समाचार एजेंसी एएफपी ने वरिष्ठ पुलिस डिटेक्टिव रजाउल करीम मलिक के हवाले से कहा है, उन्हें ढाका में गिरफ्तार किया गया है।

चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी, जिन्हें कृष्ण प्रभु दास के नाम से भी जाना जाता है, उन्होंने बांग्लादेश में कई रैलियां आयोजित की थीं, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने “साथी भक्तों के खिलाफ अत्याचार” की निंदा की थी। ढाका पुलिस के प्रवक्ता तालेबुर रहमान ने गिरफ्तारी की पुष्टि की है, लेकिन उनके ऊपर लगाए गये आरोपों की जानकारी नहीं दी है।
लेकिन, बांग्लादेशी मीडिया के मुताबिक, उनके ऊपर राजद्रोह के मामले दर्ज किए गये हैं और कोर्ट में आज उन्हें पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई है।
बांग्लादेश में गिरफ्तार किए गए हिंदू नेता कृष्णदास प्रभु कौन हैं?
कृष्ण दास प्रभु, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से भी जाना जाता है, वो बांग्लादेश में एक हिंदू नेता और पूजनीय व्यक्ति हैं। वे बांग्लादेश सम्मिलितो सनातन जागरण जोते समूह के सदस्य भी हैं। ब्रह्मचारी इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) से जुड़े थे। वे इस्कॉन के प्रवक्ता भी हैं।
इस्कॉन के सदस्य के रूप में, कृष्ण प्रभु दास बांग्लादेश में हिंदुओं के अधिकारों और सुरक्षा के लिए मुखर वकील रहे हैं, और अक्सर लक्षित घृणा हमलों और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ बोलते रहे हैं।
कृष्ण दास ने हाल ही में लक्षित हमलों का सामना कर रहे हिंदुओं के लिए न्याय की मांग करते हुए एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था और अल्पसंख्यक समुदाय के लिए बांग्लादेशी अधिकारियों से बेहतर सुरक्षा की मांग की। एएफपी के मुताबितक, ब्रह्मचारी के खिलाफ अक्टूबर में मामला दर्ज किया गया था, जब उन्होंने चटगांव शहर में एक बड़ी रैली का नेतृत्व किया था, जहां उन पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था।
उनके मुखर रुख और नेतृत्व ने उन्हें एक प्रमुख व्यक्ति बना दिया है, लेकिन साथ ही उन्हें राजनीतिक और सामाजिक विवादों के घेरे में भी खड़ा कर दिया है। कृष्ण दास प्रभु की हिरासत, बांग्लादेश में बढ़ते धार्मिक तनाव के बीच हुई है, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद से हिंसा से ग्रस्त है।
हिंदू अल्पसंख्यकों को देश के अलग अलग इलाकों में निशाना बनाया जा रहा है।
बांग्लादेश की कुल आबादी में हिंदू अब सिर्फ 8% बचे हैं। ज्यादातर हिंदू भारत भागने के लिए मजबूर कर दिए गये या फिर उन्हें जबरन मुसलमान बना दिया गया।
बांग्लादेश में कई जगहों पर किए गये प्रदर्शन
उनकी गिरफ्तारी के बाद ढाका में हिंदू समुदाय के लोगों ने शाहबाग इलाके में विरोध प्रदर्शन किया, जहां कई लोगों ने नारे लगाए और प्रभु की तत्काल रिहाई की मांग करते हुए प्रमुख सड़कों को भी जाम कर दिया। ढाका ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के अनुसार, इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISKCON) के सदस्यों ने भी चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान अज्ञात लोगों द्वारा हमला किए जाने के बाद कई लोग घायल हो गए।
इसके अलावा बांग्लादेश के एक अन्य प्रमुख शहर चटगांव में भी लोगों ने प्रभु की गिरफ्तारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। शहर से आए एक वीडियो में हिंदू नेता की गिरफ्तारी के विरोध में लोगों को अपने मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाते हुए दिखाया गया। इस बीच, भाजपा सांसद सुकांत मजूमदार ने चिन्मय कृष्ण प्रभु की गिरफ्तारी की निंदा की और विदेश मंत्री एस जयशंकर से मामले को गंभीरता से लेने और तत्काल कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप करने का आह्वान किया है।
मजूमदार ने कहा, “चिन्मय प्रभु, जिन्हें श्री चिन्मय कृष्ण दास प्रभु के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश के एक सनातनी हिंदू नेता, इस्कॉन मंदिर के एक भिक्षु और बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों की आवाज हैं, उन्हें सोमवार को शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन करने के लिए ढाका पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, भिक्षु चिन्मय प्रभु को सोमवार दोपहर ढाका पुलिस ने ढाका हवाई अड्डे से उठाया और उन्हें ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा में ले जाया गया है।”
बांग्लादेश में पुंडरीक धाम के अध्यक्ष चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी उन 18 लोगों में से एक हैं, जिन पर बांग्लादेश में भगवा ध्वज फहराने के आरोप में राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
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