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शिंदे से पहले हम BJP के साथ सरकार बनाने वाले थे लेकिन…चुनाव से पहले अज‍ित पवार का बड़ा खुलासा

Maharashtra Election: अजित पवार ने कहा-हम सभी विधायकों के सिग्‍नेचर लेकर बैठे थे. लेकिन ऐन वक्‍त पर कुछ ऐसा हुआ क‍ि हम बीजेपी की सरकार में शामिल नहीं हो पाए.

सभा को संबोध‍ित करते अज‍ित पवार

महाराष्‍ट्र चुनाव से पहले एनसीपी नेता अज‍ित पवार ने बड़ा खुलासा किया है. बताया क‍ि ज‍िस वक्‍त बीजेपी और एकनाथ शिंदे मिलकर सरकार बना रहे थे, उस वक्‍त हम भी पूरी तरह तैयार थे. हम सरकार बनाने वाले थे. सारे व‍िधायकों के सिग्‍नेचर कराए ल‍िए गए थे, लेकिन ऐन वक्‍त पर कुछ ऐसा हुआ क‍ि हम सरकार में शामिल नहीं हो पाए. अज‍ित पवार ने ये भी बताया क‍ि क्‍यों उन्‍हें अलग होने की जरूरत पड़ी.

नास‍िक में एक चुनावी सभा को संबोध‍ित करते हुए अजित पवार ने कहा, उस वक्‍त कुछ राजनीतिक स्थिति बनी थी. तब एकनाथ शिंदे ने एक भूमिका निभाई और फिर सरकार में चले गए. एकनाथराव और देवेन्द्र फडणवीस ने मिलकर सरकार बनाई. उसी समय हमारे सभी एनसीपी विधायकों ने भी निर्णय लिया था. हमने सिग्‍नेचर भी कर द‍िए थे. दिलीप बुनकर, नरहरि जिरवाल, माणिकराव कोकाटे, सरोज अहिरे और छगन भुजबल और नितिन पवार समेत सभी व‍िधायकों के सिग्‍नेचर हमारे पास थे, लेकिन तभी कुछ ऐसी घटनाएं घटीं क‍ि संभव नहीं हो पाया.

तो शरद पवार को पता था?

अज‍ित पवार का यह दावा काफी महत्‍वपूर्ण है. क्‍योंक‍ि उनके दावे की मानें तो शरद पवार को इसके बारे में जानकारी थी. क्‍योंक‍ि इसके काफी द‍िनों बाद एनसीपी में व‍िभाजन हुआ. और अज‍ित पवार अभी ज‍िन लोगों के नाम ले रहे हैं, वे सारे लोग शरद पवार का साथ छोड़कर अज‍ित पवार के साथ चले गए थे. इससे ये भी साफ है क‍ि एनसीपी में काफी पहले से बीजेपी के साथ जाने को लेकर ख‍िचड़ी पक रही थी. शायद शरद पवार उसे समय से भांप नहीं पाए.

शरद गुट पर सीधा हमला

कुछ द‍िनों पहले शरद गुट के नेताओं ने आरोप लगाया था क‍ि लड़की बहिन योजना से महाराष्‍ट्र दीवाल‍िया हो जाएगा. इस पर जवाब देते हुए अज‍ित पवार ने कहा, मैं पैसे का मोल समझता हूं. यह पैसा गरीबों को दिया जा रहा है. उसकी जात‍ि नहीं देखी जाती. सिर्फ गरीब बहनों को इसका लाभ दे रहे हैं. वे इतने वक्‍त तक सत्‍ता में रहे, क्‍या क‍िया. सवा रुपया दक्ष‍िणा तक नहीं देते थे. अब हम सीधे बहनों के खाते में पैसे दे रहे हैं. कोई बिचौल‍िया नहीं है. टिकटों के बंटवारे पर अज‍ित पवार ने कहा, साढ़े बारह प्रतिशत सीटें पिछड़े वर्ग को दी गईं. 10 फीसदी सीटें मुस्लिम समुदाय को दी गईं. हम सबको साथ लेकर चलते हैं, भेदभाव नहीं करते. साहू फुले अंबेडकर की विचारधारा पर चल रहे हैं. वो लोग इसे समझ नहीं पाएंगे.

