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ट्रंप के आते ही खालिदा जिया वीजा बनवाने पहुंचीं अमेरिकी दूतावास; चीन में वर्षों से जेल में बंद तीन अमेरिकी रिहा

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया बुधवार को यहां अमेरिकी दूतावास पहुंचीं और अपने वीजा आवेदन की प्रक्रिया पूरी की। डेली स्टार अखबार के अनुसार बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी से जुड़े लोगों ने बताया कि 79 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री को विशेष उपचार के लिए विदेश भेजने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध कर लिए गए हैं। खालिदा अगले महीने ब्रिटेन जा सकती हैं और वहां से अमेरिका या जर्मनी जा सकती हैं।
ट्रंप के आते ही खालिदा जिया वीजा बनवाने पहुंचीं अमेरिकी दूतावास (फोटो- रॉयटर)

 पीटीआई, ढाका। बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया बुधवार को यहां अमेरिकी दूतावास पहुंचीं और अपने वीजा आवेदन की प्रक्रिया पूरी की। वह ऐसे समय वीजा बनवा रही हैं, जब इस महीने के प्रारंभ में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत हुई। ट्रंप अगले वर्ष 20 जनवरी को राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे।

कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही  खालिदा

डेली स्टार अखबार के अनुसार, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) से जुड़े लोगों ने बताया कि 79 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री को विशेष उपचार के लिए विदेश भेजने के लिए सभी आवश्यक प्रबंध कर लिए गए हैं। खालिदा अगले महीने ब्रिटेन जा सकती हैं और वहां से अमेरिका या जर्मनी जा सकती हैं। वह लिवर, किडनी, हृदय, फेफड़ों और आंखों से संबंधित कई समस्याओं से जूझ रही हैं।

बीएनपी प्रमुख खालिदा को बुधवार को ही भ्रष्टाचार के एक मामले में बड़ी राहत मिली। हाई कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। ढाका की एक अदालत ने 2018 में जिया चैरिटेबल ट्रस्ट भ्रष्टाचार मामले में उन्हें सात वर्ष जेल की सजा सुनाई थी।

चीन में वर्षों से जेल में बंद तीन अमेरिकी रिहा

चीन में वर्षों से कैद किए गए तीन अमेरिकी नागरिकों को रिहा कर दिया गया है। व्हाइट हाउस ने बुधवार को बाइडन प्रशासन के अंतिम महीनों में बीजिंग के साथ राजनयिक समझौते की घोषणा करते हुए यह जानकारी दी। रिहा किए गए लोगों में मार्क स्विडन, काई ली और जान लेउंग शामिल हैं। अमेरिकी सरकार ने इन सभी को गलत तरीके से हिरासत में लिया गया घोषित किया था।

स्विडन को ड्रग संबंधी आरोपों में मौत की सजा सुनाई गई थी, जबकि ली और लेउंग को जासूसी के आरोप में कैद किया गया था। व्हाइट हाउस ने कहा कि जल्द ही वे वापस लौटेंगे और अपने परिवारों से मिलेंगे। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने पिछले कई वर्षों में हुई कई बैठकों में चीन के साथ अपने मामले उठाए हैं। इस महीने की शुरुआत में पेरू में एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग शिखर सम्मेलन के मौके पर राष्ट्रपति जो बाइडन ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग से बातचीत के दौरान कई मुद्दे उठाए थे।

अमेरिकी एयरबेस के ऊपर रहस्यमयी ड्रोन देखे गए

अमेरिकी वायुसेना ने एक बयान में बताया कि इंग्लैंड में मौजूद चार एयरबेस के ऊपर छोटे मानवरहित विमानों (ड्रोन) को लगातार मंडराते देखा गया है। इन एयरबेस का नाम सफोक स्थित आरएएफ लेकेनहेथ और आरएएफ माइल्डेनहाल, नारफोक स्थित आरएएफ फेल्टवेल और ग्लूकेस्टरशायर स्थित आरएएफ फेयरफोर्ड है।

पेंटागन के प्रेस सचिव मेजर जनरल पैट्रिक राइडर ने कहा कि अब तक इन एयरबेस के प्रमुखों ने यह सुनिश्चित किया है कि इन घुसपैठों ने इनमें रहने वाले लोगों, निर्माण या संपत्तियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।

 

‘चीन के कर्जे में दबकर बिगड़ती जा रही कई देशों की स्थिति’, इटली से जयशंकर की दो टूक

जी-7 ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के चार देशों भारत जापान इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की। भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने भी इस बैठक को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं और यहां सहयोग की व्यापक संभावनाएं भी बन रही हैं। जयशंकर ने इसके अलावा भावी सहयोग के छह प्रमुख जरूरतें भी बताई।

जयशंकर की इटली में बैठक (फाइल फोटो)

HighLights

  1. जयशंकर ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानूनों के पालन को बताया जरूरी
  2. जी-7 समूह के विदेश मंत्रियों के साथ भारत, इंडोनेशिया, जापान व दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक

 नई दिल्ली। हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ते आक्रामक रवैये को लेकर पूरी दुनिया में चिंता है। इस चिंता ही वजह है कि दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के संगठन जी-7 ने हिंद प्रशांत क्षेत्र के चार प्रमुख देशों भारत, जापान, इंडोनेशिया और दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्रियों के साथ विशेष बैठक की, जिसमें भावी सहयोग की संभावनाओं पर विमर्श किया गया।

इस बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि समूचे हिंद प्रशांत क्षेत्र में कई तरह के बदलाव हो रहे हैं और यहां सहयोग की व्यापक संभावनाएं भी बन रही हैं। क्वाड (भारत, अमरिका, जापान व ऑस्ट्रेलिया का संगठन) को व्यवहारिक बताते हुए भारतीय विदेश मंत्री ने हिंद प्रशांत क्षेत्र में रणनीतिक, सामुद्रिक और कारोबारी क्षेत्र में और अन्य दूसरे देशों के साथ गहरे सहयोग की जरूरत बताई। उन्होंने भावी सहयोग के छह प्रमुख जरूरतें बताई।

