Category Archives: लाइफस्टाइल

 घर में कैसे प्राकृतिक ब्लश बनाएं:बिना मेकअप चेहरे पर लाएं गुलाबी निखार: इन होममेड नुस्खों से त्वचा को दें नैचुरल Blush

आमतौर पर लोग अपने चेहरे को गुलाबी करने के लिए महंगे-महंगे प्रोडक्ट्स का यूज़ करते हैं, जबकि आप अपने घर में ही केमिकल-फ्री Blush बना सकते हैं सुन्दर दिखने के लिए लोग अपनी स्किन पर न जाने कितने केमिकल प्रोडक्ट्स लगा लेते हैं, जिनका नतीजा हमेशा सही नहीं होता है।

कई बार तो इन प्रोडक्ट्स से रेडनेस, एलर्जी और चेहरे पर पिंपल भी हो जाते हैं। जिनसे चेहरा खराब हो जाता है। अगर आप भी खूबसूरत दिखना चाहती हैं और इस कारण रोजाना मेकअप करती हैं, तो इससे आपकी स्किन खराब हो सकती है। बिना मेकअप किए भी गुलाबी गाल हो सकते हैं इसके लिए आपको घरेलू नुस्खे अपनाने चाहिए। आज हम आपको ऐसी चार चीज़ें बतायेंगे जो आपके गालों को प्राकृतिक Blush वाला (पिंक) लुक देंगी और काफी सस्ती भी होंगी।

 घर में कैसे प्राकृतिक ब्लश बनाएं:

चुकंदर से बनाएं ब्लश:

चुकंदर को चेहरे पर लगाने से निखार आता है और इसे खाने से सेहत भी बनती है। पुराने जमाने में जब मेकअप प्रोडक्ट नहीं हुआ करते थे तो उसे जमाने में गालों को पिंक करने के लिए चुकंदर का इस्तेमाल किया जाता था। आपको चुकंदर से Blush बनाने के लिए सबसे पहले उबले हुए चुकंदर का गाढ़ा सा लेप बना लें। फिर इसमें कुछ बूंद ग्लिसरीन की मिला लें। अब आपका प्राकृतिक ब्लश तैयार है। अब आप इसे किसी भी तरह के कंटेनर में भरकर स्टोर कर सकती हैं। और जब भी आपको गुलाबी गाल चाहिए तो आप इसे ब्लश की ही तरह इस्तेमाल कर सकती हैं।

गुलाब से किस तरह बनाएं ब्लश:

गुलाब से भी आप घर में एक प्राकृतिक Blush तैयार कर सकती हैं। गुलाब की ताजी पंखुड़ियां से अगर आप ब्लश बनाना चाहती हैं, तो आप एक इमाम दस्ते में गुलाब की पंखुड़ियां को डालकर इसका पेस्ट बना लें। और इसमें जरूरत अनुसार अरारोट पाउडर मिलाकर दोनों को अच्छे सबन मैश कर लें। और फिर इसे किसी कांच के बर्तन या कंटेनर में भरकर रख लें। आप इस ब्लश को ताजे गुलाब से भी बना सकते हैं। और सूखे गुलाब से भी, ताजे गुलाब से बना ब्लश गीला बनेगा। और अगर आप सूखे गुलाब से ब्लश बनाना चाहती हैं तो वह भी इसी तरह से ही बनेगा। जिसे एक ब्रश की मदद से लगाया जा सकता है।

गाजर से किस तरह बनाएं ब्लश:

अगर आप अपने गालों पर हल्का पीच कलर चाहते हैं तो इसके लिए आपको नारंगी रंग वाली गाजर लेनी होगी। फिर इसे कद्दूकस करके सुखा लें। इसके बाद इस सूखी हुई गाजर को मिक्सी या इमाम दस्ते की मदद से अरारोट के साथ मिलाकर पीस लें। आपका गाजर से बना प्राकृतिक Blush तैयार हो जाएगा।

गुड़हल से किस तरह बनाएं ब्लश:

घर में गुड़हल के फूल से भी आसानी से Blush बनाया जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले आपको गुड़हल के फूलों को अरारोट पाउडर के साथ पीस लें। खुशबू के लिए आप इसमें एसेंशियल ऑयल भी मिल सकते हैं। अब इसे किसी छोटे कंटेनर में भरकर फ्रिज में स्टोर कर लें। जिससे इसे लंबे समय तक इस्तेमाल किया जा सकता है।

Winter Special Food: मक्के की रोटी और साग कैसे बनाएं, ये है आसान तरीका

  Winter Special Food: मक्के की रोटी और सरसों का साग सर्दियों की स्पेशल डिश में से एक है. इस बनाने का आसान तरीका यहां बताया गया है.