 

 

 

 

अमृता फडणवीस की रील्स पर कन्हैया कुमार का विवादित तंज, जानें पूरा मामला

कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस पर टिप्पणी करते हुए विवाद खड़ा किया है। जानिए क्या है इस विवाद के पीछे का सच और भाजपा की प्रतिक्रिया।

 

मुंबई। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने हाल ही में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस पर विवादास्पद टिप्पणी की, जिससे राजनीति में हड़कंप मच गया है। कन्हैया कुमार ने फडणवीस की ‘धर्मयुद्ध’ टिप्पणी पर प्रतिक्रिया करते हुए कहा कि धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी केवल जनता की नहीं हो सकती, जब देवेंद्र फडणवीस की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील्स बना रही हों।

नागपुर में चुनावी रैली के दौरान कन्हैया कुमार ने की विवादित टिप्पणी

नागपुर में एक रैली के दौरान कन्हैया कुमार ने कहा, “धर्म को बचाने की जिम्मेदारी हमारी नहीं हो सकती, जब उपमुख्यमंत्री की पत्नी इंस्टाग्राम पर रील्स बना रही हैं। धर्म को बचाने की जिम्मेदारी सभी की है, हम सब को मिलकर इस लड़ाई में शामिल होना चाहिए।” उनका यह बयान फडणवीस के ‘वोट जिहाद’ टिप्पणी के संदर्भ में था, जिसमें उन्होंने चुनावी हार का कारण वोट जिहाद को बताया था।

कांग्रेस नेता के बयान पर भाजपा का तीखा हमला

भाजपा ने कन्हैया कुमार की इस टिप्पणी पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। पार्टी प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने सोशल मीडिया पर लिखा, “अमृता फडणवीस का अपमान हर मराठी महिला का अपमान है।” उन्होंने कन्हैया कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस टिप्पणी से महाराष्ट्र की महिलाओं की इज्जत को ठेस पहुंची है।

डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस के वोट जिहाद पर दिए गए बयान को बनाया मुद्दा

यह बयान देवेंद्र फडणवीस द्वारा 20 नवंबर को औरंगाबाद में चुनाव प्रचार के दौरान की गई टिप्पणी से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने ‘वोट जिहाद’ का आरोप लगाया था। फडणवीस ने कहा था कि राज्य में धर्म की रक्षा के लिए सभी को एकजुट होकर काम करना चाहिए और उनके अनुसार मालेगांव में ‘वोट जिहाद’ ने भाजपा की हार का कारण बना था। देवेंद्र फडणवीश ने कहा था कि हमने इसे लोकसभा चुनाव में देखा था। धुले में हम 1.90 लाख वोटों से आगे थे, लेकिन मालेगांव (विधानसभा क्षेत्र) में 1.94 लाख वोट थे और हम सिर्फ़ 4,000 वोटों से हार गए। यह वोट जिहाद ही हमारी हार का कारण था, क्योंकि हम साथ नहीं थे।

महायुति व MVA के बीच है तगड़ी टक्कर

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के लिए महायुति और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के बीच कड़ी टक्कर है। आगामी चुनाव राज्य की 288 सीटों के लिए होंगे, जिनमें भाजपा और शिवसेना ने 2019 के चुनावों में महत्वपूर्ण सीटें जीती थीं, और अब दोनों पक्षों ने अपने-अपने प्रचार में तेजी ला दी है।

 

‘बंटेंगे तो कटेंगे’ पर बंटी BJP, पंकजा मुंडे के बाद अब पूर्व सीएम ने किया विरोध; कहा- ये नारा ठीक नहीं

बंटेंगे तो कटेंगे का नारा इन दिनों बेहद चर्चा में है और भाजपा की ओर से लगातार इसे प्रचारित किया जा रहा है। हालांकि खुद पार्टी के ही कुछ नेताओं ने इसका विरोध किया है और इस नारे से दूरी बनाने की कोशिश की है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण का भी नाम इस लिस्ट में जुड़ गया है जिन्होंने कहा है कि यह नारा ठीक नहीं है।

अशोक चव्हाण ने कहा कि उन्हें यह नारा ठीक नहीं लगता है।

पीटीआई, नांदेड़। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ की ओर से दिया गया ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा इन दिनों खासा चर्चा में है। भाजपा के शीर्ष नेताओं से लेकर उसके समर्थकों की जुबान पर यह नारा चढ़ा हुआ है। हालांकि, विपक्ष लगातार नारे का विरोध करता आया है और इसे सांप्रदायिक करार दिया है। वहीं कुछ भाजपा नेताओं की ओर से भी इस नारे का विरोध देखने को मिला है।