जयशंकर ने सामुद्रिक, सेमीकंडक्टर और आपूर्ति चेन में ज्यादा सहयोग को पहली जरूरत के तौर पर गिनाया। दूसरी जरूरत उन्होंने खराब उधारी और अवहनीय कर्ज से बचने को बताया। यहां उन्होंने चीन का नाम तो सीधे तौर पर नहीं लिया, लेकिन यह बात स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के कई देश चीन व कुछ वैश्विक संस्थानों के कर्ज में डूब चुके हैं और उनकी स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है।

तीसरी जरूरत के तौर पर जयशंकर ने गवर्नेंस, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी, प्राकृतिक स्त्रोतों के दोहन के क्षेत्र में इन क्षेत्र के देशों की क्षमता बढ़ाने की है। चौथी, वैश्विक स्तर पर अच्छे कार्यों के लिए साझा तौर पर काम हो और सभी देशों को शामिल किया जाए। अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन हो ताकि एक दूसरे के हितों की रक्षा हो। इसके बाद उन्होंने अंतिम जरूरत के तौर पर हिंद प्रशांत को लेकर नीति बनाने वाले देशों के पास कई तरह के विकल्प को गिनाया।

पिछली बैठक में भी हुई चर्चा

सनद रहे कि सितंबर, 2024 में भी क्वाड देशों के शीर्ष नेताओं की अमेरिका में हुई बैठक में पहली बार समुद्री सुरक्षा सहयोग को व्यापक करने पर विचार किया गया था। इसमें पीएम नरेन्द्र मोदी ने भी कानून सम्मत वैश्विक व्यवस्था और सभी देशों की संप्रभुता का आदार करने पर जोर दिया था।

चीन नहीं करता अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का पालन

दरअसल, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन अंतरराष्ट्रीय समुद्री कानून का पालन नहीं करता है और यहीं वजह है कि भारत व क्वाड वैश्विक कानून के पालन पर जोर देते हैं। उधर, इस क्षेत्र में चीन के साथ फिलीपींस व दूसरे देशों की स्थिति लगातार तनावपूर्ण बनी हुई है। वैसे हिंद प्रशांत क्षेत्र को ध्यान में रख कर ही अमेरिका भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों को मजबूत कर रहा है, लेकिन वह दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, जापान के साथ अलग से भी रिश्तों को धार दे रहा है। कल की बैठक में जयशंकर ने भी यह स्पष्ट किया है कि भारत भी दूसरे देशों के साथ हिंद प्रशांत क्षेत्र की स्थिति को केंद्र में रखते हुए रिश्तों को व्यापक बना रहा है।

पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च, सुरक्षाबलों ने की सख्त कार्रवाई

 

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। दो दिनों तक पीटीआई समर्थकों ने इमरान खान की रिहाई के लिए मार्च किया। इस्लामाबाद में हालात बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मंगलवार देर रात तक झड़प हुई। बुधवार को पीटीआई ने अपना मार्च समाप्त करने का एलान किया।

पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च (फोटो- सोशल मीडिया)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। पीटीआई समर्थक पूर्व पीएम इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। दो दिनों तक चले इस प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा था।

इस मामले पर आंतरिक मंत्रालय द्वारा सुबह- एक बयान जारी किया गया। इस बयान में बताया गया कि इस्लामाबाद में कानून प्रवर्तन बल ने मुख्य मार्ग को खाली करा लिया गया है। वहीं, इस पूरे मामले में पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने संवाददाताओं को बताया कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और अली अमीन गंदापुर सहित खान की पार्टी के शीर्ष नेता, जो विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, इलाके से भाग गए।

पीटीआई का प्रदर्शन खत्म

पीटीआई के कार्यकर्ता इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी इस्लामाबाद में दो दिनों तक प्रदर्शन किया। मंगलवार को ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाना पड़ा। खबर है कि रात भर की कार्रवाई के बाद पीटीआई के समर्थकों ने अपने प्रदर्शन को वापस ले लिया।

बुधवार को इमरान खान की पार्टी एक सांसद ने एक टेक्स्ट संदेश में लिखा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सरकार की क्रूर कार्रवाई के बाद विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है।

कई सुरक्षाकर्मियों की मौत

रविवार को शुरू हुए प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसा का रूप ले लिया। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, जिसके बाद इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प में चार सुरक्षा अधिकारियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शन के दौरान खान के हजारों समर्थकों ने सड़कों पर लगे सुरक्षा बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिस वजह से सुरक्षाकर्मियों से उनकी झड़प हो गई।

सैकड़ों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

गौरतलब है कि पीटीआई समर्थक मंगलवार को तथाकथित रेड जोन के पास एकत्र हुए थे। इसी दौरान उन्होंने धरना देने की घोषणा की थी। उन्होंने एलान किया था कि इमरान खान की रिहाई तक ये धरना चलेगा। बता दें कि इमरान खान पर भ्रष्टाचार से लेकर सत्ता के दुरुपयोग तक के 150 से अधिक मामले दर्ज हैं। वर्वतमान में वह जेल में हैं।

तलाशी अभियान जारी

पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने मीडिया से बताया कि तलाशी अभियान अभी जारी है। उन्होंने बताया कि इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग को लेकर इस्लामाबाद में धरना देने वाले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्य प्रदर्शन क्षेत्र को खाली करा लिया गया है और बुधवार को सभी बैरिकेड हटा दिए जाएंगे।

 

चीन में डॉक्टर, मोरक्को में मरीज: हजारों किलोमीटर की दूरी के बीच दुनिया की सबसे लंबी रिमोट सर्जरी कैसे की गई?

World’s Longest Remote Surgery: चीन में बैठे एक फ्रांसीसी डॉक्टर ने 12,000 किलोमीटर दूर मोरक्को में एक मरीज पर प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी की। लेकिन उन्होंने ऐसा कैसे कर दिया?

डॉक्टर ने सर्जरी करने के लिए चीन में बने रोबोट का इस्तेमाल किया है। 16 नवंबर को, यूनेस अहलल ने दो घंटे से भी कम समय में सर्जरी पूरी की है, जिसमें देरी सिर्फ 100 मिलीसेकंड थी। सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस अंतरमहाद्वीपीय सर्जरी ने दुनिया की अब तक की सबसे लंबी रिमोट सर्जरी का रिकॉर्ड बनाया है, जिसकी राउंड-ट्रिप ट्रांसमिशन दूरी 30,000 किलोमीटर से ज्यादा है।

हजारों किलोमीटर की दूरी से सर्जरी कैसे की गई?

