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इजराइल-हिज्लुब्लाल के बीच संघर्ष को लेकर जो बाइडेन का बड़ा ऐलान

इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष को लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बड़ा ऐलान किया है। जो बाइडेन ने कहा कि उन्होंने इजराइल और लेबनान के प्रधानमंत्री से बात कही है और दोनों ने इजराइल व हिज्बुल्लाह के बीच चल रहे संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। जो बाइडेन ने एक्स पर पोस्ट करके ऐलान किया है कि दोनों के बीच चल रहा संघर्ष अब खत्म हो रहा है ।

एक्स पर पोस्ट करके बाइडेन ने लिखा, आज मिडल ईस्ट से साझा करने के लिए मेरे पास अच्छी खबर है। मैंने लेबनान और इजराइल के प्रधानमंत्री से बात कही है। मुझे यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि दोनों ने इजराइल-हिज्बुल्लाह के बीच संघर्ष को खत्म करने के लिए अमेरिका के सुझाव को स्वीकार कर लिया है।

 

जो बाइडेन के बयान की पुष्टि करते हुए इजराइल के प्रधानमंत्री की ओर से भी पोस्ट करके लिखा गया, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आज शाम राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात कही और इस मसले में अमेरिका के हस्तक्षेप का शुक्रिया अदा किया और लेबनान के साथ युद्धविराम के समझौते की सराहना की।

इस संघर्ष की शुरुआत इजरायल पर हमास के हमले से हुई थी, जिसके परिणामस्वरूप मानवीय संकट पैदा हो गया, जिसके कारण इजरायल और लेबनान दोनों में 370,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए।

युद्ध विराम की शर्तों के तहत, लेबनानी सेना और राज्य सुरक्षा बलों द्वारा अपने क्षेत्र की कमान संभालने के साथ शत्रुता समाप्त हो जाएगी। इस कदम का उद्देश्य हिजबुल्लाह को दक्षिणी लेबनान में अपनी सैन्य उपस्थिति को फिर से शुरू करने से रोकना है, जबकि इजरायल धीरे-धीरे अपनी सेना को वापस बुलाएगा, जिससे नागरिक जीवन का पुनर्निर्माण हो सके।

 

राष्ट्रपति बिडेन ने लेबनान की संप्रभुता को बनाए रखने और राष्ट्र को सुरक्षित और समृद्ध भविष्य की ओर ले जाने के लिए युद्ध विराम की क्षमता पर जोर दिया। उन्होंने आश्वासन दिया कि, जबकि समझौता युद्ध विराम का उल्लंघन होने पर अंतर्राष्ट्रीय कानून का पालन करते हुए इजरायल को खुद का बचाव करने की अनुमति देता है, प्राथमिक लक्ष्य इस समझौते का पूर्ण कार्यान्वयन है।

यह समझौता न केवल हिंसा को रोकने की दिशा में एक आशाजनक कदम है, बल्कि इस लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष से प्रभावित समुदायों को फिर से जोड़ने की दिशा में भी बड़ी पहल है।

Dr Jaiteerth Joshi: कौन हैं मिसाइल साइंटिस्ट डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी, जिन्हें मिली ब्रह्मोस की कमान

Dr. Jayatirtha Raghavendra Joshi: ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्राइवेट लिमिटेड भारत और रूस की साझा उपक्रम कंपनी है। अब फेमस मिसाइल साइंटिस्ट डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी को इस कंपनी की कमान सौंपी गई है। उन्हें कंपनी का प्रमुख के पद पर नियुक्त किया गया है। डॉ. जयतीर्थ अतुल दिनकर राणे का स्थान लेंगे जिनका कार्यकाल समाप्त हो रहा है। आइए जानते हैं कि साइंटिस्ट जयतीर्थ की मिसाइल विज्ञान के क्षेत्र कैसा करियर रहा, जिनके चलते भारत और रूस के साझेदारी वाली कंपनी कमान उन्हें सौंपी गई है।

ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत और रूस का संयुक्त एयरोस्पेस और रक्षा निगम है। नई दिल्ली में मुख्यालय, यह क्रूज मिसाइलों का निर्माण करता है। इसकी स्थापना भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और रूस के एनपीओ मशीनोस्ट्रोयेनिया के बीच एक संयुक्त उद्यम के रूप में की गई थी।

क्यों पड़ा कंपनी नाम ब्रह्मोस
कंपनी का नाम दो नदियों, भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मोस्कवा, के नाम से मिलकर बना है। कंपनी वर्तमान में ब्रह्मोस मिसाइल बनाती है जिसकी मारक क्षमता 800 किमी है और यह 2.8 मैक की गति से यात्रा कर सकती है। कथित तौर पर, निगम एक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस-द्वितीय भी विकसित कर रहा है।

ब्रह्मोस भारत द्वारा निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरण के रूप में उभरा है। जनवरी 2022 में, भारत और फिलीपींस ने 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत नई दिल्ली को दक्षिण एशियाई राष्ट्र को मिसाइलों की तीन बैटरी, उनके लॉन्चर और संबंधित उपकरण की आपूर्ति करनी थी। इस साल अप्रैल में भारत ने फिलीपींस को हथियार प्रणाली की पहली खेप सौंपी थी।