भाजपा सांसद और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा है कि ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा ठीक नहीं है और यह अप्रासंगिक है तथा लोग इसे पसंद नहीं करेंगे। इससे पहले पंकजा मुंडे ने भी नारे का विरोध करते हुए कहा था कि महाराष्ट्र में इसकी जरूरत नहीं है। समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में चव्हाण ने कहा कि वह ‘वोट जिहाद-धर्म युद्ध’ के नारे को ज्यादा महत्व नहीं देते, क्योंकि भाजपा और सत्तारूढ़ महायुति की नीति देश और महाराष्ट्र का विकास है।

‘चुनाव के समय दिए जाते हैं नारे’

योगी आदित्यनाथ की ओर से महाराष्ट्र चुनाव से पहले अपनी रैलियों में ‘बटेंगे तो कटेंगे’ का नारा लगाने से जुड़े सवाल के जवाब में अशोक चव्हाण ने कहा, ‘इसकी कोई प्रासंगिकता नहीं है। नारे चुनाव के समय दिए जाते हैं। यह विशेष नारा अच्छा नहीं है और मुझे नहीं लगता कि लोग इसे पसंद करेंगे। व्यक्तिगत रूप से मैं ऐसे नारों के पक्ष में नहीं हूं।’

महायुति के लिए अपने चुनाव अभियान के दौरान नांदेड़ के अर्धपुर में बोलते हुए भाजपा नेता ने कहा, ‘हर राजनीतिक पदाधिकारी को बहुत सोच-विचार के बाद निर्णय लेना होता है। हमें यह भी देखना होगा कि किसी की भावनाएं आहत न हों।’ इससे पहले महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने पिछले सप्ताह कहा था कि वोट जिहाद का मुकाबला वोट के धर्म-युद्ध से किया जाना चाहिए।

विकास मेरा एकमात्र एजेंडा: चव्हाण

यह पूछे जाने पर कि क्या चुनाव अभियान “वोट जिहाद-धर्म युद्ध” की कहानी के बीच विकास के मुद्दे से दूर जा रहा है, चव्हाण ने कहा कि महायुति और भाजपा की नीति विकसित भारत और विकसित महाराष्ट्र है, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है। कांग्रेस से लंबे समय तक जुड़े रहने के बाद इस साल फरवरी में भाजपा में शामिल हुए सांसद ने कहा, ‘मैं (वोट जिहाद की बयानबाजी को) ज्यादा महत्व नहीं देता। निजी तौर पर कहूं तो विकास ही मेरा एकमात्र एजेंडा है। इसलिए, पार्टी बदलने के बावजूद लोग मेरे रुख की सराहना करते हैं।’

वहीं, लोकसभा चुनावों में मराठा आरक्षण के मुद्दे ने महायुति की संभावनाओं को प्रभावित किया, इस दावे पर चव्हाण ने कहा कि सरकार ने कोटा मुद्दे के संबंध में निर्णय लिए हैं। उन्होंने कहा, ‘लोकसभा चुनावों में मराठा कोटा का प्रभाव अधिक था। लोकसभा चुनावों के बाद शिंदे सरकार ने कई निर्णय लिए, जैसे 10 प्रतिशत आरक्षण; जिनके पास कुनबी प्रमाण पत्र थे, उन्हें आरक्षण दिया गया। लोगों को (कोटे के माध्यम से) नौकरियां भी मिलीं और (कोटा आंदोलन के दौरान लोगों के खिलाफ दर्ज किए गए) मामले भी वापस लिए गए।’

‘हेट स्पीच और गलत बयानों के बीच अंतर’, SC की वकील को दो टूक; CJI बोले- दिक्कत है तो पुलिस के पास जाएं

गुरुवार को भड़काऊ भाषणों के खिलाफ कार्रवाई के लिए जनहित याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि हम इस तरह की याचिका पर सुनवाई नहीं कर सकते। इसके लिए आपको कानून का सहारा लेना होगा। हम मामले के गुण-दोष पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ( File Photo )

