Tag Archives: Pakistan

पाकिस्तान में शिया और सुन्नियों के बीच खतरनाक जंग, मरने वालों की संख्या 150 पार, मजहबी पागलपन की पराकाष्ठा!

Pakistan Sectarian Violence: इस्लाम के नाम पर भारत से अलग होने वाला पाकिस्तान, मजहबी पागलपन के उस अंधे कुएं में धंस गया है, जहां से उसका निकलना लगभग नामुमकिन के बराबर है। निर्माण के बाद से ही देश की रगों में कट्टरपंथ का जहर भरा गया और आज आलम ये है, कि देश का हर दूसरा शख्स जिहादी बन चुका है।

इसका ताजा उदाहरण शिया और सुन्नियों के बीच छिड़ी लड़ाई है। उत्तरी पाकिस्तान में सुन्नी और शिया मुसलमानों के बीच हिंसक झड़पों के बाद 300 से ज्यादा परिवारों अपना घर छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा है। पहाड़ी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सांप्रदायिक लड़ाई ने पिछले कुछ महीनों में 150 से ज्यादा लोगों की जान ले ली है, जिसमें शनिवार को हुई ताजा झड़पों में 32 लोगों की मौत शामिल है।

समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “आज सुबह से ही लगभग 300 परिवार सुरक्षा की तलाश में हंगू और पेशावर में भाग गए हैं।” उन्होंने आगे कहा, कि प्रांत के कुर्रम जिले से और भी परिवार भागने की तैयारी कर रहे हैं। यह क्षेत्र अफगानिस्तान की सीमा से सटा हुआ है, जो वर्तमान में तालिबान के आतंक से जूझ रहा है।

एक अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने समाचार आउटलेट्स को बताया, कि “शिया और सुन्नी समुदायों के बीच कई स्थानों पर लड़ाई जारी है।” शनिवार की झड़पों में मरने वाले 32 लोगों में से 14 सुन्नी और 18 शिया थे।

शिया और सुन्नियों के बीच क्यों शुरू हुई लड़ाई?

एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, शनिवार की झड़पें शिया मुसलमानों के दो अलग-अलग काफिलों पर बंदूकधारियों द्वारा की गई गोलीबारी के दो दिन बाद शुरू हुईं। यह समूह कुर्रम में पुलिस एस्कॉर्ट के साथ यात्रा कर रहा था, और इस घटना में 43 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 11 की हालत गंभीर है।

घटना के बाद, शिया मुसलमानों ने शुक्रवार शाम को कुर्रम में कई सुन्नी ठिकानों पर हमला शुरू कर दिया, जो कभी अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, कि हमलों ने कुर्रम में लगभग 317 दुकानों और 200 से ज्यादा घरों को नष्ट कर दिया गया। अधिकारी ने बताया, कि शाम करीब 7 बजे “गुस्साए शिया मुस्लिमों के एक समूह ने सुन्नी बहुल बागान बाजार पर हमला किया”।

उन्होंने कहा, “गोलीबारी के बाद, उन्होंने पूरे बाजार को आग के हवाले कर दिया और आस-पास के घरों में घुसकर पेट्रोल छिड़ककर आग लगा दी।” इस बीच, कुर्रम के एक वरिष्ठ अधिकारी जावेदउल्लाह महसूद ने एएफपी को बताया, कि “सुरक्षा बलों की तैनाती के माध्यम से और स्थानीय बुजुर्गों की मदद से शांति बहाल करने के प्रयास किए जा रहे हैं।”

हालांकि, एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा कि स्थिति को संभालने के लिए पर्याप्त पुलिस और प्रशासनिक कर्मचारी नहीं थे।

अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर समाचार एजेंसी से कहा, “हमने प्रांतीय सरकार को सूचित किया, कि स्थिति गंभीर है और अतिरिक्त सैनिकों को तत्काल तैनात करने की आवश्यकता है।” पिछले महीने, कुर्रम जिले में अलग-अलग झड़पें हुईं, जिसमें दो बच्चों सहित कम से कम 16 लोग मारे गए थे।

