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डोनाल्ड ट्रंप का मजाक उड़ाने वाले जस्टिन ट्रूडो अब उन्हीं की शरण में! टैरिफ युद्ध से क्यों टेंशन में है कनाडा?

 

Justin Trudeau Donald Trump: डिप्लोमेसी की दुनिया भी काफी निराली होती है और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस वक्त शायद सबसे बेहतर इस बात को समझ रहे होंगे, क्योंकि जिस डोनाल्ड ट्रंप का वो मजाक उड़ाया करते थे, अब उन्हें उन्हीं की शरण में जाना पड़ा है।

दोनों पड़ोसी देशों के बीच संभावित व्यापार युद्ध के खतरे के बीच, अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप शुक्रवार शाम (स्थानीय समयानुसार) फ्लोरिडा के मार-ए-लागो रिसॉर्ट में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ डिनर करेंगे।

इस दौरान जस्टिन ट्रूडो, डोनाल्ड ट्रंप को कनाडा पर भारी भरकम टैरिफ नहीं लगाने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे।

सीएनएन की रिपोर्ट में कहा गया है, कि ट्रूडो के मंत्रिमंडल के कुछ सदस्यों के भी डिनर कार्यक्रम में शामिल होने की उम्मीद है। डोनाल्ड ट्रंप ने पिछले हफ्ते ही में सीमा संबंधी चिंताएं जताते हुए अपने प्रशासन के कार्यभार संभालने के पहले दिन से ही कनाडा से अमेरिका आने वाले सामानों पर भारी भरकम 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।

जिसके बाद कनाडा में हाहाकार मच गया था, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्था पहले ही गोते खा रही है और टैरिफ लगने से उसे अरबों डॉलर का व्यापार नुकसान होगा, जो देश की इकोनॉमी को चौपट कर सकता है। और यही वजह है, जस्टिन ट्रूडो भागे भागे ट्रंप की शरण में पहुंचे हैं।

जस्टिन ट्रूडो को वेस्ट पाम बीच के एक होटल से निकलकर ट्रंप से उनके रिसॉर्ट में मिलने के लिए जाते देखा गया है।

 

रॉयटर्स की रिपोर्ट में कहा गया है, कि जस्टिन ट्रूडो के सार्वजनिक कार्यक्रम में फ्लोरिडा की यात्रा शामिल नहीं थी। न तो ट्रूडो के कार्यालय और न ही ट्रंप के प्रतिनिधियों ने रिसॉर्ट मीटिंग पर कोई टिप्पणी की।

लेकिन सीएनएन ने एक सूत्र के हवाले से बताया है, कि ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के लिए चुने गए फ्लोरिडा के प्रतिनिधि माइक वाल्ट्ज और उनके वाणिज्य सचिव के लिए चुने गए ट्रंप ट्रांजिशन के सह-अध्यक्ष हॉवर्ड लुटनिक भी अपने इस बातचीत में शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है, कि ट्रूडो की चीफ ऑफ स्टाफ केटी टेलफोर्ड और कनाडा के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्री डोमिनिक लेब्लांक भी उपस्थित थे।

क्या अमेरिका-कनाडा व्यापार युद्ध की आशंका है?

यह बैठक काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ट्रंप के व्हाइट हाउस में पदभार ग्रहण करने से कुछ हफ्ते पहले और कनाडा से आयात पर भारी टैरिफ लगाने की उनकी प्रतिज्ञा के कुछ दिनों बाद हो रही है। सोमवार को ट्रंप ने कनाडा और मैक्सिको से आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी थी और कहा था, कि अगर दोनों देश, अमेरिका की सीमा पार करने वाले ड्रग्स और अवैध प्रवासियों पर कार्रवाई नहीं करते, तो टैरिफ लगाया जाएगा।

जिसके बाद जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के साथ संबंधों पर चर्चा करने के लिए सभी 10 कनाडाई प्रांतों के प्रधानमंत्रियों के साथ बैठक बुलाई थी।

शुक्रवार की सुबह पत्रकारों से बात करते हुए ट्रूडो ने कहा था, कि “एक बात जो समझना वास्तव में महत्वपूर्ण है, वह यह है, कि जब डोनाल्ड ट्रंप इस तरह के बयान देते हैं, तो वे उन्हें लागू करने की योजना बनाते हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है।” उन्होंने कहा, “हमारी जिम्मेदारी यह बताना है, कि इस तरह से वह वास्तव में न केवल कनाडाई लोगों को नुकसान पहुंचाएंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बहुत अच्छी तरह से काम करते हैं, बल्कि वह अमेरिकी नागरिकों के लिए भी कीमतें बढ़ाएंगे और अमेरिकी उद्योग और व्यवसायों को नुकसान पहुंचाएंगे।”

क्या ट्रंप को मना पाएंगे जस्टिन ट्रूडो?