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें सार्वजनिक मंच से नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई थी। इस याचिका में आरोप लगाया गया था कि ये बयान राष्ट्रीय एकता, सुरक्षा को खतरे में डालते हैं और विभाजनकारी विचारधाराओं को बढ़ावा देते हैं।

नोटिस जारी नहीं हो सकता

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने जनहित याचिका दायर करने वाले ‘हिंदू सेना समिति’ के वकील से कहा कि नफरत भरे भाषणों और गलत बयानों के बीच अंतर होता है। इस तरह से याचिका पर नोटिस जारी नहीं हो सकता।

दंडात्मक कार्रवाई का निर्देश

जनहित याचिका (पीआईएल) में अदालत से भड़काऊ बयानबाजी को रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और सार्वजनिक व्यवस्था और राष्ट्र की संप्रभुता को खतरे में डालने वाले बयान देने वाले व्यक्तियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया था।

दिया इन टिप्पणियों का हवाला

याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील कुंवर आदित्य सिंह और स्वतंत्र राय ने कहा कि राजनीतिक नेताओं की टिप्पणियां अक्सर उकसावे की ओर जाती हैं, जिससे संभावित रूप से सार्वजनिक अशांति फैल सकती है। उन्होंने मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा और भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत सहित राजनीतिक हस्तियों की हालिया टिप्पणियों का हवाला दिया, जिनमें बयानबाजी ने कथित तौर पर सार्वजनिक व्यवस्था को खतरे में डाला था।

 

सज्जन सिंह वर्मा ने अपनी टिप्पणी में श्रीलंका और बांग्लादेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों से तुलना करते हुए संभावित विद्रोह की चेतावनी दी थी, जबकि टिकैत ने कथित तौर पर किसानों के विरोध प्रदर्शन का इस तरह से उल्लेख किया था जिससे हिंसक विद्रोह की संभावना का संकेत मिलता है।

याचिका में क्या कहा गया?

याचिका में कहा गया है कि सरकार भड़काऊ भाषण पर कानूनी प्रतिबंध लागू करने में असंगत रही है। इसमें कहा गया है कि अदालत ने अपने निर्देशों में आईपीसी के कुछ प्रावधानों के तहत अशांति भड़काने वाले भाषण के खिलाफ त्वरित कार्रवाई का आदेश दिया था।

‘हिंदू सेना समिति’ ने भड़काऊ भाषणों को विनियमित करने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने, उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई और राजनेताओं के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण कार्यक्रमों के लिए निर्देश सहित कई राहत मांगी थी।

इसने समान कानूनी उपचार के महत्व पर भी जोर दिया, यह तर्क देते हुए कि नागरिकों और पत्रकारों द्वारा किए गए समान अपराधों पर अक्सर राज्य की ओर से कड़ी कार्रवाई होती है, जबकि राजनीतिक हस्तियों द्वारा अशांति भड़काने वाले बयानों पर काफी हद तक लगाम नहीं लगाई जाती है।

रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने निकाली भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भर्ती नोटिफिकेशन जारी किया है. जिसके अनुसार अपरेंटिस के पद भरे जाएंगे.

रेलटेल कॉर्पोरेशन भर्ती 2024

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने अपरेंटिस पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. इच्छुक और योग्य उम्मीदवार NATS (नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग सिस्टम) की आधिकारिक वेबसाइट nats.education.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. यह भर्ती अभियान रेलटेल कॉर्पोरेशन में 40 अपरेंटिस पदों को भरने के लिए आयोजित किया जा रहा है. इस भर्ती अभियान के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर, 2024 है.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: आवश्यक योग्यता आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग/ टेक्नोलॉजी में चार साल की नियमित स्नातक डिग्री या इंजीनियरिंग/ टेक्नोलॉजी में तीन साल का नियमित डिप्लोमा होना चाहिए और संबंधित शाखा में न्यूनतम 60% अंक होने चाहिए. उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी शैक्षिक योग्यता की पूरी जानकारी संबंधित अधिसूचना में देख लें.

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Railtel Corporation Apprentice Recruitment: आयु सीमा उम्मीदवार की आयु 18 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जो कि इस अधिसूचना के जारी होने की तिथि के आधार पर निर्धारित की जाएगी.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: ऐसे होगा चयन चयन प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. केवल वे उम्मीदवार जिन्होंने इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट होने के बाद, निगम के चिकित्सा मानकों के अनुसार फिटनेस परीक्षा पास की होगी, उन्हें अंतिम चयन के लिए माना जाएगा.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment:  स्टाइपेंड ग्रेजुएट इंजीनियरों को 14,000/- प्रति माह का स्टाइपेंड दिया जाएगा, जबकि डिप्लोमा इंजीनियरों को 12,000/- प्रति माह का स्टाइपेंड मिलेगा.

