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DRDO ने रचा कीर्तिमान, पहली बार लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण; जद में पाकिस्तान

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने मंगलवार को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) का पहला उड़ान परीक्षण किया। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल परीक्षण के बाद डीआरडीओ और सशस्त्र बलों को बधाई दी। यह मिसाइल जहाज से भी लॉन्च की जा सकती है।

लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण।

पीटीआई, नई दिल्ली। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने मंगलवार को एक नया कीर्तिमान रचा है। ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से पहली बार लैंड अटैक क्रूज मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया है। जानकारी के मुताबिक यह एंटी शिप बैलेस्टिक क्रूज मिसाइल है। इसकी रेंच एक हजार किलोमीटर तक है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक मिसाइल की सभी उप-प्रणालियों ने अपेक्षा के अनुरूप प्रदर्शन किया और अपने प्राथमिक मिशन के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया। डीआरडीओ की इस सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी बधाई दी है।

उन्नत सॉफ्टवेयर से लैस मिसाइल

रक्षा मंत्रालय ने कहा कि मिसाइल ने पॉइंट नेविगेशन का इस्तेमाल करके अपने पथ का अनुसरण किया और विभिन्न ऊंचाइयों और गति पर उड़ान भरते हुए अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। यह मिसाइल उन्नत एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से भी लैस है। मंत्रालय ने आगे कहा कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन ने मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से ओडिशा के एकीकृत परीक्षण रेंज चांदीपुर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) का पहला परीक्षण किया।

इन कंपनियों ने तैयार की मिसाइल

मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी रडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज सेंसरों से की गई। परीक्षण के दौरान डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिक और तीनों सेनाओं के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे हैं। इस मिसाइल को बेंगलुरु की एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एस्टेब्लिशमेंट, डीआरडीओ और अन्य भारतीय उद्योगों के सहयोग से विकसित किया गया है। हैदराबाद स्थित भारत डायनेमिक्स लिमिटेड और बेंगलुरु की भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड भी इस प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं।

जहाज से भी मिसाइल की जा सकती लॉन्च

अधिकारियों ने मुताबिक इस मिसाइल को मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर का इस्तेमाल करके जमीन और यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम के माध्यम से फ्रंटलाइन जहाजों से लॉन्च किया जा सकता है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मिसाइल के सफल परीक्षण पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग जगत को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में स्वदेशी क्रूज मिसाइल विकास कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त होगा। बता दें कि एलआरएलएसीएम रक्षा अधिग्रहण परिषद से अनुमोदित मिशन मोड परियोजना है।

डोनाल्ड ट्रंप ने जिसे बनाया NSA उसका नाम सुनकर कांप जाएगा पाकिस्तान, US संसद में करता है भारत की आवाज़ बुलंद

US NSA:डोनाल्ड ट्रंप ने जिस शख्स को अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के लिए चुना है, वे हमेशा से ही चीन और पाकिस्तान के खिलाफ रहे हैं. भारत के लिए अच्छी बात यह है कि उन्होंने अमेरिकी संसद में भारत की आवाज को हमेशा बुलंद करने का काम किया है.

पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप.

वॉशिंगटन. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप के जीतने के बाद से ही कई देशों के होश फाख्ता हो गए हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ट्रंप का अगला कदम क्या होगा? कहीं उनके देश के खिलाफ तो कोई कार्रवाई नहीं करेंगे. लेकिन ऐसे देशों का डरना वाजिब है और उसे आप इस बात से समझ सकते हैं कि अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रतिनिधि सभा के सदस्य माइकल वॉल्ट्ज से देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) का जिम्मा संभालने के लिए कहा है.

माइकल वॉल्ट्ज वो नाम है, जिसे सुनकर पाकिस्तान की कंपकंपी छूट जाती है. वाल्ट्ज ‘आर्मी नेशनल गार्ड’ के रिटायर ऑफिसर और पूर्व सैनिक रह चुके हैं. वॉल्ट्ज को ऐसे वक्त में एनएसए का पद देने के बारे में विचार किया जा रहा है जब यूक्रेन को हथियार उपलब्ध कराने के मौजूदा प्रयासों और रूस तथा उत्तर कोरिया के बीच बढ़ती साझेदारी पर चिंताओं से लेकर पश्चिम एशिया में ईरान के प्रॉक्सी ग्रुप्स द्वारा लगातार हमलों और इजरायल, हमास तथा हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष विराम के लिए दबाव जैसे राष्ट्रीय सुरक्षा के सामने कई संकट हैं.