Winter Special Food: सर्दियों का मौसम आते ही खान-पान में बदलाव आ जाता है. इस मौसम में बाजारों में ढेरों सब्जियां आने लगती हैं, जो खाने के स्वाद को कई गुना बढ़ा देती हैं. गाजर, मटर, मेथी और गोभी से लेकर सरसों, चना और बथुआ का साग भी इस मौसम में बाजारों में मिलता है. सब्जी बनाना तो आसान है, लेकिन जब साग बनाने की बात आती है तो लोगों को यह काम काफी मुश्किल लगता है.

ऐसे में आज हम आपको मक्के की रोटी और सरसों का साग आसानी से बनाने का तरीका बताएंगे. ताकि आप सर्दियों की शुरुआत से ही अपने परिवार को साग बनाकर खिला सकें. आमतौर पर इसे गुड़ और मक्खन के साथ परोसा जाता है, जो इसका स्वाद और भी बढ़ा देता है. सरसों का साग सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होता है. ऐसे में इसका सेवन करने से आपका शरीर भी स्वस्थ रहेगा.

                                                               Corn flour bread image

मक्के की रोटी बनाने के लिए सामग्री

  • मक्के का आटा – 2 कप
  • पानी – आवश्यकतानुसार
  • नमक – स्वादानुसार
  • घी या तेल

मक्के की रोटी बनाने की विधि

मक्के की रोटी बनाने के लिए सबसे पहले मक्के के आटे में नमक डालें, धीरे-धीरे पानी डालें और नरम आटा गूंथ लें. अब इस आटे को 10-15 मिनट के लिए ढककर रख दें ताकि आटा सैट हो जाए. अब गीले हाथों से आटे की लोइयां बनाएं और हर लोई को बेलन से बेल लें. अगर बेलते समय आटा चिपकता है तो आप थोड़ा सूखा मक्के का आटा छिड़क सकते हैं. तवा गरम करें और रोटी को तवे पर डालकर दोनों तरफ से अच्छे से सेंक लें. यह रोटी गरम होने पर ही अच्छी लगेगी.

                                                                Saag bowl with white butter

सरसों का साग बनाने के लिए सामग्री

  • सरसों के पत्ते – 2 कप
  • पालक के पत्ते – 1 कप
  • बथुआ के पत्ते – 1/2 कप
  • हरी मिर्च – 2-3
  • अदरक – 1 इंच
  • लहसुन – 4-5 कलियां
  • प्याज – 1
  • टमाटर – 2
  • नमक – स्वादानुसार
  • हल्दी पाउडर – 1/2 छोटा चम्मच
  • जीरा – 1/2 छोटा चम्मच
  • मक्खन – 2 बड़े चम्मच
  • तेल – 1-2 बड़े चम्मच

साग बनाने की विधि

  • साग बनाने के लिए सबसे पहले सरसों के पत्तों को धोकर बारीक काट लें. एक पैन में पानी उबालें और उसमें सरसों, पालक और बथुआ के पत्ते डालकर 5-7 मिनट तक उबालें. फिर ठंडा करके पीस लें. इसके बाद एक पैन में तेल गर्म करें और उसमें जीरा डालें. फिर अदरक, लहसुन, हरी मिर्च और प्याज डालकर भूनें.
  • अब जब प्याज हल्का भूरा हो जाए तो उसमें टमाटर डालें और पकने दें. अब इसमें पिसा हुआ साग, नमक और हल्दी पाउडर डालकर अच्छे से मिला लें. इसे धीमी आंच पर 15-20 मिनट तक पकने दें ताकि सारे मसाले साग में अच्छे से मिल जाएं. आखिर में मक्खन डालकर अच्छे से मिला लें. साग को उबालते समय बीच-बीच में इसे चलाते रहें ताकि यह जले नहीं. तैयार होने के बाद इसे गरमागरम रोटी के साथ सर्व करें.

