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इमरान खान के समर्थक को 25 फुट ऊंचे कंटेनर से दिया धक्का, Viral हुआ Video

Pakistan Row: पाकिस्तान में एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें एक व्यक्ति को 25 फीट ऊंचे कंटेनर से धक्का देकर नीचे गिराया जा रहा है। इस घटना ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है और क्रूरता के आरोप लगाए जा रहे हैं।

कथित तौर पर इमरान खान की तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी से जुड़े इस व्यक्ति को कथित तौर पर तीन मंजिला इमारत की छत से “बेरहमी से धक्का” दिया गया।

 

पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान वर्तमान में आतंकवाद विरोधी आरोपों में जेल में बंद हैं। उनकी गिरफ़्तारी के कारण पूरे देश में व्यापक अशांति और विरोध प्रदर्शन हुए हैं। सरकार पर प्रदर्शनकारियों के खिलाफ़ अत्यधिक बल प्रयोग करने का आरोप लगाया गया है, रिपोर्टों से पता चलता है कि धरना शुरू होने के बाद से 600 से अधिक लोगों को हिरासत में लिया गया है।

विरोध प्रदर्शन और सरकार की प्रतिक्रिया

पीटीआई पार्टी का दावा है कि सरकार की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है और इसका उद्देश्य असहमति को दबाना है। उनका तर्क है कि प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई अनुचित है और उन्होंने “सरकारी क्रूरता” को समाप्त करने का आह्वान किया है। पाकिस्तानी सरकार अपने कदमों का बचाव करते हुए इसे “आतंकवाद” के खिलाफ़ ज़रूरी कदम बताती है।

राजनीतिक परिदृश्य पर प्रभाव

पाकिस्तान में राजनीतिक परिदृश्य तनावपूर्ण बना हुआ है क्योंकि खान के समर्थक न्याय की मांग कर रहे हैं। इस स्थिति ने अंतरराष्ट्रीय ध्यान आकर्षित किया है, मानवाधिकार संगठनों ने प्रदर्शनकारियों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर चिंता व्यक्त की है। इन प्रदर्शनों पर सरकार की प्रतिक्रिया का पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिरता पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने की संभावना है।

 

खान का नेतृत्व से लेकर कारावास तक का सफ़र पाकिस्तान के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। आतंकवाद विरोधी आरोपों से संबंधित आरोपों में 2023 में उनकी गिरफ़्तारी के बाद से, उनके समर्थक उनके पीछे एकजुट हो गए हैं और इन आरोपों के पीछे की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। चल रहे विरोध प्रदर्शन देश के भीतर गहरे तनाव को उजागर करते हैं।

 

पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च, सुरक्षाबलों ने की सख्त कार्रवाई

 

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। दो दिनों तक पीटीआई समर्थकों ने इमरान खान की रिहाई के लिए मार्च किया। इस्लामाबाद में हालात बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मंगलवार देर रात तक झड़प हुई। बुधवार को पीटीआई ने अपना मार्च समाप्त करने का एलान किया।

पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च (फोटो- सोशल मीडिया)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। पीटीआई समर्थक पूर्व पीएम इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। दो दिनों तक चले इस प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा था।

इस मामले पर आंतरिक मंत्रालय द्वारा सुबह- एक बयान जारी किया गया। इस बयान में बताया गया कि इस्लामाबाद में कानून प्रवर्तन बल ने मुख्य मार्ग को खाली करा लिया गया है। वहीं, इस पूरे मामले में पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने संवाददाताओं को बताया कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और अली अमीन गंदापुर सहित खान की पार्टी के शीर्ष नेता, जो विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, इलाके से भाग गए।

पीटीआई का प्रदर्शन खत्म

पीटीआई के कार्यकर्ता इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी इस्लामाबाद में दो दिनों तक प्रदर्शन किया। मंगलवार को ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाना पड़ा। खबर है कि रात भर की कार्रवाई के बाद पीटीआई के समर्थकों ने अपने प्रदर्शन को वापस ले लिया।

बुधवार को इमरान खान की पार्टी एक सांसद ने एक टेक्स्ट संदेश में लिखा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सरकार की क्रूर कार्रवाई के बाद विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है।

कई सुरक्षाकर्मियों की मौत

रविवार को शुरू हुए प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसा का रूप ले लिया। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, जिसके बाद इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प में चार सुरक्षा अधिकारियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शन के दौरान खान के हजारों समर्थकों ने सड़कों पर लगे सुरक्षा बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिस वजह से सुरक्षाकर्मियों से उनकी झड़प हो गई।

सैकड़ों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

गौरतलब है कि पीटीआई समर्थक मंगलवार को तथाकथित रेड जोन के पास एकत्र हुए थे। इसी दौरान उन्होंने धरना देने की घोषणा की थी। उन्होंने एलान किया था कि इमरान खान की रिहाई तक ये धरना चलेगा। बता दें कि इमरान खान पर भ्रष्टाचार से लेकर सत्ता के दुरुपयोग तक के 150 से अधिक मामले दर्ज हैं। वर्वतमान में वह जेल में हैं।

तलाशी अभियान जारी

पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने मीडिया से बताया कि तलाशी अभियान अभी जारी है। उन्होंने बताया कि इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग को लेकर इस्लामाबाद में धरना देने वाले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्य प्रदर्शन क्षेत्र को खाली करा लिया गया है और बुधवार को सभी बैरिकेड हटा दिए जाएंगे।

 

पाकिस्तान में हिंसा के बीच PTI का सड़कों पर विरोध जारी, जेल से पूर्व पीएम इमरान खान ने क्या कहा?

