भारत इस हफ्ते 26/11 मुंबई आतंकवादी हमले की 16वीं बरसी मना रहा है और उस भीषण आतंकवादी हमले को अंजाम देने में सबसे बड़ी भूमिका हाफिज सईद ने ही निभाई थी, लेकिन हैरानी की बात ये है, कि पाकिस्तान ने उसे आज भी भारत के हवाले नहीं किया है। आइये, फिर से जानने की कोशिश करते हैं, कि क्या भारत के सबसे बड़े गुनहगार को इंसाफ के कटघरे में लाया जा सकेगा?
लश्कर-ए-तैयबा का चीफ है हाफिज सईद
हाफिज सईद ने 1990 के दशक में पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (LeT) आतंकवादी समूह की स्थापना की और जब उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया, तो उसने 2002 में एक बहुत पुराने संगठन, जमात-उद-दावा (JuD) को अपनी आतंकी हरकतों को आगे बढ़ाने के लिए फिर से जिंदा कर लिया। हाफिज सईद का कहना है, कि JuD एक इस्लामी कल्याण संगठन है, लेकिन अमेरिका का कहना है, कि यह LeT का मुखौटा है।
2012 में वाशिंगटन ने उसकी जानकारी देने वाले के लिए 10 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा की थी, लेकिन इसके बाद भी वो सालों तक आजाद रहा और पाकिस्तान ने उसे सलाखों के पीछे तभी डाला, जब उसे लगने लगा, कि अब अमेरिकी खैरात मिलना उसे बंद हो जाएगा। पाकिस्तान ने उसे तब नजरबंद किया, जब डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान उसे लगा, कि अमेरिका उसके खिलाफ सख्त एक्शन ले सकता है और उसके बाद ही बाद में जाकर हाफिज सईद को आतंकवाद की फंडिंग के आरोपों में 78 सालों की सजा सुनाई गई।
लेकिन, आपको ये जानकर हैरानी होगी, कि मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तान में उसके खिलाफ एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है।
2014 में एक इंटरव्यू में हाफिज सईद ने बीबीसी से कहा था, कि उसका मुंबई हमलों से कोई लेना-देना नहीं है, उसने अपने खिलाफ सबूतों को भारत का एक प्रोपेगेंडा बताया था।
उसने कहा था, कि “पाकिस्तान के लोग मुझे जानते हैं और वे मुझसे प्यार करते हैं। किसी ने भी इस इनाम को पाने के लिए अमेरिकी अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश नहीं की। मेरी भूमिका बहुत स्पष्ट है, और अल्लाह मेरी रक्षा कर रहे हैं।”
हाफिज सईद पर कोई चार्ज नहीं
दिल्ली ने सईद और उसके संगठन पर अपने क्षेत्र में कई आतंकवादी हमले करने का आरोप लगाया है लेकिन आज तक पाकिस्तान ने यही कहा है, कि उसे गिरफ्तार करने और उस पर मुकदमा चलाने के लिए कोई सबूत नहीं है। 2001 में भारतीय संसद पर हमला करने के आरोप में लश्कर-ए-तैयबा पर आरोप लगने के बाद उसे तीन महीने तक हिरासत में रखा गया था। अगस्त 2006 में उसे ऐसी गतिविधियों के लिए हिरासत में लिया गया था, जिसके बारे में सरकार ने कहा था, कि वह अन्य सरकारों के साथ उसके संबंधों के लिए “हानिकारक” है, लेकिन बाद में उसे रिहा कर दिया गया।
हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान हमेशा से गेम खेलता रहा है। 2008 में मुंबई हमलों के बाद उसे घर में ही नजरबंद कर दिया गया था। और जब उसके ऊपर अमेरिका का भारी जबाव पड़ा, तो पाकिस्तानी सरकार ने बाद में कुछ मौकों पर कबूल किया, कि मुंबई पर हमले की साजिश का “कुछ हिस्सा” उसकी धरती पर हुआ था, और इसमें लश्कर-ए-तैयबा शामिल था।
हमलों के सिलसिले में पाकिस्तान में कई गिरफ्तारियां की गईं, लेकिन मोस्ट वांडेट आतंकवादी सईद के खिलाफ कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया गया।
पाकिस्तानी सेना ने हाफिज सईद को पाला
हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान अब कहता है, कि वो जेल में सजा काट रहा है, लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है, कि असल में उसे पाकिस्तान की सेना ने छिपाकर रखा हुआ है। पाकिस्तान की ओर से इस समूह के खिलाफ की गई कार्रवाई भी पूरी तरह से अनिश्चित रही है, जो जाहिर तौर पर, जो भी कार्रवाई की गई, वो बाहरी दबाव में की गई।
अमेरिका द्वारा लश्कर-ए-तैयबा को आतंकवादी संगठनों की सूची में डालने के बाद जनवरी 2002 में इसने इस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसी तरह, संयुक्त राष्ट्र द्वारा विवादास्पद चैरिटी पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अमेरिका ने दिसंबर 2008 में जमात-उद-दावा को राष्ट्रीय निगरानी सूची में डाल दिया था।
लश्कर-ए-तैयबा जमात-उद-दावा वल-इरशाद की एक शाखा थी, जो 1985 में अफगानिस्तान में जिहाद (पवित्र युद्ध) के लिए हाफिज सईद की तरफ से बनाया गया एक प्रचार, प्रकाशन और प्रचार नेटवर्क था।
अब्दुल्ला उज्जम, जो एक फिलिस्तीनी मौलवी और कट्टरपंथी था, उसने अफगानिस्तान में जिहाद के शुरुआती बीज बोए थे, उसने हाफिज सईद के साथ मिलकर लश्कर-ए-तैयबा का निर्माण किया था और इस दोनों ने मिलकर उस पूरे क्षेत्र में सैकड़ों-हजारों बच्चों और युवाओं को जिहादी बनाया और उसी का नतीजा है, कि आज पूरा पाकिस्तान आतंकवाद की भट्टी में जल रहा है।
9/11 के बाद बदलते रहे नाम
9/11 के बाद लश्कर-ए-तैयबा पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बढ़ गया था और भारत ने 2003, 2005 और 2008 में मुंबई और दिल्ली में हुए हमलों के लिए इस समूह को दोषी ठहराया था। दिसंबर 2000 में दिल्ली के लाल किले और एक साल बाद भारतीय संसद पर हुए हमले में भी हाफिज सईद मास्टरमाइंड था।
जनवरी 2002 में लश्कर-ए-तैयबा पर प्रतिबंध लगने से कुछ दिन पहले, हाफिज सईद ने समूह के मूल संगठन, जमात-उद-दावा वल-इरशाद को पुनर्जीवित किया था और इसके नाम में संशोधन किया था। और ये लगातार अपनी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता रहा। मात-उद-दावा ने पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों के लिए लड़ाकों की भर्ती जारी रखी।
हालांकि, अब हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान दावा करता है, कि वो जेल में बंद है और उसे सजा मिल चुकी है, लेकिन उसे सजा भारत में किए गये आतंकी हमलों के लिए नहीं मिली है। भारत में अभी भी सवाल उठ रहे हैं, कि क्या कभी हाफिज सईद को उसके किए गुनाह के लिए सजा मिल पाएगी?