 

Railtel Corporation Apprentice Recruitment:

अन्य विवरण अपरेंटिस की नियुक्ति एक वर्ष के लिए की जाएगी और यह नियुक्ति कोलकाता, सिकंदराबाद/ हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई सहित भारत भर के विभिन्न स्थानों पर की जाएगी. ज्यादा डिटेल्स के लिए उम्मीदवार आधिकारिक साइट की मदद ले सकते हैं.

हाथ में हुआ फ्रैक्चर, चोटें भी आईं…Salman Khan की Ex गर्लफ्रेंड पर हुआ जानलेवा हमला, सोमी अली बोलीं- ‘बहुत दर्द में हूं

Somy Ali Injured: सलमान खान की एक्स गर्लफ्रेंड सोमी अली पर जानलेवा हमला हुआ हुआ है. एक्ट्रेस को काफी चोटें आई है और वे दर्द से तड़प रही हैं

Somy Ali

Somy Ali Injured: सलमान खान की एक्स गर्लफ्रेंड सोमी अली अक्सर अपने बयानों को लेकर चर्चा में रहती हैं. फिलहाल खबर है कि सोमी अली पर हमला हुआ है. दरअसल एक्ट्रेस और सोशल एक्टिविस्ट सोमी अली पर मानव तस्करी की विक्टिम को बचाने की कोशिश करते समय कथित तौर पर अटैक कर दिया गया जिसमें वे घायल हो गई हैं. एक्ट्रेस ने खुद इस बात का खुलासा किया है. फिलहाल वह दर्द से बेहाल हैं.

सलमान खान की एक्स गर्लफ्रेंड सोमी अली पर हुआ हमला 

वहीं सोमी अली ने कहा, “मैं पीड़ितों को बचाने में पुलिस के साथ मिलकर काम करती हूं. मुझे अपनी कार से बाहर निकलने की इजाजत नहीं है जब तक कि वे पीड़ित को घर से बाहर न निकाल दें. 17 सालों में यह मेरे ऊपर हुआ नौवां हमला था. हम एक ही समय में पीड़ित और तस्करों का इंतजार कर रहे थे, पीड़ित को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह एक ऐसे घर में जाने वाली है, जिसके बारे में उसने सोचा था कि उसे साफ-सफाई के लिए रखा गया है जबकि यह वह जगह है जहां तस्कर पीड़ितों को छिपाते हैं.”

कैसे हुआ सोमी अली पर हमला

घटना के बारे में बात करते हुए सोमी ने बताया कि कैसे मानव तस्करी की शिकार महिला को बचाते समय उन पर हमला किया गया.अभिनेत्री ने कहा, “दुर्भाग्य से, जब पीड़िता घर की ओर जा रही थी, तो मैंने अपनी कार से बाहर निकलकर सोचा कि उसे अंदर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि क्या होगा अगर तस्कर पहले से ही घर में घुसे हुए हों, जबकि पुलिस ने मुझे बताया था कि वे आ रहे हैं और घर खाली है. जब मैं अपनी कार से बाहर निकली, तो तस्करों ने एक साथ घर और हमारे पास आकर हमला किया. उनमें से एक ने मेरा बायां हाथ पकड़ लिया और उसे बुरी तरह मोड़ दिया. भगवान का शुक्र है कि यह सिर्फ एक हेयरलाइन फ्रैक्चर था, लेकिन मैं बहुत दर्द में हूं और बिस्तर पर पड़ी हूं.”

उन्‍होंने आगे बताया कि डॉक्टर के अनुसार उन्‍हें ठीक होने में 6-8 हफ्ते लगेंगे. अली ने यह भी बताया कि उनकी बाईं कलाई और हाथ बहुत सूज गए थे और वह उन्हें हिला नहीं सकती थी. उन्होंने कहा कि अब वो कुछ वक्त के लिए रेस्ट पर हैं.