सितंबर और जुलाई में हुए झड़पों में दर्जनों लोग मारे गए थे, जो जिरगा या आदिवासी परिषद द्वारा युद्धविराम की घोषणा के बाद ही खत्म हुए। पाकिस्तान के स्वतंत्र मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने कहा कि जुलाई और अक्टूबर के बीच सांप्रदायिक झड़पों में 79 लोग मारे गए थे।

अराजकता के बीच, मानवाधिकार आयोग ने इस मामले पर एक बयान जारी किया, जिसमें अधिकारियों से “झड़पों की भयावह फ्रीक्वेंसी” पर “तत्काल ध्यान” देने का आग्रह किया गया, जिसमें कहा गया कि स्थिति “मानवीय संकट” तक बढ़ गई है। एचआरसीपी ने कहा, “स्थानीय प्रतिद्वंदी समूह तक हथियार पहुंचाए जा रहे हैं, जो दर्शाता है, कि सरकार इस क्षेत्र में हथियारों को कंट्रोल करने में नाकाम साबित हो रहा है।”

 

26/11 Anniversary: मुंबई हमले का मास्टरमाइंड, ग्लोबल टेरेरिस्ट, क्या हाफिज सईद को पाकिस्तान से ला पाएगा भारत?

26/11 Anniversary: मुंबई में दिल दहला देने वाले हमले के 16 साल हो गये हैं, लेकिन दुनिया के सबसे बड़े आतंकी हमलों में शामिल मुंबई हमले के सबसे बड़े गुनहगार को अभी भी भारत को नहीं सौंपा गया है। हम बात कर रहे हैं हाफिज सईद की, जिसने ही इस आतंकी हमले का तानाबाना बुना था।

भारत ने 26/11 मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के प्रत्यर्पण के लिए पाकिस्तान से औपचारिक अनुरोध किया था और पाकिस्तान ने इस अनुरोध की पुष्टि भी की थी, लेकिन पाकिस्तान ने इस ग्लोबल टेरेरिस्ट को भारत को नहीं सौंपा। पाकिस्तान ने इस साल जनवरी में कहा था, कि “पाकिस्तान और भारत के बीच पहले से कोई द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि नहीं है।”

क्या हाफिज सईद कभी नहीं लाया जा सकेगा भारत?

इसका मतलब यह लगाया जा सकता है, कि हाफिज सईद को भारत को सौंपने में पाकिस्तान की कोई दिलचस्पी नहीं है। भले ही भारत-पाकिस्तान के बीच कोई प्रत्यर्पण संधि नहीं है, लेकिन दोनों देशों के बीच किसी व्यवस्था के जरिए प्रत्यर्पण संभव हो सकता है।

इस साल जनवरी में भारत ने हाफिज सईद को सौंपने के लिए कहा था और वह पहली बार नहीं था, जब भारत ने पाकिस्तान से सईद के प्रत्यर्पण के लिए ऐसा अनुरोध किया था। पाकिस्तान लगातार सईद को सौंपने से बचता रहा है।

पाकिस्तान दलील देता है, कि उसने हमेशा आतंकवाद विरोधी नीति अपनाई है, जिसके तहत वह या तो आतंकी खतरे को बेअसर करेगा या फिर आतंकवादियों को अन्य राज्य-विरोधी तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करेगा। लेकिन, पाकिस्तान ने ऐसा कभी नहीं किया है। और इस बैकग्राउंड से देखने पर, यह माना जा सकता है, कि पाकिस्तान के पास लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद के लिए स्पष्ट रूप से बड़ी योजनाएं थीं।

सईद पर 10 मिलियन अमेरिकी डॉलर का इनाम है, उस पर अमेरिका और भारत ने आतंकी गतिविधियों और अपहरण में शामिल होने का आरोप लगाया है, फिर भी उसे एक पाकिस्तानी नागरिक की तरह बुनियादी आज़ादी मिली हुई है। उनका “चैरिटी संगठन”, जमात-उद-दावा (JuD), पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है।

आतंकवादियों को लेकर क्या है पाकिस्तान की नीति?

