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Israel Hezbollah War: हिजबुल्लाह ने लिया इजरायल से हमले का बदला, तेल अवीव के पास खुफिया अड्डे पर दागीं मिसाइलें

हिजबुल्लाह ने दावा किया कि अब उसने तेल अवीव में तेल हैम सैन्य अड्डे को निशाना बनाया जो लेबनान सीमा से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित है। अल जजीरा की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने बेस को निशाना बनाने के लिए कई मिसाइलों का इस्तेमाल किया। इसको लेकर हिजबुल्लाह का कहना है कि मिसाइलें इजरायली सेना के सैन्य खुफिया प्रभाग की है।

तेल अवीव में हैम सैन्य अड्डे को बनाया निशाना

एएनआई, यरुशलम: Israel Hezbollah War: इजरायल और लेबनान के बीच युद्द खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। हिजबुल्लाह ने दावा किया कि अब उसने तेल अवीव में तेल हैम सैन्य अड्डे को निशाना बनाया, जो लेबनान सीमा से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित है। अल जजीरा की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है।

हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने बेस को निशाना बनाने के लिए कई मिसाइलों का इस्तेमाल किया। इसको लेकर हिजबुल्लाह का कहना है कि मिसाइलें इजरायली सेना के सैन्य खुफिया प्रभाग की है। साथ ही इजरायली सेना अभी इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की है।

30 से अधिक हमले

आज हुए 30 से अधिक हमलों में से कुछ में, हिजबुल्लाह ने कहा कि उसने लेबनान के साथ सीमा के पास किर्यत शमोना बस्ती और अन्य समुदायों की ओर रॉकेट दागे। इससे पहले, लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा था कि एक इजरायली हवाई हमले ने बालबेक-हर्मेल गवर्नरेट में बालबेक शहर के आसपास के नागरिक सुरक्षा केंद्र को निशाना बनाया।

इजरायली हमले में मारे गए 200 आतंकवादी

इसमें कहा गया है कि हमला तब हुआ जब 20 सदस्य अंदर थे। अल जज़ीरा के अनुसार, बाल्बेक-हर्मेल गवर्नर ने एक्स पर हमले को लेकर पोस्ट भी किया। पोस्ट में कहा गया है कि साइट से 12 शव बरामद किए गए हैं, लेकिन मलबे को हटाने की प्रक्रिया जारी है।

इजरायली हवाई हमलों में पिछले हफ्ते लगभग 200 हिजबुल्लाह आतंकवादी मारे गए और 140 रॉकेट लॉन्चर नष्ट हो गए, इजरायली रक्षा बलों ने गुरुवार सुबह खुलासा किया।

बटालियन ऑपरेशन के प्रमुख की हत्या

लॉन्चरों ने इजरायली घरेलू मोर्चे और दक्षिणी लेबनान में सक्रिय सैनिकों के लिए “तत्काल खतरा” पैदा किया है। आईडीएफ ने इसकी जानकारी दी है। लक्ष्यों में एक लांचर भी शामिल है जिससे मंगलवार और बुधवार को पश्चिमी गैलिली और मध्य इजरायल में रॉकेट दागे गए।

हमलों में मारे गए आतंकवादियों में बटालियन ऑपरेशन के प्रमुख और तटीय क्षेत्र में हिजबुल्लाह के राडवान फोर्स में बटालियन विरोधी टैंक हथियारों के प्रमुख शामिल थे।

 

 

 

क्या ईरान-अमेरिका तनाव सुलझा पाएगा ट्रंप का ‘दूत’ ? जानिए क्या है आमिर सईद से मुलाकात के मायने?

Elon Musk Meet Iran UN Envoy: हाल ही में, हुए अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने मंत्रिमंडल और प्रशासन के विस्तार में जुट गए हैं। इस बीच, ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी एलन मस्क(टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक) के हाथ ईरान-अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्तों की डोर थमा दी है।