सर्जरी को तौमाई रोबोट की मदद से अंजाम दिया गया, जिससे वास्तविक समय में दूर से ही सटीक कंट्रोल और हाई-डेफिनिशन इमेजिंग की सुविधा मिली।

यह अभूतपूर्व प्रक्रिया अक्टूबर में गुर्दे की सिस्ट के लिए की गई सर्जरी के बाद आई है, जिसमें तौमाई रोबोट ने शंघाई और बेनिन के कोटोनौ के बीच 27,000 किलोमीटर की राउंड-ट्रिप दूरी के साथ न्यूनतम इनवेसिव ऑपरेशन में मदद की थी।

इस सर्जरी के दौरान मोरक्कों में रोबोट के हाथ चीन के शंघाई में बैठे डॉक्टर के निर्देश को फॉलो कर रहे थे और उस आधार पर मरीज का ऑपरेशन कर रहे थे। इस दौरान रोबोट ने प्रोस्टेट ट्यूमर को हटाने से लेकर टांके लगाने तक का काम असाधारण सटीकता के साथ किया, जबकि संवहनी-तंत्रिका बंडल के संरक्षण और मूत्रमार्ग की लंबाई को बनाए रखना भी सुनिश्चित किया।

5G टेक्नोलॉजी के बजाय स्टैंडर्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर निर्भर होने के बावजूद, वीडियो फीड बिल्कुल सही चल रही थी। अहल्ला ने समाचार एजेंसी को बताया, कि काफी ज्यादा कठिन और मुश्किल सर्जरी थी, लेकिन रोबोट ने बेहतरीन और सटीक तरीके से ऑपरेशन किया।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है, कि इस सफल ऑपरेशन के बाद, रिमोट सर्जरी का यह रूप दुनिया भर में कुशल सर्जनों तक पहुंच बढ़ा सकता है, जिससे रोगियों को विदेश यात्रा करने की जरूरत खत्म हो सकती है। यह वरिष्ठ सर्जनों को जटिल प्रक्रियाओं को संभालने में जूनियर सहयोगियों को दूर से गाइडलाइंस देने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।

क्या रिमोट सर्जरी एक सामान्य प्रोसेस होगा?

टौमाई रोबोट बनाने वाली कंपनी माइक्रोपोर्ट मेडबॉट के अध्यक्ष हे चाओ ने सिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया, कि यह रिमोट टेक्नोलॉजी “भविष्य की चिकित्सा सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है।”

उन्होंने कहा, कि “हमारा लक्ष्य रिमोट सर्जरी को एक नियमित अभ्यास बनाना है।”

हाल के वर्षों में सर्जिकल रोबोट, चीनी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के लिए फोकस का एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरे हैं। हाल ही में आई एक इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का सर्जिकल रोबोट बाजार 2026 तक 38.4 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर वैश्विक औसत के मुकाबले ज्यादा होगी।

चीन में 5G नेटवर्क के तेजी से विस्तार से रिमोट सर्जरी कॉमन होने की संभावना है, जिससे यह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी व्यावहारिक होने की उम्मीद है। ही चाओ ने खुलासा किया, कि तौमाई रोबोट पहले से ही 250 से ज्यादा कामयाब 5G अल्ट्रा-लॉन्ग-डिस्टेंस सर्जरी में शामिल रहा है, जिसकी सफलता दर 100% है और कुल ट्रांसमिशन दूरी 400,000 किलोमीटर से ज्यादा है।

चीन के इंडस्ट्री और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मुताबिक, अगस्त तक चीन में 4 मिलियन से ज्यादा 5G बेस स्टेशन थे।

मई में इस रोबोट को EU CE का सर्टिफिकेशन मिल गया है,जिसके बाद तौमाई रोबोट को अब यूरोलॉजी, सामान्य सर्जरी, थोरैसिक सर्जरी और स्त्री रोग संबंधी एंडोस्कोपी सहित विभिन्न सर्जरी में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

 

दुनिया की पहली ट्रांसकॉन्टिनेंटल रिमोट सर्जरी

इस साल की शुरुआत में, एक चीनी सर्जन ने दुनिया का पहला लाइव ट्रांसकॉन्टिनेंटल रिमोट रोबोटिक प्रोस्टेट रिमूवल करके इतिहास रच दिया था, यह ऑपरेशन बीजिंग में रहने वाले एक मरीज पर रोम में किया गया था।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह अभूतपूर्व टेलीसर्जरी, जिसमें 8,000 किमी की दूरी से सर्जरी की गई, वो इटली में सर्जिकल कंसोल को चीन में रोबोटिक आर्म्स से जोड़ने वाले 5G नेटवर्क और फाइबर-ऑप्टिक कनेक्शन के माध्यम से की गई। इस दौरान, सर्जन झांग जू ने इटली से प्रोस्टेटेक्टॉमी ऑपरेशन किया और एक मेडिकल टीम और एक बैकअप सर्जन, मरीज की मदद के लिए चीन में मौजूद थे। चीन में रोबोटिक भुजाओं ने कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाने के लिए झांग द्वारा की गई हर मूवमेंट को फॉलो किया।

भारत में सर्जिकल सिस्टम ऑपरेशन

भारत ने भी अपना स्वदेशी सर्जिकल रोबोट सिस्टम, SSI मंत्र विकसित किया है, जिसे सुधीर श्रीवास्तव ने डिजाइन किया है। यह सिस्टम सर्जनों को रोबोटिक सर्जरी करने की अनुमति देता है, भले ही वे शारीरिक रूप से मरीज के करीब न हों। SSI मंत्र में पांच से ज्यादा अलग-अलग भुजाओं वाला एक मॉड्यूलर डिजाइन है, जो इसे हृदय शल्य चिकित्सा सहित जटिल प्रक्रियाओं के लिए बहुमुखी बनाता है।

श्रीवास्तव, जिन्होंने पहले दा विंची रोबोटिक सिस्टम पर काम किया था, वो एक ऐसा उपकरण बनाना चाहते थे जो भारत में किफायती और सुलभ दोनों हो, क्योंकि मौजूदा 90% सिस्टम अमेरिका और जापान में इस्तेमाल किए जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव ने साल 2012 में भारत में पहला सर्जिकल रोबोट, एसएसआई मंत्र विकसित करना शुरू किया था और कामयाब रहे थे।

 

लेबनान में युद्धविराम के बाद लौटने लगे विस्थापित, जानिए इजराइल-हिज्बुल्लाह युद्ध थमने के बाद कैसे हैं हालात?