ट्रूडो ने उम्मीद जताई है, कि वह और ट्रंप मिलकर कुछ चिंताओं का समाधान करेंगे और “कुछ मुद्दों पर जवाब देंगे”।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, टैरिफ की घोषणा के बाद ट्रंप और ट्रूडो के बीच एक छोटी बातचीत हुई है, जिसमें दोनों नेताओं ने सीमा सुरक्षा और व्यापार पर चर्चा की।

इस महीने की शुरुआत में, ट्रूडो ने कूटनीतिक लहजे में ट्रंप को राष्ट्रपति चुनाव में जीत की बधाई दी थी।

उन्होंने कहा था, कि “कनाडा और अमेरिका के बीच दोस्ती से दुनिया की ईर्ष्या है। मुझे पता है कि राष्ट्रपति ट्रंप और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे।”

लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है, कि पहले ही अलोकप्रिय हो चुके जस्टिन ट्रूडो के लिए साल 2025, डोनाल्ड ट्रंप की वजह से काफी मुश्किल भरा हो सकता है

कनाडा, चीन और मैक्सिको के बाद भारत का नंबर? डोनाल्ड ट्रंप के ‘व्यापार युद्ध’ का आपके ऊपर क्या होगा असर?

Donald Trump Tariff War: अगले साल जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ भारी-भरकम टैरिफ लगाने की बात कही है, जिसने तीनों देशों को परेशान कर दिया है।

रॉयटर्स के एक पोल से पता चला है, कि नई अमेरिकी सरकार अगले साल चीन से सामानों के आयात पर लगभग 40% टैरिफ लगा सकती है। हालांकि, चीन ने ट्रंप के टैरिफ युद्ध से निपटने के लिए अपनी कंपनियों को भारी-भरकम फंड देने का फैसला किया है, लेकिन कनाडा और मैक्सिको, जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है, उनके लिए मुश्किलें काफी हैं।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की है, कि वह मैक्सिको और कनाडा से सभी आयातों पर 25% टैरिफ लगाएंगे। इसके अलावा, चीनी वस्तुओं पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा, जब तक कि बीजिंग अमेरिका में सिंथेटिक ओपिओइड फेंटेनाइल की तस्करी को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता है।

मैक्सिको, चीन और कनाडा पर अमेरिकी टैरिफ क्या हैं?

रॉयटर्स पोल के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप, चीनी वस्तुओं पर 60% टैरिफ लगाने से परहेज करेंगे। जनवरी में पदभार ग्रहण करने वाले ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ व्यापार उपायों के पैकेज के हिस्से के रूप में चीनी आयात पर भारी टैरिफ लगाने का वादा किया था, जिससे बीजिंग में बेचैनी पैदा हुई और चीन के लिए विकास जोखिम बढ़ गया है।

धमकी दी गई है, टैरिफ दरें ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान चीन पर लगाए गए 7.5%-25% से बहुत ज्यादा हैं, जबकि अर्थव्यवस्था भी लंबे समय तक संपत्ति की मंदी, ऋण जोखिम और कमजोर घरेलू मांग को देखते हुए बहुत अधिक कमजोर स्थिति में है।

13-20 नवंबर के रॉयटर्स पोल से पता चला है, कि मुख्य भूमि चीन के अंदर और बाहर दोनों जगह एक मजबूत बहुमत को उम्मीद है कि ट्रंप अगले साल की शुरुआत में टैरिफ लगाएंगे, जिसका औसत अनुमान 38% है। वहीं, कई लोगों का मानना है, कि टैरिफ 15% से 60% तक हो सकता है।

नए अमेरिकी टैरिफ चीन की 2025 की आर्थिक वृद्धि को लगभग 0.5%-1.0% प्रतिशत अंक तक प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, रॉयटर्स पोल में शामिल ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने इस वर्ष और 2025 के लिए अपने औसत विकास पूर्वानुमानों को क्रमशः 4.8% और 4.5% पर बनाए रखा है, जो अमेरिकी चुनावों से पहले किए गए अनुमानों के लगभग समान है। 2026 में चीन का ग्रोथ रेट और धीमी होकर 4.2% रहने की उम्मीद है।

ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा को भी टेंशन में डाल दिया है। उन्होंने घोषणा की है, कि “अवैध अप्रवास जैसी समस्या का अगर हल नहीं किया गया, तब तक उनके उत्पादों पर 25% टैरिफ लागू रहेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इन मुद्दों को संबोधित करना 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी पहली कार्यकारी कार्रवाइयों में से एक होगी।

इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) के मुताबिक, मैक्सिको, चीन और कनाडा, अमेरिका के तीन सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, जो ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों के कारण सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। ईआईयू ने भारत को उन देशों की सूची में आठवें स्थान पर रखा है, जिन्हें ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दौरान व्यापार चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

चीन और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ का तत्काल प्रभाव ये होगा, कि कनाडा, मैक्सिको और चीन की कंपनियों के लिए अमेरिका को माल निर्यात करनाक महंगा हो जाएगा, जिससे उनकी इनकम में कमी आएगी। और आशंका ये है, कि ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की कीमत को बढ़ा सकते हैं, जिसका असर आम ग्राहकों पर पड़ेगा, क्योंकि कीमतें बढ़ सकती हैं।

टैरिफ के कारण मैक्सिको की ऑटो इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। मध्य अमेरिकी देश होंडा, निसान, टोयोटा, माजदा और किआ के साथ-साथ कई चीनी ऑटो पार्ट आपूर्तिकर्ताओं के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का घर है।