सत्ता जाने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के कार्यकर्ता सड़कों पर हैं। शहबाज शरीफ के नेतृत्व वाली सरकार की नीतियों, पूर्व पीएम इमरान खान की गिरफ्तारी के विरोध में प्रदर्शन जारी है। इस बीच पिछले हफ्ते हिंसा की घटनाएं भी हुईं। इनके बावजूद पूर्व पीएम ने विरोध जारी रखने का आह्वान किया है।

जेल से इमरान खान का आंदोलन जारी
पिछले कई महीनों से पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान जेल में बंद हैं। पीटीआई के हाथ से सत्ता फिसलने के बाद और शहबाज सरकार आते ही उनके मुश्किलें बढ़ गईं। इमरान खान के खिलाफ 100 से ज्यादा केस दर्ज हैं। तोषखाना मामले में इमरान खान बुरी तरह फंसे हैं। मामले में उनकी तरफ से कई जमानत याचिकाएं दायर की गईं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई राहत नहीं मिली है। ऐसे मे उन्होंने जेल ही आंदोलन जेल शुरू कर दिया है।

पूर्व पीएम इमरान की 3 बड़ी मांगें
विरोध कर रहे पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के समर्थकों तीन सबसे बड़ी मांगों को लेकर सड़कगों पर हैं। जिसमें उनकी पहली मांग ये है कि इमरान खान को जल्द से जल्द रिहा किया जाए। दूसरी मांग है कि 2024 के पाकिस्तानी चुनाव में जो असल नतीजे आए थे, उन्हें ही स्वीकार किया जाए। दरअसल, पाकिस्तान में जो पिछले चुनाव हुए, उसमें जेल में रहते हुए भी इमरान खान की पार्टी को सबसे ज्यादा सीट मिली थीं। तीसरी मांग है कि पाकिस्तानी संसद में अदालत की ताकत कम करने वाले जिस एक्ट को पास किया गया था, उसे तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए।

जेल से इमरान का संदेश
पाकिस्तान में इमरान खान के रिहाई की मांग जोर पकड़ने लगी है। इमरान ने रिहाई की प्रक्रिया को ‘फाइनल कॉल’ का नाम दिया है। उन्होंने तो जेल से जो संदेश जारी किया उसमें भी दो टूक कहा, “24 नवंबर का दिन गुलामी से आजाद होने का है। अब पाकिस्तान को ही तय करना होगा कि उसे बहादुर शाह जफर की तरह गुलामी का जुआ चाहिए या टीपू सुल्तान की तरह आजादी का ताज।” इमरान के इस एक आह्वान के बाद ही पीटीआई के कई कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए और अपने नेता की रिहाई की मांग करने लगे।

पाकिस्तान बना ‘कंटेनरिस्तान’, जेल से पाकिस्तान का राजनीतिक एजेंडा कैसे चला रहे हैं इमरान खान?

Imran Khan Pakistan Protest: इमरान खान के समर्थक लगातार इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी में दाखिल हो चुके हैं और हजारों रास्ते में हैं, लिहाजा शहबाज शरीफ की सरकार ने इस्लामाबाद में एक तरह से लॉकडाउन लगा दिया है।

और यह सब इमरान खान की वजह से है। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री के हजारों समर्थक जेल से उनकी रिहाई की मांग को लेकर राजधानी की ओर कदम से कदम मिलाकर मार्च कर रहे हैं। इमरान खान की पार्टी PTI ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दर्जनों ऐसे वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें इमराम समर्थकों को राजधानी की तरफ मार्च करते हुए देखा जा रहा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन रविवार को शुरू हुआ और ये तेजी से बढ़ रहा है। इमरान खान की पार्टी उस वक्त प्रदर्शन कर रही है, जब बेलारूस के राष्ट्रपति 78 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंचे हैं, लिहाजा इमरान समर्थकों का प्रदर्शन, सरकार के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। इससे पहले इमरान समर्थकों ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भी प्रदर्शन करने के लिए इस्लामाबाद मार्च करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सरकार के साथ उनका समझौता हो गया और वो बाद में रैली करने के लिए तैयार हो गये और अब उनका प्रदर्शन चल रहा है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए कहा है, कि ‘प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली बुशरा बीबी, जो इमरान खान की पत्नी हैं, उन्हें ताकत का अहसास हो रहा है और वो खून के गंध की खूशबू सूंघ सकती हैं।’

 

 

इमरान खान के समर्थकों की मांगें क्या हैं?

इमरान खान पिछले साल अगस्त से जेल में हैं और 2022 में संसद द्वारा सत्ता से बाहर किए जाने के बाद से उन पर भ्रष्टाचार से लेकर हिंसा भड़काने तक के सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गये हैं।

डॉन के मुताबिक, इमरान खान ने 13 नवंबर को अपने समर्थकों से “अंतिम आह्वान” विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया था। खान ने अपने समर्थकों से “चोरी किए गए जनादेश, अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों” और जिसे उन्होंने तानाशाही शासन कहा, उसके खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की। पीटीआई की मांगों में इमरान खान सहित उसके सभी नेताओं की रिहाई और मौजूदा सरकार का इस्तीफा शामिल है, क्योंकि उसका कहना है, कि इस साल चुनाव में धांधली हुई है। बीबीसी के अनुसार, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व उनकी पत्नी बुशरा बीबी कर रही हैं।

बुशरा बीबी को जनवरी में इमरान खान के साथ जेल भेजा गया था, लेकिन अक्टूबर के अंत में उन्हें जमानत दे दी गई।

पाकिस्तान की राजधानी में रविवार को विरोध प्रदर्शनों से पहले सुरक्षा के लिहाज से नाकेबंदी कर दी गई थी।

सरकार ने इस्लामाबाद की ओर जाने वाले राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया है, जिसके माध्यम से इमरान खान के समर्थक, उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में, शहर की ओर बढ़ने और संसद के पास इकट्ठा होने की कोशिश कर रहे हैं।

इस्लामाबाद जाने वाली करीब करीब सभी रास्तों को शिपिंग कंटेनरों का उपयोग करके ब्लॉक कर दिया गया है और पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों की बड़ी टुकड़ियां दंगा-रोधी गियर में तैनात की गई हैं।

पाकिस्तान में मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बंद कर दिए गये हैं। देश में एक्स (ट्विटर) पहले से ही बंद है।

डॉन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और देश भर से आए पीटीआई के काफिले के मार्ग को बाधित कर दिया गया है, जो राजधानी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इस्लामाबाद पुलिस ने एक बयान में कहा कि कानूनी प्रावधानों के तहत किसी भी तरह के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वैश्विक इंटरनेट निगरानी संस्था नेटब्लॉक्स ने एक्स पर कहा, कि लाइव मेट्रिक्स से पता चला है कि विरोध प्रदर्शनों से पहले व्हाट्सएप मैसेजिंग सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इमरान खान के एक प्रमुख सहयोगी अली अमीन गंदापुर, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और उनसे इस्लामाबाद में सबसे बड़े काफिले का नेतृत्व करने की उम्मीद है, उन्होंने लोगों से शहर के रेड जोन के प्रवेश द्वार के पास इकट्ठा होने का आह्वान किया, जिसे “डी चौक” के रूप में जाना जाता है।