Lebanon Ceasefire: इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद अब लेबनान के लोगों ने शांति की उम्मीद लगानी शुरू कर दी और अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइली बमबारी के बीच जिन लोगों ने अपना घर छोड़ दिया था, वो अब अपने घरों को लौटने लगे हैं।

लेबनान में अब शांति है और पिछले कुछ महीनों से जहां लगातार बम धमाके हो रहे थे, इजराइली फाइटर जेट्स की उड़ानों की जो आवाज सुनी जा रही थी, वो थम गये हैं और युद्ध का शोर थमते ही, दक्षिणी लेबनान में लोगों को अपने घरों की तरफ लौटते देखा जा सकता है।

बुधवार की सुबह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेबनान में युद्धविराम का ऐलान किया था, जिसका भारत ने स्वागत किया है।

लेबनानी सेना ने भी जल्दी से घोषणा की है, कि वह उन क्षेत्रों की तरफ जाने की तैयारी कर रही है, जिन इलाकों में इजराइली सेना ने आक्रमण किया था और जहां से वो अब बाहर निकल रहे हैं। इसके अलावा, लेबनाने ने यूनाइटेड नेशंस के संकल्प 1701 के तहत “अपने मिशन को अंजाम देने” की तैयारी कर रही है।

आपको बता दें, कि 2006 के संकल्प का सम्मान करने की प्रतिज्ञा, जिसके मुताबित हिज्बुल्लाह को इजराइल की सीमा से 40 किलोमीटर दूर जाना होगा, वो इस युद्धविराम समझौते के केंद्र में है।

हालांकि, लेबनानी सेना ने अभी लोगों से अपील की है, कि वे इजराइली सेना के वापस जाने तक अग्रिम पंक्ति के गांवों में न लौटें। लेकिन अल जजीरा ने कहा है, कि नागरिकों का एक बड़ा समूह घर की ओर बढ़ रहा है।

इजराइली हमलों में तबाह हो चुका है लेबनान

दक्षिणी लेबनान के भूमध्यसागरीय तटीय शहर सिडोन से रिपोर्टिंग करते हुए, अल जजीरा की जेना खोडर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि युद्ध विराम के जारी रहने के संकेत के साथ, हजारों लोग अपने घर की ओर लौट रहे हैं।

उन्होंने कहा, कि कुछ लोग “विजय” का चिन्ह लहरा रहे हैं, क्योंकि कई लोगों के लिए घर वापसी अपने आप में एक जीत है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सभी क्षेत्रों तक पहुंच संभव होगी, क्योंकि इजराइली सेना का कहना है, कि उसके बल अभी भी कुछ हिस्सों में काम कर रहे हैं और सेना को लेबनान से निकलने के आदेश अभी भी दिए जा रहे हैं।

खोदर ने बताया है, कि लेबनान में राहत की भावना आ गई है, लेकिन लोगों के अंदर उम्मीद अभी भी कम है और लोगों को डर है, कि यह अभी भी एक बहुत ही नाजुक युद्धविराम है”।

इस युद्ध विराम के तहत, लेबनानी सेना को अगले 60 दिनों में लिटानी नदी के दक्षिण में तैनात होना होग, जो देश का दक्षिणी क्षेत्र है जो इजराइल की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। इजराइली सैनिक धीरे-धीरे पीछे हटेंगे और हिज्बुल्लाह भी इस क्षेत्र से पीछे हट जाएगा।

हालांकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि युद्ध विराम जारी है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।

मंगलवार देर रात समझौते को मंजूरी देने वाली इजराइल की सरकार ने इस बात पर जोर दिया है, कि अगर शर्तों का सम्मान नहीं किया जाता है तो वह और हमले करेगी।

वहीं, बुधवार को, इजराइली सेना ने बताया कि उसने “लेबनानी क्षेत्र में आवाजाही के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में कई संदिग्धों के साथ एक वाहन की पहचान की है।”

बयान में कहा गया है, कि उसके सैनिकों ने “उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए गोलीबारी की, और संदिग्ध क्षेत्र छोड़कर भाग गए।”

इजराइल ने भी सुबह 4 बजे (02:00 GMT) युद्धविराम की शुरुआत से पहले के घंटों में लेबनान पर हमलों की एक नई लहर चलाई, जिसमें उसके युद्धक विमानों ने सीरिया के साथ देश की सीमा पार करने वाली चौकियों पर भारी बमबारी की। इजराइल के मुख्य सहयोगी अमेरिका ने भी सीरिया में एक अज्ञात स्थान पर बमबारी की, जिसमें कहा गया, कि उसने “ईरान-गठबंधन” सशस्त्र समूह के हथियारों के भंडार को निशाना बनाया।

हिज्बुल्लाह के समर्थक ईरान ने बुधवार को युद्धविराम की खबर का स्वागत किया। विदेश मंत्रालय ने तेहरान के ”
“लेबनानी सरकार, राष्ट्र और प्रतिरोध के लिए मजबूत समर्थन” जताया है।

अब गाजा पर फिर इजराइल का फोकस!

लेबनान में युद्ध विराम से गाजा पट्टी की तरफ फिर से दुनिया का ध्यान खींचा है, जहां अक्टूबर 2023 हमास के हमले के बाद इजराइल ने युद्ध शुरू किया था। गाजा पट्टी अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है और लाखों लोग विस्थापित हैं।

इजराइली सेना ने घेरे हुए इलाके पर अपना हमला जारी रखा है। अल जजीरा के संवाददाताओं ने कहा है, कि बुधवार को गाजा शहर में विस्थापित लोगों के लिए बने अल-तबीन स्कूल आश्रय पर हुए हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है, कि वह गाजा में युद्ध विराम के लिए “एक और प्रयास” करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस बात के बहुत कम संकेत हैं, कि फिलहाल कोई कामयाबी मिल पाएगी।

हमास ने अभी तक लेबनान समझौते पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पहले उसने कहा था कि अगर इजराइली सेना एन्क्लेव से हट जाती है, लोगों को उनके घरों में लौटने की अनुमति दी जाती है और अधिक मानवीय सहायता स्वीकार की जाती है, तो वह युद्ध विराम के लिए तैयार है।

लेकिन इजराइल ने उन शर्तों को खारिज कर दिया है, और जोर देकर कहा है, हमास जब तक बंधक बनाए गये 100 से ज्यादा लोगों को रिहा नहीं करता है, तब तक युद्धविराम जैसी बात नहीं होगी।

Israel-Lebanon Ceasefire: भारत ने इजराइल-हिज्बुल्लाह युद्धविराम का किया स्वागत, जानिए क्या बोली दिल्ली?

