजा में युद्ध विराम के लिए “एक और प्रयास” करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस बात के बहुत कम संकेत हैं, कि फिलहाल कोई कामयाबी मिल पाएगी।
हमास ने अभी तक लेबनान समझौते पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पहले उसने कहा था कि अगर इजराइली सेना एन्क्लेव से हट जाती है, लोगों को उनके घरों में लौटने की अनुमति दी जाती है और अधिक मानवीय सहायता स्वीकार की जाती है, तो वह युद्ध विराम के लिए तैयार है।
लेकिन इजराइल ने उन शर्तों को खारिज कर दिया है, और जोर देकर कहा है, हमास जब तक बंधक बनाए गये 100 से ज्यादा लोगों को रिहा नहीं करता है, तब तक युद्धविराम जैसी बात नहीं होगी।
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