बाइडन के यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी देने से तनाव और बढ़ गया। रूस की पलटवार की धमकी से तीन नाटों देश- नॉर्वे स्वीडन और फिनलैंड भी खौफ में हैं। इन देशों ने अपने नागरिकों को जरूरी सामन का स्टॉक रखने और सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने को कहा।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली/हेलसिंकी। अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडन ने हाल ही में यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस (अटैक देम्स) मिसाइलों से रूस पर अटैक करने की अनुमति दे दी है। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर मंगलवार को छह मिसाइलें दागीं। इससे तनाव और ज्यादा बढ़ गया है।
इस तनाव की आंच रूस सीमा के पास स्थित तीन नाटो देश तक भी पहुंची है। रूस की पलटवार की धमकी से तीन नाटो देश – नॉर्वे, स्वीडन और फिनलैंड में भी खौफ पैदा हो गया है। इन तीनों देश ने अपने नागरिकों को जीवनयापन के लिए जरूरी सामन का स्टॉक रखने और सैनिकों को जंग के लिए तैयार रहने के निर्देश दिए हैं।
नाटो के संस्थापक देशों में शामिल नॉर्वे 195 किलोमीटर बॉर्डर रूस से शेयर करता है। नॉर्वे ने पर्चे और पैम्फलेट्स बांटकर अपने नागरिकों को युद्ध के लिए चेताया है। स्वीडन ने भी अपनी जनता को पर्चे भेजे हैं। इतना ही नहीं, इन देशों ने परमाणु युद्ध के दौरान विकिरण से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली आयोडीन की गोलियां घर में रखने का भी निर्देश दिया है।
‘बिजली कटौती हो सकती है, पावर बैकअप रखें’
नाटो के सदस्य देश फिनलैंड भी रूस के साथ 1340 किलोमीटर से ज्यादा सीमा साझा करता है। यहां की सरकार ने जंग के हालात में नागरिकों की मदद के लिए नई वेबसाइट लॉन्च की है। फिनलैंड सरकार की ओर से ऑनलाइन मैसेज जारी किया गया है।
इसमें बताया गया है कि अगर देश पर हमला होता है तो सरकार क्या-क्या करेगी। फिनलैंड ने अपने लोगों को युद्ध के चलते बिजली कटौती से निपटने के लिए बैक-अप पावर सप्लाई की व्यवस्था रखने को कहा है। लोगों से कम ऊर्जा में पकने वाले या फिर बिना पकाए खाए जाने वाले खाद्य पदार्थ का स्टॉक रखने के लिए कहा। बता दें कि फिनलैंड 2023 में नाटो में शामिल हुआ था।
इन केस ऑफ क्राइसिस ऑफ वार: क्या करें और क्या न करें
नाटो के सबसे नए सदस्य देश स्वीडन की सीमा रूस से सटी नहीं है। इसके बावजूद स्वीडन ने नागरिकों के लिए युद्ध की स्थिति बनने पर ‘इन केस ऑफ क्राइसिस ऑफ वार’ नाम से एक गाइडलाइन से जुड़ी बुकलेट जारी की है।
इसमें कहा गया है कि जंग के दौरान आपातस्थिति से निपटने के लिए 72 घंटे का भोजन, पीने का पानी और जरूरी दवाएं स्टोर करके रखे। इतना ही नहीं, गाइडलाइन में लोगों को आलू, गोभी, गाजर और अंडे का भरपूर मात्रा में स्टॉक करने का सुझाव दिया गया है।
बाइडन के फैसले से नाटो और ईयू के देश नाराज
अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति बाइडन के यूक्रेन को 300 किलोमीटर रेंज की एटीएसीएमएस (अटैक देम्स) मिसाइलों से रूस पर अटैक करने की अनुमति देने के फैसले पर स्लोवाकिया के प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको ने नाराजगी जताई।
उन्होंने कहा, ”पश्चिम चाहता है कि किसी भी हालत में यूक्रेन में जंग जारी रहे, इससे उनको फायदा होगा। हंगरी के विदेश मंत्री पीटर सिज्जार्तो ने कहा कि युद्धोन्माद फैलाने के लिए बाइडन जनमत की अनदेखी कर रहे हैं। बता दें कि स्लोवाकिया और हंगरी दोनों नाटो के सदस्य देश हैं और ईयू में शामिल हैं।
बाल्टिक सागर में इंटरनेट केबल कटी, हो सकता है हाइब्रिड युद्ध
यूक्रेन और रूस के बीच जारी युद्ध का तनाव समुद्र तक पहुंच गया है। जर्मनी और फिनलैंड की ओर से बाल्टिक सागर में दो संचार केबलों के कटने का आरोप लगाया गया है।
दोनों देशों ने कहा कि बाल्टिक सागर में संचार केबल काटने की ये घटनाएं 17 और 18 नवंबर की है, जिनकी जांच शुरू कर दी गई है। बाल्टिक सागर एक अहम शिपिंग रूट है, जिसके चारों ओर 9 देश स्थित है। इस घटना से हाइब्रिड युद्ध का खतरा बढ़ गया है।
NATO क्या है?
नाटो (NATO – North Atlantic Treaty Organization) एक अंतरराष्ट्रीय सैन्य गठबंधन है, जिसकी स्थापना 4 अप्रैल 1949 को हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों की स्वतंत्रता व सुरक्षा की रक्षा करना और सदस्य राष्ट्रों के बीच सैन्य व राजनीतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। इसका मुख्यालय ब्रसेल्स, बेल्जियम में है। वर्तमान में 31 देश नाटो के सदस्य हैं। ये देश उत्तरी अमेरिका और यूरोप के हैं।