पूर्व-मध्य फ्लोरिडा से रिपब्लिकन पार्टी के तीन बार के सांसद वॉल्ट्ज पिछले सप्ताह अमेरिकी संसद में निर्वाचित होने और आसानी से फिर से चुनाव जीतने वाले अमेरिकी सेना के पहले पूर्व सदस्य हैं. वह ट्रंप के कट्टर समर्थक रहे हैं. उन्हें चीन के प्रति कठोर रुख रखने वाला माना जाता है और उन्होंने ही कोविड-19 की उत्पत्ति तथा चीन में मुस्लिम उइगर आबादी के उत्पीड़न के कारण बीजिंग में 2022 में हुए शीतकालीन ओलंपिक का अमेरिका द्वारा बहिष्कार करने का आह्वान किया था.

China में स्पोर्ट्स सेंटर के बाहर कार ने लोगों को रौंदा, 35 की मौके पर मौत

चीन के झुहाई शहर में सोमवार रात एक कार दुर्घटना में 35 लोगों की मौत हो गई और 43 से ज्यादा लोग घायल हो गए। झुहाई वर्तमान में चीन के प्रतिष्ठित एयरशो की मेजबानी कर रहा है। हालांकि घटना का विवरण अभी तक जारी नहीं किया गया है। हालांकि समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने इस दुर्घटना की पुष्टि की। पुलिस ने बताया कि 62 वर्षीय ड्राइवर को हिरासत में लिया गया।

चीनी शहर में ड्राइवर ने भीड़ को टक्कर मारी, 35 लोगों की मौत (Photo Agency)

एजेंसी, बीजिंग। चीन के दक्षिणी शहर झुहाई में सोमवार शाम को स्पोर्ट्स सेंटर के बाहर लोगों के समूह को कार ने टक्कर मार दी, जिससे 35 लोगों की मौत हो गई और 43 अन्य घायल हो गए। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चीन के झुहाई शहर में कार की टक्कर में घायल हुए लोगों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास करने का वादा किया है।

आरोपी गिरफ्तार

पुलिस का कहना है कि झुहाई शहर में एक ड्राइवर द्वारा भीड़ को टक्कर मारने के बाद 35 लोगों की मौत हो गई और 43 अन्य घायल हो गए। पुलिस ने सोमवार को बताया कि 62 वर्षीय चालक को हिरासत में लिया गया है। यह तुरंत स्पष्ट नहीं हो पाया कि यह हमला था या दुर्घटना। किसी कारण का उल्लेख नहीं किया गया और पुलिस ने कहा कि जांच जारी है।

सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल

शिन्हुआ की रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने कानून के अनुसार अपराधी को सजा देने की भी मांग की। हालांकि, आधिकारिक मीडिया में इस घटना की रिपोर्ट को व्यापक रूप से सेंसर किया गया है, लेकिन एक्स पर पोस्ट किए गए वीडियो में सड़क पर पड़े शवों और मदद के लिए चिल्लाते लोगों का वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है।

चीन में बढ़ रही हिंसा

राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने घायलों के इलाज के लिए हरसंभव प्रयास करने का आदेश दिया और अपराधी को कड़ी सजा देने की मांग की। चीनी सरकार ने मामले से निपटने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए एक टीम भेजी है। चीन में कड़ी सुरक्षा और सख्त कानूनों के कारण हिंसक अपराध कम हैं। हालांकि, बड़े शहरों में चाकू से हमलों की बढ़ती रिपोर्टों ने सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा के बारे में लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।

अक्टूबर में बीजिंग में चाकू से किए गए हमले में शहर के शीर्ष प्राथमिक विद्यालयों में से एक के बाहर पांच लोग घायल हो गए थे। एक महीने पहले शेन्जेन में अपने स्कूल के बाहर एक जापानी छात्र की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। झुहाई इस सप्ताह चीन के सबसे बड़े वार्षिक एयर शो की मेजबानी कर रहा है, जहां पहली बार एक नया स्टील्थ जेट फाइटर प्रदर्शित किया जाएगा।

कौन हैं मार्को रुबियो: ट्रंप ने जिन्हें बनाएंगे अमेरिका का नया विदेश मंत्री, माने जाते हैं भारत के समर्थक और चीन के विरोधी  

Who is Marco Rubio:डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो को अमेरिका के विदेश मंत्री पद केकौन हैं मार्को रुबियो: ट्रंप ने जिन्हें बनाएंगे अमेरिका का नया विदेश मंत्री, माने जाते हैं भारत के समर्थक और चीन के विरोधी   लिए नॉमिनेट किया है। रुबियो अमेरिका-भारत संबंधों के मुखर समर्थक और चीन के सख्त आलोचक माने जाते हैं। यह नियुक्ति संभवतः ट्रंप की विदेश नीति में एक नई दिशा का संकेत हो सकती है, जिसमें वे अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मजबूत करने और चीन जैसे विरोधियों को आक्रामक प्रतिक्रिया देने पर जोर दे सकते हैं। रुबियो के चयन से विदेश नीति के क्षेत्र में ट्रंप के अगले कदमों की दिशा स्पष्ट होती है।