विक्रांत मैसी की ‘द साबरमती रिपोर्ट’ की एडवांस बुकिंग हुई ओपन, 15 नवंबर को होगी रिलीज

द साबरमती रिपोर्ट की रिलीज़ बस एक दिन दूर है। विक्रांत मैसी के बयानों के बाद अब फिल्म का बज भी जबरदस्त बन गया है। ट्रेलर भी फिल्म का ठीक है और दर्शक इसे देखने के लिए एक्साइटेड हैं। अब फिल्म बफ के लिए खबर आ रही है। मेकर्स ने अब फिल्म की एडवांस बुकिंग ओपन कर दी है।

जी हां, बेसब्री से इंतज़ार की जा रही फिल्म द साबरमती रिपोर्ट की एडवांस बुकिंग आज से शुरू हो गई है। दर्शकों को जल्द ही वो फिल्म देखने को मिलेगी जिसने पूरे देश में चर्चा और गहरी भावनाएं जगा दी हैं। भारत के इतिहास को बदलने वाली एक घटना का सच जल्द ही सामने आएगा। यह साल की सबसे चर्चित फिल्म है और इसे सेंसर बोर्ड से भी तारीफ मिली है। मेकर्स का ये भी दावा है कि फिल्म से इस घटना की असल सच्चाई पता चलेगी।

मेकर्स ने की अनाउंसमेंट

एडवांस बुकिंग शुरू होने की घोषणा करते हुए मेकर्स ने सोशल मीडिया पर एक पोस्टर शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है, कहानियों पर नहीं, कल से सच पर होगी चर्चा। द साबरमती रिपोर्ट की टिकट बुकिंग्स अब ओपन हो गई हैं। फिल्म कल से सिनेमाघरों में।

15 को रिलीज होगी फिल्म

‘द साबरमती रिपोर्ट’ में विक्रांत मैसी, राशी खन्ना और रिद्धि डोगरा लीड रोल में हैं। ये तीनों ही फिल्म में जर्नालिस्ट की भूमिका निभाएंगे। इस फिल्म को धीरज सरना ने डायरेक्ट किया है। फिल्म को लेकर मेकर्स और एक्टर्स ने अपने प्रमोशन में काफी कुछ कहा है। अब देखना है कि फिल्म में वो सब देखने को मिलेगा या नहीं। ख़ैर फिल्म 15 नवंबर 2024 को रिलीज होगी।

SDM को थप्पड़ मारने वाला निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा गिरफ्तार, पुलिस ने समरावता गांव से हिरासत में लिया

Rajasthan News: राजस्थान के टोंक जिले के समरवता गांव में एक अभूतपूर्व हिंसक घटना हुई। जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के समर्थकों और पुलिस के बीच देर रात जोरदार झड़प हुई। यह घटना उस समय भड़क उठी जब पुलिस ने नरेश मीणा और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज करने का प्रयास किया। इस पर उग्र भीड़ ने पुलिस वाहन को आग के हवाले कर दिया और पथराव शुरू कर दिया। हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवा में गोलियां चलानी पड़ी और बाद में पुलिसकर्मियों ने एक बूथ के भीतर शरण ली। इस मामले में अब देवली उनियारा से निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा को समरावता गांव से गिरफ्तार कर लिया गया है।

निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा ने जड़ा SDM को थप्पड़ – फोटो : अमर उजाला

एसडीएम को थप्पड़ मारने के बाद से तनाव बढ़ा

इस पूरे विवाद की जड़ एक पूर्व घटना है। जब नरेश मीना ने देवली उनियारा विधानसभा उपचुनाव के दौरान उप-विभागीय मजिस्ट्रेट अमित चौधरी को थप्पड़ मारा था। इस विवादास्पद हरकत के बाद से क्षेत्र में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा था और यह झड़प उसी का नतीजा थी। पुलिस के साथ संघर्ष में दस से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। अधिकारी अब भी मौके पर स्थिति को नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन तनावपूर्ण माहौल ने कानून-व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर दी है।

मुख्यमंत्री ने डीजीपी से रिपोर्ट तलब की, सख्त आदेश जारी

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी यूआर साहू से इस पर तुरंत रिपोर्ट मांगी और हालात से निपटने के लिए सख्त आदेश दिए हैं। इसके अलावा मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को इस पूरे घटनाक्रम का आकलन करने और आवश्यक प्रतिक्रिया देने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन की इस त्वरित प्रतिक्रिया से स्पष्ट होता है कि राज्य के उच्च स्तर पर इस घटना को गंभीरता से लिया जा रहा है।