 

Israel-Lebanon Ceasefire: भारत ने बुधवार सुबह से शुरू हुए इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है, कि उसने “हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है।”

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, कि “हम इजराइल और लेबनान के बीच घोषित किए गए संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। हमें उम्मीद है कि इन घटनाक्रमों से क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी।”

वहीं, युद्ध विराम के बारे में बोलते हुए, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, कि युद्धविराम कितने दिनों तक चलेगा, ये लेबनान में क्या होता है, इसपर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “हम समझौते को लागू करेंगे और किसी भी उल्लंघन का जोरदार तरीके से जवाब देंगे। हम जीत तक एकजुट रहेंगे।”

लेबनान में युद्ध, हमास की तरफ से 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजराइल पर किए गये हमले के ठीक एक दिन बाद शुरू हुआ था, जब हिज्बुल्लाह ने गाजा पट्टी पर इजराइल की जवाबी कार्रवाई के बाद उत्तरी इजराइल में रॉकेट दागना शुरू कर दिया। लेबनानी समूह ने कहा था, कि वह फिलिस्तीनी समूह हमास के समर्थन में तब तक हमले करता रहेगा, जब तक इजराइल गाजा पट्टी में हमले करना बंद नहीं करेगा।

इजराइली प्रधानमंत्री ने युद्ध विराम समझौते के लिए तीन कारण गिनाए हैं:-

1- पहला कारण ईरानी खतरे पर ध्यान केंद्रित करना था, लेकिन वह इसका विस्तार नहीं करना चाहते हैं।

2- उनका दूसरा सुझाव था कि सेना को युद्ध विराम दिया जाए और स्टॉक को फिर से भरा जाए। उन्होंने कहा, कि “मैं खुले तौर पर कहता हूं, यह कोई रहस्य नहीं है कि हथियारों और युद्ध सामग्री की डिलीवरी में बड़ी देरी हुई है। ये देरी जल्द ही हल हो जाएगी। हमें एडवांस हथियारों की आपूर्ति मिलेगी, जो हमारे सैनिकों को सुरक्षित रखेगी और हमें अपना मिशन पूरा करने के लिए ज्यादा स्ट्राइक फोर्स देगी।”

3- उन्होंने कहा कि युद्ध विराम का तीसरा कारण, मोर्चों को अलग करना और हमास को अलग-थलग करना है। उन्होंने कहा, कि “युद्ध के दूसरे दिन से ही हमास, हिज्बुल्लाह पर भरोसा कर रहा था कि वह उसके साथ लड़ेगा। हिज्बुल्लाह के युद्ध से बाहर होने के बाद हमास अकेला हो गया है। हम हमास पर अपना दबाव बढ़ाएंगे और इससे हमें अपने बंधकों को रिहा करने के पवित्र मिशन में मदद मिलेगी।”

14 साल बाद खुद ललित मोदी ने बताया क्यों छोड़ा भारत? करप्शन नहीं ये थी असली वजह, मिले थे बस 12 घंटे

Lalit Modi News: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के फाउंडर ललित मोदी ने 2010 में भारत से अचानक बाहर निकलने के बारे में बड़ी जानकारी शेयर की है। 14 साल बाद ललित मोदी ने देश छोड़ने को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि करप्शन नहीं बल्कि जान के खतरे के चलते उनको देश छोड़ना पड़ा।

उनका दावा है कि अंडरवर्ल्ड के सरगना दाऊद इब्राहिम की धमकियों की वजह से उन्हें भारत से भागना पड़ा। ललित मोदी ने खुलासा किया कि उन्होंने 2010 में कानूनी परेशानियों के कारण नहीं, दाऊद की वजह से देश छोड़ा। मोदी ने कहा कि उनका जाना कानूनी मुद्दों के कारण नहीं था, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त रुख के कारण था, जिसके कारण उन्हें निशाना बनाया गया।

‘मुझे सबसे पहले धमकी दी, क्योंकि मैं…’

राज शमनी के पॉडकास्ट फिगरिंग आउट में अपनी मौजूदगी के दौरान ललित मोदी ने आईपीएल में अपने सामने आने वाली धमकियों और भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों के बारे में खुलकर बताया। उन्होंने कहा, “जब मुझे जान से मारने की धमकी मिली तो मैंने देश छोड़ दिया। शुरू में कोई कानूनी मामला नहीं था। दाऊद इब्राहिम ने आईपीएल-1 के बाद मुझे सबसे पहले धमकी दी, क्योंकि मैं भ्रष्टाचार विरोधी था। मैंने किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। मैं एक बहुत सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कमिश्नर था।”

मोंटेनेग्रो में मुझ पर हमला हुआ-ललित मोदी

ललित मोदी ने दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और मोंटेनेग्रो जैसे देशों में अपनी हत्या के कई प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “छोटा शकील पहले ही रिकॉर्ड पर जा चुका है और लाइव इंटरव्यू दे चुका है कि उन्होंने मेरे साथ मुद्दों को सुलझा लिया है। लेकिन मोंटेनेग्रो में मुझ पर हमला हुआ। मेरे बेटे का ब्रिटेन में अपहरण भी हो गया। उन्होंने बड़ी रकम की पेशकश की। इतनी रकम कि आप मना नहीं कर सकते। मैंने मना कर दिया। मैं खेल से बाहर हो गया। 2010 में जब मैं गया, तो भ्रष्टाचार शुरू हो गया।”