हाफिज सईद को पाकिस्तान में आतंकवादियों को फंडिंग के लिए 78 सालों की सजा मिली है, लेकिन ऐसा सिर्फ अमेरिकी दबाव की वजह है और ऐसी रिपोर्ट है, कि वो पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी ISI की सुरक्षा में है।

लिहाजा, हाफिज सईद के साथ पाकिस्तान का जो रवैया है, उस आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है, कि पाकिस्तान अपने सुरक्षा खतरों को विभिन्न समूहों में बांटकर रखता है। एक वर्ग में वे लोग शामिल हैं, जो सिर्फ पाकिस्तान के लिए खतरा हैं, दूसरा वर्ग वो, जिसमें पाकिस्तान और अमेरिका दोनों के लिए खतरा हो सकते हैं, या फिर वो, जो चीन के लिए खतरा पैदा करते हैं, और अंत में, वे लोग हैं, जो भारत जैसे अन्य देशों के लिए खतरा हैं।

पाकिस्तान के लिए हाफिज सईद अंतिम श्रेणी में आता है। सईद ने हिंसा से दूर रहने का दावा करके एक सामाजिक-राजनीतिक अभिनेता के रूप में अपनी छवि को फिर से बनाने और सुधारने की कोशिश की है। शुरू में, यह माना गया था, कि अफगानिस्तान से अमेरिका के हटने पर, हाफिज सईद को पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान में सीमा पार पाकिस्तान की ओर आतंकवादियों के बीच तनाव को कम करने के लिए उपयोगी बनाया जाएगा।

उस समय ऐसा माना गया था, कि सईद एक आदर्श उम्मीदवार था, जो न केवल भारत विरोधी था, बल्कि एक कट्टर पाकिस्तानी देशभक्त भी था, जो पाकिस्तान के खिलाफ कभी भी अराजकतावादी गतिविधियां नहीं करेगा।

मौलाना होने के नाते हाफिज ने लश्कर-ए-झांगवी और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) जैसे अन्य आतंकवादी समूहों के साथ बातचीत करने के मौके भी बनाए। हालांकि, हाल के वर्षों में, ऐसा प्रतीत होता है कि पाकिस्तानी योजनाएं बहुत सफल नहीं रहीं, खासकर टीटीपी के संबंध में और टीटीपी अब पाकिस्तान के लिए बहुत बड़ा खतरा बन गया है।

सईद कश्मीर में भारत के खिलाफ एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी रहा है, और वो अभी भी भारत के खिलाफ जितना जहर बो सकता है, उतना किसी और पाकिस्तानी आतंकी में दम नहीं है, और इसीलिए, वो पाकिस्तान के लिए काफी उपयोगी है। इसलिए, यह बहुत कम संभावना है, कि पाकिस्तान सईद को बेअसर करेगा या उसके खिलाफ कार्रवाई करेगा, जब तक कि वह पाकिस्तानी सरकार के लिए उपयोगी बना रहे और गज़वा-ए-हिंद के प्रयासों को भी मजबूत करे।

हाफिज सईद का रहस्य उजागर

हाफिज सईद का जन्म पाकिस्तान के सरगोडा में हुआ था। उसे हाफिज नाम इसलिए मिला, क्योंकि उसने कम उम्र में ही कुरान को याद कर लिया था। अपने भाई-बहनों और पिता की तरह, उसने इस्लामी अध्ययन और अरबी भाषा में दो मास्टर डिग्री हासिल की।