भारत-अमेरिका संबंधों में रुबियो की भूमिका

रुबियो ने भारत को हमेशा से ही हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साथी माना है। वे व्यापार और रक्षा क्षेत्रों में अमेरिका-भारत सहयोग को मजबूत करने के पक्षधर हैं। पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने कांग्रेस में लगातार मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की रणनीतिक अहमियत को रेखांकित किया है। यह रिश्ता न केवल दोनों देशों के आर्थिक हितों को बढ़ाता है, बल्कि दोनों के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को भी बल देता है। ट्रंप प्रशासन में रुबियो का चयन भारत के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है।

चीन पर अपनाते रहे हैं सख्त रुख

चीन को लेकर रुबियो का रुख हमेशा आक्रामक रहा है। सीनेट में वे चीन की नीतियों और मानवाधिकारों के हनन के मुखर आलोचक हैं। रुबियो ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) पर आर्थिक दबाव डालने की वकालत की है और दक्षिण चीन सागर में उसकी आक्रामक नीतियों की भी निंदा की है। अगर वे विदेश मंत्री बनते हैं, तो उनकी यह सख्ती और भी बढ़ सकती है। चीन के प्रति उनके सख्त रुख से भारत सहित अन्य देशों के साथ अमेरिकी संबंध और मजबूत हो सकते हैं।

NATO के मजबूत समर्थक माने जाते हैं

रुबियो का विदेश नीति का अनुभव यूरोप के साथ अमेरिका के संबंधों को मजबूत करने में मददगार होगा। रुबियो हमेशा NATO के कट्टर समर्थक रहे हैं। मार्को ने कई बार यूरोपीय सहयोगियों के साथ रक्षा साझेदारी को बढ़ावा देने की वकालत की है। ट्रंप ने हालांकि पहले NATO की आलोचना की थी, लेकिन रुबियो का समर्थन इस गठबंधन को और भी मजबूत कर सकता है। रुबियो का मानना है कि NATO अमेरिकी सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है।

मिडिल ईस्ट में हमास पर सख्त रुख

मिडिल ईस्ट की बात करें तो रुबियो ने इजरायल के प्रति अपना समर्थन जताया है और हमास जैसे संगठनों पर हमला बोला है। रुबियो का मानना है कि ऐसे संगठन मिडिल ईस्ट की स्थिरता के लिए खतरा हैं। मार्को रुबियो ने इजरायल को हर संभव सुरक्षा सहायता देने और हमास की हिंसा का मजबूती से जवाब देने की अपील की है। उनकी नीतियां GOP (Republican Party) के पारंपरिक आइडियोलॉजी के मुताबिक है, जो इजरायल की सुरक्षा को प्राथमिकता देने पर जोर देती हैं।

रूस-यूक्रेन संघर्ष पर क्या है रुबियो का विजन

रूस और यूक्रेन के संघर्ष पर रुबियो का दृष्टिकोण स्पष्ट और सुलझा हुआ है। हाल ही में उन्होंने कहा कि यह संघर्ष केवल बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है, हालांकि उन्होंने रूस के पक्ष में कोई बात नहीं की। लेकिन रुबियो ने अमेरिका की ओर से यूक्रेन को दिए जा रहे सहायता पैकेज पर सवाल उठाए हैं और अपनी नीतियों में वास्तविकता के आधार पर समाधान करने की बात कही है।

पाकिस्तान की सच्ची आजादी के लिए मैं… इमरान खान का जेल से शहबाज शरीफ को मैसेज, बता दिया कुछ बड़ा होने वाला है

Pakistan News: इमरान खान ने पाकिस्तान के अदियाला जेल में पत्रकारों से बात की. इस दौरान उन्होंने कुछ ऐसा बोला है जिससे पाकिस्तान में हलचल पैदा हो गई है. इमरान खान ने आदियाला जेल

 

इमरान खान ने एक पाकिस्तान की सच्ची अजादी की बात कर हलचल पैदा कर दी है.                         (फाइल फोटो)से पाकिस्तान की सच्ची आजादी की बात की है.)