सिर्फ मिले 12 घंटे

अपने जाने के नाटकीय घटनाक्रम के बारे में बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें आसन्न हमले की चेतावनी दी गई थी।उन्होंने कहा, “विमान में मेरे निजी अंगरक्षक ने मुझे हवाई अड्डे के पीछे के प्रवेश द्वार का उपयोग करने के लिए कहा। पुलिस उपायुक्त हिमांशु रॉय वहां थे। उन्होंने मुझसे कहा, ‘ललित, हम अब तुम्हारी सुरक्षा नहीं कर सकते। हमें केंद्र से आदेश मिले हैं। तुम पर हमला होगा, और हम तुम्हें केवल अगले 12 घंटों तक ही सुरक्षा दे सकते हैं।’

‘मेरे काफिले के पीछे मीडिया भी था’

मोदी के अनुसार, चेतावनी के कारण उनके पास उस रात देश छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। “मुझे उस रात देश छोड़ना था। सत्ता में बैठे लोगों ने यह तय कर लिया था, कांग्रेस के लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग इसमें शामिल थे। हमें मुझे बिना मारे बाहर निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। तो मैं हवाई अड्डे के लिए निकल पड़ा। मेरे काफिले के पीछे मीडिया भी था।”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए मेरा काफिला मुंबई के फोर सीजन होटल के गैरेज से मेरी तरह कपड़े पहने किसी व्यक्ति के साथ एक दिशा में निकल गया और ताज की ओर चला गया, और मेरे एक मित्र ने मुझे बिना नाम बताए उठाया – वह अभी भी भारत में है – और हमारे एक राजनीतिक मित्र ने मुझे उठाया जो उस समय केंद्र सरकार में मंत्री थे। (वह) गठबंधन का हिस्सा थे। (उन्होंने) मुझे रेंज रोवर के पीछे बिठाया, और मैं हवाई अड्डे से चला गया।”

‘मैं भगोड़ा नहीं था, लेकिन मेरी जान को खतरा था’

महावाणिज्यदूत के रूप में अपने मानद प्रमाण-पत्रों का उपयोग करते हुए, मोदी ने पुलिस जांच को दरकिनार कर दिया। “मेरे पास एक देश के मानद परिषद जनरल होने के वीआईपी प्रमाण-पत्र भी थे। इसलिए मैं पुलिस जांच से गुजरे बिना आव्रजन से गुजर सकता था, जो मैंने किया। और मुझे विमान में चढ़ने की अनुमति दी गई। उस समय तक मेरे खिलाफ एक भी मामला नहीं था। मैं भगोड़ा नहीं था, लेकिन मेरी जान को खतरा था।”

Explained: बांग्लादेश में 1971 जैसा हिंदुओं का नरसंहार? मोहम्मद यूनुस के शासन में इस बार मिट जाएगा नामोनिशान?

Bangladesh Hindu Attack: बांग्लादेश में चरमपंथी मुसलमान सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं, कि ‘इस्कॉन मंदिर के सदस्यों की हत्या के लिए चाकू तेज करें।’

बांग्लादेश में जिस तरह से हिंदुओं के खिलाफ हिंसक हमले हो रहे हैं, मंदिरों को तोड़ा जा रहा है और जिस तरह से हिंदू पुजारियों की गिरफ्तारी हो रही है, उससे ऐसे आरोपों को बल मिलता है, जिसमें कहा जाता है, कि मुस्लिमों की आबादी ज्यादा होने पर दूसरे अल्पसंख्यकों का नामोनिशान मिट जाता है।

अगस्त महीने में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बांग्लादेश में हिदुओं के खिलाफ लगातार खतरनाक हमले हो रहे हैं, मंदिर टूट रहे हैं, लेकिन मानवाधिकर के चैंपियन बाइडेन के प्यादे मोहम्मद यूनुस, जो बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख हैं, उनके मुंह से चूं तक नहीं निकली है, जिससे सवाल उठता है, कि क्या हिंदुओं के लिए मानवाधिकर जैसी बातें नहीं होती हैं?

बांग्लादेश में ताजा हालात कितने खतरनाक हैं?

इस्कॉन के संत और हिंदू नेता चिन्मय कृष्ण महाराज की राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तारी, तनाव बढ़ाने का एक मुख्य कारण बन गई है। जब हिंदू समुदाय न्याय की मांग के लिए एकजुट होते हैं, तो उन्हें क्रूर दमन और हमलों का सामना करना पड़ता है, जो इस क्षेत्र के इतिहास के कुछ सबसे काले अध्यायों में से एक है।

सम्मिलितो सनातन जागरण जोत के नेता चिन्मय कृष्ण महाराज को 26 नवंबर को चटगांव मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने एक राजद्रोह के मामले में जेल भेज दिया, जिसे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के नेता के रूप में पहचाने जाने वाले एक व्यक्ति की तरफ से दायर किया गया था। आरोप लगाए गये हैं, कि उनकी रैली में बांग्लादेशी झंडे के ऊपर भगवा झंडा था।

चिन्मय कृष्ण महाराज की गिरफ्तारी के बाद हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी हिंदुओं ने “जय श्री राम” के नारे लगाने शुरू कर दिए और उन्हें अदालत से चटगांव सेंट्रल जेल ले जाने वाली जेल वैन को रोकने की कोशिश की। इस विरोध प्रदर्शन के दौरान कट्टरपंथी इस्लामी समूहों ने पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में प्रदर्शनकारियों पर हमला कर दिया।

इस अराजकता के बीच, सहायक सरकारी वकील सैफुल इस्लाम की बेरहमी से हत्या कर दी गई। जवाब में, भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के नेताओं ने मांग की है, कि इस्कॉन को आतंकवादी संगठन घोषित किया जाए और सैफुल इस्लाम के हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग की। इस बीच, सोशल मीडिया पर आई खबरों के मुताबिक, इस्लामवादी और हिंदू विरोधी तत्व चटगांव और आसपास के जिलों में हिंदुओं के घरों, व्यवसायों और मंदिरों पर हमले कर रहे हैं।

आज सुबह (27 नवंबर) इस्लामवादियों ने चटगांव शहर के मेथोर पट्टी इलाके में मनसा माता मंदिर में आग लगा दी। लगभग उसी समय, हजारीगली में काली मंदिर को इस्लामी भीड़ ने आग लगा दी। हरिजन समुदाय के दर्जनों हिंदू घरों को भी आग के हवाले कर दिया गया।

चरमपंथियों ने सोशल मीडिया पर साथी मुसलमानों से इस्कॉन सदस्यों की हत्या के लिए “चाकू तेज करने” की अपील की है।

बांग्लादेश में 1971 की तरह हिंदुओं का नरसंहार?

