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सुप्रीम कोर्ट से Mukesh Ambani को बड़ी राहत, SEBI की जुर्माने वाली याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की ओर से मुकेश अंबानी के खिलाफ 25 करोड़ रुपये के जुर्माने वाले याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के शेयरों की हेराफेरी के आरोप में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

Mukesh Ambani

सुप्रीम कोर्ट से Mukesh Ambani को बड़ी राहत, SEBI की जुर्माने वाली याचिका को किया खारिज

नई दिल्ली: देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने सेबी की ओर से मुकेश अंबानी पर 25 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, सेक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ने कथित तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पर साल 2007 में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया था. बता दें कि साल 2009 में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में मर्ज हो गई थी.

अंबानी को व्यक्तिगत दोषी ठहराने से कोर्ट का इनकार

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “इस केस में लॉ का कोई सवाल नहीं उठाया गया है. इसे खारिज किया जाता है.” जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने 2 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ सेबी की ओर से दाखिल मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई है, लेकिन कथित कामों के लिए अंबानी को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराने से इनकार कर दिया.

 

सेबी ने SAT के फैसले को दी थी चुनौती

दरअसल, मार्केट रेगुलेटरी ने बीते साल दिसंबर महीने में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने रिलायंस इंडस्ट्रीज, अंबानी, नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड पर कुल 70 करोड़ रुपये की पेनाल्टी की मांग को खारिज कर गया था.

 

 

शेयरों में हेराफेरी का मामला

बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान सेबी के वकील सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने कोर्ट से सेबी की अपील पर एक नोटिस जारी करने का आग्रह किया, जिसमें मैनेजिंग डायरेक्टर के प्रतिनिधि दायित्व से जुड़े मामले पर जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सैट के परस्पर विरोधी फैसलों ने कानूनी अस्पष्टता पैदा की है. न्यायालय ने हालांकि, अंबानी की जवाबदेही से संबंधित सेबी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. वहीं, अंबानी के पक्ष वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और रितिन राय ने सैट के फैसले के समर्थन में तर्क दिए. बता दें कि यह मामला आरपीएल में 5% हिस्सेदारी की बिक्री पर केंद्रित था, जिसमें सेबी शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगा रहा है. आरआईएल की एक लिस्टेड सब्सिडरी थी, जिसका साल 2009 में आरआईएल में मर्जर कर दिया गया था.