वहीं, फॉक्सकॉन, एनवीडिया, लेनोवो और एलजी जैसी एशियाई टेक कंपनियां, जिन्होंने कारखानों और अन्य सेवाओं के साथ मैक्सिको में अपना विस्तार किया है, वे भी गंभीर तौर पर प्रभावित होंगी। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के पिछले अनुमानों का हवाला देते हुए, कनाडाई मीडिया ने बताया है, कि 10% टैरिफ से भी कनाडा को हर साल 21 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। अमेरिका को कनाडा मुख्य रूप से पेट्रोलियम, गैस और गाड़ियों का निर्यात करता है।

हांगकांग में नेटिक्सिस में एशिया प्रशांत क्षेत्र के वरिष्ठ अर्थशास्त्री गैरी एनजी ने अल जजीरा से अमेरिकी केंद्रीय बैंक का हवाला देते हुए कहा, “शुल्कों के कारण अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है, जिसका मतलब है कि फेड के लिए दरों में कटौती करना कठिन हो जाएगा।” वाशिंगटन में चीन के दूतावास ने कहा, कि व्यापार युद्ध से किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होगा। प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक बयान में कहा, “चीन पर अमेरिकी शुल्क के मुद्दे पर, चीन का मानना ​​है कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है।”

भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अब तक, डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर टैरिफ लगाने की कोई बात नहीं की है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है, कि अगला नंबर भारत का हो सकता है। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत को “बहुत बड़ा व्यापार दुर्व्यवहारकर्ता” कहा था। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और अगर भारत पर भी टैरिफ लगता है, तो भारतीय निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा।

हालांकि, चीनी सामानों पर टैरिफ लगाने से चीनी निर्यात पर तो गंभीर असर पड़ेगा ही, लेकिन बर्नस्टीन द्वारा किए गए शोध से पता चलता है, कि चीनी सामनों पर लगे टैरिफ का भारत को केवल सीमित लाभ ही मिल सकता है। इसके बजाय, भारत को नए टैरिफ दबावों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के व्यापार विवादों पर फिर से विचार करने का संकेत दिया है।

भारत अमेरिका को 75 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अगर ट्रंप प्रशासन चीन पर टैरिफ लगाता है, तो चीन को अपने सामानों, जैसे EV, बैटरी और टेक्नोलॉजिकल गुड्स को भारत में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसने कहा है, कि चीनी फेस मास्क, सीरिंज और सुई, मेडिकल दस्ताने और प्राकृतिक ग्रेफाइट पर अमेरिकी टैरिफ, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मौका बनाते हैं।

शोध रिपोर्ट में कहा गया है, कि “इन मांग वाले उत्पादों के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाकर, भारत अमेरिकी बाजार में अपने कारोबार को बढ़ा सकता है।” इसने कहा कि भारत को EV और सेमीकंडक्टर जैसे उत्पादों पर कोई निर्यात लाभ नहीं मिल सकता है, क्योंकि भारत इन उत्पादों का शुद्ध आयातक है।

नई दिल्ली EV में निवेश आकर्षित करने के लिए अपना काम कर रही है। पिछले महीने, सरकार ने इस क्षेत्र के लिए एक नई नीति का अनावरण किया है, जिसमें कुछ मॉडलों पर आयात करों को 100% से घटाकर 15% कर दिया गया, लेकिन इसके लिए शर्त ये है, कि यदि कोई निर्माता कम से कम $500 मिलियन का निवेश भारत में करता है और एक कारखाना भी स्थापित करता है।

जीटीआरआई के अजय श्रीवास्तव ने कहा, “अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। चीन से निर्यात में ठहराव और आयात में वृद्धि के साथ, भारत को भी चीन को लेकर नीति की जरूरत हो सकती है।”

वित्त वर्ष 2024 में, चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार कुल 118.4 बिलियन डॉलर था, जिसमें आयात 3.24% बढ़कर 101.7 बिलियन डॉलर और निर्यात 8.7% बढ़कर 16.67 बिलियन डॉलर हो गया।

इसके विपरीत, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में मामूली गिरावट देखी गई। वित्त वर्ष 24 में दोनों तरफ का व्यापार कुल 118.3 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारतीय निर्यात 1.32% घटकर 77.5 बिलियन डॉलर और आयात 20% घटकर 40.8 बिलियन डॉलर रह गया। जनवरी में जब ट्रंप सत्ता संभालेंगे, तो भारत समेत अमेरिका के व्यापारिक साझेदार उनकी नीतियों के संभावित नतीजों के लिए तैयार रहेंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ शुरू किया टैरिफ युद्ध, ट्रूडो सरकार के हाथ-पांव फूले

Donald Trump: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए शथ लेंगे और पहले ही दिन उन्होंने कनाडा, मैक्सिको और चीन को जोरदार झटका देने का फैसला कर लिया है। अवैध आव्रजन और ड्रग्स पर नकेल कसने के कोशिश में मैक्सिको, कनाडा और चीन पर भारी भरकम टैरिफ लगाने का फैसला लिया गया है।

डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को कहा है, कि 20 जनवरी को पदभार संभालने के बाद वह अपने पहले कदमों में से एक के रूप में कनाडा और मैक्सिको से आने वाले हर उत्पाद पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे। सोमवार को अपने ट्रुथ सोशल प्लेटफॉर्म पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, कि टैरिफ तब तक लागू रहेगा, जब तक अमेरिका में अवैध आव्रजन को रोकने के लिए मैक्सिको और कनाडा के साथ सीमाएं बंद नहीं हो जातीं।

