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‘लोकतंत्र हमारे DNA, दृष्टि, आचार और व्यवहार में है’, गयाना में बोले पीएम नरेंद्र मोदी

PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गयाना दौरे पर हैं। पीएम मोदी ने यहां गुरुवार 21 नवंबर को संसद के विशेष सत्र को संबोधित किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, ‘लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखा दिया है कि लोकतंत्र हमारे DNA में है, दृष्टि में है, आचार और व्यवहार में है।’

पीएम नरेंद्र मोदी ने गयाना में बोलते हुए कहा, ‘भारत और गयाना का रिश्ता बहुत गहरा है, यह मिट्टी, पसीने और परिश्रम का रिश्ता है। करीब 180 साल पहले एक भारतीय गयाना की धरती पर आया था और उसके बाद से खुशी और गम दोनों ही स्थितियों में भारत और गयाना का रिश्ता आत्मीयता से भरा रहा है।’

पीएम ने कहा कि 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं जहां ताम-झाम हो चकाचौंध हो। लेकिन, मुझे गयाना की विरासत और इतिहास को जानना था समझना था। आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे जिन्हें मुझसे हुई मुलाकात याद होगी। मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं।

इतना ही नहीं, पीएम मोदी ने कहा कि पिछले 200-250 वर्षों में भारत और गुयाना ने एक जैसी गुलामी देखी है, एक जैसा संघर्ष देखा है। आजादी की लड़ाई में कितने ही लोगों ने यहां-वहां अपनी जान कुर्बान की। आज दोनों देश दुनिया में लोकतंत्र को मजबूत कर रहे हैं। इसलिए, गुयाना की संसद में, मैं भारत के 140 करोड़ लोगों की तरफ से आप सभी का अभिनंदन कर रहा हूं।

उन्होंने कहा कि आज दुनिया के सामने जिस तरह की स्थिति है, उसमें आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका है ‘लोकतंत्र पहले और मानवता पहले’-‘लोकतंत्र पहले’ का विचार हमें सबको साथ लेकर चलना और सबके विकास के साथ आगे बढ़ना सिखाता है। ‘मानवता पहले’ का विचार हमारे निर्णयों की दिशा तय करता है।

जब ‘मानवता पहले’ के विचार के आधार पर निर्णय लिए जाते हैं, तो परिणाम मानवता के हित में होते हैं। समावेशी समाज के निर्माण के लिए लोकतंत्र से बड़ा कोई दूसरा माध्यम नहीं है…दोनों देशों ने मिलकर दिखा दिया है कि लोकतंत्र सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखा दिया है कि लोकतंत्र हमारे DNA में है, दृष्टि में है, आचार और व्यवहार में है।

कहा कि हम कभी विस्तारवाद की सोच के साथ आगे नहीं बढ़े हैं। हम हमेशा संसाधनों पर कब्ज़ा करने की सोच से दूर रहे हैं। मेरा मानना ​​है कि चाहे अंतरिक्ष हो या समुद्र, यह सार्वभौमिक सहयोग का विषय होना चाहिए, सार्वभौमिक संघर्ष का नहीं। दुनिया के लिए भी यह संघर्ष का समय नहीं है, यह संघर्ष पैदा करने वाली स्थितियों को पहचानने और उन्हें दूर करने का समय है।