निदा-ए-मिल्लत पत्रिका के मुताबिक, सईद ने 1970 में जमात-ए-इस्लामी के चुनाव अभियान में भाग लिया और 1971 में ढाका के पतन के बाद, उसने पार्टी से अलग होने का फैसला किया।

जनरल जिया उल हक ने सईद को इस्लामिक विचारधारा परिषद में नियुक्त किया और बाद में उसने पाकिस्तान के इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय में इस्लामी अध्ययन के शिक्षक के रूप में पढ़ाया। 1980 के दशक में, उसे दो सऊदी शेखों से मिलवाया गया जो सोवियत-अफगान युद्ध में शामिल थे।

दो शेखों से बहुत प्रभावित होने के कारण, हाफिज ने अफगानिस्तान में मुजाहिदीन की लड़ाई का समर्थन किया। उसके जिहादी करियर में महत्वपूर्ण मोड़ 1987 में आया, जब उसने अब्दुल्ला अज़्ज़ाम और प्रो. जफर इकबाल सरदार के साथ मिलकर मरकज दावा-वल-इरशाद की स्थापना की। यह समूह जमीयत अहल-ए-हदीस से निकला था, जो राजनीतिक प्रकृति का था।

आखिरकार, मरकज दावा-वल-इरशाद के जरिए 1987 में कुख्यात आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का उदय हुआ। पाकिस्तानी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने भारत को अस्थिर करने के लिए जम्मू और कश्मीर में अस्थिरता फैलाने के लिए LeT को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

तब से, सईद भारत के खिलाफ कई आतंकी हमलों में शामिल रहा है, जैसे कि लाल किला हमला (22 दिसंबर 2000), रामपुर हमला (1 जनवरी 2008), 26/11 मुंबई हमला (26-28 नवंबर 2008) और साथ ही जम्मू और कश्मीर के उधमपुर में बीएसएफ काफिले पर हमला (5 अगस्त 2015)।

हाफिज मुहम्मद सईद कई मामलों में आरोपी है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा उसकी जांच की जा रही है। सईद के खिलाफ अन्य मामले भी दर्ज हैं, जिनमें आतंकी फंडिंग के मामले भी शामिल हैं।

सईद की भागीदारी एक महिला संगठन, दुख्तरान-ए-मिल्लत (डीएम) के साथ देखी गई है। इस संगठन को एक नरम आतंकवादी संगठन माना जाता है, जिसमें यह मुख्य रूप से अपने जिहादी विचारधाराओं को धमकाने या लागू करने के लिए गैर-कानूनी साधनों के उपयोग पर ध्यान केंद्रित करता है।

हालांकि, चूंकि संगठन ने पूरी तरह से हथियारों का सहारा नहीं लिया है, इसलिए उन्हें एक नरम आतंकवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इस समूह का गठन 1987 में हुआ था और यह कश्मीर मामले को एक धार्मिक मुद्दा मानता है तथा इसके लिए यह भारत पर जिहाद का आह्वान करता है।

पाकिस्तान में हाफिज सईद का क्या होगा?

पाकिस्तान में सईद की गिरफ्तारी और सजा, आतंकवाद पर तथाकथित पाकिस्तानी कार्रवाई के बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को खुश करने और समझाने के लिए एक दिखावा से कम नहीं है।

हाफिज मुहम्मद सईद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, यूरोपीय संघ, ऑस्ट्रेलिया और रूस ने आतंकवादी के रूप में नामित किया है, फिर भी भारत न्याय की प्रतीक्षा कर रहा है। वह भारत की एनआईए मोस्ट वांटेड लिस्ट में है।