कौन हैं डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी?
इससे पहले डॉ. जयतीर्थ राघवेंद्र जोशी रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स, डीआरडीओ के परियोजना निदेशक पर रहे। वर्ष 2021 में प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (इंडिया) भारत रत्न सर मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया पुरस्कार-2020 से सम्मानित किया गया था। डॉ. जोशी को यह सम्मान इंजीनियर्स दिवस समारोह के मौके पर ये पुरस्कार दिया गया। वे उस्मानिया विश्वविद्यालय से बी.टेक और एनआईटी वारंगल से पीएचडी प्राप्त डॉ. जोशी इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स इंडिया (एफआईई), इंडियन इंस्टीट्यूशन ऑफ प्रोडक्शन इंजीनियर्स सहित कई संस्थाओं के फेलो भी रहे हैं।

पाकिस्तान में हिंसा के बीच PTI का सड़कों पर विरोध जारी, जेल से पूर्व पीएम इमरान खान ने क्या कहा?

सत्ता जाने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों, पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन जारी है। इस बीच पिछले हफ्ते हिंसा की घटनाएं भी हुईं। इनके बावजूद पूर्व पीएम ने विरोध जारी रखने का आह्वान किया है।

जेल से इमरान खान का आंदोलन जारी
पिछले कई महीनों से पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान जेल में बंद हैं। पीटीआई के हाथ से सत्ता फिसलने के बाद और शहबाज सरकार आते ही उनके मुश्किलें बढ़ गईं। इमरान खान के खिलाफ 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं। तोषखाना मामले में इमरान खान बुरी तरह फंसे हैं। मामले में उनकी तरफ से कई जमानत याचिकाएं दायर की गईं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। ऐसे मे उन्होंने जेल ही आंदोलन जेल शुरू कर दिया है।

पूर्व पीएम इमरान की 3 बड़ी मांगें
विरोध कर रहे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थकों तीन सबसे बड़ी मांगों को लेकर सड़कगों पर हैं। जिसमें उनकी पहली मांग ये है कि इमरान खान को जल्द से जल्द रिहा किया जाए। दूसरी मांग है कि 2024 के पाकिस्तानी चुनाव में जो असल नतीजे आए थे, उन्हें ही स्वीकार किया जाए। दरअसल, पाकिस्तान में जो पिछले चुनाव हुए, उसमें जेल में रहते हुए भी इमरान खान की पार्टी को सबसे ज्यादा सीट मिली थीं। तीसरी मांग है कि पाकिस्तानी संसद में अदालत की ताकत कम करने वाले जिस एक्ट को पास किया गया था, उसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

जेल से इमरान का संदेश
पाकिस्तान में इमरान खान के रिहाई की मांग जोर पकड़ने लगी है। इमरान ने रिहाई की प्रक्रिया को ‘फाइनल कॉल’ का नाम दिया है। उन्होंने तो जेल से जो संदेश जारी किया उसमें भी दो टूक कहा, “24 नवंबर का दिन गुलामी से आजाद होने का है। अब पाकिस्तान को ही तय करना होगा कि उसे बहादुर शाह जफर की तरह गुलामी का जुआ चाहिए या टीपू सुल्तान की तरह आजादी का ताज।” इमरान के इस एक आह्वान के बाद ही पीटीआई के कई कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए और अपने नेता की रिहाई की मांग करने लगे।

लेबनान में कैंसर अस्पतालों पर दबाव बढ़ा, इजरायल के हमलों इलाज की समस्या बढ़ी

हिज्बुल्लाह और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष के बीच, लेबनान में परिवारों को युद्ध और बीमारी की दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। लगातार हमलों के बीच लेबनान ने सरकारी और निजी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। ऐसे में इलाज में देरी आम बात होती जा रही है। ऐसे मे ंकैंसर जैसी बीमारियों से ग्रस्त लोगों के लिए खतरा बढ़ गया है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक इजराइल की ओर किए जा रहे हमलों और लेबनान की ओर जवाबी कार्रवाई के बीच अस्तपालों पर दबाव बढ़ता जा रहा है। 9 साल की कैंसर रोगी कैरल जेघायर उन कई बच्चों में से एक हैं जिनका इलाज संघर्ष से बाधित हुआ है। बमबारी वाले इलाकों से बचने की ज़रूरत के कारण, बेरूत के बच्चों के कैंसर केंद्र तक उसकी साप्ताहिक यात्राएँ अब तीन घंटे तक चलती हैं

कैरल की मां, सिंडस हम्रा को अराजकता के बीच अपनी बेटी के स्वास्थ्य की चिंता है। उसकी स्थिति बहुत मुश्किल है, उसका कैंसर उसके सिर तक फैल सकता है। परिवार हसबया में रहता है, जहां हवाई हमलों की आवाज रोज सुनाई देती है। खतरों के बावजूद, वे अपने घर पर ही रहते हैं, कई अन्य लोगों के विपरीत जो विस्थापित हो चुकी हैं।