अगर टैरिफ लागू किए गए तो गैस से लेकर ऑटोमोबाइल तक हर चीज की कीमतें नाटकीय रूप से बढ़ सकती हैं। सबसे हालिया जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका दुनिया में वस्तुओं का सबसे बड़ा आयातक है, जिसमें मैक्सिको, चीन और कनाडा इसके शीर्ष तीन आपूर्तिकर्ता हैं।

लेकिन, ट्रंप ने कहा, कि “जैसा कि सभी जानते हैं, हजारों लोग मैक्सिको और कनाडा से होकर आ रहे हैं, और अपने साथ अभूतपूर्व स्तर का अपराध और नशीले पदार्थ लेकर आ रहे हैं।”

कनाडा, मैक्सिको और चीन को झटका

ट्रंप ने कहा, “फिलहाल, मैक्सिको से आने वाला एक कारवां, जिसमें हजारों लोग शामिल हैं, हमारी वर्तमान खुली सीमा के जरिए देश में आ रहे हैं।” उन्होंने कहा, कि “20 जनवरी को, मेरे कई पहले कार्यकारी आदेशों में से एक के रूप में, मैं मेक्सिको और कनाडा से संयुक्त राज्य अमेरिका और इसकी हास्यास्पद खुली सीमाओं में आने वाले सभी उत्पादों पर 25% टैरिफ़ लगाने के लिए सभी आवश्यक दस्तावेजो पर हस्ताक्षर करूंगा।”

उन्होंने कहा, कि “यह टैरिफ तब तक प्रभावी रहेगा जब तक ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनाइल और सभी अवैध विदेशी हमारे देश पर इस आक्रमण को रोक नहीं देते! मेक्सिको और कनाडा, दोनों के पास इस लंबे समय से चली आ रही समस्या को आसानी से हल करने का पूर्ण अधिकार और शक्ति है।”

उन्होंने कहा, कि “हम मांग करते हैं कि वे इस शक्ति का उपयोग करें, और जब तक वे ऐसा नहीं करते, तब तक उन्हें बहुत बड़ी कीमत चुकानी होगी।”

चीन पर 10 प्रतिशत एक्स्ट्रा टैरिफ

इसके अलावा, चीन पर भी उन्होंने अपना गुस्सा जाहिर किया और कहा, कि उन्होंने चीन के साथ कई बार बातचीत की है, जिसमें कहा गया है, कि अमेरिका में ड्रग्स, खास तौर पर फेंटेनाइल की भारी मात्रा भेजी जा रही है – लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। उन्होंने लिखा, “जब तक वे इसे बंद नहीं करते, हम चीन से अमेरिका में आने वाले सभी उत्पादों पर किसी भी अतिरिक्त टैरिफ से ऊपर 10% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाएंगे।”

फिलहाल यह साफ नहीं है, कि क्या ट्रंप वास्तव में धमकियों को लागू करेंगे या वे नए साल में पदभार ग्रहण करने से पहले बातचीत की रणनीति के रूप में टैरिफ धमकियों का इस्तेमाल कर रहे हैं।

हाल ही में यूएस के आंकड़ों के अनुसार, मेक्सिको से अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए गिरफ्तारियां कम हो रही हैं और अक्टूबर में चार साल के निचले स्तर पर रहीं। बॉर्डर पैट्रोल ने अक्टूबर में 56,530 गिरफ्तारियां कीं, जो पिछले अक्टूबर की संख्या का एक तिहाई से भी कम है।

वहीं, अमेरिका में फेंटेनाइल मैक्सिको से तस्करी करके लाया जाता है। राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में सीमा पर इस दवा की जब्ती में तेजी से वृद्धि हुई और अमेरिकी अधिकारियों ने 2024 के सरकारी बजट वर्ष में लगभग 21,900 पाउंड (12,247 किलोग्राम) फेंटेनाइल जब्त किया, जबकि 2019 में जब ट्रम्प राष्ट्रपति थे, तब यह संख्या 2,545 पाउंड (1,154 किलोग्राम) थी।

यदि ट्रंप नॉमिनेट ट्रेजरी सचिव के लिए नामित स्कॉट बेसेंट सीनेट से चुन ली जाती हैं, तो वे अन्य देशों पर टैरिफ लगाने के लिए जिम्मेदार कई अधिकारियों में से एक होंगे। उन्होंने कई मौकों पर कहा है, कि टैरिफ अन्य देशों के साथ बातचीत का एक साधन है।

उन्होंने अपने नामांकन से पहले पिछले सप्ताह फॉक्स न्यूज के एक लेख में लिखा था, कि टैरिफ “राष्ट्रपति की विदेश नीति के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक उपयोगी उपकरण है। चाहे वह सहयोगियों को अपनी रक्षा पर ज्यादा खर्च करने के लिए प्रेरित करना हो, अमेरिकी निर्यात के लिए विदेशी बाजारों को खोलना हो, अवैध आव्रजन को समाप्त करने और फेंटेनाइल तस्करी को रोकने के लिए सहयोग सुनिश्चित करना हो या सैन्य आक्रमण को रोकना हो, टैरिफ एक केंद्रीय भूमिका निभा सकते हैं।”