Pregnancy Diet Plan:प्रेग्नेंसी के दौरान जरूर खाएं यह चीज, बच्चे में कम हो जाता है इस खौफनाक बीमारी का खतरा

‘अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन’ में पब्लिश एक हालिया रिसर्च के मुताबिक गर्भावस्था के दौरान मछली खाने से गर्भ में पल रहे बच्चे पर क्या असर होता है? इस पर खुलकर बात की है.अमेरिका में हुए रिसर्च में बच्चों में होने वाली बीमारी को लेकर खुलकर बात की है. साथ ही इसमें विस्तार से बताया है कि एक खास चीज खाने से बच्चों में एक गंभीर बीमारी का खतरा कम होता है.

 

शोधकर्ताओं ने इस रिसर्च में खुलकर बात की है कि मछली खाने से बच्चों में खासकर महिलाओं में ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार के निदान की संभावना लगभग 20% कम हो जाती है और ऑटिज्म से संबंधित लक्षणों में थोड़ी कमी आती है. हालांकि, ओमेगा-3 सप्लीमेंट्स लेना, जिन्हें अक्सर समान लाभों के लिए जाना जाता है.
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार एक न्यूरोडेवलपमेंटल स्थिति है जो प्रभावित करती है कि व्यक्ति दुनिया को कैसे देखता है और उससे कैसे बातचीत करता है. यह सामाजिक संचार और बातचीत में चुनौतियों के साथ-साथ प्रतिबंधित या दोहराव वाले व्यवहारों की विशेषता है. ऑटिज्म एक स्पेक्ट्रम पर मौजूद है, जिसका अर्थ है कि इसकी गंभीरता और लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में व्यापक रूप से भिन्न हो सकते हैं.
ऑटिज्म से पीड़ित कुछ लोगों को अपने दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण समर्थन की आवश्यकता हो सकती है, जबकि अन्य अत्यधिक स्वतंत्र होते हैं और कुछ क्षेत्रों में उत्कृष्ट होते हैं, जैसे कि तर्क या विवरण पर ध्यान देना.
ऑटिज्म के कारण जटिल हैं और पूरी तरह से समझ में नहीं आते हैं. आनुवंशिक और पर्यावरणीय दोनों कारक एक भूमिका निभाने के लिए जाने जाते हैं. जबकि आनुवंशिकी का महत्वपूर्ण प्रभाव है, शोधकर्ता न्यूरोडेवलपमेंटल परिणामों में उनके योगदान को समझने के लिए जन्मपूर्व और प्रारंभिक जीवन के पर्यावरणीय जोखिमों की तेजी से जांच कर रहे हैं. इन कारकों में से, गर्भावस्था के दौरान मातृ पोषण एक संभावित रूप से परिवर्तनीय प्रभाव के रूप में उभरा है.
मछली ओमेगा-3 फैटी एसिड, विशेष रूप से DHA का एक अच्छा सोर्स है. जो मस्तिष्क कोशिका झिल्ली का एक प्रमुख घटक है. पिछले अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि गर्भावस्था के दौरान मछली का सेवन संज्ञानात्मक विकास का समर्थन कर सकता है और बच्चों में विकास संबंधी चुनौतियों की संभावना को कम कर सकता है.
हालांकि, मछली में मिथाइलमर्करी जैसे दूषित पदार्थों के बारे में चिंताएं और मछली के सेवन को ऑटिज़्म के परिणामों से जोड़ने वाले स्पष्ट सबूतों की कमी ने इसके लाभों और जोखिमों के बारे में अनिश्चितता में योगदान दिया है.

International Men’s Day 2024: पुरुषों को अक्सर हो जाते हैं ये 5 तरह के यूरिन इंफेक्शन, जान लीजिए कैसे करें बचाव

पुरुषों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है.