लेबनान का चिल्ड्रन कैंसर सेंटर यह सुनिश्चित करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है कि इलाज बिना किसी रुकावट के जारी रहे। केंद्र की धन उगाहने और कार्यक्रमों की कार्यकारी, ज़ीना एल चामी ने कहा कि उन्होंने इलाज को सुविधाजनक बनाने के लिए रोगियों के स्थानों की पहचान की है, जब आवश्यक हो, आस-पास के अस्पतालों में इलाज की सुविधा प्रदान की जाए। प्रारंभिक वृद्धि के दौरान कुछ रोगियों को आपातकालीन देखभाल के लिए भर्ती कराया गया था।

केंद्र में बाल रोग विशेषज्ञ डॉली नून ने चिकित्सा पेशेवरों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डाला। असुरक्षित परिस्थितियों के कारण कई चिकित्सकों को स्थानांतरित होना पड़ा है। “मैं ऐसे चिकित्सकों को जानता हूं जिन्होंने छह हफ्तों से अपने माता-पिता को नहीं देखा है क्योंकि सड़कें बहुत खतरनाक हैं,” उन्होंने कहा।

लेबनान 2019 से कई संकटों से जूझ रहा है, जिसमें आर्थिक पतन और 2020 में बेरूत बंदरगाह विस्फोट शामिल है। इन चुनौतियों ने कैंसर केंद्र जैसे संस्थानों पर दबाव डाला है, जो कुछ दिनों से 18 साल तक की उम्र के 400 से अधिक रोगियों का इलाज करता है।

कैरल और अन्य युवा रोगियों के लिए, केंद्र में दोस्तों के साथ बिताए क्षण उनकी कठोर वास्तविकता से थोड़ी राहत प्रदान करते हैं। आठ साल का मोहम्मद मौसावी एक और बच्चा है जो संघर्ष से प्रभावित है। उनके परिवार को बेरूत के दक्षिणी उपनगरों में उनके घर के पास बमबारी के कारण कई बार स्थानांतरित होना पड़ा है।

मौसावी का घर विनाश के लिए चिह्नित किया गया था लेकिन अभी के लिए खड़ा है। “उन्होंने इसके चारों ओर इमारतों को मारा है – इसके पीछे दो और सामने दो,” मोहम्मद की माँ सुज़ैन मौसावी ने कहा। परिवार अपने बाधित जीवन के बीच सफल इलाज की उम्मीद करता है।

सीरिया से आई 9 साल की शरणार्थी असिनत अल लहहम का भी केंद्र में इलाज चल रहा है। उसके परिवार ने एक युद्ध से भागकर लेबनान में दूसरे का सामना किया। असिनत के पिता इलाज के बाद घर से गाड़ी चलाते समय तेज संगीत बजाकर उसे हवाई हमलों की आवाज़ों से बचाने की कोशिश करते हैं।

इन प्रयासों के बावजूद, असिनत हर जगह असुरक्षित महसूस करती है। “मैं सुरक्षित महसूस नहीं करती हूं … कहीं भी सुरक्षित नहीं है … न लेबनान, न सीरिया, न फिलिस्तीन,” उसने व्यक्त किया। उसका परिवार लेबनान में बना हुआ है क्योंकि सीरिया लौटने का मतलब उसके इलाज को रोकना होगा।

‘बांग्लादेश के PM को नोबल पुरस्कार, उनसे ये उम्मीद नहीं’, चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी पर श्री श्री रविशंकर

बांग्लादेश में हिंदूओं पर हमले, धार्मिक स्थलों पर नुकसान पहुंचाए जाने के मामलों को लेकर प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार लगातार सवालों से घिरी है। इस बीच इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर एक बार फिर बांग्लादेश सरकार की निंदा हो रही है। श्री श्री रविशंकर दास ने कहा है कि प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस नोबल शांति पुरस्कार के विजेता हैं, उनसे संतों के खिलाफ इस तरह के एक्शन की उम्मीद नहीं है। इससे समाज में भय और तनाव का माहौल पैदा हो जाता है।

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को इस हफ्ते मंगलवार सुबह 11 बजे चटगांव छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश काजी शरीफुल इस्लाम के सामने पेश किया गया। द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उनके वकीलों ने जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

 

चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस (सीएमपी) के अतिरिक्त उपायुक्त काजी एमडी तारेक अजीज ने कहा कि चिन्मय को रात में सड़क मार्ग से चटगांव लाया गया। उन पर कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज है और उस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया था।

बांग्लादेश में इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर श्री श्री रविशंकर दास ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा जिस देश में संतों पर इस तरह के एक्शन लिए जाएंगो तो वहां भय और तनाव का माहौल बन जाएगा। एक सवाल जवाब में श्री श्री रविशंकर दास ने कहा, “पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री के लिए एक आध्यात्मिक नेता को गिरफ्तार करना अशोभनीय है। वह हथियार नहीं ले रहे हैं, वह बंदूक नहीं ले रहे हैं, वह अपने लोगों की देखभाल कर रहे हैं। वह सिर्फ अधिकारों के लिए खड़े हैं और चाहते हैं कि सरकार ऐसा करे।” रविशंकर ने कहा, “वहां अल्पसंख्यकों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, उन्हें सुनिए। धार्मिक पुजारियों को गिरफ्तार करने से न तो उनका भला होगा और न ही लोगों का, देश का भला होगा और न ही बांग्लादेश की छवि का भला होगा।”