इस्लामाबाद के रेड जोन में देश की संसद भवन, महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठान, साथ ही दूतावास और विदेशी संस्थानों के कार्यालय हैं।

शनिवार को एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “इमरान खान ने हमसे कहा है कि जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हम वहीं रहें।”

बुशरा बीबी ने रविवार को इस्लामाबाद जाते समय रास्ते में ब्रेक ले रहे कुछ समर्थकों को चेतावनी दी।

बीबीसी के अनुसार, बीबी ने भीड़ से कहा, “अपने वाहनों में ही रहें और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए तेजी से आगे बढ़ें। हम इस तरह समय बर्बाद कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम इमरान खान को वापस लाने के लिए यहां हैं और हम उनके बिना वापस नहीं जाएंगे। अपने वाहनों में बैठ जाएं ताकि हम जल्दी पहुंच सकें।” आउटलेट के अनुसार, पुलिस ने उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आंसू गैस छोड़ी, जबकि प्रदर्शनकारियों ने उन पर प्रोजेक्टाइल दागे।

काफिला शहर के करीब पहुंच रहा है।

 

 

पीटीआई नेता शौकत यूसुफजई ने डॉन को बताया कि काफिले अपने विशाल आकार के कारण धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने “बड़ी रैली” को देखते हुए वापस ले लिया।

यूसुफजई ने दोहराया कि केपी सीएम गंदापुर का इरादा डी-चौक तक “शांतिपूर्ण तरीके से लेकिन किसी भी कीमत पर” पहुंचने का है। उन्होंने कहा कि जुलूस बुरहान, अटक के पास मोटरवे पर है।

पीटीआई नेता सनम जावेद खान ने सोमवार दोपहर कहा, कि उनका काफिला हसनअब्दल में था।

उन्होंने दावा किया कि बुशरा, गंदापुर, बाबर सलीम स्वाति और उमर अयूब खान काफिले में मौजूद थे।

सोमवार को एक विद्रोही बीबी ने प्रदर्शनकारियों से बात की।

उन्होंने कहा, “जब तक खान हमारे पास नहीं आते, हम यह मार्च खत्म नहीं करेंगे। मैं अपनी आखिरी सांस तक खड़ी रहूंगी और आपको मेरा साथ देना होगा। यह सिर्फ मेरे पति के बारे में नहीं है, बल्कि इस देश और इसके नेता के बारे में है।”

वहीं, पीटीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष गौहर अली खान और सांसद अली मुहम्मद खान सहित कई नेताओं ने सोमवार को इमरान खान से मुलाकात की।

हालांकि, इस्लामाबाद के निवासी खुश नहीं हैं।

इस्लामाबाद के निवासी 35 वर्षीय मुहम्मद आसिफ ने बंद बाजार के सामने कहा, “ये लगातार विरोध प्रदर्शन अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रहे हैं और अस्थिरता पैदा कर रहे हैं… हम चाहते हैं कि राजनीतिक नेतृत्व एक साथ बैठकर इन मामलों को सुलझाए।”

बीबीसी के अनुसार, शहर को एक नया उपनाम दिया गया है – “कंटेनरिस्तान।”

एक निवासी ने कहा, “यह थका देने वाला है। हर दिन कुछ नया होता है, लेकिन कंटेनर हमेशा वहीं रहते हैं।”

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इमरान खान के समर्थक अमेरिका और कनाडा सहित विदेशों में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

 

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

इंडिया टुडे से बात करते हुए सुशांत सरीन ने कहा, कि इमरान खान पहले ही जीत चुके हैं – चाहे विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप कुछ भी हो। सरीन ने कहा, कि विरोध प्रदर्शनों ने पहले से ही कमजोर सरकार को और अस्थिर कर दिया है। सरीन ने कहा, कि इमरान खान की स्थायी लोकप्रियता ने पाकिस्तान के कई पर्यवेक्षकों के साथ-साथ राजनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठान को भी चौंका दिया है।

उन्होंने कहा, कि इमरान खान ने सेना, न्यायपालिका, मीडिया और पंजाबी उच्च मध्यम वर्ग के बीच भी राय विभाजित कर दी है। सरीन ने कहा, कि नई दिल्ली संभवतः इस्लामाबाद के प्रति अपने मौजूदा रुख को जारी रखेगी।

उन्होंने कहा, कि इस जुड़ाव के परिणामस्वरूप भारत को कुछ लाभ होने की उम्मीद है।

वहीं, कुछ और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए और भी बुरा होने की उम्मीद है।

वाशिंगटन में विल्सन सेंटर थिंक टैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने बीबीसी से कहा, “सबसे अच्छी स्थिति में यह एक खतरनाक डिस्ट्रेक्शन है। लेकिन सबसे बुरी स्थिति में, यह कुछ ऐसा हो सकता है जो देश को और भी अस्थिर कर दे। इससे पाकिस्तान की आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना और भी मुश्किल हो जाता है।”

कुछ लोग पाकिस्तान पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। लाहौर स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार और पत्रकार मेहमल सरफराज ने बीबीसी से कहा, “जब राजनीतिक दल लड़ते हैं, तो तीसरी ताकत फायदा उठाती है। जब तक राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे, तब तक यह हाइब्रिड शासन मजबूत होता रहेगा।”

सफराज ने कहा, कि “इसके बाद हाइब्रिड अधिक स्थायी हो सकता है।” उन्होंने कहा, “खतरा यह है कि लोकतंत्र और कमजोर होता जा रहा है और हाइब्रिड (सेना) की ताकत बढ़ती जा रही है।”

 

‘वो खून का गंध सूंघ सकती है’, इमरान की पत्नी पर बरसी शहबाज सरकार, समर्थकों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश

Pakistan Protest: पाकिस्तान की राजनीति में भारी बवाल शुरु हो गया है और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के हजारों समर्थक देश की राजधानी इस्लामाबाद में घुस गये हैं और भारी प्रदर्शन के बीच अभी तक चार पुलिसकर्मियों के साथ 5 लोगों की मौत हो चुकी है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को कम से कम चार सुरक्षाकर्मियों और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है और जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने राजधानी में भारी बवाल किया है। जिसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आंसू गैस के गोले दागे और लाठी चार्ज किया है।

इमरान खान की पार्टी उस वक्त प्रदर्शन कर रही है, जब बेलारूस के राष्ट्रपति तीन दिनों की यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं। उनके साथ 70 से ज्यादा प्रतिनिधियों का प्रतिनिधिमंडल है और ऐसे वक्त में राजधानी में फैली अशांति, शहबाज सरकार के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर रही है।