एक विडंबना ये भी रहा, कि इस साल पाकिस्तान में हुए संसदीय चुनाव में हाफिज सईद का बेटे तल्हा सईद भी लाहौर के NA-127 से उम्मीदवार बना, हालांकि ये अलग बात है, कि उसे इमरान खान की पार्टी के एक उम्मीदवार ने हरा दिया, लेकिन उसका चुनाव में उतरना ही पाकिस्तान के चरित्र को उजागर करता है। लिहाजा, इस बात की उम्मीद लगभग नहीं की जा सकती है, कि हाफिज सईद का प्रत्यर्पण किया जाएगा, बल्कि पाकिस्तान, उसके लिए संकट मोचक बना रहेगा।

चैंपियंस ट्रॉफी से पहले PAK हुआ बेनकाब! घूमता-कसरत करता नजर आया मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी

Mumbai Attacks Mastermind In Pakistan: 26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी ना सिर्फ भारत में प्रतिबंधित आतंकी है बल्कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका है.

मुंबई हमले का मास्टरमाइंड आतंकवादी जकी उर रहमान लखवी

Mumbai Attacks Mastermind In Pakistan: मुंबई हमले के मास्टरमाइंड जकी उर रहमान लखवी पर एक तरफ पाकिस्तान पूरी दुनिया के सामने ये झूठ फैला रहा है की लखवी 2021 से पाकिस्तान की जेल में बंद है तो दूसरी तरफ एबीपी न्यूज के हाथ एक्सक्लूसिव वीडियो लगी है, जिसमें यह आतंकवादी अबु वासी के नाम से पाकिस्तान में ना सिर्फ खुलेआम घूम रहा है बल्कि फिटनेस चैलेंज में भाग ले रहा है.

कुल 3 मिनट 9 सेकंड की इस वीडियो में जकी उर रहमान लखवी एक इवेंट में पश अप कर कर रहा है, डम्बल उठा रहा है और कार्यक्रम का होस्ट लखवी की पहचान लोगों से अबु वासी के रूप में करवाते हुए बता रहा है कि उसने कभी नहीं देखा कि एक 63 साल का व्यक्ति इतना फिट और फुर्तीला हो सकता है.

 

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका

26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड लखवी ना सिर्फ भारत में प्रतिबंधित आतंकी है बल्कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी लखवी को आतंकी घोषित कर चुका है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख सुधारने और FATF की ग्रे लिस्ट से बचने के लिए पाकिस्तान ने पूरी दुनिया के सामने साल 2021 में जकी उर रहमान लखवी को 15 साल की कैद की सजा सुनाई थी, लेकिन एबीपी न्यूज की पड़ताल में ये सजा महज एक दिखावा साबित हुई.

कुछ ही महीनों में पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी खेली जाएगी

खुफिया सूत्रों की मानें तो लखवी रावलपिंडी और लाहौर में आराम से रह रहा है और यह उसे अबु वासी के नाम देना पाकिस्तानी सेना का पैंतरा था, जो वीडियो के आने से ध्वस्त हो गया है. अब सवाल यह उठता है कि कुछ ही महीनों में पाकिस्तान में चैंपियंस ट्रॉफी खेली जानी है. ऐसे में पाकिस्तान, जहां आतंकी इस तरह से खुले घूम रहे हैं, वहां क्या सच में कोई टीम सुरक्षित रह भी सकती है.

पाकिस्तान में हिंदू श्रद्धालु की गोली मारकर हत्या, प्रकाश पर्व के मौके पर जा रहा था श्री ननकाना साहिब

श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर शामिल होने श्री ननकाना साहिब जा रहे एक हिंदू श्रद्धालु की गोली मारकर हत्या कर दी गई। घटना पाकिस्तान के शहर लाहौर की है। पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। मृतक सिंध प्रांत का रहने वाला था। लूटपाट का विरोध करने पर लुटेरों ने उसे गोली मारी। गुरुवार को उसने अस्पताल में दम तोड़ा है।