श्री श्री रविशंकर दास ने कहा, “हम प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से बहुत अधिक उम्मीद करते हैं, जिन्हें लोगों में शांति और सुरक्षा लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है और इसीलिए उन्हें वहां प्रधान मंत्री के रूप में रखा गया है। हम उनसे ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं करेंगे जो आगे समुदायों के बीच तनाव और भय और अधिक पैदा करेगी।”

हिंसक विरोध प्रदर्शन, मौतें, इंटरनेट बंद: इमरान खान के समर्थक इस्लामाबाद में कैसे अराजकता फैला रहे हैं?

Pakistan Protest: इस्लामाबाद में अराजकता फैला हुआ है और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक देश की राजधानी में उत्पात मचा रहे हैं। अभी तक कम से कम 7 लोग मारे गये हैं, जिनमें चार पुलिसवाले हैं। दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं।

इमरान खान के समर्थक उनके ‘अंतिम आह्वान’ की घोषणा के बाद इस्लामाबाद में उनकी रिहाई की मांग के साथ जुटे हैं और उनकी पत्नी बुशरा बीबी इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्य, अन्य नेता और पाकिस्तान भर से इमरान खान के हजारों समर्थक रविवार से ही राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं।

वे खान की जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं और साथ ही शहबाज शरीफ की सरकार के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं। इमरान समर्थकों का दावा है, कि चुनाव में धांधली हुई है।

लेकिन पाकिस्तान में क्या हो रहा है?

सीएनएन के अनुसार, मंगलवार सुबह इस्लामाबाद में जीरो पॉइंट पर प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। इंडिया टुडे के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने डी-चौक की ओर अपना मार्च फिर से शुरू कर दिया है। डी-चौक, जिसे अक्सर डेमोक्रेसी चौक या गाजा चौक के नाम से जाना जाता है, इस्लामाबाद में कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों के पास स्थिति एक सार्वजनिक चौक है।

अल जजीरा के अनुसार, इमरान खान के समर्थक डी-चौक से 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं। पाकिस्तान रेंजर्स को रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में तैनात किया गया है, जबकि पुलिस दंगा रोधी गियर में तैयार है।

अधिकारियों ने पानी की बौछारें फेंकने वाले टैंकर मशीने भी तैनात की हैं।

अल जजीरा के कमाल हैदर ने स्थिति को “बेहद तनावपूर्ण” बताया।

हैदर ने कहा, “प्रदर्शनकारी अब शहर के भीतर हैं। यह बहुत चिंता की बात है, क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को कुचलने वाली है।”

हैदर ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसी भी स्थिति में डी-चौक तक पहुंचना चाहते हैं, भले ही इस कोशिश में उनकी जान ही क्यों ना चली जाए।

उन्होंने कहा, “यही वह जगह है, जहां वे सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे। इसलिए, वास्तव में तनाव बहुत ज़्यादा है।”

 

 

सीएनएन ने पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों के हवाले से बताया, कि पांच लोगों की मौत हो गई है, जिनमें चार सुरक्षा अधिकारी और एक नागरिक शामिल हैं।

कई स्रोतों ने कहा कि एक कार से उन्हें बेरहमी से कुचला गया था।

डॉन के मुताबिक, गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने “शहीद हुए चार रेंजर्स कर्मियों को श्रद्धांजलि” दी है।

पाकिस्तानी आंतरिक मंत्रालय ने हमलों के लिए “शत्रुओं” को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई, कहा कि चार सैनिक मारे गए हैं।

बयान में कहा गया, “हम शहीदों के परिवारों के साथ खड़े हैं और हमेशा उनके साथ रहेंगे।”

प्रांतीय पुलिस प्रमुख उस्मान अनवर ने कहा, कि अकेले पंजाब प्रांत में एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, कम से कम 119 अन्य घायल हो गए और इस्लामाबाद के बाहर और अन्य जगहों पर हुई झड़पों में 22 पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। उन्होंने कहा, कि दो अधिकारियों की हालत गंभीर है।

इमरान खान की पार्टी ने कहा है, कि उसके कई कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं।

‘इमरान खान के लिए अंतिम लड़ाई’

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, कि “यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह चरमपंथ है।” उन्होंने इस रक्तपात की निंदा करते हुए कहा, कि इसका उद्देश्य “बुरी राजनीतिक मंशा” को पूरा करना है।

डॉन ने शरीफ के हवाले से कहा कि पीटीआई एक “अराजकतावादी समूह है जो रक्तपात चाहता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “नापाक राजनीतिक एजेंडे के लिए रक्तपात अस्वीकार्य और अत्यधिक निंदनीय है।”