पाकिस्तान में भारी बवाल

वहीं, भारी प्रदर्शन के बीच देश की सेना ने बाद में अराजकता फैलाने वालों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश जारी कर दिए हैं। इमरान खान की रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने सोमवार देर रात राजधानी इस्लामाबाद में प्रवेश किया, जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं। प्रदर्शनकारियों ने देशव्यापी आंदोलन को रोकने के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के प्रयासों को नाकाम कर दिया।

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में विरोध मार्च रविवार को शुरू हुआ और सोमवार शाम तक इस्लामाबाद पहुंच गया। मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और प्रदर्शनकारियों ने राजधानी में कई रणनीतिक इमारतों के करीब डी-चौक तक अपना मार्च फिर से शुरू कर दिया है।

पाकिस्तानी अंग्रेजी दैनिक द नेशन के मुताबिक, चार पैराट्रूपर्स “शहीद” हो गए हैं और सेना को अनुच्छेद 245 के तहत तैनात किया गया है और उसे “देखते ही गोली मारने” का अधिकार दिया गया है।

 

 

प्रदर्शनकारियों पर कैमिकल्स की बारिश

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे वीडियोज में इमरान खान के समर्थकों को गैस मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे पहने हुए दिखाया गया है, ताकि भारी सुरक्षा तैनाती के बीच मार्च निकाला जा सके, जिससे इस्लामाबाद और अन्य शहरों के बीच यात्रा करना लगभग असंभव हो गया। पंजाब प्रांत में प्रमुख ग्रैंड ट्रंक रोड हाईवे के साथ-साथ इलाकों से एम्बुलेंस और कारों को वापस लौटते देखा गया, जहां शिपिंग कंटेनरों का इस्तेमाल सड़कों को ब्लॉक करने के लिए किया गया है।

पीटीआई ने घायल प्रदर्शनकारियों के कई वीडियो और तस्वीरें साझा कीं हैं और मंगलवार को एक पोस्ट को फिर से शेयर किया, जिसमें दावा किया गया था कि “सरकार विमानों से प्रदर्शनकारियों पर रसायन बरसा रही है।”

वहीं, डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार रात को जब प्रदर्शनकारियों के बिखरे हुए समूह राजधानी के बाहरी इलाकों में पहुंचने लगे, तो सरकार और पीटीआई ने बातचीत के लिए स्पष्ट रूप से एक ‘पर्दे का रास्ता’ खोल दिया है।

 

 

देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने प्रदर्शनकारी पार्टी के साथ बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा, कि सरकार ने इस्लामाबाद के बाहरी इलाके संगजानी में इमरान समर्थकों को प्रदर्शन करने के लिए कहा है। वहीं, पीटीआई नेताओं ने सोमवार देर रात विशेष रूप से आयोजित बैठक में इमरान खान से दूसरी बार मुलाकात की, जहां उन्होंने कथित तौर पर जेल में बंद पार्टी संस्थापक के सामने सरकार के प्रस्ताव रखे। बैठक का नतीजा फिलहाल साफ नहीं हो पाया, क्योंकि पीटीआई प्रतिनिधिमंडल मीडिया से बात किए बिना ही चला गया।

हालांकि, नकवी ने कहा कि वे पार्टी की ओर से जवाब का इंतजार कर रहे हैं और पत्रकारों से, जो जवाब पाने पर अड़े थे, कहा कि वे नतीजे का इंतजार करें। डॉन के मुताबिक, सोमवार को सूत्रों ने दावा किया, कि पीटीआई और सरकार के नेताओं ने बातचीत की थी, जिसमें एक ऐसा स्थान तय करने के लिए बातचीत की गई, जहां पीटीआई समर्थकों को शांति के साथ इस्लामाबाद में प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सके।

 

‘वह खून की गंध सूंघ सकती हैं’

वहीं, जियो न्यूज के मुताबिक, सरकार और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के बीच बातचीत की खबरों के बीच रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है, कि बातचीत “अनिश्चितता के साथ” खत्म हुई है, क्योंकि बुशरा बीबी (इमरान खान की पत्नी), जो कारवां का नेतृत्व कर रही हैं, वो “खून की गंध महसूस कर रही हैं और समझौता करने के मूड में नहीं हैं”।

पीएमएल-एन नेता ने जियो न्यूज के कार्यक्रम ‘आज शाहजेब खानजादा के साथ’ में बोलते हुए कहा, “वह [बुशरा] जानती हैं कि वह डी-चौक के करीब हैं और एक नेता बन गई हैं और वो इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।”

उन्होंने कहा, कि सरकार के पास इस्लामाबाद में घुसने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ “बल प्रयोग” करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा, “वे (पीटीआई) मानते हैं कि उनके पास एक फायदा है और वे (इस्लामाबाद) में मार्च करते रहेंगे।”

आसिफ ने कहा, कि किसी भी कीमत पर राजधानी की रक्षा करना जरूरी है, खासकर तब, जब कोई विदेशी गणमान्य व्यक्ति, बेलारूस के राष्ट्रपति, देश का दौरा कर रहे हों। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने य भी कहा, कि पूर्व प्रथम महिला को नेता बनने का “जीवन का सबसे बड़ा मौका” मिला है और “वह इस लाभ का लाभ उठाएंगी”। बातचीत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दोहराया कि महिला, बुशरा बीबी, “समझौता करने के मूड में नहीं हैं” और “ताकत उनके हाथ में है और वह इसे महसूस कर सकती हैं”।

Pakistan Violence: पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों का इस्लामाबाद मार्च, बढ़ी हिंसा, झड़पों में 5 की मौत

Pakistan Violence: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इस हिंसा में 5 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों पुलिस अधिकारी घायल हो गए। यह घटना इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), और शहबाज शरीफ की सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा रही है।

पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों और सरकार के बीच टकराव ने देश में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। यह साफ है कि यदि स्थिति को जल्दी नहीं संभाला गया, तो यह विवाद और बढ़ सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत ही इस समस्या का एकमात्र समाधान हो सकता है। आइए विस्तार से जाने पूरा मामला…

 

 

विरोध प्रदर्शन: कैसे शुरू हुआ?
रविवार को इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में इस्लामाबाद की ओर यह मार्च शुरू हुआ। प्रदर्शनकारी सोमवार को राजधानी पहुंचे और डी-चौक जैसी संवेदनशील जगहों पर इकट्ठा होने लगे।