पुरुषों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए हर साल 19 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाता है. यह दिन पुरुषों से जुड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का मौका देता है. उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य उन मुद्दों में से एक है. इस ‘अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस 2024’ पर आइए पांच यूरीन इंफेक्शन से जुड़ी समस्याओं के बारे में विस्तार से बात करेंगे.

                                                                      इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ईडी)

इरेक्टाइल डिसफंक्शन, जिसे आमतौर पर नपुंसकता के रूप में जाना जाता है, तब होता है जब कोई पुरुष इरेक्शन प्राप्त करने या बनाए रखने में असमर्थ होता है. जबकि उम्र इसका अपवाद नहीं है. यह केवल उम्र का मुद्दा नहीं है क्योंकि यह विभिन्न आयु के पुरुषों को प्रभावित करता है. ईडी एक आदमी के जीवन की गुणवत्ता में कुछ गंभीर गिरावट का कारण बन सकता है. जो मुख्य रूप से तनाव, चिंता, मधुमेह, हृदय रोग और कई दवाओं के कारण नपुंसकता का कारण बनता है. यह जानना चाहिए कि यह स्थिति इलाज योग्य है, और चिकित्सा सहायता लेने से न केवल उनके यौन स्वास्थ्य में सुधार होगा बल्कि उनके पूरे जीवन में भी सुधार होगा.

                                                                                     प्रोस्टेट कैंसर

प्रोस्टेट कैंसर पुरुषों में त्वचा कैंसर के बाद सबसे अधिक व्यापक रूप से होता है; इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि होती है, जो वीर्य के उत्पादन के लिए मूत्राशय के पास स्थित अखरोट जैसी छोटी ग्रंथि होती है. प्रोस्टेट कैंसर अपेक्षाकृत धीरे-धीरे बढ़ता है और आमतौर पर तब तक ध्यान देने योग्य लक्षण पैदा नहीं करता जब तक कि वे उन्नत न हो जाएं. डिजिटल रेक्टल परीक्षा और PSA (प्रोस्टेट-स्पेसिफिक एंटीजन) रक्त परीक्षण जैसी नियमित जांच प्रोस्टेट कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद कर सकती है. जब इसका सबसे अधिक इलाज संभव होता है. 50 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर की जांच कब शुरू करनी है, इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए.

                                                                               प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया (BPH)

सौम्य प्रोस्टेटिक हाइपरप्लासिया की स्थिति, जिसे बढ़े हुए प्रोस्टेट के रूप में जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ जाता है और पेशाब में बाधा उत्पन्न होती है. BPH वृद्ध पुरुषों में एक आम स्थिति है, और इसके लक्षणों में बार-बार पेशाब आना. पेशाब का कम प्रवाह और पेशाब की धारा को शुरू या बंद करने में कठिनाई शामिल है. यह कैंसर नहीं है, लेकिन यह परेशानी का कारण बनता है और एक आदमी के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करता है. BPH के उपचार में दवा, न्यूनतम आक्रामक प्रक्रियाएं और सर्जरी शामिल हैं.

                                                                                                     यूटीआई
मूत्र पथ के संक्रमण भी महिलाओं में प्रमुख रूप से आम हैं, लेकिन पुरुष उन्हें होने से नहीं कतराते. यह तब होता है जब बैक्टीरिया मूत्र पथ में प्रवेश करते हैं और संक्रमण को ट्रिगर करते हैं. लक्षणों में पेशाब करते समय जलन, बादल या खून वाला पेशाब और बार-बार पेशाब करने की अचानक इच्छा शामिल हो सकती है. एंटीबायोटिक्स यूटीआई का इलाज करेंगे, लेकिन अगर तुरंत इलाज नहीं किया जाता है, तो इससे किडनी में संक्रमण जैसी जटिलताएं हो सकती हैं. पुरुषों को यूटीआई विकसित होने की संभावना को कम करने के लिए उचित स्वच्छता और अधिक तरल पदार्थ का सेवन बनाए रखना चाहिए.