Pakistan News: श्री ननकाना साहिब की फोटो।

पीटीआई, लाहौर। पाकिस्तान के लाहौर में एक हिंदू श्रद्धालु की गोली मारकर हत्या करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। जानकारी के मुताबिक हिंदू श्रद्धालु श्री गुरु नानक देव जी के 555वें प्रकाश पर्व पर शामिल होने श्री ननकाना साहिब जा रहा था। रास्ते में लुटेरों ने गोली मारकर उसे मौत के घाट उतार दिया।

लुटेरों ने लाखों की नकदी लूटी

पाकिस्तान के सिंध प्रांत के लरकाना शहर के रहने वाले राजेश कुमार अपने दोस्त और एक रिश्तेदार के साथ कार से लाहौर से ननकाना साहिब जा रहे थे। रास्ते में लाहौर से करीब 60 किलोमीटर दूर मनानवाला-ननकाना साहिब रोड पर तीन लुटेरों ने उन्हें रोका। पुलिस के मुताबिक लुटेरों ने तीनों से साढ़े चार लाख पाकिस्तानी रुपये लूटे। कार चालक से भी 10 हजार पाकिस्तानी रुपये छीने। मगर इस दौरान राजेश कुमार ने लुटेरों को विरोध कर दिया। बदले में लुटेरों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी।

अस्पताल में राजेश ने तोड़ा दम

गोली लगने के बाद राजेश कुमार को गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्होंने गुरुवार को दम तोड़ दिया। रिश्तेदार की शिकायत पर अज्ञात लोगों के खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व पर उनकी जन्मस्थली गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में मुख्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। भारत से भी 2,500 से अधिक सिख श्रद्धालु प्रकाश पर्व में शामिल होने पाकिस्तान पहुंचे हैं।

 

Imsha Rehman: पाकिस्तानी टिकटॉकर इम्शा रहमान का अश्लील वीडियो वायरल, बंद किया अकाउंट

Imsha Rehman Viral Video: पाकिस्तान की मशहूर युवा टिकटॉकर इम्शा रहमान को अपना प्राइवेट वीडियो लीक होने के बाद सोशल मीडिया अकाउंट बंद करना पड़ा है. उन्होंंने एक इमोशनल नोट लिखने के बाद इंस्टाग्राम और टिकटॉक अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया है.

Imsha Rehman

पाकिस्तान की मशहूर टिकटॉक स्टार इम्शा रहमान ने प्राइवेट वीडियो लीक होने के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए हैं. युवा टिकटॉकर कथित तौर पर डेटा चोरी का शिकार हो गई, जिसकी वजह से उनके निजी पल के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकटॉक स्टार इम्शा का एक वीडियो वॉट्सऐप, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें वह अपने एक दोस्त के साथ आपत्तिजनक हालत नजर आ रही हैं. इस वीडियो को लेकर पाकिस्तान की युवा टिकटॉकर इम्शा को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिससे परेशान होकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए.

यह दूसरी बार है जब किसी पाकिस्तानी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के प्राइवेट वीडियो ऑनलाइन लीक हुए हैं. इससे पहले टिकटॉक स्टार मिनाहिल मलिक के प्राइवेट वीडियोज लीक हुए थे. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये वीडियो कैसे लीक हुए. किसी भी हैकर ने अभी तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है.

सोशल मीडिया पर लगातार हेट कमेंट्स को देखते हुए इम्शा ने इंस्टाग्राम और टिकटॉक अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया. उन्होंने इस मामले पर किसी तरह की बयानबाजी नहीं की है. हालांकि, यह वीडियो असली है या किसी ने डीपफेक तकनीक का उपयोग किया है, इसकी पुष्टि होना अभी बाकी है.

22 साल की इम्शा उत्तर पाकिस्तान से हैं. वह अपनी ब्यूटी टिप्स, लाइफस्टाइल और फैशन कंटेंट के लिए मशहूर हैं. वह टिकटॉक के अलावा इंस्टाग्राम पर भी काफी एक्टिव थीं, लेकिन प्राइवेट वीडियो लीक मामले के कारण उन्होंने कुछ समय के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली है.