कनाडा और मैक्सिकों पर होगा गंभीर असर

यदि डोनाल्ड ट्रंप वाकई टैरिफ लगाते हैं, तो कनाडा और मैक्सिको की अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर असर होगा। खासकर कनाडा मुसीबतों में फंस जाएगा, क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था पहले से ही गोता लगा रही है।

नये टैरिफ के लगने से 2020 के व्यापार सौदे की विश्वसनीयता पर भी संदेह पैदा होंगे, जिसे मुख्य रूप से ट्रंप ने ही आगे बढ़ाया था, जिसकी समीक्षा 2026 में होनी है।

वाशिंगटन में कनाडा के राजदूत और उप प्रधान मंत्री, क्रिस्टिया फ्रीलैंड के प्रवक्ता, जो ट्रंप के एक और राष्ट्रपति पद के बारे में चिंताओं को दूर करने के लिए कनाडा-अमेरिका संबंधों पर एक विशेष कैबिनेट समिति की अध्यक्षता करते हैं, उन्होंने फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं की है।

लेकिन, ट्रंप के टैरिफ घोषणा से पहले एक वरिष्ठ कनाडाई अधिकारी ने कहा था, कि कनाडाई अधिकारी उम्मीद कर रहे हैं कि ट्रंप पद संभालते ही व्यापार और सीमा पर कार्यकारी आदेश जारी करेंगे। अधिकारी को सार्वजनिक रूप से बोलने की अनुमति नहीं थी और उन्होंने नाम न बताने की शर्त पर बात की।

मेक्सिको के विदेश संबंध विभाग और अर्थव्यवस्था विभाग ने भी ट्रंप के बयानों पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। आम तौर पर ऐसे गंभीर मुद्दों को राष्ट्रपति सुबह की प्रेस ब्रीफिंग में संभालती हैं।

ट्रंप के ऐलान से कनाडा में डर

कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी (NDP) के नेता जगमीत सिंह ने मंगलवार को जस्टिन ट्रूडो के नेतृत्व वाली लिबरल सरकार से देश के लिए खड़े होने और अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा और मैक्सिको से आने वाले सामानों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के इरादे के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया है।

टैरिफ की घोषणा के कुछ घंटों बाद, NCP नेता ने X पर लिखा, “खड़े हो जाओ और पूरी ताकत से लड़ो। कनाडा की नौकरियां खतरे में हैं।”

ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान भी जस्टिन ट्रूडो के साथ उनके संबंध कोई अच्छे नहीं थे और जब ट्रंप 2020 का चुनाव हार गये, तो ट्रूडो ने सार्वजनिक तौर पर उनका मजाक उड़ाया था। वहीं, ट्रंप पहले भी कई बार जस्टिन ट्रूडो की आलोचना कर चुके हैं।

कनाडा जल रहा, जस्टिन ट्रूडो ठुमके लगा रहे, मॉन्ट्रियल में हिंसा के बीच टेलर स्विफ्ट के साथ नाचने पर बवाल

Justin Trudeau Canada News: बहुत पुरानी कहावत है, रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो यही करते नजर आए हैं, जब मॉन्ट्रियल में जारी हिंसक प्रदर्शन के बीच उनका टेलर स्विफ्ट के साथ डांस करने का वीडियो वायरल हुआ है।

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को टेलर स्विफ्ट के कॉन्सर्ट में नाचते हुए एक वीडियो वायरल होने के बाद भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, जो मॉन्ट्रियल में हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुआ था। सोशल मीडिया पर सामने आए फुटेज में ट्रूडो 23 नवंबर को टोरंटो के रोजर्स सेंटर में स्विफ्ट के ट्रैक “यू डोंट ओन मी” पर थिरकते हुए दिखाई दे रहे हैं।

प्रधानमंत्री के डांस मूव्स ने जहां कुछ लोगों को खुश किया, वहीं मॉन्ट्रियल में हिंसा की लहर के दौरान कॉन्सर्ट में उनके आने के समय ने लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है।

मॉन्ट्रियल में हिंसक विरोध प्रदर्शन

मॉन्ट्रियल में 23 नवंबर की रात शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हिंसक झड़पें हुईं हैं। नाटो विरोधी प्रदर्शनकारियों में से कई ने फिलिस्तीनी झंडे लहराए, कारों में आग लगाई, अधिकारियों पर विस्फोटक फेंके और इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का पुतला जलाया। यह अशांति कनाडा के सबसे बड़े शहर में आयोजित नाटो शिखर सम्मेलन के संदर्भ में हुई, जहां विश्व के नेता यूक्रेन में संघर्ष और जलवायु परिवर्तन जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे।

टोरंटो में ट्रूडो के नाचने के दौरान, कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने मॉन्ट्रियल में बढ़ते संकट को लेकर उनकी उदासीनता और लापरवाही की आलोचना की है।

 

 

एक यूजर ने स्थिति की तुलना रोमन सम्राट नीरो से की, जिसे रोम जलते समय बांसुरी बजाते हुए दिखाया गया था। एक ट्वीट में लिखा गया है, कि “फिलिस्तीन समर्थक, नाटो विरोधी दंगाइयों ने कनाडा के दूसरे सबसे बड़े शहर को आग में झोंक दिया। इस बीच, जस्टिन ट्रूडो टेलर स्विफ्ट के गाने पर नाच रहे हैं।”