क्या हुआ झड़पों में:

  • पुलिस अधिकारी की मौत: एक पुलिसकर्मी को गोली मार दी गई।
  • सैनिकों की मौत: प्रदर्शनकारियों द्वारा गाड़ी चढ़ाने से 4 सैनिकों की मौत हो गई।
  • घायलों की संख्या: 119 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से 2 की हालत गंभीर है।
  • संपत्ति का नुकसान: 22 पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई।

 

सरकार ने इस्लामाबाद में सेना तैनात कर दी है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

इमरान खान का “अंतिम आह्वान”

  • इमरान खान ने इस विरोध प्रदर्शन को “अंतिम आह्वान” बताया, जो उनके अनुसार, “चोरी किए गए जनादेश” के खिलाफ था। उन्होंने जनता से “गुलामी की बेड़ियां तोड़ने” और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का आह्वान किया।
  • प्रदर्शनकारियों की तैयारी: सरकार द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को प्रदर्शनकारियों ने भारी मशीनरी और उपकरणों से हटा दिया।
  • रैली का नेतृत्व: खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और बुशरा बीबी ने इस विरोध का नेतृत्व किया।

सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी से दूर स्थान पर प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बुशरा बीबी ने खारिज कर दिया। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश किया तो “गंभीर परिणाम” भुगतने पड़ सकते हैं।

इमरान खान और उनकी कानूनी परेशानियां

  • 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटने के बाद से इमरान खान पर 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
  • जेल की स्थिति: वे रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।
  • चुनावी सफलता: फरवरी में हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन सरकार बनाने में असफल रही।
  • इमरान खान का आरोप है कि सत्तारूढ़ पीएमएल-एन और पीपीपी ने “जनादेश चुराकर” सत्ता हासिल की।

हालात क्यों गंभीर हैं?

  • राजनीतिक अस्थिरता: इमरान खान की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों का प्रदर्शन देश की राजनीतिक स्थिति को और अस्थिर कर रहा है।
  • सुरक्षा चुनौतियां: सेना की तैनाती के बावजूद हिंसा बढ़ती जा रही है।
  • लोकतंत्र पर खतरा: इमरान खान की पार्टी का आरोप है कि सरकार लोकतंत्र की मूल भावना को खत्म कर रही है।

 

‘इस्लामाबाद की रक्षा करेंगे’, इमरान खान समर्थकों के प्रदर्शन के बीच PAK आंतरिक मंत्री का बयान

पाकिस्तान में राजनीतिक हलचल फिर से बढ़ गई है, जहां पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने 24 नवंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया।

इसके जवाब में पाकिस्तान के आंतरिक मंत्री मोहसिन नकवी ने इस्लामाबाद की सुरक्षा सुनिश्चित करने का संकल्प लिया है। बढ़ती सुरक्षा और इंटरनेट प्रतिबंधों के बीच, राजधानी में माहौल तनावपूर्ण है।

 

विरोध प्रदर्शन का कारण

  • इमरान खान, जो फिलहाल जेल में हैं, ने अपनी गिरफ्तारी को “अन्यायपूर्ण” और “जनादेश की चोरी” करार देते हुए देशभर में विरोध प्रदर्शन करने की अपील की।
  • खान का आरोप: उनकी सरकार को 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए गिराया गया, जिसे वह साजिश मानते हैं।
  • जनता से अपील: पाकिस्तान तहरीकएइंसाफ (PTI) पार्टी ने लोगों से सड़कों पर उतरकर “दमन के खिलाफ” आवाज उठाने का आग्रह किया।

इस्लामाबाद में सुरक्षा के इंतजाम
डीचौक पर कड़ी सुरक्षा: आंतरिक मंत्री नकवी ने इस्लामाबाद के डीचौक का दौरा किया, जो विरोध प्रदर्शन का मुख्य स्थल माना जा रहा है। यहां पुलिस और रेंजर्स को तैनात किया गया है।
नाकेबंदी और बैरिकेड्स: श्रीनगर हाईवे और जीटी रोड जैसे मुख्य मार्गों को कंटेनरों से बंद कर दिया गया है।
गिरफ्तारी की चेतावनी: नकवी ने कहा कि डीचौक पर जाने वालों को गिरफ्तार किया जाएगा।
इंटरनेट और संचार सेवाएँ: राजधानी के कुछ हिस्सों में इंटरनेट सेवाओं पर प्रतिबंध लगाया गया है।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

  • सड़कें और स्कूल बंद: सरकार ने विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इस्लामाबाद के स्कूलों में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है।
  • परिवहन सेवाएं निलंबित: लाहौर, रावलपिंडी और पेशावर के बीच ट्रेन सेवाओं को रोक दिया गया है।
  • रावलपिंडी में गिरफ्तारियां: पुलिस ने राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे 16 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया।
  • विपक्ष का लक्ष्य और सरकार की चेतावनी
  • विरोध का नेतृत्व: PTI ने खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गांडापुर के नेतृत्व में इस्लामाबाद की ओर कूच किया।
  • सरकार की प्रतिक्रिया: संघीय सरकार ने गैरकानूनी प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

विरोध प्रदर्शनों की तारीख और घटनाएं
तारीख – घटना

13 नवंबर खान ने देशव्यापी विरोध का आह्वान किया।
18 नवंबर इस्लामाबाद में धारा 144 लागू।
24 नवंबर योजनाबद्ध विरोध प्रदर्शन।

इमरान खान के समर्थन में काफिले

  • बुशरा बीबी का नेतृत्व: खान की पत्नी बुशरा बीबी पेशावर से निकले काफिले में शामिल हुईं। हालांकि, उन्होंने प्रदर्शन में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया।
  • अन्य क्षेत्रीय काफिले: एबटाबाद और मनसेहरा से भी PTI समर्थक राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं।

इमरान खान के आह्वान पर हो रहे प्रदर्शन पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता को और बढ़ा रहे हैं। सरकार और PTI के बीच तनाव ने सुरक्षा और सार्वजनिक सेवाओं पर बड़ा प्रभाव डाला है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह विरोध प्रदर्शन किस दिशा में जाता है और इसका पाकिस्तान की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।

पाकिस्तान में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच दंगे, अब तक 68 की मौत; सैकड़ों दुकानों व घरों को फूंका

 