आखिर हो भी क्यों न, जब नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने आगामी प्रशासन के लिए नवनिर्मित सरकारी कार्यकुशलता विभाग का नेतृत्व करने के लिए मस्क को चुना है। इससे पहले ही, एलन मस्क ने 11 नंवबर को संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया कि मस्क और ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी के बीच न्यूयॉर्क में एक गुप्त स्थान पर बैठक हुई और यह एक घंटे से अधिक समय तक चली। अधिकारियों ने बताया कि चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि दोनों देशों के बीच तनाव को कैसे कम किया जाए? एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों को इस बात की सूचना नहीं दी गई थी कि बैठक हो रही है और अभी तक इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगले चार साल ईरान के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा साबित हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप की निगरानी में तेहरान पर “अधिकतम दबाव” अभियान की वापसी हो सकती है, जो उन्होंने अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान लागू किया था, जिससे ईरान का अलगाव बढ़ा और उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई।

ईरान-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति

ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद, ईरान ने कई आक्रामक कदम उठाए, जैसे…

• यूरेनियम संवर्धन बढ़ाना।

• तेल निर्यात में वृद्धि।

•क्षेत्रीय आतंकी समूहों का समर्थन करना।

• इजरायल पर सीधा हमला करना।

ट्रंप के पिछले कार्यकाल में “अधिकतम दबाव” की नीति लागू की गई थी, जिसने ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया था। अब, उनके नए प्रशासन में इस नीति की वापसी की संभावना जताई जा रही है।

क्या नया सरकारी विभाग मददगार होगा?

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि एलन मस्क और विवेक रामास्वामी उनके नए “सरकारी दक्षता विभाग” का नेतृत्व करेंगे। इस विभाग का उद्देश्य सरकारी कामकाज को बेहतर बनाना और “बाहर से विशेषज्ञों” की मदद लेना है। हालांकि, इस विभाग की कार्यप्रणाली और इसके संभावित प्रभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस की मंजूरी भी इस विभाग के लिए एक चुनौती हो सकती है।

बैठक के राजनीतिक मायने

एलन मस्क और ईरानी राजदूत के बीच हुई इस बैठक ने कई सवाल खड़े किए हैं…

• क्या ट्रंप प्रशासन अपने पहले कार्यकाल की तरह ईरान पर “अधिकतम दबाव” नीति को फिर से लागू करेगा?

• क्या मस्क की कूटनीतिक भूमिका ट्रंप की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत देती      है?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम ईरान पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी हो सकती है।

ईरान-अमेरिका संबंधों में कब-कब बढ़ा तनाव?

1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति – इस क्रांति में ईरान के शाह (जो अमेरिका समर्थक थे) का तख्तापलट कर दिया गया। इसके बाद ईरान में एक इस्लामिक शासन स्थापित हुआ, जिसने अमेरिका के प्रति विरोध की नीति अपनाई। इसके बाद उसी साल तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 52 अमेरिकी नागरिकों को बंधक बना लिया गया, जिससे अमेरिका और ईरान के संबंधों में गहरा अविश्वास पैदा हुआ।

ईरान-इराक युद्ध (1980-88):अमेरिका का समर्थन – ईरान-इराक युद्ध (1980-88) में अमेरिका ने ईरान के दुश्मन इराक का समर्थन किया। इससे भी ईरान में अमेरिका के प्रति घृणा की भावना बढ़ी।

परमाणु कार्यक्रम पर विवाद – ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना शुरू किया, जिसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक खतरे के रूप में देखा। अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने की कोशिश की।

क्षेत्रीय संघर्ष – ईरान और अमेरिका कई क्षेत्रों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। ईरान पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है, जबकि अमेरिका उसे रोकना चाहता है। सीरिया, यमन, इराक जैसे देशों में ईरान समर्थित समूह और अमेरिका समर्थित सेनाओं के बीच संघर्ष भी इन दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को बढ़ाता है।

Robert F Kennedy: कौन हैं रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर? अमेरिकी स्वास्थ्य सचिव के लिए बने ट्रंप की पहली पसंद

Who is Robert F Kennedy Jr:अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर को अपने प्रशासन में स्वास्थ्य और मानव सेवा विभाग का प्रमुख नामित किया है। रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर, जिन्हें आरएफके के नाम से भी जाना जाता है, एक प्रमुख टीकाकरण-विरोधी कार्यकर्ता हैं। उनके विचारों को सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ खतरनाक मानते हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि टीकों से ऑटिज्म जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

ट्रंप ने कैनेडी को स्वास्थ्य सचिव बनाने की घोषणा अपनी वेबसाइट ट्रुथ सोशल पर की। उन्होंने कहा, “बहुत लंबे समय से अमेरिकी लोग औद्योगिक खाद्य और दवा कंपनियों के भ्रामक और गलत सूचना अभियानों से प्रभावित हो रहे हैं।” ट्रंप ने कहा कि कैनेडी का चयन “अमेरिका को फिर से महान और स्वस्थ बनाने” के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर के विचार