इससे पहले पाकिस्तानी टिकटॉकर मिनाहिल मलिक ने अपने प्राइवेट वीडियो के लीक होने के बाद लोगों की कड़ी आलोचनाओं पर खुलकर बात की थी. उन्होंने अकाउंट डिएक्टिवेट करने से पहले इंस्टाग्राम पर लिखा था, ‘यह मेरे लिए आसान नहीं है, पर मैं अब ऊब चुकी हूं. अलविदा कहना मुश्किल है. आपसे यही कहना है कि प्यार फैलाएं. आप लोगों को बहुत मिस करूंगी. खयाल रखें.’

तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना कांसुलर, भारत ने कहा- अभी मान्यता नहीं

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय का एक विशेष दल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गया था। इसके बाद अब तालिबान सरकार ने भारत में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है। यह नियुक्ति मुंबई स्थित अफगान वाणिज्य दूतावास में की गई है। भारत सरकार ने भी कहा कि प्रतिनिधि के नियुक्त होने का मतलब यह नहीं है कि तालिबान सरकार को मान्यता दे दी गई है।

तालिबान ने मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास में कांसुलर नियुक्त किया।

नई दिल्ली। तकरीबन तीन वर्ष बाद अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का भारत में प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया गया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि डॉ. इक्रामुद्दीन कामिल को अफगान के मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास में कार्यवाहक काउंसिल के तौर पर नियुक्त किया गया है। वह कांसुलर सेवा विभाग में अपनी सेवा देंगे और भारत व अफगानिस्तान के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे।

तालिबान सरकार को मान्यता नहीं

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि कर दी है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी गई है। इस बारे में भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ ही काम करेगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान अफगान दूतावास और कांसुलेट में काम करने वाले तकरीबन सभी राजनयिक पश्चिमी देशों में शरण ले चुके हैं या भारत छोड़ चुके हैं। सिर्फ एक राजनयिक यहां रह गया है जिसकी वजह से अफगानिस्तानी दूतावास काम कर रहा है।

भारत में अफगानों की संख्या अधिक

दूसरी तरफ भारत में रहने वाले अफगानी नागरिकों की संख्या काफी ज्यादा है जिन्हें राजनयिक सेवाओं की जरूरत है। इन नागरिकों को उचित सेवा देने के लिए काफी संख्या में कांसुलर अधिकारियों की जरूरत है। बताते चलें कि उक्त अफगानिस्तानी कांसुलर अधिकारी वही हैं, जिसे तालिबान सरकार ने भारत की जिम्मेदारी दी है।

भारत में की कांसुलर प्रभारी

सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्रालय इन नए कांसुलर प्रभारी को पहले से जानता है। इन्होंने भारत में ही शिक्षा हासिल की है और भारतीय विदेश मंत्रालय की छात्रवृत्ति पर ही साउथ एशियन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की है। भारत के लिए वह एक अफगानी नागरिक हैं, जो यहां अफगानी नागरिकों के हित के लिए काम करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने तालिबान को मान्यता दे दी है तो सूत्रों ने कहा कि किसी भी सरकार को मान्यता देने की एक प्रक्रिया होती है। इस बारे में भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ ही काम करेगा।

अफगानिस्तान जा चुका विदेश मंत्रालय का दल

सनद रहे कि हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय का एक विशेष दल काबुल गया था। इस दल की तालिबान सरकार के रक्षा मंत्री से भी मुलाकात हुई थी। अगस्त, 2021 में अमेरिकी सेना की अचानक वापसी के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमाया हुआ है। तब माना गया था कि तालिबान भारत के हितों के विरुद्ध होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जबकि तालिबान को सींचने वाले पाकिस्तान से रिश्ते खराब हो चुके हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव भी चल रहा है, जबकि भारत अफगानी नागरिकों को खाना और दवाइयां भेज रहा है।