नई दिल्ली: पाकिस्तान में इन दिनों आर्थिक संकट के साथ-साथ राजनीतिक संकट भी है. भले ही प्रधानमंत्री को चुनाव के तहत चुना गया हो लेकिन उन्हें पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल में रहकर भी चुनौती दे रहे हैं. शहबाज शरीफ की इससे पहले वाली सरकार ने इमरान खान को सत्ता से बेदखल कर जेल भेज दिया था. उसके बाद शहबाज शरीफ फिर सत्ता में आए. इमरान खान ने एक बार फिर अदियाला जेल से पाकिस्तान की सच्ची आजादी की बात कर दी है और नए जंग का ऐलान कर दिया है. इसके बाद पाकिस्तान में हलचल में पैदा हो गई है.

इमरान खान ने पाकिस्तान के अदियाला जेल में पत्रकारों से बात की. इस बातचीत को लेकर उन्होंने X पर भी पोस्ट किया. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा ‘स्वाबी में जलसा (राजनीतिक रैली) के दौरान हमारी कार्ययोजना की घोषणा की गई थी. इस बार, हमारा विरोध जारी रहेगा, और हमारे लोग तब तक अपने घरों को वापस नहीं जाएंगे जब तक कि संविधान, लोकतंत्र और न्यायिक स्वतंत्रता बहाल नहीं हो जाती, और हमारे निर्दोष कार्यकर्ताओं और नेताओं को रिहा नहीं कर दिया जाता.’

इमरान खान बना रहे हैं बड़ा प्लान

पाकिस्तान के पूर्व पीएम ने आगे कहा ‘अगले कुछ दिनों में मैं व्यक्तिगत रूप से विरोध मार्च की तारीख की घोषणा करूंगा, जिसके लिए हम पूरी तरह से तैयार रहेंगे. मैं पाकिस्तान की सच्ची आजादी के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार हूं. पीटीआई के पदाधिकारी, सांसद, आयोजक, टिकट-धारक, कार्यकर्ता और समर्थक तैयारियों को अंतिम रूप दें और जमीनी स्तर पर लामबंदी के प्रयास शुरू करें.’

इमरान के देश छोड़ने की भी बात चर्चा में

इससे पहले इमरान खान ने नवाज शरीफ पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि वह पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की तरह देश से कभी नहीं भागेंगे. उन्होंने उन दावों को खारिज कर दिया कि वह देश के बाहर शरण मांग रहे हैं. रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में कहा था कि खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी अपने सर्वोच्च नेता को रिहा कराने और उन्हें विदेश भेजने के लिए विदेशी ताकतों से आग्रह कर रही है. इसके बाद अटकलों का बाजार गर्म हो गया.

अटकलों पर बोलते हुए इमरान खान ने खान ने एक्स पर एक बयान जारी कर कहा कि वह किसी भी कीमत पर देश नहीं छोड़ेंगे. गुरुवार को उनके एक्स अकाउंट पर एक पोस्ट में कहा गया, “मैं देश से कभी नहीं भागूंगा मेरा नाम नो-फ्लाई लिस्ट में हमेशा के लिए डाल दो- मैं कहीं नहीं जा रहा हूं. पहले (पूर्व प्रधानमंत्री) नवाज शरीफ देश छोड़कर चले गए; अब उनकी बेटी (पंजाब की मुख्यमंत्री मरियम शरीफ) भी चली गई हैं.”वहीं खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर, जो पीटीआई के सदस्य भी हैं, ने कहा कि पार्टी खान की रिहाई के लिए “करो या मरो” आंदोलन के लिए तैयार है. खान अगस्त 2023 से कई मामलों में जेल में हैं.

करोड़ों के घाटे में ब्लिंकिट, इंस्टामार्ट जैसे ऐप्स, फिर भी निवेश के लिए इतना ‘पइसा’ कहां से आता है?

Quick Commerce Industry बीते दो साल में लगभग तीन गुना हो गई है. Blinkit, Instamart और Dunzo जैसे ऐप्स करोड़ों के घाटे में हैं, फिर भी लगातार निवेश बढ़ा रही हैं. इसका कारण क्या है? याद है वो दिन, जब आधा संडे परचून की दुकान से चीनी-चाय पत्ती और सब्जी वाले से धनिया-पुदीना लाने में निकल जाता था? घर पर एक लिस्ट बनती थी. मम्मी बोलती थीं, बउआ लिखता था और चुपके से ऐड कर देता था क्रीम वाले बिस्कुट. लेकिन सोसायटी और बाज़ार, ससुर ऐसे बदल गए हैं कि अब सुविधा बहुत हो गई है. लेकिन थ्रिल नहीं रहा. टियर-1 और टियर-2 शहरों में लोगों में कैश रखने की आदत कम हुई है, UPI का चलन बढ़ा है. इस दौर में एक और चलन तेज़ी से बढ़ा है- इंस्टेंट डिलीवरी ऐप्स का. परचून की दुकानों और मंडी वाली ठीक-ठाक भीड़ इन ऐप्स पर डायवर्ट हुई है और घर बैठे सामान मंगा रही है.

