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Elon Musk: ‘भारत ने एक दिन में गिन डाले 64 करोड़ वोट’, एलन मस्क ने अमेरिकी वोटिंग सिस्टम को लगाई लताड़

Elon Musk: दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क ने भारतीय इलेक्शन प्रोसेस की तारीफ करते हुए अमेरिकी इलेक्शन सिस्टम को लताड़ लगाई और उन्होंने भारत में हुए लोकसभा चुनाव को सराहा है।

कैलिफोर्निया राज्य में वोटों की गिनती में देरी पर कटाक्ष करते हुए, अरबपति कारोबारी एलन मस्क ने तारीफ करते हुए कहा, कि भारत ने एक दिन में 64 करोड़ वोटों की गिनती की। इस साल जून में हुए लोकसभा चुनाव में भारत में सिर्फ एक दिन में 64 करोड़ से ज्यादा वोट गिने गये और उससे भी खास बात ये थी, कि लोकसभा चुनाव में दोपहर होते होते एक समझ आने लगी, कि किस पार्टी को करीब करीब कितनी सीटें मिलने जा रही हैं।

न्यूजवीक के एक लेख के मुताबिक, छह हफ्ते की अवधि में आयोजित किए गए भारत चुनाव में 642 मिलियन, यानि करीब 64 करोड़ से ज्यादा वोट डाले गए थे और चंद घंटों में सभी वोटों की गिनती हो जाने से शाम होते होते स्पष्ट चुनावी नतीजे सामने आ गये थे।

लेकिन, आपको हैरानी होगी, कि अमेरिका में 5 नवंबर को हुए राष्ट्रपति चुनाव में भले ही डोनाल्ड ट्रंप जीत हासिल कर चुके हैं, लेकिन कैलिफोर्निया राज्य अभी भी वोटों की गिनती कर ही रहा है, जिससे कई लोग हैरान हैं कि इस देरी के पीछे क्या कारण है?

रविवार को एलन मस्क ने एक्स पर न्यूजवीक का एक लेख शेयर किया, जिसमें बताया गया है, कि कैसे भारत ने 24 घंटे के भीतर 600 मिलियन से ज्यादा वोटों की गिनती करने में कामयाबी हासिल की। ​​उन्होंने कैलिफ़ोर्निया में वोटों की गिनती के लिए अपनाई जाने वाली सुस्त प्रक्रिया पर भी कटाक्ष किया। मस्क ने एक्स पर लिखा, “भारत ने 1 दिन में 640 मिलियन वोटों की गिनती की। कैलिफोर्निया अभी भी वोटों की गिनती कर रहा है।”

 

 

कैलिफोर्निया में वोटों की गिनती में दिक्कत

एलन मस्क की यह टिप्पणी उस समय आई है, जब यह पाया गया है, कि कैलिफोर्निया राज्य, चुनाव खत्म होने के दो हफ्ते से ज्यादा समय बाद भी मतपत्रों की गिनती कर रहा है। इस सप्ताह की शुरुआत में, कैलिफोर्निया के चुनाव अधिकारियों ने सूचित किया था, कि राज्य में अभी भी 300,000 से ज्यादा मतपत्रों की गिनती होनी बाकी है।

यह ध्यान देने वाली बात है, कि कैलिफोर्निया संयुक्त राज्य अमेरिका का सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य है और यहां 3 करोड़ 90 लाख से ज्यादा लोग रहते हैं। इसमें से कम से कम 1 करोड़ 60 लाख लोगों ने इस महीने हुए राष्ट्रपति चुनाव में वोट डाला था। पिछले कुछ वर्षों में, राज्य लगातार अपने मतों की गिनती और रिपोर्ट करने में सबसे धीमे राज्यों में से एक रहा है।

इस देरी का एक कारण यह है, कि राज्य बहुत बड़ा है और ज्यादातर मतपत्र डाक से डाले जाते हैं। शुक्रवार को चुनाव अधिकारियों ने कहा, कि हर मतपत्र की गिनती में कई हफ्ते लगेंगे। इसी तरह राज्य ने 2020 और 2022 के चुनावों में अपने अंतिम नतीजों की रिपोर्ट करने में भी कई हफ्ते लगा दिए थे।

एसोसिएटेड प्रेस ने बताया है, कि मेल-इन मतपत्रों की गिनती में देरी इसलिए होती है, क्योंकि प्रत्येक मतदाता को व्यक्तिगत रूप से वैलिडेट किया जाना जरूरी होता है, और यह मतदान केंद्र पर मतपत्र को स्कैन करने की तुलना में ज्यादा गहन प्रक्रिया है।

भारत में वोटों की गिनती क्यों होती है तेज?

भारत में दुनिया का सबसे विशाल चुनाव होता है और इस साल हुए लोकसभा चुनाव में करीब 90 करोड़ से ज्यादा लोग वोटर्स थे, जिनमें से रिकॉर्ड 64 करोड़ 20 लाख लोगों ने वोट डाले थे। लेकिन, इस बार के इलेक्शन में किसी भी पार्टी ने बहुमत हासिल नहीं किया। मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा था, कि “हमने 642 मिलियन गौरवान्वित भारतीय मतदाताओं का विश्व रिकॉर्ड बनाया है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है।”

जब मतगणना प्रक्रिया की बात आती है, तो भारत में मतों की गिनती विकेंद्रीकृत तरीके से की जाती है, जो 543 निर्वाचन क्षेत्रों में से हर एक क्षेत्र में एक साथ होती है। चुनाव अधिकारी पहले डाक से आए मतपत्रों की गिनती शुरू करते हैं, उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) द्वारा दर्ज किए गए मतों की गिनती करते हैं, जिनका इस्तेमाल देश में 2000 से किया जा रहा है। ये प्रक्रिया काफी तेज होती है।