पाकिस्तान के कुर्रम जिले में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच संघर्ष थमता नहीं दिख रहा है। अब तक 68 लोगों की जान जा चुकी है। अधिकारियों का मानना है कि मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है। कुर्रम अफगानिस्तान की सीमा पर बसा खैबर पख्तूनख्वा प्रांत का अहम जिला है। यहां दशकों से शिया और सुन्नी के बीच संघर्ष जारी है। मगर ताजे विवाद की वजह अलग है।

             हिंसा से जल उठा पाकिस्तान का कुर्रम जिला। 

HighLights

  1. गुरुवार को शिया मुसलमानों के काफिले पर हुआ हमला।
  2. जवाब में सुन्नी मुस्लिमों के घरों-दुकानों को बनाया निशाना।
  3. कई पेट्रोल पंपों को फूंका, बाजार और सभी स्कूल बंद।

रॉयटर्स, पाकिस्तान। पाकिस्तान का कुर्रम जिला हिंसा की आग से दहल उठा है। यहां सुन्नी और शिया मुस्लिम के बीच दंगे भड़क उठे हैं। अब तक 68 लोगों की जान जा चुकी है। तीन दिन पहले यानी 21 नवंबर को एक काफिले में हमला किया गया था। इस हमले में करीब 40 लोगों की जान गई।

मरने वालों में अधिकांश शिया मुस्लिम थे। इसके बाद से ही हिंसा का दौर जारी है। कुर्रम जिला खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पड़ता है। काफिले के हमले के जवाब में शिया समुदाय ने सुन्नी घरों को निशाना बनाया। जवाबी हमले में कु 28 लोगों की जान गई है।

हिंसा को रोकने में जुटी सरकार

रविवार को पाकिस्तान के अधिकारियों ने कबायली नेताओं से मुलाकात की। अधिकारियों का जोर किसी तरह संघर्ष को रोकने पर है। काफिले पर हमले के बाद कुर्रम में सुन्नी मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा भड़की। दोनों पक्षों के सशस्त्र लोगों के बीच घमासान लड़ाई जारी है।

खैबर पख्तूनख्वा के सूचना मंत्री मुहम्मद अली सैफ ने कहा कि एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल दोनों पक्षों के नेताओं से मिलने कुर्रम पहुंचा। प्रतिनिधिमंडल ने शिया और सुन्नी नेताओं से मुलाकात की। हिंसा को रोकने की कोशिश की जा रही है। हितधारकों के साथ बातचीत में सकारात्मक प्रगति हुई है।

बाजार और स्कूल बंद

कुर्रम में शिया और सुन्नी मुस्लिम एक दूसरे के घरों पर हमला कर रहे हैं। बाजार और स्कूलों को बंद कर दिया गया है। हिंसा के दौरान कई पेट्रोल पंपों को आग के हवाले कर दिया गया है। इंटरनेट सेवा भी ठप है। इस बीच, सरकारी प्रतिनिधिमंडल को ले जा रहे हेलीकॉप्टर पर भी गोलीबारी की गई। राहत की बात यह रही कि वह सुरक्षित उतरने में सफल रहा।

कुर्रम में हिंसा का इतिहास पुराना

कुर्रम में शिया और सुन्नी मुस्लिमों के बीच संघर्ष का दशकों पुराना इतिहास है। पाकिस्तान की कुल 24 करोड़ की आबादी में 15 फीसदी शिया मुसलमान हैं। अगस्त महीने भी दोनों समुदाय के बीच हिंसा भड़की थी। इस दौरान 46 लोगों की मौत हुई थी। 200 लोग घायल हुए थे। 2023 में भी 20 लोगों की हिंसा में जान गई थी।

300 से ज्यादा दुकानों को फूंका

कुर्रम का बागान और बच्चा कोट हिंसा से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। यहां दंगाइयों ने घरों, दुकानों और सरकारी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया है। रिपोर्ट के मुताबिक 300 से अधिक दुकानों और 100 से ज्यादा घरों को फूंक दिया गया है। बता दें कि कुर्रम में पिछले कुछ महीनों में हुई हिंसा में करीब 150 लोगों की जान जा चुकी है।

क्यों भड़की हिंसा?

मौजूदा हिंसा के पीछे भूमि विवाद का मामला है। संघर्ष शिया बहुल जनजाति मालेखेल और सुन्नी बहुल जनजाति मडगी कलाय के बीच जारी है। पाराचिनार से 15 किमी दक्षिण में स्थित बोशेहरा गांव में स्थित भूमि के एक टुकड़े को लेकर यह दंगे भड़के हैं।

जानकारी के मुताबिक यह कृषि भूमि है। इसका स्वामित्व शिया जनजाति के पास है। मगर खेती करने के लिए इसे सुन्नी जनजाति को पट्टे पर दिया गया। इसी साल जुलाई में पट्टे की समय सीमा खत्म हो चुकी है। मगर सुन्नी मुसलमानों ने जमीन वापस करने से मना कर दिया। बस इसी बात पर पाकिस्तान का कुर्रम जिला सुलग उठा है।

 

पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी का विरोध प्रदर्शन शुरू, 25 ट्रेनें रद्द; कई प्रदेशों में इंटरनेट बंद

Pakistan News पाकिस्तान में इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) का विरोध प्रदर्शन शुरु हो चुका है। प्रदर्शनकारी राजधानी इस्लामाबाद की तरफ बढ़ रहे हैं। इमरान खान ने भी लोगों से मार्च में शामिल होने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह मार्च आजादी का आंदोलन है। उधर इस्लामाबाद समेत कई शहरों में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी की गई है।

पाकिस्तान में सुरक्षा व्यवस्था बेहद कड़ी। ( फोटो- इस्लामाबाद पुलिस)

HighLights

  1. पंजाब और इस्लामाबाद में धारा 144 लागू।
  2. इस्लामाबाद, केपी व पंजाब में इंटरनेट बंद।
  3. कई शहरों को जाने वाली ट्रेनें भी कैंसिल।

पीटीआई, इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थन पूरे देश में अपना विरोध जताने में जुटे हैं। राजधानी इस्लामाबाद को पूरी तरह से सील कर दिया गया है। अब इमरान खान की पार्टी ने अपने विरोध मार्च को बढ़ाने की तैयारी की है। इमरान खान की पार्टी का नाम तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) है। उसने लोगों से गुलामी की बेड़ियां तोड़ने और मार्च में शामिल होने की अपील की। हालांकि इस बीच पाकिस्तान सरकार विरोध प्रदर्शन को कुचलने की कोशिश में जुटी है।