अन्य यूजर्स ने प्रधानमंत्री पर एक संगीत कार्यक्रम का आनंद लेते हुए कनाडा के बढ़ते कर्ज और आवास संकट जैसे राष्ट्रीय मुद्दों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। विरोध प्रदर्शनों पर ट्रूडो की प्रतिक्रिया का संदर्भ देते हुए टोरंटो के सांसद डॉन स्टीवर्ट ने कहा, “यह लिबरल सरकार द्वारा बनाया गया कनाडा है।”

ट्रूडो के डांस का वीडियो, जिसे टिकटॉक पर पोस्ट किया गया है उसे सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया गया है, जिसमें उन्हें डांस में पूरी तरह डूबे हुए और यहां तक ​​कि प्रशंसकों के साथ दोस्ती के बैंड का आदान-प्रदान करते हुए दिखाया गया है। कॉन्सर्ट में उनकी उपस्थिति की पुष्टि उनके कार्यालय ने एक पारिवारिक सैर के रूप में की थी, लेकिन मॉन्ट्रियल में हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए, यह अभी भी लोगों को चौंका रहा है, जो कि कुछ सौ मील की दूरी पर स्थित है।

 

 

ट्रूडो ने की है हिंसक प्रदर्शन की निंदा

जस्टिन ट्रूडो ने मॉन्ट्रियल में हुई आक्रामकता की निंदा की है। 25 नवंबर को जारी एक बयान में, उन्होंने घटनाओं को “भयावह” कहा और यहूदी-विरोधी और हिंसा के खिलाफ अपना मजबूत रुख जताने की कोशिश की है।

ट्रूडो ने कहा, “यहूदी-विरोधी, धमकी और हिंसा के कृत्यों की निंदा की जानी चाहिए, चाहे इसे हम कहीं भी देखें।”

यह पहली बार नहीं है जब ट्रूडो की टेलर स्विफ्ट के साथ मेलजोल देखा गया है। स्विफ्ट ने जब अपने एरास टूर के लिए कनाडा आने की तारीखों की घोषणा की थी, उससे पहले, ट्रूडो ने सार्वजनिक रूप से पॉप स्टार से कनाडा को अपने कार्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया था। कॉन्सर्ट की रात, ट्रूडो ने स्विफ्ट का कनाडा में स्वागत करते हुए एक और पोस्ट शेयर किया, जिसमें घोषणा की गई, “हम आपके लिए तैयार हैं।”

ट्रूडो ने भले ही विरोध प्रदर्शनों की निंदा की है, लेकिन कॉन्सर्ट में उनकी मौजूदगी उनके लापरवाह और गैरजिम्मेदाराना रवैये को उजागर करता है। जस्टिन ट्रूडो, अपनी नीतियों की वजह से पहले ही देश की अर्थव्यवस्था को काफी नुकसान पहुंचा चुके हैं। लिहाजा, इस वीडियो के आने के बाद उनके नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।

Justin Trudeau: PM मोदी पर लांछन लगाकर जस्टिन ट्रूडो घर में ही घिरे, अपने ही अधिकारियों को कहा ‘क्रिमिनल’

Justin Trudeau News: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को अपने ही खुफिया अधिकारियों पर निशाना साधा और मीडिया को जानकारी लीक करने के लिए उन्हें “अपराधी” कहा है। जस्टिन ट्रूडो ने अपने अधिकारियों को उस वक्त ‘क्रिमिनल’ कहा, जब प्रधानमंत्री मोदी पर गंभीर आरोप लगाए गये थे।

शुक्रवार को ब्रैम्पटन में मीडिया को संबोधित करते हुए ट्रूडो ने खुफिया अधिकारियों पर बरसते हुए कहा, कि उन्होंने पहले ही विदेशी हस्तक्षेप की राष्ट्रीय जांच शुरू कर दी है।

उन्होंने कहा, कि “दुर्भाग्य से हमने देखा है, कि मीडिया को शीर्ष-गुप्त जानकारी लीक करने वाले ‘अपराधी’ लगातार उन कहानियों को गलत साबित कर रहे हैं। इसलिए हमने विदेशी हस्तक्षेप की राष्ट्रीय जांच की, जिसने इस बात पर प्रकाश डाला है, कि मीडिया आउटलेट को जानकारी लीक करने वाले अपराधी, अपराधी होने के अलावा अविश्वसनीय भी हैं।”

ट्रूडो ने अपने ही खुफिया अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी क्यों जताई?

