‘चीन के कर्जे में दबकर बिगड़ती जा रही कई देशों की स्थिति’, इटली से जयशंकर की दो टूक

जी-7 ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के चार देशों भारत जापान इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने भी इस बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं और यहां सहयोग की व्यापक संभावनाएं भी बन रही हैं। जयशंकर ने इसके अलावा भावी सहयोग के छह प्रमुख जरूरतें भी बताई।

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जयशंकर की इटली में बैठक (फाइल फोटो)

HighLights

  1. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के पालन को बताया जरूरी
  2. जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों के साथ भारत, इंडोनेशिया, जापान व दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक

 नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है। इस चिंता ही वजह है कि दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के संगठन जी-7 ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के चार प्रमुख देशों भारत, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ विशेष बैठक की, जिसमें भावी सहयोग की संभावनाओं पर विमर्श किया गया।

इस बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं और यहां सहयोग की व्यापक संभावनाएं भी बन रही हैं। क्वाड (भारत, अमरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया का संगठन) को व्यवहारिक बताते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक, सामुद्रिक और कारोबारी क्षेत्र में और अन्य दूसरे देशों के साथ गहरे सहयोग की जरूरत बताई। उन्होंने भावी सहयोग के छह प्रमुख जरूरतें बताई।

जयशंकर ने सामुद्रिक, सेमीकंडक्टर और आपूर्ति चेन में ज्यादा सहयोग को पहली जरूरत के तौर पर गिनाया। दूसरी जरूरत उन्होंने खराब उधारी और अवहनीय कर्ज से बचने को बताया। यहां उन्होंने चीन का नाम तो सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन यह बात स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के कई देश चीन व कुछ वैश्विक संस्थानों के कर्ज में डूब चुके हैं और उनकी स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।

तीसरी जरूरत के तौर पर जयशंकर ने गवर्नेंस, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक स्त्रोतों के दोहन के क्षेत्र में इन क्षेत्र के देशों की क्षमता बढ़ाने की है। चौथी, वैश्विक स्तर पर अच्छे कार्यों के लिए साझा तौर पर काम हो और सभी देशों को शामिल किया जाए। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन हो ताकि एक दूसरे के हितों की रक्षा हो। इसके बाद उन्होंने अंतिम जरूरत के तौर पर हिंद प्रशांत को लेकर नीति बनाने वाले देशों के पास कई तरह के विकल्प को गिनाया।

पिछली बैठक में भी हुई चर्चा

सनद रहे कि सितंबर, 2024 में भी क्वाड देशों के शीर्ष नेताओं की अमेरिका में हुई बैठक में पहली बार समुद्री सुरक्षा सहयोग को व्यापक करने पर विचार किया गया था। इसमें पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी कानून सम्मत वैश्विक व्यवस्था और सभी देशों की संप्रभुता का आदार करने पर जोर दिया था।

चीन नहीं करता अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का पालन

दरअसल, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का पालन नहीं करता है और यहीं वजह है कि भारत व क्वाड वैश्विक कानून के पालन पर जोर देते हैं। उधर, इस क्षेत्र में चीन के साथ फिलीपींस व दूसरे देशों की स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। वैसे हिंद प्रशांत क्षेत्र को ध्यान में रख कर ही अमेरिका भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है, लेकिन वह दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान के साथ अलग से भी रिश्तों को धार दे रहा है। कल की बैठक में जयशंकर ने भी यह स्पष्ट किया है कि भारत भी दूसरे देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति को केंद्र में रखते हुए रिश्तों को व्यापक बना रहा है।

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