घोषणा के बाद, कैनेडी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्रंप का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका को स्वस्थ बनाने के लिए उनके पास विज्ञान, चिकित्सा, उद्योग और सरकार के विशेषज्ञों को एक साथ लाने का एक ऐतिहासिक अवसर है। उन्होंने यह भी वादा किया कि वे स्वास्थ्य क्षेत्र में पारदर्शिता लाने और अमेरिकी नागरिकों को सभी डेटा तक पहुंच देने का प्रयास करेंगे ताकि वे अपने स्वास्थ्य के लिए सही निर्णय ले सकें।

रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर का राजनीतिक सफर?

रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर का संबंध अमेरिका के सबसे शक्तिशाली राजनीतिक परिवारों में से एक से है। वे दिवंगत अटॉर्नी जनरल रॉबर्ट एफ कैनेडी के पुत्र और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के भतीजे हैं। पिछले वर्ष, उन्होंने राष्ट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ डेमोक्रेटिक नामांकन के लिए चुनौती दी थी, लेकिन बाद में वे राष्ट्रपति पद के लिए स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने लगे।

हालांकि, आगे चलकर कैनेडी ने रिपब्लिकन पार्टी के साथ जुड़ने का निर्णय लिया और ट्रंप का समर्थन करना शुरू किया। इसके बाद ट्रंप ने अपने प्रशासन में कैनेडी को स्वास्थ्य विभाग का महत्वपूर्ण पद देने का इरादा जाहिर किया।

ट्रंप- कैनेडी की मित्रता और अभियान

चुनाव के अंतिम दौर में कैनेडी और ट्रंप ने एक साथ प्रचार किया, और इस दौरान उनकी मित्रता और गहरी होती गई। ट्रंप ने यह साफ कर दिया कि वे कैनेडी को अमेरिका की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण भूमिका देंगे। दोनों का मानना है कि वर्तमान स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की जरूरत है, और वे इसे “अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाने” के अभियान का हिस्सा मानते हैं।

रॉबर्ट एफ कैनेडी जूनियर का नामांकन एक साहसिक कदम है, क्योंकि उनके टीकाकरण-विरोधी विचारों पर काफी विवाद रहा है। ट्रंप का मानना है कि कैनेडी के विचार अमेरिकी स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने और अधिक पारदर्शी बनाने में मदद करेंगे। अब देखना यह है कि कैनेडी अपने इस नए पद पर आकर अमेरिकी स्वास्थ्य नीति में क्या बदलाव लाते हैं और इसे किस दिशा में लेकर जाते हैं।

 

Pinaka Mk.2: इजराइली PULS रॉकेट को खारिज कर भारत से पिनाका खरीदेगा फ्रांस? MBRLS के लिए धड़का पेरिस का दिल

Pinaka Mk.2: फ्रांस अमेरिकी M270 MLRS मिसाइल सिस्टम की जगह लेने के अपने डिफेंस प्रोग्राम के तहत भारतीय 214-mm Pinaka MBRLS (मल्टीपल बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम) खरीदने पर विचार कर रहा है।

PULS Multi-Caliber Rocket System

पिनाका सिस्टम में फ्रांस की दिलचस्पी इसलिए भी आश्चर्यजनक है, क्योंकि कई यूरोपीय देश एम270 एमएलआरएस के प्रतिस्थापन के रूप में इजराइली PULS मल्टी-कैलिबर रॉकेट सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन, फ्रांस का ध्यान भारतीय रॉकेट सिस्टम पर है।

इजराइली PULS (Precise and Universal Launching System) एक एडवांस, मॉड्यूलर, मल्टी-कैलिबर रॉकेट आर्टिलरी प्रणाली है, जिसे इजराइल के एल्बिट सिस्टम ने विकसित किया है। ज्यादा लचीलेपन के लिए डिजाइन किया गया, PULS विभिन्न प्रकार के रॉकेट कैलिबर का समर्थन करता है, जिससे ऑपरेटरों को मिशन की जरूरतों के आधार पर विभिन्न हथियारों का चयन करने में सुविधा होती है।

