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‘जब तक जिंदगी है आपके साथ,’ सानिया मिर्जा की पोस्ट पर कर दिया कमिटमेंट, जमकर वायरल हो रहा वीडियो

पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से तलाक के बाद पूर्व भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्जा अपनी नई जिंदगी में व्यस्त हैं। हालांकि, फैंस उनकी लाइफ में होने वाली हर एक्टिविटी पर न सिर्फ पैनी नजर रखते हैं, बल्कि दिलचस्प रिएक्शन भी देते हैं।

दरअसल, भारतीय स्टार अपनी छोटी बहन अनम के साथ बहुत करीबी रिश्ता रखती हैं। दोनों को अक्सर साथ में समय बिताते देखा जाता है, जो सानिया के जीवन में परिवार के महत्व को दर्शाता है। हाल ही में अनम ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें वह दर्द में दिख रही हैं, जोकि काफी वायरल हो रहा है।

 

रिएक्शन ने सोशल मीडिया पर मचा दी हलचल
सानिया मिर्जा के वायरल वीडियो पर फैंस के अलग-अलग रिएक्शन ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी है। कभी अपने टेनिस करियर की वजह से चर्चा में रहने वाली सानिया अब अपनी पर्सनल लाइफ और सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर भी सुर्खियों में रहती हैं।

फैन ने पोस्ट पर लिख दी दिल की बात
हालांकि, कुछ फैंस उनकी पोस्ट पर तारीफ करते नजर आते हैं तो कुछ उनके स्टाइल और फैशन को लेकर मजेदार कमेंट्स करते हैं। वहीं, कई फैंस ने उनकी तस्वीर या वीडियो पर अपने व्यक्तिगत विचार शेयर करते हैं। इस बीच एक फैन ने सानिया के इस वीडियो पर हैरान करने वाला कमेंट किया है, जिसमें यूजर्स ने लिखा कि ‘जब तक जिंदगी है, मैं हमेशा आपके साथ रहना चाहता हूं।’

 

फैंस का ये प्रतिक्रियाओं का ढंग इस बात को साबित करता है कि सानिया मिर्जा न केवल एक खेल की हस्ती हैं, बल्कि उनकी शख्सियत भी उनके चाहने वालों के दिलों में बस चुकी है।

सानिया और उनकी बहन अनम के वीडियो की बात करें तो इसमें वह पल कैद हुआ जब कान छिदवाने वाले ने अपना काम शुरू किया तो अनम दर्द से चीखने लगीं। सानिया ने तुरंत आगे बढ़कर अनम का हाथ कसकर पकड़ लिया और उन्हें दर्द के बीच राहत देने की एक छोटी सी कोशिश की।

Gold-Silver Rate Today: सोने की कीमतों में 1,480 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़ोतरी, जानिए अपने शहर के लेटेस्ट रेट

Gold-Silver Rate Today: सोने और चाँदी के दाम दिन बा दिन बदलते रहते है। ऐसे में हमारी वेब साइट dailynews24 की टीम आप के लिए सोने और चाँदी के दाम से जुड़ी पूरी खबर आप के लिए लेकर आते है। तो चलिए जानते है। सोने चाँदी के आज के लेटेस्ट दाम।

पिछले दो दिनों में सोने की कीमतों में 1,480 रुपये प्रति 10 ग्राम की बढ़ोतरी हुई है। जबकि चांदी की कीमतों में 2,700 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है। जो मजबूत रिकवरी को दर्शाता है। यह एक सकारात्मक उलटफेर का प्रतीक है। क्योंकि दोनों धातुओं ने अपनी हालिया गिरावट का सिलसिला समाप्त कर दिया है।

मंगलवार को घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोना और चांदी का वायदा भाव सकारात्मक रुख के साथ बंद हुआ। दिसंबर का सोना वायदा अनुबंध 0.72 प्रतिशत बढ़कर 75,585 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ। जबकि दिसंबर चांदी वायदा अनुबंध 0.13 प्रतिशत बढ़कर 90,630 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ।

 

Gold-Silver Rate Today: आज 20 नवंबर को सोने और चांदी के रेट

20 नवंबर को भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 75,790 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। 24 कैरेट सोने की प्रति ग्राम कीमत 7,889 रुपये है। 22 कैरेट सोने की कीमत 69,474 रुपये प्रति 10 ग्राम रही।

20 नवंबर को मुंबई में सोने की कीमत

20 नवंबर को मुंबई में चमकदार धातु की कीमत 75,790 रुपये/10 ग्राम थी। 19 नवंबर को सोने की कीमत 75,210/10 ग्राम थी। सात दिन पहले 13 नवंबर को सोना 74,240 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था।

20 नवंबर को मुंबई में चांदी का भाव

20 नवंबर को मुंबई में चमकदार धातु चांदी 90,870 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रही थी। जबकि 19 नवंबर को धातु की कीमत 90,870 रुपये प्रति किलोग्राम थी और एक हफ्ते पहले यह 89,420 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

20 नवंबर को कोलकाता में सोने की कीमत

कोलकाता में आज 20 नवंबर को 24 कैरेट सोने की कीमत 75,690 रुपये/10 ग्राम रही। चमकदार धातु 19 नवंबर को 75,110 रुपये/10 ग्राम और पिछले सप्ताह 74,520 रुपये/10 ग्राम पर बिक रही थी।

20 नवंबर को कोलकाता में चांदी का भाव

कोलकाता में आज चांदी की कीमत 90,750 रुपये प्रति किलोग्राम रही। 19 नवंबर को चांदी की कीमत 89,510 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले हफ्ते कीमत 89,300 रुपये प्रति किलोग्राम बोली गई थी।

20 नवंबर को दिल्ली में सोने की कीमत

20 नवंबर को सोना 75,660 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा था। मंगलवार 19 नवंबर को सोने की कीमत 75,080 रुपये/10 ग्राम थी।

20 नवंबर को दिल्ली में चांदी की कीमत

20 नवंबर को दिल्ली में चांदी की कीमत 90,710 रुपये प्रति किलोग्राम थी। 19 नवंबर को चांदी की कीमत 90,550 रुपये प्रति किलोग्राम थी। पिछले हफ्ते चांदी की कीमत 89,260 रुपये प्रति किलोग्राम थी।

20 नवंबर को चेन्नई में सोने की कीमत

चेन्नई में आज 20 नवंबर को सोने का भाव 76,010 रुपये/10 ग्राम रहा। मंगलवार 19/11/2024 को सोने की कीमत 75,420 रुपये/10 ग्राम थी। 13 नवंबर यानी एक हफ्ते पहले चेन्नई में सोने की कीमत 74,810/10 ग्राम थी।

20 नवंबर को चेन्नई में चांदी का भाव

चेन्नई में आज 18 नवंबर को चांदी की कीमत 91,140 रुपये प्रति किलोग्राम है। 19 नवंबर को चांदी की कीमत 90,970 रुपये प्रति किलोग्राम थी। चेन्नई में उपभोक्ताओं को एक सप्ताह पहले चांदी 89,620 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध थी।

जानें क्या है 22 और 24 कैरेट में अंतर?