                                                                                                    गुर्दे की पथरी
गुर्दे की पथरी कठोर टुकड़े होते हैं जो गुर्दे में बनते हैं. जब कण मूत्र मार्ग से गुजरते हैं तो वे गंभीर दर्द पैदा करते हैं. आहार और पारिवारिक इतिहास जैसे विभिन्न जोखिम कारकों के कारण यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में अधिक प्रचलित है. लक्षणों में पीठ, बगल या पेट के निचले हिस्से में दर्द, पेशाब में खून और मतली या उल्टी शामिल हो सकते हैं. छोटे गुर्दे की पथरी अपने आप निकल सकती है, लेकिन बड़े पत्थरों के लिए चिकित्सा हस्तक्षेप की आवश्यकता हो सकती है.खूब पानी पीना और सोडियम का सेवन कम करना गुर्दे की पथरी को रोकने में मदद कर सकता है.

Top 5 tourist places in india:जहरीले प्रदूषण से बचेगा आपका परिवार, साफ हवा वाली इन जगहों पर घूमने जा सकते हैं आप

 देश भर में लगातार बढ़ते प्रदूषण के बीच खासतौर पर दिल्ली में हलाकान कर देने वाले पोलुयूशन के बीच अगर आप खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं तो बस बैग पैक कीजिये और पहुंच जाइए इंडिया के इन शहरों पर.

आपको अगर चैन की सांस लेना है तो देश में कुछ ऐसे शहर हैं जहां आप आराम से जा कर घूम सकते हैं. इन शहरों में पेड़, पौधे, जंगल,खुली हवा और हसीन वादियां हैं, इसलिए यहां की हवा में जहर नहीं बहता.

 कोल्लम: केरल का कोल्लम शहर भी खूबसूरती के मामले में किसी से कम नहीं है. केरल तो वैसे ही लोग घूमना चाहते है. कारण सिर्फ एक ही है कि                                  इस शहर में प्रदूषण नाम की चीज बहुत कम ही देखने को मिलती है.
                                        1/5
किन्नौर, हिमाचल प्रदेश: दिल्ली में जीना मुहाल कर रहे प्रदूषण के बीच अगर आप खुली हवा में सांस लेना चाहते हैं और परिवार के साथ कहीं जाने का प्लान कर रहे हैं तो हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जा सकते हैं जो निम्न श्रेणी का पर्यटक स्थल है. किन्नौर की हवा में पार्टिकुलेट पार्टिकल का लेवल औसतन, हमारे राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता वाले लक्ष्य से 10% कम है.
                                         2/5
मैंगलोर: मैंगलोर अगर आप भी घूमने का शौक रखते है तो मैंगलोर आपकी लिस्ट में जरूर शामिल होना चाहिए. शानदार बीच से लेकर प्राचीन मंदिर और गिरजाघर, बेहतरीन आर्किटेक्चर और देखने लायक सीपोर्ट तक सभी चीजें मैंगलोर को घूमने लायक बनाती हैं. इस शहर को कर्नाटक का एंट्री प्वॉइंट भी कहा जाता है.
                                          3/5
गंगटोक: भारत का नार्थ ईस्ट इलाका वैसे ही अपने आप में बहुत खूबसूरत है लेकिन सिक्किम भारत की शानदार जगहों में से एक है. ऐसे में अगर आप में पॉल्यूशन फ्री शहर में सांस लेना चाहते है तो गंगटोक शहर को आप चूज कर सकते है. यहां की हवा में एक ताजगी है. इसके साथ ही यहां की वादियां आपको अपना दीवाना बन सकती है.
                                         4/5
पुडुचेरी; कहा जाता है कि भारत अपने आप में एक दुनिया है. भारत घूमने का मतलब आपने दुनिया घूम ली है. ऐसे में तमिलनाडु के पुडुचेरी पॉल्यूशन फ्री शहर में घूमते वक्त आपको ऐसा अहसास होगा कि आप भारत के बाहर किसी दूसरे शहर में घूम रहे हैं. इस शहर की खूबसूरती और शांति किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकती है.
                                        5/5
कोल्लम: केरल का कोल्लम शहर भी खूबसूरती के मामले में किसी से कम नहीं है. केरल तो वैसे ही लोग घूमना चाहते है. कारण सिर्फ एक ही है कि इस शहर में प्रदूषण नाम की चीज बहुत कम ही देखने को मिलती है.

