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‘बांग्लादेश के PM को नोबल पुरस्कार, उनसे ये उम्मीद नहीं’, चिन्मय कृष्ण की गिरफ्तारी पर श्री श्री रविशंकर

बांग्लादेश में हिंदूओं पर हमले, धार्मिक स्थलों पर नुकसान पहुंचाए जाने के मामलों को लेकर प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार लगातार सवालों से घिरी है। इस बीच इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर एक बार फिर बांग्लादेश सरकार की निंदा हो रही है। श्री श्री रविशंकर दास ने कहा है कि प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस नोबल शांति पुरस्कार के विजेता हैं, उनसे संतों के खिलाफ इस तरह के एक्शन की उम्मीद नहीं है। इससे समाज में भय और तनाव का माहौल पैदा हो जाता है।

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी को इस हफ्ते मंगलवार सुबह 11 बजे चटगांव छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश काजी शरीफुल इस्लाम के सामने पेश किया गया। द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, उनके वकीलों ने जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।

 

चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस (सीएमपी) के अतिरिक्त उपायुक्त काजी एमडी तारेक अजीज ने कहा कि चिन्मय को रात में सड़क मार्ग से चटगांव लाया गया। उन पर कोतवाली पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज है और उस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया था।

बांग्लादेश में इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर श्री श्री रविशंकर दास ने चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा जिस देश में संतों पर इस तरह के एक्शन लिए जाएंगो तो वहां भय और तनाव का माहौल बन जाएगा। एक सवाल जवाब में श्री श्री रविशंकर दास ने कहा, “पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री के लिए एक आध्यात्मिक नेता को गिरफ्तार करना अशोभनीय है। वह हथियार नहीं ले रहे हैं, वह बंदूक नहीं ले रहे हैं, वह अपने लोगों की देखभाल कर रहे हैं। वह सिर्फ अधिकारों के लिए खड़े हैं और चाहते हैं कि सरकार ऐसा करे।” रविशंकर ने कहा, “वहां अल्पसंख्यकों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, उन्हें सुनिए। धार्मिक पुजारियों को गिरफ्तार करने से न तो उनका भला होगा और न ही लोगों का, देश का भला होगा और न ही बांग्लादेश की छवि का भला होगा।”

श्री श्री रविशंकर दास ने कहा, “हम प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से बहुत अधिक उम्मीद करते हैं, जिन्हें लोगों में शांति और सुरक्षा लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है और इसीलिए उन्हें वहां प्रधान मंत्री के रूप में रखा गया है। हम उनसे ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं करेंगे जो आगे समुदायों के बीच तनाव और भय और अधिक पैदा करेगी।”

हिंसक विरोध प्रदर्शन, मौतें, इंटरनेट बंद: इमरान खान के समर्थक इस्लामाबाद में कैसे अराजकता फैला रहे हैं?

Pakistan Protest: इस्लामाबाद में अराजकता फैला हुआ है और कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ गई हैं। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थक देश की राजधानी में उत्पात मचा रहे हैं। अभी तक कम से कम 7 लोग मारे गये हैं, जिनमें चार पुलिसवाले हैं। दर्जनों लोग घायल हो चुके हैं।

इमरान खान के समर्थक उनके ‘अंतिम आह्वान’ की घोषणा के बाद इस्लामाबाद में उनकी रिहाई की मांग के साथ जुटे हैं और उनकी पत्नी बुशरा बीबी इस प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही हैं, जिसमें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्य, अन्य नेता और पाकिस्तान भर से इमरान खान के हजारों समर्थक रविवार से ही राजधानी की ओर बढ़ रहे हैं।

वे खान की जेल से रिहाई की मांग कर रहे हैं और साथ ही शहबाज शरीफ की सरकार के इस्तीफे की भी मांग कर रहे हैं। इमरान समर्थकों का दावा है, कि चुनाव में धांधली हुई है।

लेकिन पाकिस्तान में क्या हो रहा है?

सीएनएन के अनुसार, मंगलवार सुबह इस्लामाबाद में जीरो पॉइंट पर प्रदर्शनकारी एकत्र हुए। इंडिया टुडे के अनुसार, प्रदर्शनकारियों ने डी-चौक की ओर अपना मार्च फिर से शुरू कर दिया है। डी-चौक, जिसे अक्सर डेमोक्रेसी चौक या गाजा चौक के नाम से जाना जाता है, इस्लामाबाद में कई महत्वपूर्ण सरकारी इमारतों के पास स्थिति एक सार्वजनिक चौक है।

अल जजीरा के अनुसार, इमरान खान के समर्थक डी-चौक से 10 किलोमीटर से भी कम दूरी पर हैं। पाकिस्तान रेंजर्स को रक्षा की पहली पंक्ति के रूप में तैनात किया गया है, जबकि पुलिस दंगा रोधी गियर में तैयार है।

अधिकारियों ने पानी की बौछारें फेंकने वाले टैंकर मशीने भी तैनात की हैं।

अल जजीरा के कमाल हैदर ने स्थिति को “बेहद तनावपूर्ण” बताया।

हैदर ने कहा, “प्रदर्शनकारी अब शहर के भीतर हैं। यह बहुत चिंता की बात है, क्योंकि ऐसी खबरें हैं कि पुलिस प्रदर्शनकारियों को कुचलने वाली है।”

हैदर ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसी भी स्थिति में डी-चौक तक पहुंचना चाहते हैं, भले ही इस कोशिश में उनकी जान ही क्यों ना चली जाए।

उन्होंने कहा, “यही वह जगह है, जहां वे सरकार के सामने अपनी मांगें रखेंगे। इसलिए, वास्तव में तनाव बहुत ज़्यादा है।”

 

 

सीएनएन ने पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टरों के हवाले से बताया, कि पांच लोगों की मौत हो गई है, जिनमें चार सुरक्षा अधिकारी और एक नागरिक शामिल हैं।

कई स्रोतों ने कहा कि एक कार से उन्हें बेरहमी से कुचला गया था।

डॉन के मुताबिक, गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने “शहीद हुए चार रेंजर्स कर्मियों को श्रद्धांजलि” दी है।

पाकिस्तानी आंतरिक मंत्रालय ने हमलों के लिए “शत्रुओं” को जिम्मेदार ठहराया, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई, कहा कि चार सैनिक मारे गए हैं।

बयान में कहा गया, “हम शहीदों के परिवारों के साथ खड़े हैं और हमेशा उनके साथ रहेंगे।”

प्रांतीय पुलिस प्रमुख उस्मान अनवर ने कहा, कि अकेले पंजाब प्रांत में एक पुलिस अधिकारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई, कम से कम 119 अन्य घायल हो गए और इस्लामाबाद के बाहर और अन्य जगहों पर हुई झड़पों में 22 पुलिस वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। उन्होंने कहा, कि दो अधिकारियों की हालत गंभीर है।