ट्रूडो का यह बयान उस मीडिया रिपोर्ट के एक दिन बाद आया है, जिसमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को कनाडा में आपराधिक गतिविधियों से जोड़ा गया है, जिसमें सिख अलगाववादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की कथित साजिश भी शामिल है, जिसे कनाडाई सरकार ने “अटकलबाजी और गलत” करार दिया गया है।

एक अनाम वरिष्ठ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी के हवाले से, द ग्लोब एंड मेल अखबार ने मंगलवार को बताया था, कि कनाडाई सुरक्षा एजेंसियों का मानना ​​है, कि प्रधानमंत्री मोदी निज्जर की हत्या और अन्य हिंसक साजिशों के बारे में जानते थे। अधिकारी ने कहा, कि कनाडाई और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने हत्या के ऑपरेशन को गृह मंत्री अमित शाह से जोड़ा है। अधिकारी ने कहा कि डोभाल और जयशंकर भी इस बात की जानकारी में थे।

हालांकि, कनाडा के प्रधानमंत्री की राष्ट्रीय सुरक्षा एवं खुफिया सलाहकार नैथली जी ड्रोइन ने इन दावों को खारिज कर दिया, जबकि एक दिन पहले ही भारत ने इस रिपोर्ट को “बदनाम करने का अभियान” करार दिया था।

 

कनाडा पुलिस ने मीडिया रिपोर्टों को खारिज किया

प्रिवी काउंसिल ऑफिस द्वारा गुरुवार को जारी एक बयान में, ड्रोइन ने कहा, “14 अक्टूबर को, सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण, RCMP और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया।”

हालांकि, उन्होंने कहा, “कनाडा सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर या एनएसए डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने वाले सबूतों के बारे में कुछ नहीं कहा है, न ही उसे इसकी जानकारी है। इसके विपरीत कोई भी सुझाव, अटकलें और गलत, दोनों है।”

14 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में, रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस (RCMP) के कमिश्नर माइक डुहेम ने व्यापक हिंसा, हत्याओं और भारत सरकार के “एजेंटों” से जुड़ी सार्वजनिक सुरक्षा के खतरे की चेतावनी दी थी।

डुहेम के कॉन्फ्रेंस के कुछ घंटों बाद, प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संवाददाताओं से कहा, “मेरा मानना ​​है कि भारत ने अपने राजनयिकों और संगठित अपराध का इस्तेमाल करके कनाडाई लोगों पर हमला करने, उन्हें अपने घर में असुरक्षित महसूस कराने और इससे भी अधिक, हिंसा और यहां तक ​​कि हत्या की घटनाओं को अंजाम देने के लिए एक बड़ी गलती की है।

उन्होंने कहा, कि यह “अस्वीकार्य है।”

26 अक्टूबर को कनाडा के उप विदेश मंत्री डेविड मॉरिसन ने आरोप लगाया था, कि भारतीय गृह मंत्री शाह ने कनाडा के अंदर सिख अलगाववादियों को निशाना बनाकर हिंसा, धमकी और खुफिया जानकारी जुटाने का अभियान चलाने का आदेश दिया है।

भारत ने रिपोर्ट को “हास्यास्पद” बताया

बुधवार को नई दिल्ली में, ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, कि इस तरह के “हास्यास्पद बयानों” को उसी अवमानना ​​के साथ खारिज किया जाना चाहिए, जिसके वे हकदार हैं और “इस तरह के बदनाम करने वाले अभियान हमारे पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और नुकसान पहुंचाते हैं”।

खालिस्तानी अलगाववादियों को कनाडा के कथित समर्थन और निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के आरोप के कारण भारत-कनाडा संबंधों में गहरी खटास बनी हुई है, जिसकी पिछले साल जून में ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पिछले महीने भारत-कनाडा संबंधों में और गिरावट तब आई, जब कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा और कुछ अन्य राजनयिकों को हत्या से जोड़ा था, जिसपर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी थी।

भारत ने लगाई फटकार तो कनाडा के बदले सुर, अब ट्रूडो बोले- पीएम मोदी पर लगे आरोपों का हमारे पास कोई सबूत नहीं

Canada india Conflict कनाडा सरकार के सुर अब बदल गए हैं और आज ही कनाडा सरकार ने एक बयान जारी कर पीएम मोदी और अन्य भारतीय अधिकारियों पर लगे आरोपों को खुद ही निराधार बताया है। कनाडा सरकार ने कहा कि हमारे पास प्रधानमंत्री मोदी जयशंकर और एनएसए डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं है।

Canada india Conflict कनाडा पीएम की अकल आई ठिकाने।

एएनआई, नई दिल्ली। Canada india Conflict भारत की कड़ी फटकार के बाद अब कनाडा सरकार के सुर बदल गए हैं। आज कनाडा सरकार ने सिख आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर मामले में एक बयान जारी कर पीएम मोदी और अन्य भारतीय अधिकारियों पर लगे आरोपों को खुद ही निराधार बताया है।

पीएम मोदी और जयशंकर पर लगे आरोपों को नकारा

बयान में कहा गया है कि 14 अक्टूबर को सार्वजनिक सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण और निरंतर खतरे के कारण, RCMP और अधिकारियों ने भारत सरकार के एजेंटों द्वारा कनाडा में गंभीर आपराधिक गतिविधि के सार्वजनिक आरोप लगाने का असाधारण कदम उठाया।

हालांकि, कनाडा सरकार के पास प्रधानमंत्री मोदी, मंत्री जयशंकर और एनएसए डोभाल को कनाडा के भीतर गंभीर आपराधिक गतिविधि से जोड़ने के लिए कोई सबूत नहीं है और न ही उसे इसके बारे में पता है। सरकार ने कहा कि ये केवल अटकलें हैं।

पहले क्या बोला था कनाडा?

कनाडा की एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय प्रधानमंत्री को सिख आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या की कथित साजिश के बारे में पता था। एक अनाम अधिकारी के हवाले से यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है।

हालांकि, भारत ने इस रिपोर्ट को बदनाम करने वाला अभियान करार देते हुए इसकी कड़ी निंदा की।

भारत सरकार ने क्या दिया जवाब?