चटगांव शहर के हिंदू इस वक्त 25 मार्च 1971 की रात को पाकिस्तानी कब्जा करने वाली सेना और उनके स्थानीय सहयोगियों की तरफ से किए गए अत्याचारों की याद दिलाने वाली असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं। और अगर सरकार तत्काल कदम नहीं उठाती है, तो फिर से नरसंहार हो सकता है, खासकर हिंदू महिलाएं निशाने पर हैं।

लेकिन, अमेरिका के ‘गुलाम’ और नोबल अवार्ड से सम्मानित ‘क्रांतिकारी’ मोहम्मद यूनुस को इनसे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

क्लिंटन फाउंडेशन के जाने-माने दानकर्ता यूनुस को कथित तौर पर जो बाइडेन की डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रमुख नेताओं से मजबूत समर्थन मिला हुआ है। विकीलीक्स से लीक हुए एक राजनयिक केबल के मुताबिक, हिलेरी क्लिंटन ने 2007 में बांग्लादेश की सेना पर यूनुस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने के लिए दबाव डाला था।

अगस्त 2024 से, बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने घरों, व्यवसायों और मंदिरों पर लगातार हमलों का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय मीडिया को इन घटनाओं को कवर करने से रोक दिया गया है, और कुछ भारतीय को छोड़कर ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय मीडिया आउटलेट्स ने इन भयावह घटनाओं पर रिपोर्टिंग करने से परहेज किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में रहने वाले ‘फंसे हुए पाकिस्तानी’, जिन्हें वहां बिहारी कहा जाता है, वो सबसे ज्यादा हिंदुओं के खिलाफ हो रहे हमले में शामिल हैं।

लेकिन, इन अपराधों की गंभीरता के बावजूद, एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार समूह चुप्पी की चादर ओढ़कर सो रहे हैं, जिसकी सबसे बड़ी वजह मोहम्मद यूनुस के माथे पर जो बाइडेन का हाथ है।

हिंदुओं के साथ होने वाली हिंसा के बीच 26 सितंबर 2024 को संयुक्त राष्ट्र महासभा की एक बैठक के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की यात्रा के दौरान, मुहम्मद यूनुस को क्लिंटन ग्लोबल इनिशिएटिव ने सम्मानित किया था। इस कार्यक्रम में, बिल क्लिंटन ने प्रतिबंधित इस्लामी समूह हिज़्ब उत-तहरीर के नेता महफ़ूज आलम की तारीफ की थी, जो खिलाफत की स्थापना की वकालत करता है।

यूनुस के शासन में बिल से सांपों की तरह निकले इस्लामिस्ट

अक्टूबर में, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने आधिकारिक तौर पर अवामी लीग की छात्र शाखा बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) पर प्रतिबंध लगा दिया और इसे “आतंकवादी संगठन” करार दिया है। रिपोर्ट्स बताती हैं, कि सरकार अवामी लीग को पूरी तरह से राजनीतिक भागीदारी से प्रतिबंधित करने पर भी विचार कर रही है।

इससे बांग्लादेश के राजनीतिक परिदृश्य पर इस्लामी ताकतों का दबदबा हो जाएगा, जिसमें हिंदुओं और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों का बहुत कम या कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा।

यूनुस की सरकार ने अल-कायदा से जुड़े अंसारुल्लाह बांग्ला टीम के नेता जशीमुद्दीन रहमानी सहित दोषी ठहराए गए आतंकवादियों को भी रिहा कर दिया है, जिन्हें 2013 में एक धर्मनिरपेक्ष ब्लॉगर की हत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया था।

क्या बांग्लादेशी हिंदुओं को बचा पाएगा भारत?

चिन्मय कृष्ण महाराज की गिरफ्तारी के बाद, इस्कॉन मंदिर के अधिकारियों ने भारत सरकार से हस्तक्षेप करने की अपील की है और कहा है, कि इस्कॉन का आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है। अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट पर, संगठन ने महाराज के खिलाफ आरोपों को निराधार बताया है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने 26 नवंबर को एक बयान जारी किया, जिसमें महाराज की गिरफ़्तारी और ज़मानत से इनकार करने के साथ-साथ बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की गई। मंत्रालय ने बांग्लादेशी सरकार से सभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करने का आग्रह किया।

लिहाजा, बिगड़ती स्थिति बांग्लादेश-भारत संबंधों को और भी ज्यादा तनावपूर्ण बना सकती है, खासकर ट्रंप प्रशासन की संभावना के साथ, क्योंकि मुहम्मद यूनुस डोनाल्ड ट्रंप के मुखर आलोचक माने जाते हैं। चल रहे अत्याचारों ने पहले ही भारत में हिंदुओं और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है, जिससे संभावित रूप से व्यापक भू-राजनीतिक नतीजे सामने आ सकते हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं पर चल रहा अत्याचार देश में शासन और धार्मिक सहिष्णुता के गहरे संकट को उजागर करता है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इस स्थिति की गंभीरता को पहचानना चाहिए और अल्पसंख्यक समुदायों को और ज्यादा नुकसान से बचाने के लिए तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए।

Bangladesh: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ आतंक जारी, तीन और मंदिरों पर हमला, भड़के साउथ के मशहूर एक्टर

Bangladesh Hindu: बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ आतंक लगातार जारी है और मंगलवार को चटगांव में तीन हिंदू मंदिरों को फिर से निशाना बनाया गया है। जिन मंदिरों पर हमले किए गये हैं, उनमें फिरंगी बाजार में लोकनाथ मंदिर, मनसा माता मंदिर और हजारी लेन में काली माता मंदिर शामिल हैं।

मंदिरों पर हुए हमले से साफ पता चलता है, कि मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में चलने वाली अंतरिम सरकार के शासन में इस्लामिक कट्टरपंथी बेकाबू हो चुके हैं और देश से हिंदुओं के सफाए की मुहिम चलाई जा रही है। 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद देश में हिंदुओं के खिलाफ एक तरह से ‘नरसंहार’ चलाया जा रहा है।

 