PULS लॉन्च कर सकता है

-40 किमी रेंज वाले 122 मिमी रॉकेट

-45 किमी रेंज वाले 160 मिमी रॉकेट

-150 किमी रेंज वाले 306 मिमी रॉकेट

-300 किमी रेंज में सक्षम एक्स्ट्रा और प्रिडेटर हॉक जैसे भारी रॉकेट और मिसाइल

 

PULS एक मॉड्यूलर आर्किटेक्चर का उपयोग करता है और इसे प्लेटफ़ॉर्म-अज्ञेय होने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे 4×4, 6×6 और 8×8 कॉन्फ़िगरेशन सहित कई तरह के पहिएदार या ट्रैक किए गए चेसिस पर एकीकृत किया जा सकता है। सिस्टम को अलग-अलग इलाकों, जैसे खुले रेगिस्तान, शहरी क्षेत्रों या ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।

PULS को मौजूदा कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क में एकीकृत किया जा सकता है या ऑटोनॉमस रूप से संचालित किया जा सकता है और यह सीधे यूएवी, रडार या आगे के ट्रेजेक्टरी से लक्ष्यीकरण डेटा प्राप्त कर सकता है। इसकी बहुमुखी प्रतिभा, सटीक लक्ष्यीकरण क्षमताओं के साथ मिलकर इसे आधुनिक युद्ध के मैदान के वातावरण के लिए अत्यधिक उपयुक्त बनाती है, जहां अनुकूलनशीलता, गति और सटीकता महत्वपूर्ण हैं।

Pinaka MBRLS के हैं दो वेरिएंट

भारत का पिनाका एमके.2 रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एडवांस MBRLS है।

Pinaka Mk.2, पिनाका एमके.1 MBRLS का एक व्यापक अपग्रेड है, जिसे डीआरडीओ ने अप्रचलित रूसी GRAD BM-21 को बदलने के लिए विकसित किया है।

Pinaka Mk.1 MBRLS

पिनाका एमके.1 एक फ्री-फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट एरिया बॉम्बार्डमेंट सिस्टम है, जिसे भारतीय सेना की मौजूदा 105 मिमी आर्टिलरी गन के पूरक के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसकी रेंज 37.5 किमी है। त्वरित प्रतिक्रिया समय और उच्च दर की मारक क्षमता की विशेषता के साथ, एक पिनाका सिस्टम 44 सेकंड में मल्टी-बैरल लॉन्चर से 12 HE रॉकेट की एक सैल्वो फायर करता है।

214 मिमी बोर पिनाका रॉकेट का पेलोड 100 किलोग्राम है। एक सैल्वो फायर 1000×800 मीटर के क्षेत्र को बेअसर कर सकता है। इसे विभिन्न वॉरहेड्स, जैसे कि एंटी-टैंक माइंस और ब्लास्ट-कम-प्री-फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव से सुसज्जित किया जा सकता है।

पिनाका मार्क I का विकास 1988 में शुरू हुआ, और एक प्रोटोटाइप वेरिएंट 1999 के कारगिल युद्ध में युद्ध में तैनात किया गया था। 2002 में युद्ध सिद्ध होने के बाद, इसके और उत्पादन के आदेश दिए गए। नवंबर 2020 तक, चार पिनाका रेजिमेंट सेवा में थीं और 6 और रेजिमेंट खरीदने के लिए ऑर्डर दिए गये हैं।

Pinaka Mk.2 MBRLS

पिनाका एमके.2 214 मिमी रॉकेट में 250 किलोग्राम का वारहेड है और इसमें कैनार्ड-आधारित वायुगतिकीय नियंत्रण के साथ एक नई प्रणोदन प्रणाली का उपयोग किया गया है। इनकी विस्तारित सीमा 60-75 किमी तक है, जो एमके.1 वेरिएंट की 40 किमी की सीमा से काफी ज्यादा है।

इसके अलावा, रॉकेट को जड़त्वीय नेविगेशन (INS) और सैटेलाइट नेविगेशन (सैटकॉम) के संयोजन का उपयोग करके उनके लक्ष्य तक हमला किया जाता है। पिनाका एमके.2 में एक डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS) शामिल है जो युद्धक्षेत्र कमांड और कंट्रोल (C2) सिस्टम के साथ कॉर्डिनेट करता है।

टाट्रा हाई-मोबिलिटी वाहन पर स्थापित, पिनाका एमके.2 सिस्टम को त्वरित तैनाती और शूट-एंड-स्कूट रणनीति के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह दुश्मन की काउंटर-बैटरी फायर से बच सकता है।

फ्रांस को पिनाका क्यों चाहिए, PULS क्यों नहीं?

