पुलिस ने बताया है, कि पिछले 24 घंटों में उत्तर-पश्चिमी पाकिस्तान के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 32 लोग मारे गए हैं और 30 अन्य घायल हो गए। वहीं, पिछले 48 घंटे में मरने वालों की संख्या 47 हो गई है।

अफगानिस्तान की सीमा से लगे कुर्रम जिले में अलीजई और बागान जनजातियों के बीच झड़पें गुरुवार को यात्री वैन के काफिले पर हुए हमले के बाद हुईं, जिसमें 47 लोगों की हत्या कर दी थी। बालिशखेल, खार काली, कुंज अलीजई और मकबल में भी गोलीबारी जारी है। जनजातियां भारी और स्वचालित हथियारों से एक-दूसरे को निशाना बना रही हैं।
पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये हिंसक झड़प शिया और सुन्नियों के बीच हो रही है। कल सुन्नियों ने शियाओं के ऊपर हमला किया था और आज शियाओं ने बदला लिया है। इस लड़ाई में घरों और दुकानों को भी नुकसान पहुंचा है। वहीं, कई गांवों से लोग सुरक्षित स्थानों की तरफ भाग निकले हैं।
कोचिंग सेंटर चलाने वाले मुहम्मद हयात हसन ने पुष्टि की है, कि बिगड़ते हालात के कारण शनिवार को जिले के सभी शैक्षणिक संस्थान बंद रहेंगे।
गुरुवार को बागान, मंदुरी और ओछत में 50 से ज्यादा यात्री वाहनों पर गोलीबारी की गई थी। पुलिस ने बताया, कि गोलीबारी में छह वाहन सीधे तौर पर क्षतिग्रस्त हो गए, जिसके परिणामस्वरूप महिलाओं और बच्चों सहित 47 लोगों की मौत हो गई थी। अधिकारियों ने बताया है, कि ये वाहन खैबर पख्तूनख्वा की राजधानी पाराचिनार से पेशावर जा रहे थे। उन्होंने बताया कि ज्यादातर पीड़ित शिया समुदाय के थे।
पाकिस्तान में शिया और शिया मुसलमान
सुन्नी बहुल पाकिस्तान की 24 करोड़ की आबादी में शिया मुसलमान लगभग 15 प्रतिशत हैं, जिसका इतिहास दोनों समुदायों के बीच सांप्रदायिक दुश्मनी का रहा है। हालांकि वे देश में काफी हद तक शांतिपूर्ण तरीके से एक साथ रहते हैं, लेकिन कुछ क्षेत्रों में दशकों से तनाव बना हुआ है, खासकर कुर्रम के कुछ हिस्सों में, जहां शियाओं का वर्चस्व है।
इस साल जुलाई में भी भूमि विवाद को लेकर दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प में करीब 50 लोग मारे गए थे, जब कुर्रम में सुन्नी और शियाओं के बीच झड़पें हुई थीं। पाकिस्तान वर्तमान में उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम में हिंसा से निपटने के लिए खुफिया-आधारित अभियान चला रहा है, जहां आतंकवादी और अलगाववादी अक्सर पुलिस, सैनिकों और नागरिकों को निशाना बनाते हैं। इन क्षेत्रों में अधिकांश हिंसा के लिए पाकिस्तानी तालिबान और प्रतिबंधित बलूच लिबरेशन आर्मी को दोषी ठहराया गया है।
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