ABHA Card Benefits: किस तरह होता है आभा कार्ड का इस्तेमाल, कैसे इससे इलाज में होता है फायदा. घर बैठे किस तरह कर सकते हैं अप्लाई चलिए बताते हैं.

आभा कार्ड से तुरंत कैसे मिलता है इलाज, घर बैठे-बैठे कैसे बनता है यह कार्ड?

ABHA Card Benefits: भारत सरकार देश के लोगों के लिए बहुत सारी योजनाएं लेकर आती है. देश के तमाम लोगों को सरकार की इन योजनाओं का लाभ मिलता है. भारत सरकार ने साल 2018 में गरीब जरूरतमंद लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत भारत सरकार लाभार्थियों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज देती हैं. इसके लिए भारत सरकार लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी करती है.

जिससे आप किसी भी अस्पताल में दिखाकर मुफ्त इलाज का लाभ ले सकते हैं. भारत सरकार पिछले कुछ समय से डिजिटाइजेशन को भी बढ़ावा दे रही है. इसलिए सरकार ने आयुष्मान योजना से जुड़ा आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट कार्ड यानी आभा कार्ड भी जारी कर दिया है. किस तरह होता है इसका इस्तेमाल, कैसे इससे इलाज में होता है फायदा. घर बैठे किस तरह कर सकते हैं अप्लाई. चलिए बताते हैं.

आभा कार्ड से होती है इलाज में सुविधा

भारत सरकार ने अब आयुष्मान भारत योजना के तहत आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट कार्ड यानी आभा कार्ड भी जारी कर दिया है. यह एक डिजिटल मेडिकल कार्ड होता है. भारत सरकार ने अपने डिजिटल हेल्थ सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए इस कार्ड को शुरू किया है. आभा कार्ड के अंदर आपका मेडिकल रिकॉर्ड डिजिटल स्टोर होता है. आपने किन बीमारियों का इलाज करवाया है. आपने कहां-कहां इलाज करवाया है. आप कौन सी दवाई ले रहे हैं. आपकी हेल्थ से जुड़ी सभी जानकारी इस कार्ड के अंदर दर्ज होती है.

कार्ड में 14 अंकों का यूनिक कोड होता है. इसके साथ ही क्यूआर कोड भी होता है. जब आप किसी अस्पताल में इलाज करवाने जाते हैं. तो आपको आमतौर पर अपने प्रीवियस इलाज की मेडिकल फाइल लेकर जानी होती है. लेकिन आभा कार्ड के होने से आपको फाइल ले जाने की झंझटों से छुटकारा मिल जाएगा. आप डॉक्टर से जाकर सीधे मिल पाएंगे और आभा कार्ड की मदद से डॉक्टर आपकी पुरानी मेडिकल हिस्ट्री बड़ी आसानी से चेक कर लेगा. जिससे आपको तुरंत इलाज मिल सकेगा.

इस तरह करें आभआ कार्ड के लिए अप्लाई

देश का कोई भी नागरिक आभा कार्ड बनवा सकता है. आप घर बैठे ही इसके लिए अप्लाई कर सकते हैं. आभा कार्ड बनवाने के लिए आपको आभा कार्ड की आधिकारिक वेबसाइट https://abha.abdm.gov.in/abha/v3/ पर जाना होगा. इसके बाद आपको ‘आभा नंबर बनाएं’ पर क्लिक करना होगा.

फिर आपको अपना आधार नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस के ऑप्शन पर क्लिक करना होगा. आप आधार कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस जो सेलेक्ट करते हैं.. उसका नंबर डालना होगा. इसके बाद आपको नीचे दिख रहा है ‘I Agree’ के बॉक्स पर राइट टिक करना होगा. इसके बाद जो मोबाइल नंबर आपके आधार कार्ड से लिंक उस पर एक ओटीपी आएगा उसे  दर्ज करदें. इसके बाद आपका आभा कार्ड बन जाएगा.