दो राज्यों में इंटरनेट बंद

पीटीआई के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए इस्लामाबाद, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में इंटरनेट और मोबाइल सेवाओं को आंशिक रूप से निलंबित कर दिया गया है। इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मेट्रो बस सेवाओं समेत सार्वजनिक परिवहन को बंद कर दिया गया है। इसके अलावा फैजाबाद के सभी बस टर्मिनलों पर बैरिकेडिंग की गई है।

26 ट्रेनें रद

18 नवंबर से इस्लामाबाद में धारा 144 लागू है। इसके बाद पंजाब सरकार ने भी 23 नवंबर से 25 नवंबर तक पूरे प्रांत में धारा 144 लागू कर दी है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक पाकिस्तान रेलवे ने लाहौर, रावलपिंडी और पेशावर के बीच सभी ट्रेनों को निलंबित कर दिया है। मुल्तान से फैसलाबाद भी कोई ट्रेन नहीं जाएगी। कुल 25 ट्रेनों को रद किया गया है। हालांकि यात्रियों को रिफंड किया जाएगा।

इस्लामाबाद की प्रमुख सड़कें सील

पाकिस्तान सरकार ने देशभर में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की है। प्रमुख सड़कों को सील कर दिया गया है। इस्लामाबाद को आने वाली सभी सड़कों पर अवरोधक लगाए गए हैं। पाकिस्तान के आंतरिक मंत्रालय का कहना है कि अदालत के आदेश के मुताबिक इस्लामाबाद में किसी भी विरोध प्रदर्शन और धरने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अगर सार्वजनिक व्यवस्था को कोई बाधित करने का प्रयास करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

यह आजादी का आंदोलन: इमरान खान

जेल में बंद इमरान खान ने लोगों से विरोध प्रदर्शन में एकजुट होने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह आजादी और न्याय का आंदोलन है। जियो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार रविवार को पीटीआई नेताओं ने विरोध प्रदर्शन की रणनीति को अंतिम रूप देने की खातिर खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक की।

प्रदर्शन में नहीं शामिल होंगी बुशरा बीबी

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होंगी। इस्लामाबाद में कई प्रमुख सड़कों को सील कर दिया है। महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों वाले इलाकों की सुरक्षा कड़ी की गई है। श्रीनगर हाईवे, जीटी रोड और एक्सप्रेसवे समेत पूरे शहर में कंटेनर रखे गए हैं। पुलिस और फ्रंटियर कांस्टेबुलरी (एफसी) के साथ रेंजर्स को तैनात किया गया है।

अदियाला जेल में बंद हैं इमरान खान

इमरान खान मौजूदा समय में रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं। 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से इमरान खान की सरकार को गिराया गया था। इसके बाद उन्हें दर्जनों मामलों में फंसाया गया। इमरान की पार्टी पीटीआई के मुताबिक उन पर 200 से अधिक मामले चल रहे हैं। फरवरी में हुए आम चुनाव में इमरान खान की पार्टी ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। बावजूद इसके सबसे अधिक सीटों पर जीत हासिल की। निर्दलीय चुनाव लड़ने की वजह यह है कि पार्टी को चुनाव चिह्न नहीं दिया गया था।

Explained: पाकिस्तान में शियाओं का नरसंहार, 150 से मरे, क्या सुन्नियों का इस्लामिक देश सिर्फ जिहाद जानता है?

Pakistan Sectarian Violence: पाकिस्तान में हत्याओं की शुरुआत चांद की कोमल रोशनी की वजह से हुई थी, जब 1988 की गर्मियों के अंत में, एक तानाशाह ने अपने देश को लंबे अंधेरे में ढक रखा था, शिया मौलवियों ने ईद के आने की घोषणा की थी।

हालांकि, स्थानीय सुन्नियों ने जोर देकर कहा, कि प्रार्थना और उपवास का महीना एक दिन बाद ही खत्म होगा। और इसी बात को लेकर शुरू हुए दंगों में दो लोग मारे गए। फिर स्थानीय राजनेताओं के नेतृत्व में, जनरल मुहम्मद जिया-उल-हक की सेना की वजह से, चिलास, दारेल और तंगिर के जिहादियों ने गिलगित के आसपास के शिया गांवों को घेर लिया। कत्लेआम तीन दिनों तक जारी रहा। इसमें डेढ़ सौ लोग मारे गए।

इस सप्ताह की शुरुआत में खैबर-पख्तूनख्वा के कुर्रम में बच्चों और महिलाओं सहित 42 शिया तीर्थयात्रियों की हत्या कर दी गई, माना जा रहा है कि यह नरसंहार तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के जिहादियों ने किया है। टीटीपी जिहादियों ने हाल के दिनों में एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी सैनिकों की भी हत्या की है, जो एक जानलेवा हमले का हिस्सा है, जिसके तहत उन्होंने खैबर पख्तूनख्वा और उत्तरी बलूचिस्तान में अपना साम्राज्य कायम कर लिया है।

पाकिस्तान में खतरनाक जातीय हिंसा

यह हत्या पाकिस्तान के एक देश के तौर पर नाकाम होना है। जातीय और भाषाई चुनौतियों के कारण अपने राष्ट्रवादी प्रोजेक्ट में लड़खड़ाते हुए पाकिस्तान ने खुद को धार्मिक कट्टरता के रंग में रंग लिया है। 1970 के दशक में उभरे इस्लामिक स्टेट ने अहमदिया और शिया जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों का जीना हराम कर दिया।

जिहादी हत्याओं से भी ज्यादा खतरनाक तरीका, पाकिस्तान के धार्मिक अल्पसंख्यकों को उसकी राष्ट्रीय कल्पना से मिटा देना है। देश में अब बहुत कम लोग जानते हैं, कि इसके संस्थापक नेता मुहम्मद अली जिन्ना का जन्म इस्माइली परिवार में हुआ था और उन्होंने शिया धर्म को अपनाया था।

राजनीतिक वैज्ञानिक वली रजा नस्र ने लिखा है, कि पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो को अपने पिता जुल्फिकार अली भुट्टो की तरह अपनी शिया विरासत को त्यागने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यहां तक ​​कि पूर्व सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल कमर जावेद बाजवा को भी अपनी पत्नी, युद्ध नायक मेजर जनरल इफ्तिखार जंजुआ की बेटी की अहमदिया जड़ों को सावधानीपूर्वक छिपाना पड़ा था।