भारत ने इस रिपोर्ट का कड़ा विरोध जताया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस तरह के आरोप हास्यास्पद हैं और उनका सही से जवाब देना जरूर है। उन्होंने कहा, इस तरह का बदनाम करने वाला अभियान हमारे पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और नुकसान पहुंचाता है। जायसवाल कनाडाई अखबार द ग्लोब एंड मेल में छपी रिपोर्ट के बारे में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे।

कनाडा में निज्जर की हुई थी हत्या

बता दें कि जून 2023 में खालिस्तान समर्थक आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। हालांकि, अभी तक इस बात से पर्दा नहीं उठ पाया है कि ये हत्या किसने की है।

कनाडा सरकार ने आरोप लगाया था भारत सरकार के अधिकारियों का इस हत्या में हाथ है। बता दें कि निज्जर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम करता था। भारत ने कई बार निज्जर के प्रत्यर्पण की मांग की थी, लेकिन कनाडा ने न सिर्फ शरण दी, बल्कि नागरिकता भी दी।

Khalistan Canada: कनाडा को ही खालिस्तान बनाएंगे क्या? गोरों को घुसपैठिया कहकर देने लगे चेतावनी

कनाडा से आया एक वीडियो खालिस्तानियों की नई साजिश की ओर इशारा कर रहा है. उनके हमदर्द जस्टिन ट्रूडो सरकार के लिए यह खतरे की घंटी है. वहां खालिस्तानी अब स्थानीय कनाडाई लोगों को ही भगाने पर आमादा हैं.

 

कनाडा में नया गेम

Canada Khalistan News: कनाडा के लोगों में यह आशंका तेजी से बढ़ने लगी है कि खालिस्तानी कहीं उनके देश को ही खालिस्तान बनाने की साजिश तो नहीं कर रहे? वैसे तो ये धड़ल्ले से भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं लेकिन अब इन्होंने कनाडा के स्थानीय लोगों को ही ‘घुसपैठिया’ कहना शुरू कर दिया है. एक धार्मिक कार्यक्रम में इन्होंने नारे भी लगाए- ‘तुम लोग यूरोप और इंग्लैंड वापस जाओ’.

भारत और भारतीयों पर आरोप लगाने वाले ये खालिस्तानी जिस तरह अब कनाडा के लोगों को ही टारगेट करने लगे हैं, उससे स्थानीय लोगों की टेंशन बढ़ गई है. कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर कर चिंता जताई है.

एक्स पर वायरल वीडियो में एक कार्यक्रम के दौरान खालिस्तानी सपोर्टर यह कहते देखे और सुने जाते हैं, ‘यह कनाडा है, हमारा अपना देश है. तुम (कनाडाई) वापस जाओ.’ वीडियो में यह कहते हुए भी सुना जा सकता है कि गोरे लोग घुसपैठिए हैं और हम कनाडा के असली मालिक हैं. ये खालिस्तानी कनाडा में खुलेआम मार्च करते हैं और भारत के खिलाफ नफरत फैलाते हैं लेकिन इनका नया रूप कनाडा की टेंशन बढ़ाने वाला है. इन लोगों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा है कि गोरे लोगों को यूरोप और इजरायल वापस चले जाना चाहिए.

भारतीय कह रहे ‘गुड लक कनाडा’

जैसे ही यह वीडियो भारत पहुंचा, लोग कनाडा को ‘गुड लक’ की शुभकामनाएं देने लगे. कई लोगों ने तंज कसा है कि जो जैसा करेगा, वैसा भरेगा. भारतीय खुफिया सूत्रों ने इस घटना को कनाडा में ‘न्यू नॉर्मल’ बताया है. इन्होंने कहा है कि खालिस्तानी धीरे-धीरे देश के सभी क्षेत्रों में कब्जा कर रहे हैं.

सूत्रों का कहना है, ‘उचित निगरानी के अभाव में ये समूह स्थानीय कनाडाई लोगों से भी कंट्रोल अपने हाथों में ले रहे हैं. हिंदुओं से सुरक्षा के लिए पैसे मांगे जा रहे हैं और अब उनकी कॉलोनियों में स्थानीय लोगों के लिए खतरा बन गया है.’

पिछले साल खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद भारत-कनाडा के संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. वहां की जस्टिन ट्रूडो सरकार ने हत्या में भारत का हाथ होने का आरोप लगाया है. इसके बाद, दोनों देशों ने एक-दूसरे के शीर्ष राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. भारत ने कनाडा के आरोपों को झूठा और बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया है.

अर्श डल्ला का प्रत्यर्पण मांगेगा भारत

इधर, भारत ने कहा है कि वह खालिस्तान टाइगर फोर्स के सरगना अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला की कनाडा में गिरफ्तारी के बाद उसके प्रत्यर्पण के लिए कनाडा से कहेगा. डल्ला को 2023 में भारत में आतंकवादी घोषित किया गया था. जुलाई 2023 में भारत ने कनाडा सरकार से उसकी अस्थायी गिरफ्तारी का अनुरोध किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हालिया गिरफ्तारी के मद्देनजर हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करेंगी.’

 

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