Myths Vs Facts: क्या पीरियड साइकिल 28 दिनों पर ही होना हेल्दी होता है? जानें क्या है पूरा सच

28 दिन का पीरियड साइकिल हेल्दी माना जाता है लेकिन अलग-अलग महिलाओं में इसका समय अलग-अलग हो सकता है. कुछ महिलाओं में 35 दिनों का तो कुछ में 21 दिन का भी हो सकता है.

हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक पीरियड साइकिल 28 दिनो का होता है. लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर महिला में यह साइकिल अलग-अलग हो सकता है. कुछ महिलाओं में यह साइकिल 21 से 35 दिनों तक का हो सकता है. इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. जैसे- हार्मोनल इनबैलेंस, स्ट्रेस, वजन का बढ़ना, एक्सरसाइज, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसी कुछ स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी हो सकती है. अगर किसी महिला का पीरियड साइकिल 38 दिनों का या उससे ज्यादा दिनों का हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए. डॉक्टर कुछ दवा और टेस्ट भी दे सकते हैं. ऐसा करने से आपका पीरियड कुछ महीनों में सुधर जाएगा.

इन कारणों से भी पीरियड साइकिल में बदलाव दिख सकते हैं

कुछ महिलाओं में पीरियड साइकिल 21 से 35 दिनों का हो सकता है वहीं यंग महिलाओं में यह साइकिल 21 से 45 दिन का भी हो सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ महिलाओं का पीरियड साइकिल भी बदलता है. प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान भी पीरियड साइकिल चेंज होता है. मेनोपॉज से पहले भी पीरियड में कई तरह के बदलाव देखे जा सकते हैं.

कभी-कभार पीरियड्स की डेट्स इधर-उधर हो सकते हैं. ऐसे में कुछ लोग तो काफी ज्यादा चींता में आ जाते हैं. लेकिन आपको चींता करने की जरूरत नहीं बल्कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं. हर महीने पीरियड्स आने में लेट हो रहा है तो इसके कुछ सीरियस कारण भी हो सकते हैं. ऐसे में वक्त रहते इलाज करवाना बेहद जरूरी है. क्योंकि यह कोई नॉर्मल प्रॉब्लम तो है नहीं है. कोई भी महिला हो या लड़की को सही वक्त पर अगर पीरियड्स आ रहा है और ठीक से खत्म हो जा रहा है इसका मतलब है कि वह हेल्दी है. अगर किसी महिला को टाइम पर पीरियड्स आ रहे हैं तो इसका मतलब है वो हेल्दी नहीं है. जरूर कुछ न कुछ शारीरिक दिक्कतों से वो गुजर रही है. ऐसे में हमें यह जानना बेहद जरूरी है कि पीरियड्स के कितने दिनों का साइकल नॉर्मल होता है. एक पीरियड्स से दूसरे पीरियड्स में कितने दिनों का गैप होना चाहिए.

कितना देरी से पीरियड्स आना नॉर्मल होता है?

कई महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें अक्सर पीरियड्स देरी से आता है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या देरी से पीरियड्स आना नॉर्मल है? आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पीरियड्स में एक-दो दिन के आगे पीछे आना नॉर्मल है लेकिन ज्यादा लेट हो रहा है तो फिर आप कुछ शारीरिक दिक्कतों से गुजर रही हैं. यह कोई जेनरल नहीं बल्कि गंभीर कारण हो सकते हैं.

अगर आपके पीरियड्स में 1-2 महीने से ज्यादा देरी हो रही है तो फिर आपको बिना समय गवाएं आपको तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए. कई बार इसके कारण ओवरी में गांठ या पीसीओएस के कारण भी हो सकता है. जेनरल बात यह है कि पीरियड्स 21 से 35 दिनों का होता है. अगर आपकी साइकिल 28 दिन की है तो अगर 30 वें दिन न आकर 40 वां दिन में पहुंच जाए तो फिर यह चिंता का विषय है.