24 कैरेट गोल्ड 99.9% शुद्ध होता है। और 22 कैरेट लगभग 91 प्रतिशत शुद्ध होता है। 22 कैरेट गोल्ड में 9% अन्य धातु जैसे तांबा, चांदी, जिंक मिलाकर जेवर तैयार किया जाता है। जबकि 24 कैरेट सोना शानदार होता है। लेकिन उसके आभूषण नहीं बनाए जा सकते। इसलिए ज्यादातर दुकानदार 22 कैरेट में सोना बेचते हैं।

मिस्ड कॉल से जानें भाव

22 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी के खुदरा रेट जानने के लिए 8955664433 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं। कुछ ही देर में SMS के जरिए रेट्स मिल जाएंगे। इसके अलावा लगातार अपडेट्स की जानकारी के जानकारी के लिए www.ibja.co या ibjarates.com पर देख सकते हैं।

SIP vs PPF:एसआईपी में 5000 रुपये 15 साल तक जमा करने पर 25 लाख की कमाई, तो पीपीएफ से कितनी? जानें कैलकुलेशन

SIP vs PPF: एसआईपी उन निवेशकों के लिए बेहतरीन है, जिनकी आमदनी स्थिर है. उनके पास बाजार जोखिमों से निपटने की क्षमता है. पीपीएफ वैसे निवेशकों के लिए सबसे बेहतर है, जो सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न को प्राथमिकता देते हैं.

SIP vs PPF: भारत में जब लॉन्ग टर्म निवेश की बात आती है, तो लोग अपनी गाढ़ी कमाई का पैसा लगाने के बाद बंपर रिटर्न की उम्मीद करते हैं. लॉन्ग टर्म निवेश के लिए SIP (सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) को बेहतर ऑप्शन माना जाता है. ये दोनों विकल्प अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों पूरा करने और जोखिम उठाने की क्षमता रखते हैं. लेकिन, निवेश के दोनों विकल्पों से बेहतर रिटर्न की उम्मीद नहीं की जा सकती. आइए, जानते हैं कि एसआईपी और पीपीएफ में से कौन आपको बेहतर रिटर्न दे सकता है.

10 प्वाइंट में जानिए एसआईपी के फायदे

  1. एसआईपी के जरिए निवेशक किसी भी म्यूचुअल फंड में नियमित निवेश कर सकते हैं. इससे बचत होने के साथ-साथ मोटी रकम मिलने की संभावना अधिक रहती है.
  2. एसआईपी इक्विटी बाजार के प्रदर्शन से प्रभावित होता है, जो निवेशकों को बंपर रिटर्न की क्षमता रखता है.
  3. एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने पर निवेशकों को लॉन्ग टर्म में कंपाउंडिंग के साथ करीब 12% तक सालाना रिटर्न मिलता है.
  4. इसमें बाजार जोखिम भी शामिल है, जिससे मूल्य में उतार-चढ़ाव हो सकता है.
  5. एसआईपी का एक प्रमुख लाभ उसका लचीलापन है. निवेशक अपनी निवेश राशि और अवधि चुन सकते हैं.
  6. आमतौर पर वे आमतौर पर 1-2 कार्य दिवसों के भीतर अपनी सुविधानुसार अपना योगदान रोक सकते हैं या अपने निवेश को भुना सकते हैं.
  7. एसआईपी उच्च शिक्षा, विवाह या पैसा जमा करने जैसे दीर्घकालिक उद्देश्यों के लिए बेहतर हैं.
  8. एसआईपी समय के साथ आपके निवेश को बढ़ाने में चक्रवृद्धि की शक्ति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
  9. एसआईपी से मिलने वाला रिटर्न म्यूचुअल फंड के प्रकार और होल्डिंग अवधि पर निर्भर करता है.
  10. इक्विटी-लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) सेक्शन 80सी के तहत टैक्स बेनिफि प्रदान करती हैं.

10 प्वाइंट में जानें पीपीएफ के फायदे

  1. पीपीएफ सरकार की एक बचत योजना है.
  2. गारंटीड रिटर्न के साथ दीर्घकालिक बचत के लिए डिजाइन किया गया है.
  3. पीपीएफ जोखिम से बचने वाले निवेशकों को आकर्षित करता है.
  4. पीपीएफ में निवेश करने पर निवेशकों को 7.1% तक सालाना रिटर्न मिलता है.
  5. पीपीएफ में जमा पैसों पर मिलने वाले रिटर्न को सरकार समय-समय पर बदलती रहती है.
  6. पीपीएफ में 15 साल तक निवेश करने पर रिटायरमेंट या बच्चे की शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण दीर्घकालिक लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है.
  7. सरकार की यह योजना लंबी लॉक-इन अवधि बचत के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत करती है.
  8. पीपीएफ से आंशिक निकासी केवल सातवें वर्ष के बाद ही की जा सकती है.
  9. आंशिक निकासी से पीपीएफ लिक्विडिटी कम हो जाती है, लेकिन यह सुनिश्चित होता है कि भविष्य की जरूरतों के लिए पैसा सुरक्षित रहेगा
  10. पीपीएफ में निवेश करने पर आयकर की धारा 80सी के तहत कटौती का लाभ मिलेगा. इसके अर्जित मूलधन और ब्याज दोनों टैक्स फ्री हैं.

एसआईपी किसे चुनना चाहिए?

एसआईपी उन निवेशकों के लिए बेहतरीन है, जिनकी आमदनी स्थिर है. उनके पास बाजार जोखिमों से निपटने की क्षमता है. एसआईपी विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभदायक हैं जो मध्यम से दीर्घावधि वित्तीय लक्ष्य, जैसे शिक्षा, विवाह, या समय के साथ संपत्ति का निर्माण करना चाहते हैं.

पीपीएफ किसे चुनना चाहिए?

पीपीएफ वैसे निवेशकों के लिए सबसे बेहतर है, जो सुरक्षा और गारंटीड रिटर्न को प्राथमिकता देते हैं. यह रिटायरमेंट प्लानिंग या दीर्घकालिक वित्तीय सुरक्षा के लिए एक बेहतरीन विकल्प है, जो टैक्स फ्री रिटर्न देता है और लंबी अवधि में अनुशासित बचत को मजबूत करता है.