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और उनके प्रमुख सहयोगी अली अमीन गंदापुर, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने मंगलवार को सुबह राजधानी में एक मार्च का नेतृत्व किया है। खान के समर्थकों का कहना है, कि ये लड़ाई आखिरी दम तक चलेगी।

शहबाज सरकार ने इस्लामाबाद में प्रमुख सड़कों और गलियों को ब्लॉक करने के लिए शिपिंग कंटेनरों का इस्तेमाल किया है, जिसमें पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को दंगा रोधी गियर में गश्त के लिए तैनात किया गया है।

 

 

अधिकारियों और चश्मदीदों ने बताया है, कि प्रदर्शनकारियों को दूर रखने के लिए पूर्वी प्रांत में शहरों और टर्मिनलों के बीच सभी सार्वजनिक परिवहन को भी बंद कर दिया गया था। प्रांतीय सूचना मंत्री उज्मा बुखारी ने कहा, कि इमरान खान के लगभग 80 समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है।

रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने स्थानीय जियो न्यूज टीवी को बताया, कि सरकार ने स्थिति को शांत करने के लिए इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के नेताओं से बातचीत करने की मांग की है। उन्होंने कहा, “यह एक ईमानदार प्रयास था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।”

नकवी ने कहा, कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों का सामना करने में “अत्यधिक संयम” दिखाया, जिनमें से कुछ ने उनके अनुसार गोलियां चलाईं, जबकि पुलिस ने केवल रबर की गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे हैं।

उन्होंने कहा, “गोली का जवाब गोली से देना आसान है।”

नकवी ने सीएनएन से कहा, “रेंजर्स गोली चला सकते हैं और पांच मिनट के बाद वहां कोई प्रदर्शनकारी नहीं होगा। यहां पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि सरकार ने इमरान खान की पार्टी को इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में खुले मैदान में धरना देने की अनुमति दी है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं ने यह प्रस्ताव खान के सामने जेल में रखा, लेकिन “हमें अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।” नकवी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को संसद के बाहर पहुंचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी, कि अगर वे नहीं माने तो सरकार “चरम” कदम उठाने के लिए मजबूर होगी, जिसमें कर्फ्यू लगाना या सेना को बुलाना शामिल हो सकता है।

उन्होंने कहा, “हम उन्हें अपनी लाल रेखा पार नहीं करने देंगे।”

 

 

देखते ही गोली मारने के आदेश

लेकिन, इमरान खान की पार्टी ने सरकार पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए अत्यधिक हिंसा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।

इमरान खान के एक सहयोगी शौकत यूसुफजई ने जियो न्यूज को बताया, “वे लाइव गोलियां भी चला रहे हैं।”

रॉयटर्स टीवी और स्थानीय टीवी फुटेज में पुलिस को इमरान खान के समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागते हुए दिखाया गया, जो उन पर पत्थर और ईंटें फेंक रहे थे।

वीडियो में इस्लामाबाद के बाहर मुख्य मार्च के दौरान वाहनों और पेड़ों को आग लगाते हुए दिखाया गया है, क्योंकि कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को शिपमेंट कंटेनरों को धक्का देकर हटाते और आगे बढ़ते हुए देखा गया है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सोशल मीडिया पर वीडियो में इमरान खान को गैस मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे पहने हुए दिखाया गया है।

सीएनएन ने वरिष्ठ पीटीआई नेता कामरान बंगश के हवाले से कहा, कि वे “दृढ़ निश्चयी हैं और हम इस्लामाबाद पहुंचेंगे।”

बंगश ने कहा, “हम एक-एक करके सभी बाधाओं को पार करेंगे।”

डॉन ने रेडियो पाकिस्तान के हवाले से बताया, कि मंगलवार को “उपद्रवियों से निपटने” के लिए पाकिस्तानी सेना को इस्लामाबाद बुलाया गया था।

रेडियो पाकिस्तान ने कहा, “अनुच्छेद 245 के तहत, पाकिस्तानी सेना को बुलाया गया है और उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश जारी किए गए हैं।”

रेडियो ने कहा, कि “उपद्रवियों और अराजकता फैलाने वालों को देखते ही गोली मारने के स्पष्ट आदेश भी जारी किए गए हैं।” ब्लूमबर्ग ने बताया कि सुरक्षा कारणों से इस्लामाबाद में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया है। राजधानी के कुछ इलाकों में मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

Krishna Das Prabhu: ISKCON बांग्लादेश के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास कौन हैं, जिन्हें किया गया है गिरफ्तार?