इमरान खान की पार्टी ने कहा है, कि उसके कई कार्यकर्ता भी घायल हुए हैं।

‘इमरान खान के लिए अंतिम लड़ाई’

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, कि “यह शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन नहीं है। यह चरमपंथ है।” उन्होंने इस रक्तपात की निंदा करते हुए कहा, कि इसका उद्देश्य “बुरी राजनीतिक मंशा” को पूरा करना है।

डॉन ने शरीफ के हवाले से कहा कि पीटीआई एक “अराजकतावादी समूह है जो रक्तपात चाहता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा, “नापाक राजनीतिक एजेंडे के लिए रक्तपात अस्वीकार्य और अत्यधिक निंदनीय है।”

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और उनके प्रमुख सहयोगी अली अमीन गंदापुर, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने मंगलवार को सुबह राजधानी में एक मार्च का नेतृत्व किया है। खान के समर्थकों का कहना है, कि ये लड़ाई आखिरी दम तक चलेगी।

शहबाज सरकार ने इस्लामाबाद में प्रमुख सड़कों और गलियों को ब्लॉक करने के लिए शिपिंग कंटेनरों का इस्तेमाल किया है, जिसमें पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को दंगा रोधी गियर में गश्त के लिए तैनात किया गया है।

 

 

अधिकारियों और चश्मदीदों ने बताया है, कि प्रदर्शनकारियों को दूर रखने के लिए पूर्वी प्रांत में शहरों और टर्मिनलों के बीच सभी सार्वजनिक परिवहन को भी बंद कर दिया गया था। प्रांतीय सूचना मंत्री उज्मा बुखारी ने कहा, कि इमरान खान के लगभग 80 समर्थकों को गिरफ्तार किया गया है।

रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने स्थानीय जियो न्यूज टीवी को बताया, कि सरकार ने स्थिति को शांत करने के लिए इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के नेताओं से बातचीत करने की मांग की है। उन्होंने कहा, “यह एक ईमानदार प्रयास था, लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला।”

नकवी ने कहा, कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों का सामना करने में “अत्यधिक संयम” दिखाया, जिनमें से कुछ ने उनके अनुसार गोलियां चलाईं, जबकि पुलिस ने केवल रबर की गोलियां चलाईं और आंसू गैस के गोले दागे हैं।

उन्होंने कहा, “गोली का जवाब गोली से देना आसान है।”

नकवी ने सीएनएन से कहा, “रेंजर्स गोली चला सकते हैं और पांच मिनट के बाद वहां कोई प्रदर्शनकारी नहीं होगा। यहां पहुंचने वाले किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।” उन्होंने कहा कि सरकार ने इमरान खान की पार्टी को इस्लामाबाद के बाहरी इलाके में खुले मैदान में धरना देने की अनुमति दी है।

उन्होंने कहा कि पार्टी के नेताओं ने यह प्रस्ताव खान के सामने जेल में रखा, लेकिन “हमें अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है।” नकवी ने कहा कि प्रदर्शनकारियों को संसद के बाहर पहुंचने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने चेतावनी दी, कि अगर वे नहीं माने तो सरकार “चरम” कदम उठाने के लिए मजबूर होगी, जिसमें कर्फ्यू लगाना या सेना को बुलाना शामिल हो सकता है।

उन्होंने कहा, “हम उन्हें अपनी लाल रेखा पार नहीं करने देंगे।”

 

 

देखते ही गोली मारने के आदेश

लेकिन, इमरान खान की पार्टी ने सरकार पर प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए अत्यधिक हिंसा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और कहा कि सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार किया गया है।

इमरान खान के एक सहयोगी शौकत यूसुफजई ने जियो न्यूज को बताया, “वे लाइव गोलियां भी चला रहे हैं।”

रॉयटर्स टीवी और स्थानीय टीवी फुटेज में पुलिस को इमरान खान के समर्थकों पर आंसू गैस के गोले दागते हुए दिखाया गया, जो उन पर पत्थर और ईंटें फेंक रहे थे।

वीडियो में इस्लामाबाद के बाहर मुख्य मार्च के दौरान वाहनों और पेड़ों को आग लगाते हुए दिखाया गया है, क्योंकि कुछ स्थानों पर प्रदर्शनकारियों को शिपमेंट कंटेनरों को धक्का देकर हटाते और आगे बढ़ते हुए देखा गया है।

हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, सोशल मीडिया पर वीडियो में इमरान खान को गैस मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे पहने हुए दिखाया गया है।

सीएनएन ने वरिष्ठ पीटीआई नेता कामरान बंगश के हवाले से कहा, कि वे “दृढ़ निश्चयी हैं और हम इस्लामाबाद पहुंचेंगे।”

बंगश ने कहा, “हम एक-एक करके सभी बाधाओं को पार करेंगे।”

डॉन ने रेडियो पाकिस्तान के हवाले से बताया, कि मंगलवार को “उपद्रवियों से निपटने” के लिए पाकिस्तानी सेना को इस्लामाबाद बुलाया गया था।

रेडियो पाकिस्तान ने कहा, “अनुच्छेद 245 के तहत, पाकिस्तानी सेना को बुलाया गया है और उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के आदेश जारी किए गए हैं।”

रेडियो ने कहा, कि “उपद्रवियों और अराजकता फैलाने वालों को देखते ही गोली मारने के स्पष्ट आदेश भी जारी किए गए हैं।” ब्लूमबर्ग ने बताया कि सुरक्षा कारणों से इस्लामाबाद में सभी शैक्षणिक संस्थानों को बंद कर दिया गया है। राजधानी के कुछ इलाकों में मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और पांच से अधिक लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

Bangladesh: बांग्लादेश में ISKCON के संत की गिरफ्तारी पर भारत सख्त, दिल्ली ने लगाई यूनुस सरकार को फटकार

Bangladesh Hindu: भारत सरकार ने मंगलवार को बांग्लादेश में सनातन जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और जमानत न दिए जाने पर चिंता जताई। एक आधिकारिक बयान में, विदेश मंत्रालय ने बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ होने वाली हिंसा पर गहरी चिंता जताई है।

विदेश मंत्रालय ने कहा है, कि ये घटना, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों की एक श्रृंखला के बीच हुई है, जिसमें आगजनी, लूटपाट, चोरी, बर्बरता और धार्मिक स्थलों को अपवित्र करने की घटनाएं शामिल हैं।

देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गये बांग्लादेशी हिंदू भिक्षु चिन्मय कृष्ण दास की जमानत याचिका चटगांव मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने खारिज कर दी है। अदालत ने यह देखते हुए, कि पुलिस ने दास की रिमांड का अनुरोध नहीं किया था, उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है, कि उन्हें हिरासत के दौरान सभी धार्मिक विशेषाधिकार दिए जाएं।

सोमवार को दास की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए एकत्र हुए अल्पसंख्यकों पर हमलों की निंदा करते हुए भारत ने कहा, “हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।”