एसआईपी से ऐसे होगी 25.22 लाख की कमाई

एसआईपी में अगर आप 15 साल के लिए हर महीने 5000 रुपये जमा करेंगे, तो 12% सालाना रिटर्न के आधार पर आपको करीब 25 लाख रुपये से अधिक मिलेंगे. इसे ऐसे समझिए कि अगर आप एसआईपी में हर महीने 5000 रुपये जमा करते हैं, तो आपकी निवेश राशि 9 लाख रुपये होती है. इस पर 12% सालाना ब्याज के हिसाब आपको 16,22,880 रुपये का रिटर्न मिलेगा. अब निवेश राशि और रिटर्न की रकम को जोड़ देंगे, तो 15 साल में आपके पास करीब 25,22,880 रुपये जमा हो जाएंगे.

पीपीएफ से 16.27 लाख तक रिटर्न

वहीं, अगर आप पीपीएफ में 15 साल तक हर साल 60,000 रुपये जमा करते हैं, तो आपको सालाना करीब 7.1% रिटर्न मिलेगा. इन 15 सालों में आपके पास कुल निवेश की रकम 9 लाख रुपये जमा होगी. 7.1% सालाना रिटर्न के हिसाब से 15 साल में आपको 7,27,284 रुपये का रिटर्न मिलेगा. अब आप निवेश राशि और 15 साल में मिलने वाले रिटर्न को जोड़ देंगे, तो आपके खाते में कुल करीब 16,27,284 रुपये जमा होंगे. अब आप गौर करें कि 15 साल तक एसआईपी में पैसा जमा करने पर आपको जितनी रकम रिटर्न के तौर पर मिलेगी, पीपीएफ में जमा करने पर आपको उतना पैसा निवेश रकम और ब्याज मिलाने के बाद मिलेगा.

Share Market Today:भारतीय बाजार गिर रहा है, पाकिस्तानी स्टॉक मार्केट उफान पर, ये हैं कारण

पाकिस्तान के शेयर बाजार में सोमवार को शुरुआत में 143.20 अंक की गिरावट आई और इंडेक्स 94,620.45 पर पहुंच गया. लेकिन, बाद में बाजार में तेजी आई और इंडेक्स 544.27 अंक बढ़कर 95,307.92 तक पहुंच गया.

    पाकिस्तान स्टॉक मार्केट में तेजी

भारतीय बाजार बीते कई हफ्तों से लगातार गिर रहा है. सिर्फ 7 हफ्तों की बात करें तो भारतीय बाजार में निवेशकों के 50 लाख करोड़ डूब गए. हालांकि, इस बीच भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान का स्टॉक मार्केट (Pakistan Stock Exchange) अपने उफान पर है. 14 नवंबर को पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) 100 इंडेक्स ने 93,000 अंक का आंकड़ा पार कर लिया था. चलिए जानते हैं आखिर इसके पीछे की क्या वजहें हैं.

                                                                                 मौजूदा हाल क्या है

द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के शेयर बाजार में सोमवार को शुरुआत में 143.20 अंक की गिरावट आई और इंडेक्स 94,620.45 पर पहुंच गया. लेकिन, बाद में बाजार में तेजी आई और इंडेक्स 544.27 अंक बढ़कर 95,307.92 तक पहुंच गया. बाजार बंद होते-होते इंडेक्स 94,995.67 पर पहुंच गया, जो पहले के मुकाबले 232.03 अंक की तेजी को दिखाता है.

                                                                        तेजी के पीछे की वजह क्या है

पाकिस्तानी न्यूज वेबसाइट द डॉन से बात करते हुए, टॉपलाइन सिक्योरिटीज लिमिटेड के सीईओ मोहम्मद सोहेल कहते हैं कि आईएमएफ के बयान ने निवेशकों का विश्वास बढ़ाया है. इसके अलावा, स्थानीय म्यूचुअल फंड्स पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज (PSX) पर जमकर खरीदारी कर रहे हैं. पिछले ढाई महीनों में इनकी नेट खरीदारी 40 अरब रुपये रही है.

इसके चलते, म्यूचुअल फंड्स PSX के सूचकांक में 20% की बढ़ोतरी देखी गई. इसके अलावा निवेशक SBP के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि, सरकारी कंपनियों में सुधार, IPP के साथ नए समझौते, वित्त मंत्री द्वारा मिनी-बजट की संभावना को नकारने और IMF के साथ सकारात्मक बैठकों के अलावा IMF का पाकिस्तान के लिए 7 बिलियन डॉलर के कर्ज की मंजूरी भी पाकिस्तानी स्टॉक मार्केट में तेजी की मुख्य वजहें हैं.

                                                                           भारतीय बाजार इन वजहों से गिर रहा है

भारतीय बाजार सितंबर के आखिरी हफ्ते से लगातार गिर रहा है. बाजार में गिरावट के कई कारण हैं. इसमें विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की बिकवाली तो बड़ा कारण है ही, इसके अलावा मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और भारतीय कंपनियों की कमजोर तिमाही आय रिपोर्ट की वजह से भी भारतीय बाजार में नकारात्मकता की भावना बढ़ी है.

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना ज़रूरी है की मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. NewsTazaTop.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)

Property Report: भारत के साथ काम करने वाली कंपनियों के ऑफिस के कारण मुंबई और एनसीआर के अधिकांश प्रॉपर्टी रेंट तेजी पर रहे. मुंबई में प्राइम ऑफिस का किराया 317 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह रहा.

दिल्ली-NCR, मुंबई और बेंगलुरु में एक साल तक नहीं बढ़ेगा प्राइम ऑफिस का किराया-रिपोर्ट

Property Report: दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में प्राइम ऑफिस का किराया जुलाई-सितंबर की अवधि में स्थिर रहा, जबकि मजबूत मांग और सीमित नई आपूर्ति की वजह से मुंबई और बेंगलुरु में सालाना आधार पर क्रमशः पांच फीसदी और तीन फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई. यह जानकारी शनिवार को जारी एक रिपोर्ट में सामने आई है.

एशिया-पैसिफिक रीजन में छठा सबसे महंगा ऑफिस स्पेस है दिल्ली-एनसीआर

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु में प्राइम ऑफिस का किराया सालाना आधार पर मजबूत रहा. इसी के साथ अगले 12 महीने में किराये की दरें स्थिर रहने की उम्मीद है. नाइट फ्रैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर वर्तमान में एशिया-पैसिफिक रीजन में छठा सबसे महंगा ऑफिस स्पेस रेंटल मार्केट है.