Krishna Das Prabhu: बांग्लादेश की पुलिस ने सोमवार को कहा है, कि उन्होंने एक हिंदू नेता को गिरफ्तार किया है जो इस्लामिक देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की वकालत करते हुए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे।

समाचार एजेंसी एएफपी ने वरिष्ठ पुलिस डिटेक्टिव रजाउल करीम मलिक के हवाले से कहा है, उन्हें ढाका में गिरफ्तार किया गया है।

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें कृष्ण प्रभु दास के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने बांग्लादेश में कई रैलियां आयोजित की थीं, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने “साथी भक्तों के खिलाफ अत्याचार” की निंदा की थी। ढाका पुलिस के प्रवक्ता तालेबुर रहमान ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है, लेकिन उनके ऊपर लगाए गये आरोपों की जानकारी नहीं दी है।

लेकिन, बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, उनके ऊपर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गये हैं और कोर्ट में आज उन्हें पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए हिंदू नेता कृष्णदास प्रभु कौन हैं?

कृष्ण दास प्रभु, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है, वो बांग्लादेश में एक हिंदू नेता और पूजनीय व्यक्ति हैं। वे बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं। ब्रह्मचारी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े थे। वे इस्कॉन के प्रवक्ता भी हैं।

इस्कॉन के सदस्य के रूप में, कृष्ण प्रभु दास बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए मुखर वकील रहे हैं, और अक्सर लक्षित घृणा हमलों और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ बोलते रहे हैं।

 

 

कृष्ण दास ने हाल ही में लक्षित हमलों का सामना कर रहे हिंदुओं के लिए न्याय की मांग करते हुए एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों से बेहतर सुरक्षा की मांग की। एएफपी के मुताबितक, ब्रह्मचारी के खिलाफ अक्टूबर में मामला दर्ज किया गया था, जब उन्होंने चटगांव शहर में एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था, जहां उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।

उनके मुखर रुख और नेतृत्व ने उन्हें एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है, लेकिन साथ ही उन्हें राजनीतिक और सामाजिक विवादों के घेरे में भी खड़ा कर दिया है। कृष्ण दास प्रभु की हिरासत, बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक तनाव के बीच हुई है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से हिंसा से ग्रस्त है।

हिंदू अल्पसंख्यकों को देश के अलग अलग इलाकों में निशाना बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदू अब सिर्फ 8% बचे हैं। ज्यादातर हिंदू भारत भागने के लिए मजबूर कर दिए गये या फिर उन्हें जबरन मुसलमान बना दिया गया।

बांग्लादेश में कई जगहों पर किए गये प्रदर्शन

उनकी गिरफ्तारी के बाद ढाका में हिंदू समुदाय के लोगों ने शाहबाग इलाके में विरोध प्रदर्शन किया, जहां कई लोगों ने नारे लगाए और प्रभु की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए प्रमुख सड़कों को भी जाम कर दिया। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) के सदस्यों ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान अज्ञात लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद कई लोग घायल हो गए।

इसके अलावा बांग्लादेश के एक अन्य प्रमुख शहर चटगांव में भी लोगों ने प्रभु की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शहर से आए एक वीडियो में हिंदू नेता की गिरफ्तारी के विरोध में लोगों को अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाते हुए दिखाया गया। इस बीच, भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार ने चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा की और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मामले को गंभीरता से लेने और तत्काल कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है।

मजूमदार ने कहा, “चिन्मय प्रभु, जिन्हें श्री चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के एक सनातनी हिंदू नेता, इस्कॉन मंदिर के एक भिक्षु और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आवाज हैं, उन्हें सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भिक्षु चिन्मय प्रभु को सोमवार दोपहर ढाका पुलिस ने ढाका हवाई अड्डे से उठाया और उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा में ले जाया गया है।”

बांग्लादेश में पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी उन 18 लोगों में से एक हैं, जिन पर बांग्लादेश में भगवा ध्वज फहराने के आरोप में राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।

 

Pakistan Violence: पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों का इस्लामाबाद मार्च, बढ़ी हिंसा, झड़पों में 5 की मौत

Pakistan Violence: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इस हिंसा में 5 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों पुलिस अधिकारी घायल हो गए। यह घटना इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), और शहबाज शरीफ की सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा रही है।

पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों और सरकार के बीच टकराव ने देश में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। यह साफ है कि यदि स्थिति को जल्दी नहीं संभाला गया, तो यह विवाद और बढ़ सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत ही इस समस्या का एकमात्र समाधान हो सकता है। आइए विस्तार से जाने पूरा मामला…

 

 

विरोध प्रदर्शन: कैसे शुरू हुआ?
रविवार को इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में इस्लामाबाद की ओर यह मार्च शुरू हुआ। प्रदर्शनकारी सोमवार को राजधानी पहुंचे और डी-चौक जैसी संवेदनशील जगहों पर इकट्ठा होने लगे।

क्या हुआ झड़पों में:

  • पुलिस अधिकारी की मौत: एक पुलिसकर्मी को गोली मार दी गई।
  • सैनिकों की मौत: प्रदर्शनकारियों द्वारा गाड़ी चढ़ाने से 4 सैनिकों की मौत हो गई।
  • घायलों की संख्या: 119 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से 2 की हालत गंभीर है।
  • संपत्ति का नुकसान: 22 पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई।

 

सरकार ने इस्लामाबाद में सेना तैनात कर दी है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

इमरान खान का “अंतिम आह्वान”