वहीं, श्री चिन्मय कृष्ण दास के खिलाफ आरोपों को निराधार बताते हुए मंदिर के अधिकारियों ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा, “हमें परेशान करने वाली खबरें मिली हैं, कि इस्कॉन बांग्लादेश के प्रमुख नेताओं में से एक श्री चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने हिरासत में लिया है। यह निराधार आरोप लगाना अपमानजनक है, कि इस्कॉन का दुनिया में कहीं भी आतंकवाद से कोई लेना-देना है।”

पोस्ट में कहा गया है, कि “इस्कॉन, भारत सरकार से तत्काल कदम उठाने और बांग्लादेश सरकार से बात करने और यह बताने का आग्रह करता है, कि हम एक शांतिप्रिय भक्ति आंदोलन हैं। हम चाहते हैं कि बांग्लादेश सरकार चिन्मय कृष्ण दास को तुरंत रिहा करे। इन भक्तों की सुरक्षा के लिए हम भगवान कृष्ण से प्रार्थना करते हैं।”

यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब सोमवार को श्री कृष्ण दास प्रभु को देश छोड़ने से रोक दिया गया और देश के अधिकारियों ने ढाका हवाई अड्डे पर उन्हें हिरासत में ले लिया। CNN-News18 की रिपोर्ट के मुताबिक, धार्मिक नेता को एक अज्ञात स्थान पर ले जाया गया है। उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, बांग्लादेश में हिंदू अधिकार वकालत और नागरिक समाज समूहों ने उनकी रिहाई की मांग करते हुए ढाका, चटगांव और अन्य प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है।

Constitution Day 2024: संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने दी बधाई, कहा-‘राष्ट्रीय एकता का मार्गदर्शक’

 

Constitution Day 2024: भारत ने आज अपने संविधान की 75वीं वर्षगांठ मनाई गई। जिसे संविधान दिवस के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर देशभर के नेताओं ने संविधान की अहमियत पर प्रकाश डालते हुए इसे लोकतंत्र की आधारशिला बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य प्रमुख नेताओं ने संविधान को भारतीय लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता का मार्गदर्शक दस्तावेज बताया।

प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित की संविधान की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संविधान दिवस पर भारतीय नागरिकों के प्रति गर्व व्यक्त करते हुए इसे लोकतंत्र के विकास में एक मील का पत्थर करार दिया। उन्होंने संविधान के सिद्धांतों और आदर्शों को भारत के सामाजिक और आर्थिक ताने-बाने को समृद्ध करने वाला मार्गदर्शक बताया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर संसद भवन में आयोजित विशेष समारोह में हिस्सा लिया और भारतीय न्यायपालिका की वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 जारी की।

राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ने व्यक्त किए विचार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद के दोनों सदनों के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उन्होंने संविधान के आदर्शों पर चलने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे राष्ट्रीय एकता, न्याय और समानता का प्रतीक बताया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने और उनके पालन की सामूहिक प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला। उन्होंने इसे भारत के सामाजिक और लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत करने वाला आधार बताया है।

केंद्रीय नेताओं ने संविधान की प्रासंगिकता पर दिया जोर

केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी ने भारत की विविधता में संविधान के स्थायी प्रभाव पर चर्चा करते हुए अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का उल्लेख किया। इसे उन्होंने संविधान के मार्गदर्शक सिद्धांतों का सटीक उदाहरण बताया। नितिन गडकरी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर और अन्य राष्ट्र निर्माताओं को श्रद्धांजलि देते हुए संविधान को भारत में लोकतंत्र की आत्मा बताया। गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों से संविधान के मूल्यों को आत्मसात करने और एक समतावादी समाज की दिशा में काम करने का आह्वान किया।

राज्य के नेताओं ने भी व्यक्त की श्रद्धांजलि

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने संविधान की समावेशिता और न्यायपूर्ण समाज को बढ़ावा देने की क्षमता की सराहना की। उन्होंने इसे भारत की एकता और प्रगति का प्रतीक बताया।

केसी वेणुगोपाल ने बताया गतिशील दस्तावेज

कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने संविधान को एक गतिशील दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि यह न केवल भारत के उपनिवेशवाद के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। बल्कि न्याय, समानता और समावेशिता को बढ़ावा देता है।

संविधान दिवस, आदर्शों और उपलब्धियों का उत्सव

संविधान दिवस का यह उत्सव भारतीय संविधान की लोकतांत्रिक आत्मा और इसके आदर्शों को जीवंत रखने का संदेश देता है। यह दिन न्याय, समानता और स्वतंत्रता के प्रति देश की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। भारतीय संविधान न केवल शासन का मार्गदर्शक है। बल्कि यह राष्ट्र की आत्मा और पहचान को भी दर्शाता है।

संविधान दिवस 2024 का यह अवसर भारत की लोकतांत्रिक यात्रा और सामाजिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। नेताओं और नागरिकों ने मिलकर इस ऐतिहासिक दस्तावेज़ को श्रद्धांजलि दी। जो भारत के प्रगति पथ का मार्गदर्शन करता रहा है। यह समारोह संविधान के आदर्शों के प्रति देश के नए संकल्प का प्रतीक बनकर उभरा है।

 

Shaktikanta Das: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की तबीयत बिगड़ी, चेन्नई के अस्पताल में भर्ती

Shaktikanta Das: RBI गवर्नर शक्तिकांत दास की तबीयत बिगड़ी, चेन्नई के अस्पताल में भर्ती

RBI Governor: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास को मामूली स्वास्थ्य समस्या के कारण आज दिन में चेन्नई के अस्पताल में भर्ती कराया गया। आरबीआई ने कहा कि उन्हें एसिडिटी की शिकायत हुई और उन्हें तमिलनाडु की राजधानी के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया।

उनके स्वास्थ्य पर अपडेट साझा करते हुए केंद्रीय बैंक ने कहा कि चिंता का कोई बात नहीं है और उन्हें कुछ घंटों में छुट्टी दे दी जाएगी।

आरबीआई ने कहा, “भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को एसिडिटी का अनुभव हुआ और उन्हें निगरानी के लिए चेन्नई के अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया। अब उनकी हालत ठीक है और अगले 2-3 घंटों में उन्हें छुट्टी दे दी जाएगी। चिंता की कोई बात नहीं है।”

 

 

शक्तिकांत दास के कार्यकाल बढ़ाने पर सरकार कर रही विचार

समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास का कार्यकाल दूसरी बार बढ़ाने की योजना बना रही है। यदि इसकी पुष्टि हो जाती है, तो यह निर्णय उन्हें 1960 के दशक के बाद से सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले केंद्रीय बैंक प्रमुख बना देगा।