हालांकि साफ पता चलता है, कि इजराइली PULS MLRS, पिनाका Mk.2 की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली और बहुमुखी है। लेकिन, अनुमान लगाया जा रहा है कि फ्रांस पिनाका पर विचार कर रहा है, न कि अन्य यूरोपीय संघ के देशों की तरह PULS पर, क्योंकि गाजा और लेबनान में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइल की कथित क्रूरता को लेकर हाल ही में उसके साथ मतभेद हुए हैं।

बेशक, फ्रांसीसी ऐसा नहीं कहते हैं।

लेकिन, फ्रांसीसी सेना के ब्रिगेडियर जनरल स्टीफन रिचौ ने एएनआई को बताया, “हम पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का मूल्यांकन कर रहे हैं, क्योंकि हमें इस तरह के सिस्टम की जरूरत है। हम इस सिस्टम का मूल्यांकन ऐसे सिस्टम की पेशकश करने वाले शीर्ष देशों द्वारा पेश किए जाने वाले अन्य सिस्टम के बीच कर रहे हैं। भारत हथियार बनाने वाले शीर्ष देशों में से एक है।”

उन्होंने कहा, “यह व्यापारिक साझेदारी से कहीं बढ़कर है, और यह सहयोग है, और यह एक साझा भविष्य है।”

यह ध्यान रखना दिलचस्प है, कि डीआरडीओ ने पहले पिनाका रॉकेट की सटीकता में सुधार के लिए फ्रांस की सेजम के साथ साझेदारी की थी। जून 2010 में, सेजम ने कथित तौर पर 2 पिनाका रेजिमेंट के साथ एकीकरण के लिए अपना सिग्मा 30-रिंग लेजर जाइरोस्कोप (आरएलजी) सिस्टम दिया था। इस सिस्टम को टाटा पावर एसईडी और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा एकीकृत किया जाना था।

पारंपरिक जाइरो के विपरीत, RLG बहुत सटीक और मजबूत होते हैं। RLS-आधारित INS सिस्टम रॉकेट के उड़ान पथ को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है और जैमिंग के कारण SATNAV सिग्नल की अनुपस्थिति में मार्गदर्शन इनपुट प्रदान कर सकता है।

सिग्मा 30 सिस्टम का उपयोग आर्टिलरी प्लेटफ़ॉर्म की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ किया जा सकता है, जिसमें स्व-चालित हॉवित्जर, मोर्टार और कई रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं।

फ्रांस के भारत के पिनाका एमबीआरएलएस पर विचार करने के और भी अच्छे कारण हैं।

भारत अब केवल फ्रांसीसी सैन्य हार्डवेयर के लिए एक अच्छा बाजार नहीं है, बल्कि यह संयुक्त हथियार प्रणाली विकास के लिए एक विश्वसनीय भागीदार भी है। भारत और रूस द्वारा संयुक्त हथियार प्रणाली विकास के अच्छे परिणाम मिले हैं, और फ्रांस को भी अब इसकी संभावना नज़र आ रही है। भारत के साथ रक्षा विनिर्माण में एक करीबी साझेदारी, फ्रांस को देश की प्रतिभा पूल का लाभ उठाने, लागत में कटौती करने और अपने पारंपरिक भागीदारों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी।

कौन हैं तुलसी गबार्ड, डोनाल्ड ट्रम्प ने बनाया अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का प्रमुख

डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को DNI नियुक्त किया है। गबार्ड अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की प्रमुख बनने वाली पहली हिंदू महिला होंगी। सेना में सेवा दे चुकीं गबार्ड ने ट्रंप का आभार जताया है।

वाशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पूर्व डेमोक्रेट तुलसी गबार्ड को DNI (Director of National Intelligence) बनाया है। तुलसी पहली हिंदू कांग्रेस महिला होंगी जो अमेरिकी जासूसी एजेंसियों के शीर्ष पद पर बैठेंगी। वह ट्रंप की खुफिया सलाहकार के रूप में काम करेंगी।