हाल ही में हुए ये विरोध प्रदर्शन तब शुरू हुए, जब हिंदुओं ने इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा संगठित हमलों के जवाब में बड़ी संख्या में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन करना शुरू किए। विरोध प्रदर्शन उनके सामाजिक और धार्मिक संगठन, मुख्य रूप से इस्कॉन द्वारा आयोजित किए गए थे, जिसके अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं।

विरोध प्रदर्शन को देखते हुए, प्रमुख हिंदू नेता और इस्कॉन के संत चिन्मय कृष्ण दास को सोमवार को ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

 

हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला

बांग्लादेश की सेना ने बांग्लादेश के ठाकुरगांव में शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमला किया, जो प्रदर्शनकारी चिन्मयानंद दास की रिहाई के लिए प्रदर्शन कर रहे थे। इस बीच, इस्कॉन बांग्लादेश ने अपने नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी की निंदा की है और कहा है, कि वे बांग्लादेश के विभिन्न क्षेत्रों में सनातनियों पर हो रहे हमलों की निंदा करते हैं।

बांग्लादेशी सुरक्षा बलों और हिंदू नेता चिन्मय दास के समर्थकों के बीच हिंसक झड़प में एक सरकारी वकील की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए हैं। चटगांव कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर जेल भेज दिया है। ढाका ट्रिब्यून अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित की पहचान सैफुल इस्लाम के रूप में हुई है, जो 35 वर्षीय सहायक सरकारी वकील और चटगांव जिला बार एसोसिएशन का सदस्य था।

 

 

हिंदुओं पर हमले से भड़के साउथ के अभिनेता

वहीं, आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण ने बुधवार को हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने की निंदा की और बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर संयुक्त राष्ट्र से हस्तक्षेप करने की मांग की है। कल्याण ने अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस से पड़ोसी देश में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों को रोकने की अपील की है।

उपमुख्यमंत्री ने बांग्लादेश के निर्माण में भारत के योगदान की याद दिलाते हुए कहा, कि भारतीय सेना के जवानों ने बांग्लादेश को पाकिस्तान के चंगुल से आजाद कराने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।

वहीं, पड़ोसी देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रभु की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर बांग्लादेश में भारत के विदेश मंत्रालय सहित कई देशों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

पवन कल्याण ने हिंदू एकता का आह्वान किया

पवन कल्याण ने हिंदू समुदाय से इस घटना की निंदा करने का आह्वान किया और मामले में संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप की मांग की।

उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, कि “आइए हम सब मिलकर बांग्लादेश पुलिस द्वारा इस्कॉन बांग्लादेश के पुजारी ‘चिन्मय कृष्ण दास’ को हिरासत में लिए जाने की निंदा करें। हम मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं पर अत्याचार बंद करने का आग्रह करते हैं। बांग्लादेश निर्माण के लिए भारतीय सेना का खून बहा है, हमारे संसाधन खर्च किए गए हैं, हमारे सेना के जवानों की जान गई है। जिस तरह से हमारे हिंदू भाइयों और बहनों को निशाना बनाया जा रहा है, उससे हम बहुत परेशान हैं। हम @UN @UNinIndia से हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हैं।”

भारतीय विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?

भारत ने बांग्लादेश में हाल ही में हुए घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और पड़ोसी देश से देश में धार्मिक अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा। विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक बयान में कहा, “हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।”

मंत्रालय ने कहा, कि अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ देवताओं और मंदिरों में तोड़फोड़ और अपवित्रता के मामले बढ़ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने गिरफ्तार साधु की रिहाई की मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे हिंदुओं पर हमलों पर चिंता व्यक्त की है।

 

युद्धविराम से पहले इजराइल ने बेरूत पर जमकर की बमबारी, 42 की मौत

इजराइल और लेबनान के बीच चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए लेबनान के साथ इजराइल शांति समझौते के लिए तैयार हो गया। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने खुद इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर दी। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच शांति समझौता हो गया है। उन्होंने बताया कि लेबनान और इजराइल अमेरिका के शांति समझौते के प्रस्ताव पर राजी हो गए हैं और दोनों देश इजराइल-हिज्बुल्लाह संघर्ष को खत्म करने के प्रस्ताव पर सहमत है।

बता दें कि इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष विराम के लिए अमेरिका और फ्रांस दोनों ने अहम भूमिका निभाई है। इजराइल कैबिनेट ने इस डील पर मंगलवार को अपनी मुहर लगा दी। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस समझौते को कैबिनेट में रखा। जो बाइडेन ने इस समझौते को अच्छी खबर बताते हुए क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर जोर दिया।

 

इजराइल और हिज्बुल्ला दोनों ने युद्धविराम को लेकर सहमत हुए। दोनों के बीच यह संघर्ष विराम स्थानीय समय के अनुसार सुबह 4 बजे होना। साझा बयान में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैंक्रो ने कहा कि लंबी कूटनीति के बाद आखिरकार यह संघर्ष विराम हो रहा है। दोनों ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता पर जोर दिया।

हिज्बुल्लाह की ओर से इस बात की पुष्टि की गई है कि उसने युद्धविराम के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है, लेकिन समझौते की फाइनल शर्तों पर आगे बात करने की बात कही है। हिज्बुल्लाह के डिप्टी चीफ महमूद कमाती हम समझौते की शर्तों को देखेंगे और लेबनान के अधिकारियों इसपर चर्चा करेंगे।

युद्धविराम के ऐलान के कुछ घंटे पहले इजराइल ने बेरूत और दक्षिणी लेबनान पर जमकर बमबारी की। इसमे 42 लोगों के मारे जाने की खबर है। इजराइली सेना ने लोगों को इलाके से बाहर जाने की एडवाइजरी भी जारी की। युद्धविराम से पहले इजराइल ने आतंकियों के खिलाफ आखिरी प्रहार किया।

हालांकि युद्धविराम समझौते में गाजा में चल रहे युद्ध का जिक्र नहीं किया गया है। हमास ने अभी भी बंधकों को नहीं छोड़ा है। गाजा में स्थिति अभी भी चुनौतीपूर्ण है, यहां अभी तक कोई हल नहीं निकल सका है। माना जा रहा है कि युद्धविराम से ईरान के साथ बड़े युद्ध का संकट टल गया है। ईरान हमास और हिज्बुल्लाह दोनों का समर्थन कर रहा था।

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