शक्तिकांत दास, जो दिसंबर 2018 से आरबीआई का नेतृत्व कर रहे हैं, हाल के दशकों में देखे गए सामान्य पांच साल के कार्यकाल को पहले ही पार कर चुके हैं। उनका वर्तमान कार्यकाल 10 दिसंबर, 2024 को समाप्त होने वाला है। एक और विस्तार उन्हें बेनेगल राम राव के बाद सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाला राज्यपाल बना देगा, जो 1949 से 1957 तक 7.5 वर्षों तक इस पद पर रहे।

एक अनुभवी नौकरशाह शक्तिकांत दास को सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच तनावपूर्ण संबंधों के दौरान आरबीआई गवर्नर के रूप में नियुक्त किया गया था। अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने कई महत्वपूर्ण नीतिगत निर्णयों की देखरेख की है, जिसमें COVID-19 महामारी के दौरान अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के उपाय भी शामिल हैं। उनके नेतृत्व में, आरबीआई ने मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने, रुपये को स्थिर करने और आर्थिक विकास को समर्थन देने पर भी ध्यान केंद्रित किया है।

केंद्रीय बैंक और सरकार के बीच स्थिर संबंध बनाए रखने की उनकी क्षमता को उनके कार्यकाल को बढ़ाने पर विचार करने के निर्णय में एक महत्वपूर्ण कारक के रूप में देखा गया है। यदि विस्तार किया जाता है, तो दास का नेतृत्व ऐसे समय में निरंतरता प्रदान करेगा जब भारतीय अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति के दबाव, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता और एक स्थिर मौद्रिक नीति की आवश्यकता जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है।

Krishna Das Prabhu: ISKCON बांग्लादेश के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास कौन हैं, जिन्हें किया गया है गिरफ्तार?

Krishna Das Prabhu: बांग्लादेश की पुलिस ने सोमवार को कहा है, कि उन्होंने एक हिंदू नेता को गिरफ्तार किया है जो इस्लामिक देश में हिंदू अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की वकालत करते हुए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे।

समाचार एजेंसी एएफपी ने वरिष्ठ पुलिस डिटेक्टिव रजाउल करीम मलिक के हवाले से कहा है, उन्हें ढाका में गिरफ्तार किया गया है।

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें कृष्ण प्रभु दास के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने बांग्लादेश में कई रैलियां आयोजित की थीं, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने “साथी भक्तों के खिलाफ अत्याचार” की निंदा की थी। ढाका पुलिस के प्रवक्ता तालेबुर रहमान ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है, लेकिन उनके ऊपर लगाए गये आरोपों की जानकारी नहीं दी है।

लेकिन, बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, उनके ऊपर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गये हैं और कोर्ट में आज उन्हें पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।

बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए हिंदू नेता कृष्णदास प्रभु कौन हैं?

कृष्ण दास प्रभु, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है, वो बांग्लादेश में एक हिंदू नेता और पूजनीय व्यक्ति हैं। वे बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं। ब्रह्मचारी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े थे। वे इस्कॉन के प्रवक्ता भी हैं।

इस्कॉन के सदस्य के रूप में, कृष्ण प्रभु दास बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए मुखर वकील रहे हैं, और अक्सर लक्षित घृणा हमलों और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ बोलते रहे हैं।

 

 

कृष्ण दास ने हाल ही में लक्षित हमलों का सामना कर रहे हिंदुओं के लिए न्याय की मांग करते हुए एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों से बेहतर सुरक्षा की मांग की। एएफपी के मुताबितक, ब्रह्मचारी के खिलाफ अक्टूबर में मामला दर्ज किया गया था, जब उन्होंने चटगांव शहर में एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था, जहां उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।

उनके मुखर रुख और नेतृत्व ने उन्हें एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है, लेकिन साथ ही उन्हें राजनीतिक और सामाजिक विवादों के घेरे में भी खड़ा कर दिया है। कृष्ण दास प्रभु की हिरासत, बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक तनाव के बीच हुई है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से हिंसा से ग्रस्त है।

हिंदू अल्पसंख्यकों को देश के अलग अलग इलाकों में निशाना बनाया जा रहा है।

बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदू अब सिर्फ 8% बचे हैं। ज्यादातर हिंदू भारत भागने के लिए मजबूर कर दिए गये या फिर उन्हें जबरन मुसलमान बना दिया गया।

बांग्लादेश में कई जगहों पर किए गये प्रदर्शन

उनकी गिरफ्तारी के बाद ढाका में हिंदू समुदाय के लोगों ने शाहबाग इलाके में विरोध प्रदर्शन किया, जहां कई लोगों ने नारे लगाए और प्रभु की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए प्रमुख सड़कों को भी जाम कर दिया। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) के सदस्यों ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान अज्ञात लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद कई लोग घायल हो गए।

इसके अलावा बांग्लादेश के एक अन्य प्रमुख शहर चटगांव में भी लोगों ने प्रभु की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शहर से आए एक वीडियो में हिंदू नेता की गिरफ्तारी के विरोध में लोगों को अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाते हुए दिखाया गया। इस बीच, भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार ने चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा की और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मामले को गंभीरता से लेने और तत्काल कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है।

मजूमदार ने कहा, “चिन्मय प्रभु, जिन्हें श्री चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के एक सनातनी हिंदू नेता, इस्कॉन मंदिर के एक भिक्षु और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आवाज हैं, उन्हें सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भिक्षु चिन्मय प्रभु को सोमवार दोपहर ढाका पुलिस ने ढाका हवाई अड्डे से उठाया और उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा में ले जाया गया है।”

बांग्लादेश में पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी उन 18 लोगों में से एक हैं, जिन पर बांग्लादेश में भगवा ध्वज फहराने के आरोप में राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।

 

पाकिस्तान बना ‘कंटेनरिस्तान’, जेल से पाकिस्तान का राजनीतिक एजेंडा कैसे चला रहे हैं इमरान खान?

Imran Khan Pakistan Protest: इमरान खान के समर्थक लगातार इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी में दाखिल हो चुके हैं और हजारों रास्ते में हैं, लिहाजा शहबाज शरीफ की सरकार ने इस्लामाबाद में एक तरह से लॉकडाउन लगा दिया है।

और यह सब इमरान खान की वजह से है। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री के हजारों समर्थक जेल से उनकी रिहाई की मांग को लेकर राजधानी की ओर कदम से कदम मिलाकर मार्च कर रहे हैं। इमरान खान की पार्टी PTI ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दर्जनों ऐसे वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें इमराम समर्थकों को राजधानी की तरफ मार्च करते हुए देखा जा रहा है।

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन रविवार को शुरू हुआ और ये तेजी से बढ़ रहा है। इमरान खान की पार्टी उस वक्त प्रदर्शन कर रही है, जब बेलारूस के राष्ट्रपति 78 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंचे हैं, लिहाजा इमरान समर्थकों का प्रदर्शन, सरकार के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। इससे पहले इमरान समर्थकों ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भी प्रदर्शन करने के लिए इस्लामाबाद मार्च करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सरकार के साथ उनका समझौता हो गया और वो बाद में रैली करने के लिए तैयार हो गये और अब उनका प्रदर्शन चल रहा है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए कहा है, कि ‘प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली बुशरा बीबी, जो इमरान खान की पत्नी हैं, उन्हें ताकत का अहसास हो रहा है और वो खून के गंध की खूशबू सूंघ सकती हैं।’

 

 

इमरान खान के समर्थकों की मांगें क्या हैं?