सोशल मीडिया पर ट्रंप ने कहा कि तुलसी गबार्ड एक “प्राउड रिपब्लिकन” हैं। वह खुफिया समुदाय में अपनी “निडर भावना” ला सकती हैं। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन के लिए एक पूर्व उम्मीदवार के रूप में उन्हें दोनों दलों में व्यापक समर्थन प्राप्त है।”

अमेरिका की खुफिया प्रमुख बनाए जाने पर तुलसी गबार्ड ने डोनाल्ड ट्रम्प का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा, “डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आपके मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद। मैं काम करने के लिए उत्सुक हूं।”

तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी सेना में दी है सेवा

तुलसी गबार्ड खुफिया मामलों में अनुभवी नहीं हैं। उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक अमेरिकी सेना में सेवा की है। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी से अपने संबंध तोड़ लिए थे। 2024 की शुरुआत में ट्रम्प का समर्थन किया था।

तुलसी गबार्ड की मां ने अपनाया था हिंदू धर्म

तुलसी गबार्ड को उनके नाम के चलते अक्सर भारतीय मूल का समझा जाता है। उनका भारत से कोई सीधा संबंध नहीं है। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपना लिया था। उन्होंने अपने बच्चों के नाम हिंदू रखे। गबार्ड भी खुद को हिंदू मानती हैं। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू सदस्य के रूप में इतिहास रचा है। अमेरिकी समोआ मूल की गबार्ड ने भगवद गीता पर हाथ रखकर कांग्रेस की शपथ ली।

China में स्पोर्ट्स सेंटर के बाहर कार ने लोगों को रौंदा, 35 की मौके पर मौत

चीन के झुहाई शहर में सोमवार रात एक कार दुर्घटना में 35 लोगों की मौत हो गई और 43 से ज्यादा लोग घायल हो गए। झुहाई वर्तमान में चीन के प्रतिष्ठित एयरशो की मेजबानी कर रहा है। हालांकि घटना का विवरण अभी तक जारी नहीं किया गया है। हालांकि समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इस दुर्घटना की पुष्टि की। पुलिस ने बताया कि 62 वर्षीय ड्राइवर को हिरासत में लिया गया।

चीनी शहर में ड्राइवर ने भीड़ को टक्कर मारी, 35 लोगों की मौत (Photo Agency)

एजेंसी, बीजिंग। चीन के दक्षिणी शहर झुहाई में सोमवार शाम को स्पोर्ट्स सेंटर के बाहर लोगों के समूह को कार ने टक्कर मार दी, जिससे 35 लोगों की मौत हो गई और 43 अन्य घायल हो गए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के झुहाई शहर में कार की टक्कर में घायल हुए लोगों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास करने का वादा किया है।

आरोपी गिरफ्तार

पुलिस का कहना है कि झुहाई शहर में एक ड्राइवर द्वारा भीड़ को टक्कर मारने के बाद 35 लोगों की मौत हो गई और 43 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने सोमवार को बताया कि 62 वर्षीय चालक को हिरासत में लिया गया है। यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह हमला था या दुर्घटना। किसी कारण का उल्लेख नहीं किया गया और पुलिस ने कहा कि जांच जारी है।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने कानून के अनुसार अपराधी को सजा देने की भी मांग की। हालांकि, आधिकारिक मीडिया में इस घटना की रिपोर्ट को व्यापक रूप से सेंसर किया गया है, लेकिन एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो में सड़क पर पड़े शवों और मदद के लिए चिल्लाते लोगों का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।

चीन में बढ़ रही हिंसा

राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने घायलों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास करने का आदेश दिया और अपराधी को कड़ी सजा देने की मांग की। चीनी सरकार ने मामले से निपटने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक टीम भेजी है। चीन में कड़ी सुरक्षा और सख्त कानूनों के कारण हिंसक अपराध कम हैं। हालांकि, बड़े शहरों में चाकू से हमलों की बढ़ती रिपोर्टों ने सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।

अक्टूबर में बीजिंग में चाकू से किए गए हमले में शहर के शीर्ष प्राथमिक विद्यालयों में से एक के बाहर पांच लोग घायल हो गए थे। एक महीने पहले शेन्जेन में अपने स्कूल के बाहर एक जापानी छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। झुहाई इस सप्ताह चीन के सबसे बड़े वार्षिक एयर शो की मेजबानी कर रहा है, जहां पहली बार एक नया स्टील्थ जेट फाइटर प्रदर्शित किया जाएगा।