इतना ही नहीं, प्रत्येक वोट को वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) द्वारा भी सपोर्ट किया जाता है, जो हर बार वोट डालने पर एक पेपर स्लिप बनाता है। भारतीय सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद, डाक मतपत्रों की गिनती की जाती है और अन्य मतों की गिनती से पहले घोषणा की जाती है। इसके बाद, सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ईवीएम को खोला जाता है।

रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की देखरेख में, मतगणना आम तौर पर एक बड़े हॉल में होती है, और प्रत्येक राउंड के बाद परिणाम रिकॉर्ड किए जाते हैं और घोषित किए जाते हैं। शनिवार को भी, भारत झारखंड और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में कुछ ही घंटों में 9 करोड़ वोटों की गिनती करने में कामयाब रहा। अकेले महाराष्ट्र राज्य की जनसंख्या कैलिफोर्निया से लगभग चार गुना ज्यादा है।

क्या ईरान-अमेरिका तनाव सुलझा पाएगा ट्रंप का ‘दूत’ ? जानिए क्या है आमिर सईद से मुलाकात के मायने?

Elon Musk Meet Iran UN Envoy: हाल ही में, हुए अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने मंत्रिमंडल और प्रशासन के विस्तार में जुट गए हैं। इस बीच, ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी एलन मस्क(टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक) के हाथ ईरान-अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्तों की डोर थमा दी है।

आखिर हो भी क्यों न, जब नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने आगामी प्रशासन के लिए नवनिर्मित सरकारी कार्यकुशलता विभाग का नेतृत्व करने के लिए मस्क को चुना है। इससे पहले ही, एलन मस्क ने 11 नंवबर को संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया कि मस्क और ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी के बीच न्यूयॉर्क में एक गुप्त स्थान पर बैठक हुई और यह एक घंटे से अधिक समय तक चली। अधिकारियों ने बताया कि चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि दोनों देशों के बीच तनाव को कैसे कम किया जाए? एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों को इस बात की सूचना नहीं दी गई थी कि बैठक हो रही है और अभी तक इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगले चार साल ईरान के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा साबित हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप की निगरानी में तेहरान पर “अधिकतम दबाव” अभियान की वापसी हो सकती है, जो उन्होंने अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान लागू किया था, जिससे ईरान का अलगाव बढ़ा और उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई।

ईरान-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति

ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद, ईरान ने कई आक्रामक कदम उठाए, जैसे…

• यूरेनियम संवर्धन बढ़ाना।

• तेल निर्यात में वृद्धि।

•क्षेत्रीय आतंकी समूहों का समर्थन करना।

• इजरायल पर सीधा हमला करना।

ट्रंप के पिछले कार्यकाल में “अधिकतम दबाव” की नीति लागू की गई थी, जिसने ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया था। अब, उनके नए प्रशासन में इस नीति की वापसी की संभावना जताई जा रही है।

क्या नया सरकारी विभाग मददगार होगा?

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि एलन मस्क और विवेक रामास्वामी उनके नए “सरकारी दक्षता विभाग” का नेतृत्व करेंगे। इस विभाग का उद्देश्य सरकारी कामकाज को बेहतर बनाना और “बाहर से विशेषज्ञों” की मदद लेना है। हालांकि, इस विभाग की कार्यप्रणाली और इसके संभावित प्रभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस की मंजूरी भी इस विभाग के लिए एक चुनौती हो सकती है।

बैठक के राजनीतिक मायने

एलन मस्क और ईरानी राजदूत के बीच हुई इस बैठक ने कई सवाल खड़े किए हैं…

• क्या ट्रंप प्रशासन अपने पहले कार्यकाल की तरह ईरान पर “अधिकतम दबाव” नीति को फिर से लागू करेगा?

• क्या मस्क की कूटनीतिक भूमिका ट्रंप की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत देती      है?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम ईरान पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी हो सकती है।

ईरान-अमेरिका संबंधों में कब-कब बढ़ा तनाव?

1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति – इस क्रांति में ईरान के शाह (जो अमेरिका समर्थक थे) का तख्तापलट कर दिया गया। इसके बाद ईरान में एक इस्लामिक शासन स्थापित हुआ, जिसने अमेरिका के प्रति विरोध की नीति अपनाई। इसके बाद उसी साल तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 52 अमेरिकी नागरिकों को बंधक बना लिया गया, जिससे अमेरिका और ईरान के संबंधों में गहरा अविश्वास पैदा हुआ।

ईरान-इराक युद्ध (1980-88):अमेरिका का समर्थन – ईरान-इराक युद्ध (1980-88) में अमेरिका ने ईरान के दुश्मन इराक का समर्थन किया। इससे भी ईरान में अमेरिका के प्रति घृणा की भावना बढ़ी।

परमाणु कार्यक्रम पर विवाद – ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना शुरू किया, जिसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक खतरे के रूप में देखा। अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने की कोशिश की।

क्षेत्रीय संघर्ष – ईरान और अमेरिका कई क्षेत्रों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। ईरान पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है, जबकि अमेरिका उसे रोकना चाहता है। सीरिया, यमन, इराक जैसे देशों में ईरान समर्थित समूह और अमेरिका समर्थित सेनाओं के बीच संघर्ष भी इन दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को बढ़ाता है।