इमरान खान पिछले साल अगस्त से जेल में हैं और 2022 में संसद द्वारा सत्ता से बाहर किए जाने के बाद से उन पर भ्रष्टाचार से लेकर हिंसा भड़काने तक के सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गये हैं।

डॉन के मुताबिक, इमरान खान ने 13 नवंबर को अपने समर्थकों से “अंतिम आह्वान” विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया था। खान ने अपने समर्थकों से “चोरी किए गए जनादेश, अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों” और जिसे उन्होंने तानाशाही शासन कहा, उसके खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की। पीटीआई की मांगों में इमरान खान सहित उसके सभी नेताओं की रिहाई और मौजूदा सरकार का इस्तीफा शामिल है, क्योंकि उसका कहना है, कि इस साल चुनाव में धांधली हुई है। बीबीसी के अनुसार, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व उनकी पत्नी बुशरा बीबी कर रही हैं।

बुशरा बीबी को जनवरी में इमरान खान के साथ जेल भेजा गया था, लेकिन अक्टूबर के अंत में उन्हें जमानत दे दी गई।

पाकिस्तान की राजधानी में रविवार को विरोध प्रदर्शनों से पहले सुरक्षा के लिहाज से नाकेबंदी कर दी गई थी।

सरकार ने इस्लामाबाद की ओर जाने वाले राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया है, जिसके माध्यम से इमरान खान के समर्थक, उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में, शहर की ओर बढ़ने और संसद के पास इकट्ठा होने की कोशिश कर रहे हैं।

इस्लामाबाद जाने वाली करीब करीब सभी रास्तों को शिपिंग कंटेनरों का उपयोग करके ब्लॉक कर दिया गया है और पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों की बड़ी टुकड़ियां दंगा-रोधी गियर में तैनात की गई हैं।

पाकिस्तान में मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बंद कर दिए गये हैं। देश में एक्स (ट्विटर) पहले से ही बंद है।

डॉन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और देश भर से आए पीटीआई के काफिले के मार्ग को बाधित कर दिया गया है, जो राजधानी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इस्लामाबाद पुलिस ने एक बयान में कहा कि कानूनी प्रावधानों के तहत किसी भी तरह के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वैश्विक इंटरनेट निगरानी संस्था नेटब्लॉक्स ने एक्स पर कहा, कि लाइव मेट्रिक्स से पता चला है कि विरोध प्रदर्शनों से पहले व्हाट्सएप मैसेजिंग सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इमरान खान के एक प्रमुख सहयोगी अली अमीन गंदापुर, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और उनसे इस्लामाबाद में सबसे बड़े काफिले का नेतृत्व करने की उम्मीद है, उन्होंने लोगों से शहर के रेड जोन के प्रवेश द्वार के पास इकट्ठा होने का आह्वान किया, जिसे “डी चौक” के रूप में जाना जाता है।

इस्लामाबाद के रेड जोन में देश की संसद भवन, महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठान, साथ ही दूतावास और विदेशी संस्थानों के कार्यालय हैं।

शनिवार को एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “इमरान खान ने हमसे कहा है कि जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हम वहीं रहें।”

बुशरा बीबी ने रविवार को इस्लामाबाद जाते समय रास्ते में ब्रेक ले रहे कुछ समर्थकों को चेतावनी दी।

बीबीसी के अनुसार, बीबी ने भीड़ से कहा, “अपने वाहनों में ही रहें और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए तेजी से आगे बढ़ें। हम इस तरह समय बर्बाद कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम इमरान खान को वापस लाने के लिए यहां हैं और हम उनके बिना वापस नहीं जाएंगे। अपने वाहनों में बैठ जाएं ताकि हम जल्दी पहुंच सकें।” आउटलेट के अनुसार, पुलिस ने उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आंसू गैस छोड़ी, जबकि प्रदर्शनकारियों ने उन पर प्रोजेक्टाइल दागे।

काफिला शहर के करीब पहुंच रहा है।

 

 

पीटीआई नेता शौकत यूसुफजई ने डॉन को बताया कि काफिले अपने विशाल आकार के कारण धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने “बड़ी रैली” को देखते हुए वापस ले लिया।

यूसुफजई ने दोहराया कि केपी सीएम गंदापुर का इरादा डी-चौक तक “शांतिपूर्ण तरीके से लेकिन किसी भी कीमत पर” पहुंचने का है। उन्होंने कहा कि जुलूस बुरहान, अटक के पास मोटरवे पर है।

पीटीआई नेता सनम जावेद खान ने सोमवार दोपहर कहा, कि उनका काफिला हसनअब्दल में था।

उन्होंने दावा किया कि बुशरा, गंदापुर, बाबर सलीम स्वाति और उमर अयूब खान काफिले में मौजूद थे।

सोमवार को एक विद्रोही बीबी ने प्रदर्शनकारियों से बात की।

उन्होंने कहा, “जब तक खान हमारे पास नहीं आते, हम यह मार्च खत्म नहीं करेंगे। मैं अपनी आखिरी सांस तक खड़ी रहूंगी और आपको मेरा साथ देना होगा। यह सिर्फ मेरे पति के बारे में नहीं है, बल्कि इस देश और इसके नेता के बारे में है।”

वहीं, पीटीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष गौहर अली खान और सांसद अली मुहम्मद खान सहित कई नेताओं ने सोमवार को इमरान खान से मुलाकात की।

हालांकि, इस्लामाबाद के निवासी खुश नहीं हैं।

इस्लामाबाद के निवासी 35 वर्षीय मुहम्मद आसिफ ने बंद बाजार के सामने कहा, “ये लगातार विरोध प्रदर्शन अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रहे हैं और अस्थिरता पैदा कर रहे हैं… हम चाहते हैं कि राजनीतिक नेतृत्व एक साथ बैठकर इन मामलों को सुलझाए।”

बीबीसी के अनुसार, शहर को एक नया उपनाम दिया गया है – “कंटेनरिस्तान।”

एक निवासी ने कहा, “यह थका देने वाला है। हर दिन कुछ नया होता है, लेकिन कंटेनर हमेशा वहीं रहते हैं।”

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इमरान खान के समर्थक अमेरिका और कनाडा सहित विदेशों में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

 