भारत के साथ काम करने वाली कंपनियों के ऑफिस के कारण मुंबई और एनसीआर के अधिकांश प्रॉपर्टी रेंट तेजी पर रहे. मुंबई में प्राइम ऑफिस का किराया 317 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह दर्ज किया गया. बेंगलुरु में यह 138 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह और दिल्ली-एनसीआर में यह 340 रुपये प्रति वर्ग फीट प्रति माह था. साल 2024 की दूसरी और तीसरी तिमाही में इन तीनों बाजारों में संयुक्त लेनदेन की मात्रा लगातार सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई. इस बढ़ोतरी का श्रेय काफी हद तक वैश्विक क्षमता केंद्रों (जीसीसी) और भारत-केंद्रित व्यवसायों को जाता है.

नाइट फ्रैंक इंडिया की है रिपोर्ट

नाइट फ्रैंक इंडिया के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक शिशिर बैजल ने कहा, “भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती वैश्विक कॉर्पोरेट को आकर्षित कर रही है. देश के प्रमुख कार्यालय बाजारों में निरंतर मांग से यह जाहिर है.” उन्होंने कहा, “यह सकारात्मक दृष्टिकोण, 2022 से स्थिर किराया स्तर और 2024 में बढ़ती मांग के कारण है, जो निकट से मध्यम अवधि में भारतीय कार्यालय बाजार की निरंतर मजबूती में हमारे विश्वास को रेखांकित करता है.”

2024 की तीसरी तिमाही में बेंगलुरु में सबसे बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी

साल 2024 की तीसरी तिमाही में, बेंगलुरु में सबसे बड़ी मात्रा में बढ़ोतरी देखी गई, जो साल-दर-साल 158 फीसदी थी. जीसीसी हब के रूप में बेंगलुरु की स्थिति को इस तथ्य से और बल मिला कि शहर में कारोबार किए गए 62 फीसदी स्थान जीसीसी से थे. रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उछाल भारत के आर्थिक भविष्य, इसकी समृद्ध प्रतिभा, व्यापार-अनुकूल विनियमों और इसके विशाल उपभोक्ता बाजारों की निरंतर बढ़ोतरी को लेकर आशावाद को दर्शाता है.

Personal Finance Rule of 50:30:20: निवेश, खर्च और बचत के संयोजन का ये नियम आपके लिए शानदार रिटर्न के रास्ते खोल सकता है.

Mutual Fund: बचत का ये फार्मूला बनाएगा आम निवेशक को मालदार, 50:30:20 रूल को जानकर दूर करें टेंशन

Personal Finance Rule: आम लोगों के लिए पर्सनल फाइनेंस के नियमों में से एक ऐसा नियम है जो वित्तीय दिक्कतों को दूर करने के लिए रामबाण उपाय है. 50:30:20 का सुनहरा नियम एक ऐसा आर्थिक नियम है जिसके बारे में जानकर आपको अपने घर के बजट के साथ-साथ अपनी पर्सनल फाइनेंस प्लानिंग पर भी ध्यान देने का मौका मिलता है. निवेश, खर्च और बचत के संयोजन का ये नियम आपके लिए शानदार रिटर्न के रास्ते खोलता है.

क्या है पर्सनल फाइनेंस का 50-30-20 रूल 

पर्सनल फाइनेंस का 50-30-20 रूल आपकी जरूरतों, इच्छाओं और बचत-निवेश के लिए सही रकम के आवंटन के बारे में निवेशकों को एक फॉर्मूले के आधार पर पैसा लगाने की सलाह देता है. इसके तहत तीन मुख्य बातों का ध्यान रखना होता है. इस नियम की शुरुआत अमेरिकी सीनेट और टाइम मैगजीन की 100 प्रभावशाली लोगों में शामिल एलिजाबेथ वॉरेन ने की थी. उन्होंने अपनी बेटी के साथ मिलकर साल 2006 में अपनी किताब ऑल योर वर्थ: द अल्टीमेट लाइफटाइम मनी प्लान (All Your Worth: The Ultimate Lifetime Money Plan) में इस नियम के बारे में लिखा था.

  • टैक्स के बाद आपकी कमाई का जो 50 फीसदी हिस्सा बचता है उसे अपनी हर आर्थिक जरूरतों के लिए लगाना चाहिए.
  • 30 फीसदी हिस्सा अपनी इच्छाओं के लिए खर्च करना चाहिए.
  • 20 फीसदी हिस्सा बचत और निवेश के लिए बचाना चाहिए.

1. हर महीने आने वाले अनिवार्य खर्चों को इस फार्मूला के तहत लिस्ट में सबसे ऊपर रखा जाता है. इसमें तमाम जरूरी खर्चे जैसे हाउस रेंट, यूटिलिटी के खर्चे, EMI, ग्रॉसरी और इंश्योरेंस प्रीमियम आदि 50 फीसदी के खर्च में आते हैं. इस 50 फीसदी की मद में आपके घर और जीवन के सभी जरूरी खर्चे शामिल हो जाते हैं.

2. इस फार्मूला के दूसरे पार्ट में 30 फीसदी खर्च उन इच्छाओं पर खर्च के तौर पर सामने आता है जो आपके लिए जरूरत तो नहीं हैं पर इन्हें पूरा करना जीवन को आनंददायक बनाए रखने के लिए जरूरी लगता है. इसमें शॉपिंग, फिल्में देखना, आउटिंग या वैकेशन पर जाना पर जैसे खर्चों पर आप 30 फीसदी का खर्च कर सकते हैं.

3. आखिरी खर्च के तौर पर 20 फीसदी हिस्सा आपको निवेश और बचत के लिए रखना चाहिए. सबसे जरूरी बात ये है कि किसी भी सूरत में इसे टालना नहीं है. जरूरतों पर 50 फीसदी, इच्छाओं पर 30 फीसदी के खर्च में कटौती हो सकती है लेकिन ये निवेश और बचत के 20 फीसदी हिस्से को किसी हाल में नहीं भूला जा सकता है.

क्या है सार

इस नियम के तहत जब ये साफ हो जाता है कि हर महीने आप 20 फीसदी रकम बचत और निवेश पर तय कर रहे हैं तो आपके लिए शानदार रिटर्न का रास्ता भी खुलता है. जब बचत के बाद निवेश सही माध्यम में किया जाता है तो कमाई के भी बढ़ने के इंतजाम हो जाते हैं.