गांव के समायोजन की मांग बना विवाद का कारण

यह विवाद मुख्य रूप से कचरावता ग्राम पंचायत के समरवता गांव के ग्रामीणों की उस मांग से जुड़ा है। जिसमें उन्होंने अपने गांव को उनियारा से देवली के बजाय पुनः उनियारा में शामिल करने की गुहार लगाई है। ग्रामीणों का तर्क है कि समरवता देवली से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जबकि उनियारा महज 18 किलोमीटर दूर है। जिससे गांव के निवासियों के लिए उनियारा ही अधिक सुविधाजनक है। इसी मुद्दे को लेकर गांव वालों ने मतदान का बहिष्कार किया था। जिसमें नरेश मीणा ने उनका समर्थन किया। उनका दावा था कि प्रशासन लोगों को जबरन मतदान के लिए मजबूर कर रहा है।

जाट महासभा ने जताया आक्रोश, मीणा पर सख्त कार्रवाई की मांग

इस घटना के बाद से जाट महासभा में गहरा आक्रोश है। मालपुरा के महासभा सदस्यों ने टोंक कलेक्ट्रेट में विरोध प्रदर्शन करते हुए एसडीएम पर हमले के लिए नरेश मीणा के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और नरेश मीणा के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जोरदार अपील की। महासभा की इस भागीदारी से स्पष्ट है कि इस घटना के सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव व्यापक हैं।

क्षेत्र में तनावपूर्ण माहौल, कानून-व्यवस्था पर संकट

समरवता गांव में बढ़ते तनाव ने स्थानीय समुदाय और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच टकराव को और गहरा कर दिया है। जनभावनाओं और प्रशासनिक कार्यवाही के बीच यह विवादित स्थिति टोंक जिले में शासन और सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती बन गई है। स्थानीय अधिकारियों का पूरा प्रयास है कि जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य किया जाए और समरवता सहित पूरे इलाके में शांति कायम हो। नरेश मीणा के खिलाफ संभावित कानूनी कार्रवाई और इस घटना के चुनावी प्रक्रिया पर पड़ने वाले प्रभावों पर अब सभी की नजरें टिकी हैं।

 

 

नागपुर से कोलकाता जा रही IndiGo की इमरजेंसी लैंडिंग, बम की धमकी के बाद रायपुर में उतारा गया प्लेन

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नागपुर से कोलकाता जा रहे विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी है। बम की धमकी मिलने के बाद इंडिगो के विमान को रायपुर एयरपोर्ट पर उतारा गया। यात्रियों को तुरंत बाहर निकाला गया और विमान की जांच की जा रही है। एयरपोर्ट पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है।

कोलकाता जा रहे विमान

विमान की गहन जांच के लिए बम निरोधक दस्ते को बुलाया गया है। एहतियाती कदम उठाने के बाद सभी यात्रियों को तत्काल बाहर निकाला गया, जिन्हें प्रवेश द्वार के पास एक लॉज में सुरक्षित रूप से ले जाया गया। इस स्थिति के कारण रायपुर हवाई अड्डे पर उड़ान संचालन में अस्थायी व्यवधान उत्पन्न हुआ।

यात्री सुरक्षा

रायपुर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कीर्तन राठौर ने बम की धमकी के कारण विमान की आपातकालीन लैंडिंग की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि एयरपोर्ट पर जांच जारी है। जांच पूरी होने के बाद विमान रायपुर से अपनी यात्रा फिर से शुरू करेगा।

बम की धमकी का स्रोत अज्ञात है, जबकि अधिकारी अपनी जांच जारी रखे हुए हैं। इस बीच, यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और किसी भी संभावित खतरे को रोकने के लिए सुरक्षा प्रोटोकॉल बढ़ा दिए गए हैं।

हवाई अड्डे के परिचालन पर प्रभाव

इस घटना के कारण रायपुर हवाई अड्डे पर कुछ समय के लिए उड़ानें स्थगित करनी पड़ीं। अधिकारियों ने सुरक्षा जांच को प्राथमिकता दी। यात्रियों को देरी का सामना करना पड़ा, जबकि सुरक्षा दल अपना आकलन कर रहे थे। हवाई अड्डा सामान्य परिचालन को तेजी से बहाल करने के लिए पूरी लगन से काम कर रहा है। जांच जारी रहने के दौरान यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना सर्वोपरि है।