  • इमरान खान ने इस विरोध प्रदर्शन को “अंतिम आह्वान” बताया, जो उनके अनुसार, “चोरी किए गए जनादेश” के खिलाफ था। उन्होंने जनता से “गुलामी की बेड़ियां तोड़ने” और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का आह्वान किया।
  • प्रदर्शनकारियों की तैयारी: सरकार द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को प्रदर्शनकारियों ने भारी मशीनरी और उपकरणों से हटा दिया।
  • रैली का नेतृत्व: खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और बुशरा बीबी ने इस विरोध का नेतृत्व किया।

सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी से दूर स्थान पर प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बुशरा बीबी ने खारिज कर दिया। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश किया तो “गंभीर परिणाम” भुगतने पड़ सकते हैं।

इमरान खान और उनकी कानूनी परेशानियां

  • 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटने के बाद से इमरान खान पर 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
  • जेल की स्थिति: वे रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।
  • चुनावी सफलता: फरवरी में हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन सरकार बनाने में असफल रही।
  • इमरान खान का आरोप है कि सत्तारूढ़ पीएमएल-एन और पीपीपी ने “जनादेश चुराकर” सत्ता हासिल की।

हालात क्यों गंभीर हैं?

  • राजनीतिक अस्थिरता: इमरान खान की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों का प्रदर्शन देश की राजनीतिक स्थिति को और अस्थिर कर रहा है।
  • सुरक्षा चुनौतियां: सेना की तैनाती के बावजूद हिंसा बढ़ती जा रही है।
  • लोकतंत्र पर खतरा: इमरान खान की पार्टी का आरोप है कि सरकार लोकतंत्र की मूल भावना को खत्म कर रही है।

 

पाकिस्तान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दंगे, अब तक 68 की मौत; सैकड़ों दुकानों व घरों को फूंका

 

पाकिस्तान के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच संघर्ष थमता नहीं दिख रहा है। अब तक 68 लोगों की जान जा चुकी है। अधिकारियों का मानना है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है। कुर्रम अफगानिस्तान की सीमा पर बसा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का अहम जिला है। यहां दशकों से शिया और सुन्नी के बीच संघर्ष जारी है। मगर ताजे विवाद की वजह अलग है।

             हिंसा से जल उठा पाकिस्तान का कुर्रम जिला। 

HighLights

  1. गुरुवार को शिया मुसलमानों के काफिले पर हुआ हमला।
  2. जवाब में सुन्नी मुस्लिमों के घरों-दुकानों को बनाया निशाना।
  3. कई पेट्रोल पंपों को फूंका, बाजार और सभी स्कूल बंद।

रॉयटर्स, पाकिस्तान। पाकिस्तान का कुर्रम जिला हिंसा की आग से दहल उठा है। यहां सुन्नी और शिया मुस्लिम के बीच दंगे भड़क उठे हैं। अब तक 68 लोगों की जान जा चुकी है। तीन दिन पहले यानी 21 नवंबर को एक काफिले में हमला किया गया था। इस हमले में करीब 40 लोगों की जान गई।

मरने वालों में अधिकांश शिया मुस्लिम थे। इसके बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। कुर्रम जिला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पड़ता है। काफिले के हमले के जवाब में शिया समुदाय ने सुन्नी घरों को निशाना बनाया। जवाबी हमले में कु 28 लोगों की जान गई है।

हिंसा को रोकने में जुटी सरकार

रविवार को पाकिस्तान के अधिकारियों ने कबायली नेताओं से मुलाकात की। अधिकारियों का जोर किसी तरह संघर्ष को रोकने पर है। काफिले पर हमले के बाद कुर्रम में सुन्नी मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा भड़की। दोनों पक्षों के सशस्त्र लोगों के बीच घमासान लड़ाई जारी है।

खैबर पख्तूनख्वा के सूचना मंत्री मुहम्मद अली सैफ ने कहा कि एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल दोनों पक्षों के नेताओं से मिलने कुर्रम पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने शिया और सुन्नी नेताओं से मुलाकात की। हिंसा को रोकने की कोशिश की जा रही है। हितधारकों के साथ बातचीत में सकारात्मक प्रगति हुई है।

बाजार और स्कूल बंद

कुर्रम में शिया और सुन्नी मुस्लिम एक दूसरे के घरों पर हमला कर रहे हैं। बाजार और स्कूलों को बंद कर दिया गया है। हिंसा के दौरान कई पेट्रोल पंपों को आग के हवाले कर दिया गया है। इंटरनेट सेवा भी ठप है। इस बीच, सरकारी प्रतिनिधिमंडल को ले जा रहे हेलीकॉप्टर पर भी गोलीबारी की गई। राहत की बात यह रही कि वह सुरक्षित उतरने में सफल रहा।

कुर्रम में हिंसा का इतिहास पुराना

कुर्रम में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच संघर्ष का दशकों पुराना इतिहास है। पाकिस्तान की कुल 24 करोड़ की आबादी में 15 फीसदी शिया मुसलमान हैं। अगस्त महीने भी दोनों समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी। इस दौरान 46 लोगों की मौत हुई थी। 200 लोग घायल हुए थे। 2023 में भी 20 लोगों की हिंसा में जान गई थी।

300 से ज्यादा दुकानों को फूंका

कुर्रम का बागान और बच्चा कोट हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां दंगाइयों ने घरों, दुकानों और सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक 300 से अधिक दुकानों और 100 से ज्यादा घरों को फूंक दिया गया है। बता दें कि कुर्रम में पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसा में करीब 150 लोगों की जान जा चुकी है।

क्यों भड़की हिंसा?