पाकिस्तान में हिंसक घटनाएं

the print की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 19वीं सदी के अंत में लाहौर में रहते हुए, लेखक रुडयार्ड किपलिंग ने मुहर्रम के जुलूसों के दौरान होने वाली सांप्रदायिक हिंसा को देखा था। वे लिखते हैं, “पहला ताजिया, एक भव्य, दस फीट ऊंचा, कई हट्टे-कट्टे आदमियों के कंधों पर उठाकर घुड़सवारों की गली के अर्ध-अंधेरे में ले जाया गया।” फिर, “एक ईंट की पटिया उसके तालक और टिनसेल के किनारों से टकराई… ताजिया समुद्र में जहाजों की तरह हिल रहे थे, लंबी पोल-मशालें उनके चारों ओर झुकी और उठीं, और पुरुष चिल्ला रहे थे, ‘हिंदू ताजिया का अपमान कर रहे हैं! मारो! मारो! आस्था के लिए उनके मंदिरों में घुसो!'”

ये जिहादी जहर पाकिस्तान की नस नस में घुल चुका है। इस्लामिक अध्ययन के विद्वान एंड्रियास रीक लिखते हैं, कि दक्षिणपंथी मौलवी नूर-उल-हसन बुखारी के नेतृत्व में सुन्नी समूहों ने 1950 के दशक की शुरुआत से शिया धार्मिक रीति-रिवाजों के खिलाफ आंदोलन करना शुरू कर दिया। उदाहरण के लिए, सुन्नी विरोध के कारण सरगोधा में धार्मिक जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। जब दक्षिणपंथी मजलिस-ए-अहरार के एक प्रतिनिधिमंडल से इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए कहा गया, तो एक सदस्य ने कहा कि ‘शिया’ शब्द ही अपमानजनक है।

1955 में, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में कम से कम 25 जगहों पर मुहर्रम के जुलूसों पर प्रतिबंध लगा दिया गया या उन पर हमला किया गया, जबकि कराची में इमामबाड़े पर हुए हमले में कई लोग घायल हो गए। रीक लिखते हैं, कि बढ़ते तनाव का सामना करते हुए, पाकिस्तान सरकार ने सभी शिया जुलूसों को सुन्नी समुदायों की सहमति पर निर्भर करने पर भी विचार किया।

पाकिस्तान में 1988 में भी शियाओं का शिकार किया गया और दर्जनों शिया मुस्लिमों की हत्या कर दी गई।

जनरल जिया के समर्थन से स्थापित शिया विरोधी सिपाह-ए-सहाबा जैसे समूह लगातार शक्तिशाली होते गए। यह संगठन जैश-ए-मुहम्मद जैसे भारत के खिलाफ काम करने वाले जिहादी समूहों के साथ मजबूत रूप से जुड़ा हुआ था।

कुर्रम में क्यों बढ़ता चला गया संघर्ष?

9/11 मुंबई हमले के बाद, पाकिस्तानी सेना के अफगान जिहादियों के साथ घनिष्ठ संबंधों के कारण कुर्रम में संघर्ष बढ़ता चला गया। the print की रिपोर्ट में विश्लेषक जेफरी ड्रेसलर ने बताया है, कि तालिबान के सबसे शक्तिशाली तत्व हक्कानी नेटवर्क को इस क्षेत्र में घुसने की अनुमति दी गई, जिससे अफगानिस्तान में पश्चिमी और भारतीय ठिकानों पर हमला करने का आसान मौका मिला।

जैश-ए-मुहम्मद ने अन्य जिहादी संगठनों के साथ मिलकर कोहाट में एक ट्रेनिंग सेंटर भी स्थापित किया। जहाब के अनुसार, अल-कायदा और टीटीपी बलों ने 2007 में इस्लामाबाद में कट्टरपंथी नियंत्रित लाल मस्जिद पर सेना द्वारा हमला किए जाने के बाद कम से कम 40 शिया गांवों को तबाह कर दिया, जिसके कारण संघर्ष हुआ और सरकार को हेलीकॉप्टर गनशिप तैनात करने के लिए मजबूर होना पड़ा। जिहादियों ने शिया सैनिकों और पुलिस कर्मियों के सिर भी काट दिए।

2009 में फिर से झड़पें शुरू हुईं जब जिहादियों ने कुर्रम के शिया इलाकों को घेर लिया और अधिकारियों और कबायली बुजुर्गों को मार डाला। माना जाता है, कि हकीमुल्लाह महसूद की कमान में काम करने वाले जिहादियों ने दो सप्ताह में डेढ़ सौ लोगों को मार डाला।

पाकिस्तानी सेना ने अपने जिहादी आतंकियों के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश करके जवाब दिया और इस क्षेत्र को आतंक के हवाले कर दिया। प्रसिद्ध रूप से, पाकिस्तानी सैनिकों ने 2010 में तुरी क्षेत्रों को घेर लिया, इस जनजाति को जिहादियों को अपने क्षेत्रों से अफगानिस्तान में प्रवेश करने की अनुमति देने से इनकार करने के लिए दंडित किया। 2012 में, एस्टोर से सड़क पर शिया नागरिकों का नरसंहार हुआ और उन्हें गोली मारने से पहले “शिया काफिर” नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया।

पाकिस्तान क्यों नहीं कर सकता कंट्रोल?

खैबर-पख्तूनख्वा के एक बड़े इलाके पर अब जिहादियों का कब्जा है और पाकिस्तान सरकार की, इन इलाकों में कानून का शासन स्थापित करने की कोई इच्छा नहीं है। और इसका कारण जानना भी बहुत आसान है।

देश बनने के फौरन बाद ही पाकिस्तानी राज्य, धार्मिक दक्षिणपंथ के सामने ढह गया, और राष्ट्र बनाने की इच्छा को उसने त्याग दिया। जनरल जिया ने देश को एक ऐसी स्थिति में ला दिया, जिसकी वैधता सिर्फ धर्म पर आधारित थी। और यही वजह है, कि पाकिस्तान अब एक अंतहीन युद्ध में फंस गया है और ये देश अब कभी भी स्थिर नहीं हो पाएगा। और यह एक मजबूत संदेश देता है, कि कट्टरता उन राष्ट्रों को निगल जाती है, जो इसे पोषित करते हैं। खैबर-पख्तूनख्वा में घटित त्रासदी में ऐसे सबक हैं, जिन पर भारतीयों को सावधानीपूर्वक विचार करने की जरूरत है।

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