करोड़ों के घाटे में ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट जैसे ऐप्स, फिर भी निवेश के लिए इतना ‘पइसा’ कहां से आता है?

Quick Commerce Industry बीते दो साल में लगभग तीन गुना हो गई है. Blinkit, Instamart और Dunzo जैसे ऐप्स करोड़ों के घाटे में हैं, फिर भी लगातार निवेश बढ़ा रही हैं. इसका कारण क्या है? याद है वो दिन, जब आधा संडे परचून की दुकान से चीनी-चाय पत्ती और सब्जी वाले से धनिया-पुदीना लाने में निकल जाता था? घर पर एक लिस्ट बनती थी. मम्मी बोलती थीं, बउआ लिखता था और चुपके से ऐड कर देता था क्रीम वाले बिस्कुट. लेकिन सोसायटी और बाज़ार, ससुर ऐसे बदल गए हैं कि अब सुविधा बहुत हो गई है. लेकिन थ्रिल नहीं रहा. टियर-1 और टियर-2 शहरों में लोगों में कैश रखने की आदत कम हुई है, UPI का चलन बढ़ा है. इस दौर में एक और चलन तेज़ी से बढ़ा है- इंस्टेंट डिलीवरी ऐप्स का. परचून की दुकानों और मंडी वाली ठीक-ठाक भीड़ इन ऐप्स पर डायवर्ट हुई है और घर बैठे सामान मंगा रही है.

हमको-आपको लग सकता है कि ‘गज़ब बिज़नेस मॉडल है गुरू, शुरू करने वाले की बलैया ले लें’. लेकिन आप शर्तिया चौंकेंगे, अगर हम बताएं कि Instamart, Blinkit, Dunzo – ये सभी बड़े Quick Commerce ऐप्स करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं. फिर भी इन कंपनियों में बड़े-बड़े निवेशक पैसा झोंके जा रहे हैं. ब्लिंकिट का उदाहरण लीजिए. 2022 में ज़ोमैटो ने इसे ख़रीदा. तब ये एक हज़ार करोड़ रुपये के नुकसान में थी और अब भी नुकसान में ही है. एक और उदाहरण है Dunzo का, 2022-23 में इसको 1800 करोड़ का घाटा हुआ, लेकिन इसके बावजूद 2023 में Reliance Retail, Google India जैसे निवेशकों ने इसमें 2000 करोड़ का निवेश किया. क्यों?

आखिर घाटे में होते हुए भी इन ऐप्स की इतनी ग्रोथ क्यों हो रही है? या यूं कहें कि ग्रोथ होने के बाद भी ये घाटे में क्यों दिख रही हैं? ये क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री कैसे काम करती है? और इसका Revenue Model क्या है, जो इतनी बड़ी-बड़ी कंपनियों को आकर्षित करता है?

Quick Commerce Industry में बूम क्यों हैं?

कोई इंडस्ट्री तेज़ी से तरक्की कर जाए, तो सबके मन में सवाल होता है- कैसे हुआ? किसी भी इंडस्ट्री को बूम करने के लिए तीन odds को मैनेज करना होता है. डिमांड, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और कंज्यूमर बिहेवियर. ये तीन odds आपके फेवर में आए, तो बिज़नेस की चांदी है. तीनों को क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री के पर्सपेक्टिव से समझते हैं.

पहला- डिमांड. माने क्या वाकई इस इंडस्ट्री की ज़रूरत है? अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आपको पता है कि लोगों के पास समय है कम और कन्वीनिएंस सबको चाहिए ज़्यादा! तो जो सर्विस समय बचा सकती है और मेहनत कम कर सकती है, लोग उस पर पैसा खर्च करने में हिचकिचाते नहीं हैं. यही काम क्विक कॉमर्स Apps करते हैं. सोचिए, आप फ्रिज खोलते हैं और देखते हैं कि दूध ख़त्म… चाय पीने का मूड ख़राब! या फिर नहाने गए और शैंपू ख़त्म… नहाने का मूड ख़राब! तब ये डेंजो, इंस्टामार्ट, या ब्लिंकिट जैसे ऐप्स 10 मिनट में सामान लेकर हाज़िर हो जाते हैं. समय, ऊर्जा और मूड..तीनों बच गए. तो, इस इंडस्ट्री में डिमांड की कोई कमी नहीं. डिमांड के मामले में 10 ऑन 10.

दूसरा है, इन्फ्रास्ट्रक्चर. माने इंडस्ट्री सेट अप करने के लिए मूलभूत सुविधाएं. जैसे कोई फैक्ट्री लगाने के लिए बिजली और सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर है. इस इंडस्ट्री का क्या हाल है? एक अनुमान के मुताबिक़, भारत में क़रीब 70 से 80 करोड़ लोगों तक इंटरनेट की रीच है. और 80% डिजिटल ट्रांजैक्शंस UPI के जरिए होते हैं. माने ऐप चलाने और उसपर पेमेंट करने का सिस्टम भी एक फूलप्रूफ है. इसलिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का हाल भी फुल ऑन है.

अब बात तीसरे लेकिन सबसे ज़रूरी पहलू की- कंज़्यूमर बिहेवियर. माने क्या लोग इस तरीके को अपनाने के लिए तैयार हैं? साल 2020. COVID-19 आया. लोग घरों में कैद हो गए. तमाम आदतें बदलीं, जिनमें शॉपिंग हैबिट्स भी शामिल थीं. लोगों को घर बैठे-बैठे ऑनलाइन शॉपिंग की आदत लग गई. और धीरे-धीरे ये आदत रुटीन बन गई. इसीलिए टियर-1 और टियर-2 शहरों में डिलिवरी ऐप्स का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ा है. द मिंट की रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो साल में ये इंडस्ट्री लगभग तीन गुना हो गई है.

ऐसे सभी odds इस इंडस्ट्री के पक्ष में अलाइन हो गए और इस पूरे खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना ब्लिंकिट. जिसकी देश की क्विक कॉमर्स मार्केट में 40- 45 फीसदी हिस्सेदारी है. माने फिलहाल blinkit भीखू म्हात्रे है. दूसरे नंबर पर है इंस्टामार्ट, 25% मार्केट शेयर के साथ. ये तो हुई इंडस्ट्री के बढ़ने की वजह. अब बात करते हैं इसके वर्किंग मॉडल की.