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

इंडिया टुडे से बात करते हुए सुशांत सरीन ने कहा, कि इमरान खान पहले ही जीत चुके हैं – चाहे विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप कुछ भी हो। सरीन ने कहा, कि विरोध प्रदर्शनों ने पहले से ही कमजोर सरकार को और अस्थिर कर दिया है। सरीन ने कहा, कि इमरान खान की स्थायी लोकप्रियता ने पाकिस्तान के कई पर्यवेक्षकों के साथ-साथ राजनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठान को भी चौंका दिया है।

उन्होंने कहा, कि इमरान खान ने सेना, न्यायपालिका, मीडिया और पंजाबी उच्च मध्यम वर्ग के बीच भी राय विभाजित कर दी है। सरीन ने कहा, कि नई दिल्ली संभवतः इस्लामाबाद के प्रति अपने मौजूदा रुख को जारी रखेगी।

उन्होंने कहा, कि इस जुड़ाव के परिणामस्वरूप भारत को कुछ लाभ होने की उम्मीद है।

वहीं, कुछ और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए और भी बुरा होने की उम्मीद है।

वाशिंगटन में विल्सन सेंटर थिंक टैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने बीबीसी से कहा, “सबसे अच्छी स्थिति में यह एक खतरनाक डिस्ट्रेक्शन है। लेकिन सबसे बुरी स्थिति में, यह कुछ ऐसा हो सकता है जो देश को और भी अस्थिर कर दे। इससे पाकिस्तान की आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना और भी मुश्किल हो जाता है।”

कुछ लोग पाकिस्तान पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। लाहौर स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार और पत्रकार मेहमल सरफराज ने बीबीसी से कहा, “जब राजनीतिक दल लड़ते हैं, तो तीसरी ताकत फायदा उठाती है। जब तक राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे, तब तक यह हाइब्रिड शासन मजबूत होता रहेगा।”

सफराज ने कहा, कि “इसके बाद हाइब्रिड अधिक स्थायी हो सकता है।” उन्होंने कहा, “खतरा यह है कि लोकतंत्र और कमजोर होता जा रहा है और हाइब्रिड (सेना) की ताकत बढ़ती जा रही है।”

 

‘वो खून का गंध सूंघ सकती है’, इमरान की पत्नी पर बरसी शहबाज सरकार, समर्थकों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश

Pakistan Protest: पाकिस्तान की राजनीति में भारी बवाल शुरु हो गया है और पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के हजारों समर्थक देश की राजधानी इस्लामाबाद में घुस गये हैं और भारी प्रदर्शन के बीच अभी तक चार पुलिसकर्मियों के साथ 5 लोगों की मौत हो चुकी है।

पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सोमवार को कम से कम चार सुरक्षाकर्मियों और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है और जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों ने राजधानी में भारी बवाल किया है। जिसके बाद पुलिस ने उनके खिलाफ आंसू गैस के गोले दागे और लाठी चार्ज किया है।

इमरान खान की पार्टी उस वक्त प्रदर्शन कर रही है, जब बेलारूस के राष्ट्रपति तीन दिनों की यात्रा पर इस्लामाबाद पहुंचे हैं। उनके साथ 70 से ज्यादा प्रतिनिधियों का प्रतिनिधिमंडल है और ऐसे वक्त में राजधानी में फैली अशांति, शहबाज सरकार के लिए मुश्किल स्थिति पैदा कर रही है।

पाकिस्तान में भारी बवाल

वहीं, भारी प्रदर्शन के बीच देश की सेना ने बाद में अराजकता फैलाने वालों को ‘देखते ही गोली मारने’ के आदेश जारी कर दिए हैं। इमरान खान की रिहाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों ने सोमवार देर रात राजधानी इस्लामाबाद में प्रवेश किया, जिसके बाद झड़पें शुरू हो गईं। प्रदर्शनकारियों ने देशव्यापी आंदोलन को रोकने के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की सरकार के प्रयासों को नाकाम कर दिया।

इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में विरोध मार्च रविवार को शुरू हुआ और सोमवार शाम तक इस्लामाबाद पहुंच गया। मंगलवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा और प्रदर्शनकारियों ने राजधानी में कई रणनीतिक इमारतों के करीब डी-चौक तक अपना मार्च फिर से शुरू कर दिया है।

पाकिस्तानी अंग्रेजी दैनिक द नेशन के मुताबिक, चार पैराट्रूपर्स “शहीद” हो गए हैं और सेना को अनुच्छेद 245 के तहत तैनात किया गया है और उसे “देखते ही गोली मारने” का अधिकार दिया गया है।

 

 

प्रदर्शनकारियों पर कैमिकल्स की बारिश

सोशल मीडिया पर पोस्ट किए जा रहे वीडियोज में इमरान खान के समर्थकों को गैस मास्क और सुरक्षात्मक चश्मे पहने हुए दिखाया गया है, ताकि भारी सुरक्षा तैनाती के बीच मार्च निकाला जा सके, जिससे इस्लामाबाद और अन्य शहरों के बीच यात्रा करना लगभग असंभव हो गया। पंजाब प्रांत में प्रमुख ग्रैंड ट्रंक रोड हाईवे के साथ-साथ इलाकों से एम्बुलेंस और कारों को वापस लौटते देखा गया, जहां शिपिंग कंटेनरों का इस्तेमाल सड़कों को ब्लॉक करने के लिए किया गया है।

पीटीआई ने घायल प्रदर्शनकारियों के कई वीडियो और तस्वीरें साझा कीं हैं और मंगलवार को एक पोस्ट को फिर से शेयर किया, जिसमें दावा किया गया था कि “सरकार विमानों से प्रदर्शनकारियों पर रसायन बरसा रही है।”

वहीं, डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार रात को जब प्रदर्शनकारियों के बिखरे हुए समूह राजधानी के बाहरी इलाकों में पहुंचने लगे, तो सरकार और पीटीआई ने बातचीत के लिए स्पष्ट रूप से एक ‘पर्दे का रास्ता’ खोल दिया है।

 

 

देर रात प्रेस कॉन्फ्रेंस में पाकिस्तान के गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने प्रदर्शनकारी पार्टी के साथ बातचीत की पुष्टि करते हुए कहा, कि सरकार ने इस्लामाबाद के बाहरी इलाके संगजानी में इमरान समर्थकों को प्रदर्शन करने के लिए कहा है। वहीं, पीटीआई नेताओं ने सोमवार देर रात विशेष रूप से आयोजित बैठक में इमरान खान से दूसरी बार मुलाकात की, जहां उन्होंने कथित तौर पर जेल में बंद पार्टी संस्थापक के सामने सरकार के प्रस्ताव रखे। बैठक का नतीजा फिलहाल साफ नहीं हो पाया, क्योंकि पीटीआई प्रतिनिधिमंडल मीडिया से बात किए बिना ही चला गया।