                                                                                         Disclaimer:

खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

सर्दियों में होंठों का सूखापन और दरारें करें दूर: Argan Oil से पाएं कोमल और स्वस्थ होंठ

सर्दी में अपने त्वचा का रखें ध्यान 

सर्दियों का मौसम आते ही ठंडी और शुष्क हवाओं के कारण त्वचा की नमी तेजी से खोने लगती है। खासतौर पर होंठ, जो बेहद संवेदनशील होते हैं, ठंड के कारण जल्दी फटने और सूखने लगते हैं। फटे होंठ न सिर्फ देखने में खराब लगते हैं, बल्कि उनमें दर्द, जलन और कभी-कभी खून निकलने की समस्या भी अधिक हो सकती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए हमें एक ऐसा उपाय चाहिए, जो होंठों को गहराई से पोषण और नमी दे। Argan Oil (जिसे ‘लिक्विड गोल्ड’ भी कहा जाता है) सर्दियों में होंठों की देखभाल के लिए एक प्रभावी और प्राकृतिक उपाय है। इसमें विटामिन-ई, आवश्यक फैटी एसिड और एंटीऑक्सिडेंट्स अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं, जो न केवल होंठों को मुलायम बनाते हैं, बल्कि उनकी नमी को लंबे समय तक बरकरार भी रखते हैं।

Argan Oil के फायदे

इसमें मौजूद विटामिन-ई और फैटी एसिड होंठों की गहराई से नमी देते हैं और उन्हें लंबे समय तक मुलायम बनाए रखते हैं।

इसके एंटीऑक्सिडेंट गुण होंठों को फ्री रेडिकल्स और प्रदूषण के प्रभाव से बचाते हैं।

नियमित उपयोग से यह होंठों की दरारों को ठीक करता है और नमी बनाए रखता है।

आर्गन तेल होंठों में नेचुरल चमक लाने में मदद करता है, जिससे वे स्वस्थ और सुंदर दिखते हैं।

होंठों के लिए Argan Oil का उपयोग कैसे करें?

1. रात में सीधे लगाएं

रात को सोने से पहले होंठों पर एक से दो बूंद आर्गन तेल लगाएं और हल्के हाथों से मालिश करें। ऐसा करने से तेल रातभर आपके होंठों को गहराई से मॉइस्चराइज करता है और सुबह तक उन्हें मुलायम और स्वस्थ बनाए रखता है।

2. प्राकृतिक स्क्रब के रूप में

एक चम्मच शुगर लें और उसमें कुछ बूंदें Argan Oil तेल की मिलाएं। इस मिश्रण से होंठों पर हल्के से स्क्रब करें। यह डेड स्किन को हटाने और होंठों को स्मूद बनाने में मदद करता है। इसके बाद, होंठों को गुनगुने पानी से धो लें।

3. होममेड लिप बाम

यदि आप बाहर जाते समय होंठों को नमी देना चाहते हैं, तो Argan Oil को छोटे कंटेनर में भरकर रखें। जब भी होंठ सूखे महसूस हों, हल्का सा तेल लगाएं। यह लिप बाम के समान काम करेगा और होंठों को लंबे समय तक नमी भी देगा।

सर्दियों में फटे होंठों को स्वस्थ और मुलायम बनाए रखने के लिए आर्गन तेल का उपयोग एक बेहतरीन उपाय साबित हो सकता है। इसे अपने दैनिक देखभाल रूटीन में शामिल ज़रूर करें और प्राकृतिक नमी के साथ अपने होंठों की खूबसूरती बनाए रखें।

 

4.आज कल मोर्डन युग का जमाना है 

आप सब भले भांति जानते हैं की आज कल मार्किट में बहुत सारे कंपनी अपना प्रोडक्ट बना कर बेच रही है तो ये आप पे दीपेन्ड करता है की आप ओरगेनिक या केमिकल्स का इस्तेमाल करेंगे साथ हीं आप अपने से सबसे बेस्ट कंपनी सलेक्ट कर सकते हैं |फिर आप इस्तेमाल कीजये जब भी किसी प्रोडक्ट को इस्तेमाल में लाये पहले उनकी पूरी जानकारी ले फिर इस्तेमाल में लायें |