Quick Commerce Working Model

शुरुआत होती है डिमांड प्रेडिक्शन से. एक कंपनी के लिए ये सबसे ज़रूरी चीज़ है कि वो पहले से जान ले कि किसी इलाके में किस चीज़ की डिमांड कितनी होगी. इन सवालों का जवाब डेटा के सहारे ढूंढे जाते हैं. जैसे कस्टमर की पसंद-नापसंद क्या है? लोग चाय पसंद कर रहे हैं या कॉफी? और चाय में भी कौन सा ब्रांड. साथ ही लोगों की डिमांड में मौसम का क्या रोल रहेगा. गर्मी में ice cream की मांग बढ़ जाती है, जबकि सर्दियों में चाय और कॉफी का चलन ज्यादा होता है. माने ऐसी डिटेलिंग्स.

इसके साथ ही आर्डर पैटर्न को समझना भी जरूरी होता है. लोग किस वक्त सबसे ज्यादा ऑर्डर करते हैं? क्या आप भी दोपहर में ज़्यादा चाय-कॉफी मंगवाते हैं, या शाम का इंतजार करते हैं? इस सबकी जानकारी के बाद कंपनी समझ पाती है कि किस प्रोडक्ट को, कितनी मात्रा में वेयर हाउस में रखना है और अपने डिलीवरी पार्टनर्स को कैसे और कहां-कहां तैनात करना है. ताकि हर ऑर्डर समय पर पहुंच सके. इसके बाद बारी आती है इस प्रोसेस को अमल में लाने की, यानी लॉजिस्टिक्स की. इसके लिए कंपनियां अलग-अलग मॉडल्स का सहारा लेती हैं. ‘जहां की रही ज़रूरत जैसी, वाके लिए लॉजिस्टिक्स वैसी’ यानि जरूरत के मुताबिक प्लानिंग. इसके लिए कई मॉडल हैं.

पहला – इन्वेंटरी मॉडल. इन्वेंटरी मॉडल का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि जहां डिमांड ज्यादा है, वहां पहले से ही सामान मौजूद रहे. पहले इसके स्ट्रक्चर को समझ लेते हैं. मान लीजिये, Noida में ABC कंपनी का एक बड़ा वेयरहाउस है. यहां कंपनी अपने सप्लायर्स से सामान मंगवाती है और उसे स्टोर करती है. स्टोरेज के अलावा ये एक बड़े डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर की तरह भी काम करता है. यहां से सामान छोटे-छोटे स्टोर्स में भेजा जाता है, जिन्हें डार्क स्टोर्स कहते हैं.

डार्क स्टोर्स को समझें, जैसे कि आपके घर के नजदीक एक छोटा सा गोदाम. या कंपनी का बेस. जो हर 2-3 किलोमीटर पर होते हैं और यहां पर 1000 से 2000 का स्टॉक रहता है. इनका चयन भी बड़ी सावधानी से होता है, ताकि हर इलाके की डिमांड कम से कम समय में पूरी हो सके. अब जैसे ही आप ऐप खोलते हैं, ऐप आपकी लोकेशन ट्रैक करता है और आपको सबसे नजदीकी डार्क स्टोर से कनेक्ट कर देता है. इस डार्क स्टोर में क्या मौजूद है, इसकी ट्रैकिंग OMS यानी Order Management System सिस्टम के जरिए होता है. यानि जो भी चीजें उस वक्त स्टोर में मौजूद होती हैं, वही आपको ऐप पर दिखाई देंगी.

जैसे ही आप ऑर्डर करते हैं, डार्क स्टोर का डिलीवरी पार्टनर तुरंत आंधी जैसे आपका ऑर्डर लेकर निकल पड़ता है. ‘हाल लगाओ हाल फायदा, देर लगाओ का फायदा.’ अब वेयरहाउस और डार्क स्टोर्स कंपनी खुद भी चला सकती है, या फिर किसी व्यक्ति को फ्रैंचाइज़ दे सकती है. फ्रैंचाइज़ी वाले को उसके डार्क स्टोर से हुई बिक्री का एक हिस्सा कमीशन के रूप में दिया जाता है. इससे कंपनी का खुद का खर्च भी कम होता है और लोगों को रोजगार भी मिलता है. बड़े शहरों जैसे दिल्ली, नोएडा, और मुंबई में ये मॉडल सफल रहता है, क्योंकि वहां डिमांड ज़्यादा होती है. लेकिन जब बात आती है टियर-2 शहरों की, वहां इस मॉडल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. क्योंकि डिमांड कम होती है, इसलिए वहां कंपनियां दूसरे मॉडल्स अपनाती हैं. ताकि खर्च किफायती रहे.

दूसरा- हाइपर लोकल मॉडल. इसमें कंपनियां खुद सामान स्टॉक करने या गोदाम में जमा करने के बजाय एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करती हैं. माने खरीदार और दुकानदार के बीच एक पुल की तरह काम करना. इसे ऐसे समझिए जैसे स्विगी खुद रेस्ट्रां नहीं चलाता, बल्कि आपको उनसे कनेक्ट कराता है और बदले में कुछ प्लेटफॉर्म फीस चार्ज करता है. तो कैसे काम करता है ये सिस्टम? जैसे ही आप अपना ऑर्डर देते हैं, ये प्लेटफॉर्म आपके अपने नज़दीकी सप्लायर यानी दुकानदार को एक रिक्वेस्ट भेजता है. दुकानदार उस सामान को पैक करता है, और डिलीवरी पार्टनर उसे आपके दरवाजे तक पहुंचाने के लिए निकल पड़ता है. इस मॉडल से कंपनी का गोदाम में स्टॉक रखने का खर्च बच जाता है. यानी उन इलाकों में जहां डिमांड कम होती है, वहां कंपनी को निवेश भी कम करना पड़ता है. पर कुछ चुनौतियां भी हैं.

जैसे, निर्भरता. इस मॉडल में कंपनी पूरी तरह से दुकानदार पर निर्भर हो जाती है. क्वालिटी. कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि दुकानदार पुराना या एक्सपायरी माल दे दे, जिससे कस्टमर का अनुभव बिगड़ सकता है. इस मॉडल से कंपनियां कमाई कैसे करती हैं? इसके लिए प्लेटफॉर्म एक छोटी फीस चार्ज करता है, जो हर ऑर्डर के साथ कस्टमर या दुकानदार से लिया जाता है. यानी जितने ज्यादा ऑर्डर, उतनी ज्यादा कमाई. ये तो हुई मॉडल के वर्किंग की बात. अब समझते हैं. इस इंडस्ट्री में कपनियां कितना पैसे कमाती हैं और कैसे?