अधिकारी रायपुर हवाई अड्डे पर कड़े सुरक्षा मानकों को बनाए रखते हुए इस स्थिति को कुशलतापूर्वक हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसमें शामिल सभी व्यक्तियों की सुरक्षा और हवाई यात्रा में व्यवधान को कम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

एक थप्पड से राजस्थान में मचा बवाल: इंटरनेट बंद-फोर्स तैनात, आंसू गैस छोड़ना पड़ा

राजस्थान के टोंक में चुनाव के दौरान निर्दलीय उम्मीदवार ने एसडीएम को थप्पड़ मारा। बवाल के बाद इंटरनेट बंद, पुलिस बल तैनात। ग्रामीणों ने तहसील बदलाव के विरोध में मतदान का बहिष्कार किया।

टोंक, राजस्थान के टोंक जिले की देवली.उनियारा विधानसभा क्षेत्र में बुधवार शाम से शुरू हुआ बवाल देर रात तक चला। समरावता गांव में हुए इस हिंसक घटनाक्रम में निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा के समर्थक और पुलिस के बीच झड़प में 15 से अधिक लोग घायल हो गए। पुलिस को उग्र भीड़ को काबू करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़ने पड़े। स्थिति इतनी बिगड़ी कि पुलिस को रातभर छापेमारी करनी पड़ी और गुरुवार सुबह तक इलाके में तनाव बना रहा। स्पेशल टास्क फोर्स और कई जिलों से बटालियन बुलाकर देवली में तैनात की गई है। प्रभावित इलाकों में देर रात इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

जब निर्दलीय उम्मीदवार ने एसडीएम को मारा थप्पड़

यह विवाद उस समय शुरू हुआ जब नरेश मीणा ने मतदान के दौरान एक एसडीएम को थप्पड़ मारा। नरेश मीणा का आरोप था कि गांव के लोग मतदान का बहिष्कार कर रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने उन्हें धमकाकर वोट डालने के लिए मजबूर किया। इसके बाद, जब पोलिंग पार्टियां बूथ से निकलने लगीं, तो नरेश मीणा और उनके समर्थक धरने पर बैठ गए। जब पुलिस ने उन्हें हटाने की कोशिश की, तो दोनों पक्षों में झड़प हो गई। इस झड़प के बाद पुलिस ने नरेश मीणा को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन उनके समर्थकों ने उसे छुड़ा लिया और स्थिति और भी बिगड़ गई।

इतना बवाल हुआ कि लोगों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया

समरावता गांव के ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार किया था, क्योंकि उन्हें यह शिकायत थी कि गांव को देवली तहसील से नगर फोर्ट तहसील में शामिल कर दिया गया था, जो करीब 100 किलोमीटर दूर है। ग्रामीणों की मांग थी कि उनका गांव फिर से उनियारा तहसील से जुड़ा रहे, क्योंकि वह उनके लिए ज्यादा सुविधाजनक था। यह विरोध पहले से ही चल रहा था और इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने विधानसभा चुनाव में भी मतदान का बहिष्कार किया था।

नरेश मीणा ने बताया क्यों उन्होंने एसडीएम को थप्पड़ मारा…

नरेश मीणा ने इस मामले में आरोप लगाया कि एसडीएम ने जबरन वोट डलवाए और उन्हें और अन्य कर्मचारियों को धमकाया। इसके बाद, नरेश मीणा ने एसडीएम को थप्पड़ मारा और समर्थकों को हिंसक तरीके से विरोध करने के लिए उकसाया। इस घटना के बाद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का प्रयोग किया और इलाके में गश्त बढ़ा दी।

प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को कर दिया बंद

घटना की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया गया। वहीं, आरएएस एसोसिएशन ने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जताते हुए नरेश मीणा की गिरफ्तारी की मांग की है। एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं की गई तो वे पेन डाउन स्ट्राइक पर जाएंगे।कलेक्टर डॉ. सौम्या झा ने कहा कि मतदान के बहिष्कार के मुद्दे को चुनाव बाद सुलझाया जाएगा और समरावता गांव को उनकी मांग के अनुसार उनियारा तहसील में जोड़ने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।