Asaduddin Owaisi in Solapur: क्या है असदुद्दीन ओवैसी के ’15 मिनट’ वाले बयान का मतलब? जिसने महाराष्ट्र में चुनावी माहौल को किया गर्म

असदुद्दीन ओवैसी और देवेंद्र फडणवीस के बीच चल रही जुबानी जंग ने महाराष्ट्र चुनाव को और भी अधिक गर्म कर दिया है, जिसमें ओवैसी का ’15 मिनट’ का तंज, और फडणवीस का औरंगजेब वाला बयान शामिल है.

Asaduddin Owaisi in Solapur: महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव के प्रचार के दौरान AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एक बार फिर 2012 के विवादित “15 मिनट” वाले बयान का जिक्र किया. ओवैसी ने इस बयान का संदर्भ डिप्टी मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ चल रही जुबानी जंग में तंज के तौर पर लिया. यह बयान उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी के उस बयान की याद दिलाता है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 15 मिनट के लिए पुलिस को हटा दो तो हम दिखा देंगे कौन ताकतवर है.

15 मिनट’ बयान का नया संदर्भ

ओवैसी ने पुलिस के नोटिस और अपने भाषण के वक्त को जोड़ते हुए चुटकी ली. उन्होंने मंच से 9:45 का समय दिखाते हुए कहा, “अभी 15 मिनट बाकी हैं,” ताकि यह स्पष्ट हो सके कि उनका बयान चुनाव प्रचार के बचे हुए समय से जुड़ा है. इसके साथ ही ओवैसी ने मराठी में दिए गए नोटिस की तस्वीर ली और नोटिस पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या पुलिस को केवल हमसे ही मोहब्बत है?”

 

महाराष्ट्र में AIMIM का चुनावी अभियान

AIMIM महाराष्ट्र विधानसभा की 16 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. असदुद्दीन ओवैसी और उनके भाई अकबरुद्दीन ओवैसी महाराष्ट्र में अपने उम्मीदवारों का प्रचार करने में जुटे हुए हैं. ओवैसी ने दावा किया कि AIMIM राज्य में एक सेक्युलर सरकार का समर्थन करेगी और मुख्यमंत्री पद के लिए एक धर्मनिरपेक्ष उम्मीदवार का समर्थन करेगी.

 

फडणवीस का जवाबी हमला

असदुद्दीन ओवैसी के बयान के बाद फडणवीस ने उन पर निशाना साधते हुए कहा कि ओवैसी महाराष्ट्र में औरंगजेब का महिमामंडन कर रहे हैं और उन्हें महाराष्ट्र में कोई काम नहीं है. फडणवीस ने ओवैसी को चुनौती देते हुए कहा, “तू उधर ही रह, क्योंकि यहां तेरा कोई काम नहीं है.”

 

विवादित बयान का इतिहास

2012 में असदुद्दीन ओवैसी के भाई अकबरुद्दीन ओवैसी ने कहा था, “हिंदुस्तान में हम 25 करोड़ हैं और तुम 100 करोड़. अगर 15 मिनट के लिए पुलिस हटा दी जाए तो हम दिखा देंगे कि कौन ताकतवर है.” इस बयान पर अकबरुद्दीन के खिलाफ केस दर्ज हुआ था और उन्हें जेल भी जाना पड़ा था, हालांकि बाद में उन्हें संदेह का लाभ देते हुए अदालत ने बरी कर दिया था.

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