Revenue Model

इसके लिए कुछ टेक्निकल टर्म्स से परिचित होना पड़ेगा. ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV). पूरे साल में किसी ऐप पर हुए सारे ऑर्डर्स का कुल दाम जोड़ दिया जाए, तो उसे ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV) कहते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर सालभर में 10 ऑर्डर्स हुए और उनका कुल मूल्य 1000 रुपये था, तो ये 1000 रुपये आपका GOV कहलाएगा. दूसरा शब्द है एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV), माने औसतन एक ऑर्डर कितने का था? इसके लिए GOV को कुल ऑर्डर्स की संख्या से भाग दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर, अगर 1000 रुपये का GOV है और कुल 10 ऑर्डर्स हैं, तो 1000 / 10 = 100 रुपये एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV) है. यानी औसतन हर ऑर्डर 100 रुपये का था.

एक और टर्म है. मान लीजिए, कंपनी को GOV का एक हिस्सा मिलता है, जो उनकी कमीशन और ऐड रेवेन्यू से आता है. इसे Take Rate कहते हैं. यहां एक बात ध्यान रहे. ये कंपनी का प्रॉफिट नहीं है, कमाई है. प्रॉफिट तो कमाई से खर्च को घटने के बाद निकलता है. इस Take Rate में कमीशन के साथ Ad Monetisation और डिलीवरी चार्ज शामिल है. माने अगर टेक रेट 10% है, तो कमाई 1000 का 10% यानी 100 रूपये हुई. इस इंडस्ट्री का रेवेन्यू मॉडल बस इसी Take Rate पर टिका है. अगर GOV, AOV और Take Rate ज्यादा हो और खर्चे कम, तो बिज़नेस सफल. कैसे? इसे टॉप 2 बड़े प्लेयर्स के आंकड़ों से समझते हैं. इंस्टमार्ट और ब्लिंकिट.

Blinkit

2022 में जोमाटो ने इस कंपनी को खरीदा और क्विक कॉमर्स की दुनिया में कदम रखा. यहां कदम रखना आसान था, लेकिन असली चुनौती थी इस तेज़ी से बदलते बाज़ार में टिकना और बढ़ना. वित्तीय वर्ष 2022-23 में ब्लिंकिट की क्या स्थिति थी?

GOV (ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू) – कंपनी ने पूरे साल में कुल 6450 करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया.
एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV): हर ऑर्डर औसतन 541 रुपये का था.
टेक रेट: कंपनी का टेक रेट 16.5% था, जिससे कंपनी को 1000 करोड़ रुपये की कमाई हुई.

लेकिन इस कमाई के बावजूद कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. स्टोर्स का खर्च और डिलीवरी एजेंट्स को भुगतान मिलाकर जैसे कई खर्च मिलाकर कमाई से दोगुना हो गए और नतीजा हुआ 1000 करोड़ का नुकसान. जोमाटो और कंपनी के बाकी इन्वेस्टर्स ने आगे बढ़कर निवेश किया. ये रणनीति रंग लाने लगी.

डार्क स्टोर्स में विस्तार: एक साल में डार्क स्टोर्स की संख्या 383 से बढ़कर 639 हो गई.

बढ़ता कस्टमर बेस: जहां पिछले साल 12 करोड़ ऑर्डर्स थे, वहीं 2023-24 में ये संख्या बढ़कर 20 करोड़ पार कर गई. ऑर्डर्स और कस्टमर्स बढ़ने से GOV लगभग दोगुना हो गया. इस बढ़त का फायदा कंपनी को दिखा. ज्यादा लोग ऐप का इस्तेमाल करेंगे, तो विज्ञापनों से भी कमाई बढ़ी, साथ ही ज्यादा डिमांड की वजह से डिलीवरी चार्जेज भी बढ़े. इससे Take Rate में सुधार आया. Take Rate 16.5% से बढ़कर 18.5% हो गया, जो भारत में किसी भी क्विक कॉमर्स कंपनी के लिए अब तक सबसे ज्यादा टेक रेट है.

नतीजा 2023-24 में कमाई का आंकड़ा 2300 करोड़ पार कर गया. लेकिन नए स्टोर्स के खुलने की वजह से खर्च भी बढ़ा. कंपनी को 384 करोड़ का नुकसान हुआ. हालांकि ये पिछले साल के मुकाबले काफी कम था. और अब अप्रैल से सितम्बर 2024 के बीच कंपनी ने अपना नुकसान सिर्फ 11 करोड़ तक सीमित कर लिया. ये ट्रेंड बताता है कि कंपनी जल्द ही नो प्रॉफिट, नो लॉस या मुनाफे की ओर बढ़ सकती है. ब्लिंकिट का ये मॉडल बताता है, कि क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री में सक्सेस के लिए, मार्केट में पकड़ बनाना ज़रूरी है, जिसके लिए बड़े निवेश की ज़रूरत है. और इसके साथ ही स्पीड और क्वालिटी पर ध्यान देना जरूरी है. तभी Take Rate बढ़ेगा, और लॉस कम होगा.

Instamart

इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट के मुकाबले कभी काफी पीछे दिखाई दे रहा है. जैसे इसके लिए भी 2022-23 और 2023-24 के आंकड़ों को देखते हैं. साल 2022-23 में, कंपनी ने पूरे साल में करीब 510 करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया. जिसकी एवरेज आर्डर वैल्यू 398 रूपये थी. Take Rate करीब 10.6 % के करीब था. इस साल कंपनी ने 547 करोड़ की कमाई की. 2023-24 में कंपनी ने बेहतर परफॉर्म किया. आर्डर की संख्या साढ़े 12 करोड़ से बढ़ कर साढ़े 17 करोड़ पहुंची. हर ऑर्डर का औसत भी बढ़ा. 398 से बढ़कर 460 हुआ. कमाई 510 करोड़ से बढ़कर 1100 करोड़ पहुंची. लेकिन साल 2023-24 में भी कंपनी लॉस में रही. जो पिछले साल के मुकाबले कम हुआ. लेकिन अगर इस लॉस की तुलना ब्लिंकिट से करें, तो कुल जमा ये निकलता है कि जितना नुकसान ब्लिंकिट को साल 2023-24 में हुआ, करीब उतना ही लॉस इंस्टमार्ट को एक क्वॉर्टर में हुआ- अप्रैल 2023 से लेकर जून 2023 में. दोनों सबसे बड़े क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री के प्लेयर्स के आंकड़े देखने के बाद एक बात तो साफ़ जाहिर होती है. कि ये इंडस्ट्री पेशेंस का गेम है. पर डिमांड और इंटरनेट रीच ऐसी है कि बड़ी बड़ी कंपनियां इनवेस्ट कर रही हैं. इस सब के बाद भी कुछ कंपनियों के डूब जाने का ख़तरा फिर भी रहेगा ही. बिज़नेस का, और जीवन का भी यही नियम है- सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट

Gold Price Today: सोने के दाम में आई भारी गिरावट! भारत में 11 नवंबर 2024 में सोने के लेटेस्ट रेट देखे

Gold Price Today: सोने और चाँदी के दाम दिन बा दिन बदलते रहते है। ऐसे में हमारी वेब साइट dailynews24 की टीम आप के लिए सोने और चाँदी के दाम से जुड़ी पूरी खबर आप के लिए लेकर आते है। तो चलिए जानते है सोने चाँदी के आज के लेटेस्ट दाम। 11 नवंबर को भारत में सोने की कीमत करीब 79,500 रुपये प्रति 10 ग्राम थी। अपनी उच्चतम शुद्धता के लिए मशहूर 24 कैरेट सोने की कीमत 79,500 रुपये प्रति 10 ग्राम रही। आभूषण खरीदारों के लिए, 22 कैरेट सोना, जो अपनी मिश्र धातु संरचना के कारण अधिक टिकाऊ है। की कीमत 72,890 रुपये प्रति 10 ग्राम थी।

विभिन्न शहरों में सोने की कीमतें देखें

शहर में आज 22 कैरेट सने का भाव, आज 24 कैरेट सोने का भाव

मुंबई                      72,740         79,350
अहमदाबाद            72,790         79,400
मद्रास                    72,740         79,350
कलकत्ता                72,740         79,350
पुणे                       72,740          79,350
लखनऊ                72,890          79,500
बेंगलुरु                 72,740          79,350
जयपुर                 72,890           79,500
पटना                  72,790            79,400
भुवनेश्वर              72,740            79,350
मैड्रिड                72,740            79,350

प्रति ग्राम सोने की खुदरा कीमत क्या है?

प्रति ग्राम सोने की कीमत एक ग्राम सोने की कीमत को संदर्भित करती है। जिसे आमतौर पर भारतीय रुपये जैसी मुद्रा में व्यक्त किया जाता है। यह कीमत आर्थिक स्थितियों, भू-राजनीतिक घटनाओं और आपूर्ति और मांग की गतिशीलता सहित कई कारकों के आधार पर दैनिक रूप से उतार-चढ़ाव करती है। भारत में, सोने की खुदरा कीमत, उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली अंतिम कीमत, इसके बाजार मूल्य से अधिक प्रभावित होती है। आयात शुल्क, कर और मुद्रा विनिमय दर जैसे विभिन्न कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

22 कैरेट सोने की कीमत

सबसे पहले बात करें 22-कैरेट सोने की, तो 1 ग्राम सोने की कीमत आज 7,316 रुपए हो गई है। आज 8 ग्राम 22 कैरेट सोने को 58,528 रुपए में खरीदा जा सकता है। जबकि 10 ग्राम सोना आज 73,160 रुपए में मिल रहा है। अंत में 100 ग्राम 22-कैरेट सोने की कीमत आज के लिए 731,600 रुपए है।

24 कैरेट सोने की कीमत

अब आते हैं 24-कैरेट सोने के रेट पर, तो आज इसे 1 ग्राम के लिए 7,980 रुपए में खरीदा जा सकता है। वहीं 8 ग्राम 24-कैरेट सोने की कीमत आज 63,840 रुपए है। इसके बाद 10 ग्राम सोने का भाव आज 79,800 रुपए है। इसके बाद 100 ग्राम सोने की कीमत आज 798,000 रुपए है।

ऑनलाइन सोना (Gold) कैसे खरीदें?

22 कैरेट सोने की कीमत

सबसे पहले बात करें 22-कैरेट सोने की, तो 1 ग्राम सोने की कीमत आज 7,316 रुपए हो गई है। आज 8 ग्राम 22 कैरेट सोने को 58,528 रुपए में खरीदा जा सकता है। जबकि 10 ग्राम सोना आज 73,160 रुपए में मिल रहा है। अंत में 100 ग्राम 22-कैरेट सोने की कीमत आज के लिए 731,600 रुपए है।

24 कैरेट सोने की कीमत

अब आते हैं 24-कैरेट सोने के रेट पर, तो आज इसे 1 ग्राम के लिए 7,980 रुपए में खरीदा जा सकता है। वहीं 8 ग्राम 24-कैरेट सोने की कीमत आज 63,840 रुपए है। इसके बाद 10 ग्राम सोने का भाव आज 79,800 रुपए है। इसके बाद 100 ग्राम सोने की कीमत आज 798,000 रुपए है।

ऑनलाइन सोना (Gold) कैसे खरीदें?

ग्राहक मोबाइल वॉलेट्स जैसे PhonePe, Paytm, और GPay के जरिए ऑनलाइन सोना खरीद सकते हैं। इसके अलावा वे स्टॉक होल्डिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के गोल्ड रश प्लान से भी सोना खरीद सकते हैं। MMTC-PAMP या SafeGold या फिर दोनों के सहयोग से सोना खरीदने के विकल्प उपलब्ध हैं। सरकार के स्वामित्व वाले MMTC और स्विट्ज़रलैंड-स्थित PAMP SA ने संयुक्त व्यापार MMTC-PAMP को लॉन्च किया है

जानें क्या है 22 और 24 कैरेट में अंतर?

24 कैरेट गोल्ड 99.9% शुद्ध होता है। और 22 कैरेट लगभग 91 प्रतिशत शुद्ध होता है। 22 कैरेट गोल्ड में 9% अन्य धातु जैसे तांबा, चांदी, जिंक मिलाकर जेवर तैयार किया जाता है। जबकि 24 कैरेट सोना शानदार होता है। लेकिन उसके आभूषण नहीं बनाए जा सकते। इसलिए ज्यादातर दुकानदार 22 कैरेट में सोना बेचते हैं।

मिस्ड कॉल से जानें भाव

22 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी के खुदरा रेट जानने के लिए 8955664433 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं। कुछ ही देर में SMS के जरिए रेट्स मिल जाएंगे। इसके अलावा लगातार अपडेट्स की जानकारी के जानकारी के लिए www.ibja.co या ibjarates.com पर देख सकते हैं।

22 कैरेट और 18 कैरेट गोल्ड ज्वेलरी के खुदरा रेट जानने के लिए 8955664433 पर मिस्ड कॉल दे सकते हैं। कुछ ही देर में SMS के जरिए रेट्स मिल जाएंगे। इसके अलावा लगातार अपडेट्स की जानकारी के जानकारी के लिए www.ibja.co या ibjarates.com पर देख सकते हैं।