हालांकि, नकवी ने कहा कि वे पार्टी की ओर से जवाब का इंतजार कर रहे हैं और पत्रकारों से, जो जवाब पाने पर अड़े थे, कहा कि वे नतीजे का इंतजार करें। डॉन के मुताबिक, सोमवार को सूत्रों ने दावा किया, कि पीटीआई और सरकार के नेताओं ने बातचीत की थी, जिसमें एक ऐसा स्थान तय करने के लिए बातचीत की गई, जहां पीटीआई समर्थकों को शांति के साथ इस्लामाबाद में प्रदर्शन करने की अनुमति दी जा सके।

 

‘वह खून की गंध सूंघ सकती हैं’

वहीं, जियो न्यूज के मुताबिक, सरकार और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) के बीच बातचीत की खबरों के बीच रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा है, कि बातचीत “अनिश्चितता के साथ” खत्म हुई है, क्योंकि बुशरा बीबी (इमरान खान की पत्नी), जो कारवां का नेतृत्व कर रही हैं, वो “खून की गंध महसूस कर रही हैं और समझौता करने के मूड में नहीं हैं”।

पीएमएल-एन नेता ने जियो न्यूज के कार्यक्रम ‘आज शाहजेब खानजादा के साथ’ में बोलते हुए कहा, “वह [बुशरा] जानती हैं कि वह डी-चौक के करीब हैं और एक नेता बन गई हैं और वो इसका फायदा उठाने की कोशिश कर रही हैं।”

उन्होंने कहा, कि सरकार के पास इस्लामाबाद में घुसने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ “बल प्रयोग” करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने कहा, “वे (पीटीआई) मानते हैं कि उनके पास एक फायदा है और वे (इस्लामाबाद) में मार्च करते रहेंगे।”

आसिफ ने कहा, कि किसी भी कीमत पर राजधानी की रक्षा करना जरूरी है, खासकर तब, जब कोई विदेशी गणमान्य व्यक्ति, बेलारूस के राष्ट्रपति, देश का दौरा कर रहे हों। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने य भी कहा, कि पूर्व प्रथम महिला को नेता बनने का “जीवन का सबसे बड़ा मौका” मिला है और “वह इस लाभ का लाभ उठाएंगी”। बातचीत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दोहराया कि महिला, बुशरा बीबी, “समझौता करने के मूड में नहीं हैं” और “ताकत उनके हाथ में है और वह इसे महसूस कर सकती हैं”।

Pakistan Violence: पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों का इस्लामाबाद मार्च, बढ़ी हिंसा, झड़पों में 5 की मौत

Pakistan Violence: पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के समर्थकों का विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं। इस हिंसा में 5 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई और दर्जनों पुलिस अधिकारी घायल हो गए। यह घटना इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), और शहबाज शरीफ की सरकार के बीच टकराव को और बढ़ा रही है।

पाकिस्तान में इमरान खान के समर्थकों और सरकार के बीच टकराव ने देश में एक बड़ा राजनीतिक संकट खड़ा कर दिया है। यह साफ है कि यदि स्थिति को जल्दी नहीं संभाला गया, तो यह विवाद और बढ़ सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच बातचीत ही इस समस्या का एकमात्र समाधान हो सकता है। आइए विस्तार से जाने पूरा मामला…

 

 

विरोध प्रदर्शन: कैसे शुरू हुआ?
रविवार को इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी के नेतृत्व में इस्लामाबाद की ओर यह मार्च शुरू हुआ। प्रदर्शनकारी सोमवार को राजधानी पहुंचे और डी-चौक जैसी संवेदनशील जगहों पर इकट्ठा होने लगे।

क्या हुआ झड़पों में:

  • पुलिस अधिकारी की मौत: एक पुलिसकर्मी को गोली मार दी गई।
  • सैनिकों की मौत: प्रदर्शनकारियों द्वारा गाड़ी चढ़ाने से 4 सैनिकों की मौत हो गई।
  • घायलों की संख्या: 119 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें से 2 की हालत गंभीर है।
  • संपत्ति का नुकसान: 22 पुलिस वाहनों को आग लगा दी गई।

 

सरकार ने इस्लामाबाद में सेना तैनात कर दी है और स्थिति को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है।

इमरान खान का “अंतिम आह्वान”

  • इमरान खान ने इस विरोध प्रदर्शन को “अंतिम आह्वान” बताया, जो उनके अनुसार, “चोरी किए गए जनादेश” के खिलाफ था। उन्होंने जनता से “गुलामी की बेड़ियां तोड़ने” और बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करने का आह्वान किया।
  • प्रदर्शनकारियों की तैयारी: सरकार द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स को प्रदर्शनकारियों ने भारी मशीनरी और उपकरणों से हटा दिया।
  • रैली का नेतृत्व: खैबर-पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर और बुशरा बीबी ने इस विरोध का नेतृत्व किया।

सरकार की प्रतिक्रिया
सरकार ने प्रदर्शनकारियों को राजधानी से दूर स्थान पर प्रदर्शन करने का प्रस्ताव दिया था, जिसे बुशरा बीबी ने खारिज कर दिया। गृह मंत्री मोहसिन नकवी ने चेतावनी दी है कि अगर प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षा वाले क्षेत्रों में प्रवेश किया तो “गंभीर परिणाम” भुगतने पड़ सकते हैं।

इमरान खान और उनकी कानूनी परेशानियां

  • 2022 में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए सत्ता से हटने के बाद से इमरान खान पर 200 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
  • जेल की स्थिति: वे रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं।
  • चुनावी सफलता: फरवरी में हुए चुनाव में उनकी पार्टी ने सबसे अधिक सीटें जीतीं, लेकिन सरकार बनाने में असफल रही।
  • इमरान खान का आरोप है कि सत्तारूढ़ पीएमएल-एन और पीपीपी ने “जनादेश चुराकर” सत्ता हासिल की।

हालात क्यों गंभीर हैं?

  • राजनीतिक अस्थिरता: इमरान खान की गिरफ्तारी और उनके समर्थकों का प्रदर्शन देश की राजनीतिक स्थिति को और अस्थिर कर रहा है।
  • सुरक्षा चुनौतियां: सेना की तैनाती के बावजूद हिंसा बढ़ती जा रही है।
  • लोकतंत्र पर खतरा: इमरान खान की पार्टी का आरोप है कि सरकार लोकतंत्र की मूल भावना को खत्म कर रही है।

 

डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ शुरू किया टैरिफ युद्ध, ट्रूडो सरकार के हाथ-पांव फूले

Donald Trump: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शथ लेंगे और पहले ही दिन उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन को जोरदार झटका देने का फैसला कर लिया है। अवैध आव्रजन और ड्रग्स पर नकेल कसने के कोशिश में मैक्सिको, कनाडा और चीन पर भारी भरकम टैरिफ लगाने का फैसला लिया गया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा है, कि 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद वह अपने पहले कदमों में से एक के रूप में कनाडा और मैक्सिको से आने वाले हर उत्पाद पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे। सोमवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, कि टैरिफ तब तक लागू रहेगा, जब तक अमेरिका में अवैध आव्रजन को रोकने के लिए मैक्सिको और कनाडा के साथ सीमाएं बंद नहीं हो जातीं।