मौजूदा हिंसा के पीछे भूमि विवाद का मामला है। संघर्ष शिया बहुल जनजाति मालेखेल और सुन्नी बहुल जनजाति मडगी कलाय के बीच जारी है। पाराचिनार से 15 किमी दक्षिण में स्थित बोशेहरा गांव में स्थित भूमि के एक टुकड़े को लेकर यह दंगे भड़के हैं।

जानकारी के मुताबिक यह कृषि भूमि है। इसका स्वामित्व शिया जनजाति के पास है। मगर खेती करने के लिए इसे सुन्नी जनजाति को पट्टे पर दिया गया। इसी साल जुलाई में पट्टे की समय सीमा खत्म हो चुकी है। मगर सुन्नी मुसलमानों ने जमीन वापस करने से मना कर दिया। बस इसी बात पर पाकिस्तान का कुर्रम जिला सुलग उठा है।

 

Bangladesh News: बांग्लादेश में जल्द होंगे चुनाव! नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त नासिर ने ली शपथ

Bangladesh New Election Commission sworn बांग्लादेश में रविवार को नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन और चार अन्य आयुक्तों ने अपने पद की शपथ ली। पिछले लंबे समय से ये पद खाली था। चुनाव आयोग की नियुक्ति अंतरिम सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति द्वारा नए चुनाव आयोग प्रमुख और उन सदस्यों के नामों की सिफारिश करने के कुछ दिनों बाद की गई।

Bangladesh News: बांग्लादेश में जल्द होंगे चुनाव! (फाइल फोटो)

पीटीआई, ढाका। Bangladesh New Election Commission sworn: रविवार को बांग्लादेश में नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त एएमएम नासिर उद्दीन और चार अन्य आयुक्तों ने अपने पद की शपथ ली। मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद ने नए आयोग को पद की शपथ दिलाई।

दरअसल, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को छात्रों के नेतृत्व में हुए आंदोलन में उखाड़ फेंका गया था, इसके बाद बांग्लादेश के पिछले मुख्य चुनाव आयुक्त ने इस्तीफा दे दिया था। तब से ये पद खाली था।

नवनियुक्त मुख्य चुनाव आयुक्त का शपथ ग्रहण

मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लाउंज में आयोजित एक समारोह में नए चुनाव आयोग को पद की शपथ दिलाई, जिसमें शीर्ष अदालत के न्यायाधीश और संबंधित अधिकारी शामिल हुए।

नए मुख्य चुनाव आयुक्त इससे पहले सेवक सैन्य अधिकारी और निचली न्यायपालिका के न्यायाधीश के रूप में काम कर चुके हैं। वहीं, अन्य चार नए चुनाव आयुक्त क्रमशः सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश मोहम्मद अनवारुल इस्लाम सरकार और अब्दुर रहमानल मसूद, सरकार की सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव बेगम तहमीदा अहमद और सेवानिवृत्त सेना ब्रिगेडियर जनरल अबुल फजल मोहम्मद सनाउल्लाह हैं।

राष्ट्रपति ने की थी नियुक्ति

गौरतलब है कि बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने 21 नवंबर को इस पद पर नियुक्ति की थी। पिछले 5 सितंबर से ये पद रिक्त था। बता दें कि बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना की अवामी लीग सरकार के सत्ता से जाने के बाद काजी हबीबुल अवाल के नेतृत्व वाले पिछले आयोग के सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था।

लंबे समय से खाली था पद

बता दें कि बांग्लादेश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त काजी हबीबुल अवाल और आयोग के अन्य सदस्यों ने 5 सितंबर को अपने त्यागपत्र दे दिए थे। अधिकारियों ने कहा कि साल 1972 में अपनी स्थापना के बाद चुनाव आयोग इतने दिनों तक कभी रिक्त नहीं रहा है। विगत 29 अक्टूबर को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जुबैर रहमान चौधरी के नेतृत्व में छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति के प्रत्येक सदस्य को चुनाव आयोग की सदस्यता के लिए दो लोगों के नाम का सुझाव देना था।

जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग

बांग्लादेश में चुनाव आयोग की स्थापना इसलिए की गई है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के अलावा कई अन्य राजनीतिक दल पिछले कई हफ्ते से देश में जल्द से जल्द चुनाव कराने की मांग कर रहे थे। विगत 17 नवंबर को बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार ने कहा था कि उनकी सरकार चुनावी सुधारों पर निर्णय होते ही चुनाव का रोडमैप जारी करेगी।

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