अगर टैरिफ लागू किए गए तो गैस से लेकर ऑटोमोबाइल तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मैक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

लेकिन, ट्रंप ने कहा, कि “जैसा कि सभी जानते हैं, हजारों लोग मैक्सिको और कनाडा से होकर आ रहे हैं, और अपने साथ अभूतपूर्व स्तर का अपराध और नशीले पदार्थ लेकर आ रहे हैं।”

कनाडा, मैक्सिको और चीन को झटका

ट्रंप ने कहा, “फिलहाल, मैक्सिको से आने वाला एक कारवां, जिसमें हजारों लोग शामिल हैं, हमारी वर्तमान खुली सीमा के जरिए देश में आ रहे हैं।” उन्होंने कहा, कि “20 जनवरी को, मेरे कई पहले कार्यकारी आदेशों में से एक के रूप में, मैं मेक्सिको और कनाडा से संयुक्त राज्य अमेरिका और इसकी हास्यास्पद खुली सीमाओं में आने वाले सभी उत्पादों पर 25% टैरिफ़ लगाने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजो पर हस्ताक्षर करूंगा।”

उन्होंने कहा, कि “यह टैरिफ तब तक प्रभावी रहेगा जब तक ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनाइल और सभी अवैध विदेशी हमारे देश पर इस आक्रमण को रोक नहीं देते! मेक्सिको और कनाडा, दोनों के पास इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को आसानी से हल करने का पूर्ण अधिकार और शक्ति है।”

उन्होंने कहा, कि “हम मांग करते हैं कि वे इस शक्ति का उपयोग करें, और जब तक वे ऐसा नहीं करते, तब तक उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।”

चीन पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ

इसके अलावा, चीन पर भी उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा, कि उन्होंने चीन के साथ कई बार बातचीत की है, जिसमें कहा गया है, कि अमेरिका में ड्रग्स, खास तौर पर फेंटेनाइल की भारी मात्रा भेजी जा रही है – लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने लिखा, “जब तक वे इसे बंद नहीं करते, हम चीन से अमेरिका में आने वाले सभी उत्पादों पर किसी भी अतिरिक्त टैरिफ से ऊपर 10% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाएंगे।”

फिलहाल यह साफ नहीं है, कि क्या ट्रंप वास्तव में धमकियों को लागू करेंगे या वे नए साल में पदभार ग्रहण करने से पहले बातचीत की रणनीति के रूप में टैरिफ धमकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हाल ही में यूएस के आंकड़ों के अनुसार, मेक्सिको से अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए गिरफ्तारियां कम हो रही हैं और अक्टूबर में चार साल के निचले स्तर पर रहीं। बॉर्डर पैट्रोल ने अक्टूबर में 56,530 गिरफ्तारियां कीं, जो पिछले अक्टूबर की संख्या का एक तिहाई से भी कम है।

वहीं, अमेरिका में फेंटेनाइल मैक्सिको से तस्करी करके लाया जाता है। राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में सीमा पर इस दवा की जब्ती में तेजी से वृद्धि हुई और अमेरिकी अधिकारियों ने 2024 के सरकारी बजट वर्ष में लगभग 21,900 पाउंड (12,247 किलोग्राम) फेंटेनाइल जब्त किया, जबकि 2019 में जब ट्रम्प राष्ट्रपति थे, तब यह संख्या 2,545 पाउंड (1,154 किलोग्राम) थी।

यदि ट्रंप नॉमिनेट ट्रेजरी सचिव के लिए नामित स्कॉट बेसेंट सीनेट से चुन ली जाती हैं, तो वे अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के लिए जिम्मेदार कई अधिकारियों में से एक होंगे। उन्होंने कई मौकों पर कहा है, कि टैरिफ अन्य देशों के साथ बातचीत का एक साधन है।

उन्होंने अपने नामांकन से पहले पिछले सप्ताह फॉक्स न्यूज के एक लेख में लिखा था, कि टैरिफ “राष्ट्रपति की विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। चाहे वह सहयोगियों को अपनी रक्षा पर ज्यादा खर्च करने के लिए प्रेरित करना हो, अमेरिकी निर्यात के लिए विदेशी बाजारों को खोलना हो, अवैध आव्रजन को समाप्त करने और फेंटेनाइल तस्करी को रोकने के लिए सहयोग सुनिश्चित करना हो या सैन्य आक्रमण को रोकना हो, टैरिफ एक केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।”

कनाडा और मैक्सिकों पर होगा गंभीर असर

यदि डोनाल्ड ट्रंप वाकई टैरिफ लगाते हैं, तो कनाडा और मैक्सिको की अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर असर होगा। खासकर कनाडा मुसीबतों में फंस जाएगा, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही गोता लगा रही है।

नये टैरिफ के लगने से 2020 के व्यापार सौदे की विश्वसनीयता पर भी संदेह पैदा होंगे, जिसे मुख्य रूप से ट्रंप ने ही आगे बढ़ाया था, जिसकी समीक्षा 2026 में होनी है।

वाशिंगटन में कनाडा के राजदूत और उप प्रधान मंत्री, क्रिस्टिया फ्रीलैंड के प्रवक्ता, जो ट्रंप के एक और राष्ट्रपति पद के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए कनाडा-अमेरिका संबंधों पर एक विशेष कैबिनेट समिति की अध्यक्षता करते हैं, उन्होंने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।

लेकिन, ट्रंप के टैरिफ घोषणा से पहले एक वरिष्ठ कनाडाई अधिकारी ने कहा था, कि कनाडाई अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप पद संभालते ही व्यापार और सीमा पर कार्यकारी आदेश जारी करेंगे। अधिकारी को सार्वजनिक रूप से बोलने की अनुमति नहीं थी और उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बात की।

मेक्सिको के विदेश संबंध विभाग और अर्थव्यवस्था विभाग ने भी ट्रंप के बयानों पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आम तौर पर ऐसे गंभीर मुद्दों को राष्ट्रपति सुबह की प्रेस ब्रीफिंग में संभालती हैं।

ट्रंप के ऐलान से कनाडा में डर

कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने मंगलवार को जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल सरकार से देश के लिए खड़े होने और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के इरादे के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया है।

टैरिफ की घोषणा के कुछ घंटों बाद, NCP नेता ने X पर लिखा, “खड़े हो जाओ और पूरी ताकत से लड़ो। कनाडा की नौकरियां खतरे में हैं।”

ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो के साथ उनके संबंध कोई अच्छे नहीं थे और जब ट्रंप 2020 का चुनाव हार गये, तो ट्रूडो ने सार्वजनिक तौर पर उनका मजाक उड़ाया था। वहीं, ट्रंप पहले भी कई बार जस्टिन ट्रूडो की आलोचना कर चुके हैं।