हमको-आपको लग सकता है कि ‘गज़ब बिज़नेस मॉडल है गुरू, शुरू करने वाले की बलैया ले लें’. लेकिन आप शर्तिया चौंकेंगे, अगर हम बताएं कि Instamart, Blinkit, Dunzo – ये सभी बड़े Quick Commerce ऐप्स करोड़ों के घाटे में चल रहे हैं. फिर भी इन कंपनियों में बड़े-बड़े निवेशक पैसा झोंके जा रहे हैं. ब्लिंकिट का उदाहरण लीजिए. 2022 में ज़ोमैटो ने इसे ख़रीदा. तब ये एक हज़ार करोड़ रुपये के नुकसान में थी और अब भी नुकसान में ही है. एक और उदाहरण है Dunzo का, 2022-23 में इसको 1800 करोड़ का घाटा हुआ, लेकिन इसके बावजूद 2023 में Reliance Retail, Google India जैसे निवेशकों ने इसमें 2000 करोड़ का निवेश किया. क्यों?

आखिर घाटे में होते हुए भी इन ऐप्स की इतनी ग्रोथ क्यों हो रही है? या यूं कहें कि ग्रोथ होने के बाद भी ये घाटे में क्यों दिख रही हैं? ये क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री कैसे काम करती है? और इसका Revenue Model क्या है, जो इतनी बड़ी-बड़ी कंपनियों को आकर्षित करता है?

Quick Commerce Industry में बूम क्यों हैं?

कोई इंडस्ट्री तेज़ी से तरक्की कर जाए, तो सबके मन में सवाल होता है- कैसे हुआ? किसी भी इंडस्ट्री को बूम करने के लिए तीन odds को मैनेज करना होता है. डिमांड, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और कंज्यूमर बिहेवियर. ये तीन odds आपके फेवर में आए, तो बिज़नेस की चांदी है. तीनों को क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री के पर्सपेक्टिव से समझते हैं.

पहला- डिमांड. माने क्या वाकई इस इंडस्ट्री की ज़रूरत है? अगर आप भारत के किसी बड़े शहर में रहते हैं, तो आपको पता है कि लोगों के पास समय है कम और कन्वीनिएंस सबको चाहिए ज़्यादा! तो जो सर्विस समय बचा सकती है और मेहनत कम कर सकती है, लोग उस पर पैसा खर्च करने में हिचकिचाते नहीं हैं. यही काम क्विक कॉमर्स Apps करते हैं. सोचिए, आप फ्रिज खोलते हैं और देखते हैं कि दूध ख़त्म… चाय पीने का मूड ख़राब! या फिर नहाने गए और शैंपू ख़त्म… नहाने का मूड ख़राब! तब ये डेंजो, इंस्टामार्ट, या ब्लिंकिट जैसे ऐप्स 10 मिनट में सामान लेकर हाज़िर हो जाते हैं. समय, ऊर्जा और मूड..तीनों बच गए. तो, इस इंडस्ट्री में डिमांड की कोई कमी नहीं. डिमांड के मामले में 10 ऑन 10.

दूसरा है, इन्फ्रास्ट्रक्चर. माने इंडस्ट्री सेट अप करने के लिए मूलभूत सुविधाएं. जैसे कोई फैक्ट्री लगाने के लिए बिजली और सड़क इन्फ्रास्ट्रक्चर है. इस इंडस्ट्री का क्या हाल है? एक अनुमान के मुताबिक़, भारत में क़रीब 70 से 80 करोड़ लोगों तक इंटरनेट की रीच है. और 80% डिजिटल ट्रांजैक्शंस UPI के जरिए होते हैं. माने ऐप चलाने और उसपर पेमेंट करने का सिस्टम भी एक फूलप्रूफ है. इसलिए इन्फ्रास्ट्रक्चर का हाल भी फुल ऑन है.

अब बात तीसरे लेकिन सबसे ज़रूरी पहलू की- कंज़्यूमर बिहेवियर. माने क्या लोग इस तरीके को अपनाने के लिए तैयार हैं? साल 2020. COVID-19 आया. लोग घरों में कैद हो गए. तमाम आदतें बदलीं, जिनमें शॉपिंग हैबिट्स भी शामिल थीं. लोगों को घर बैठे-बैठे ऑनलाइन शॉपिंग की आदत लग गई. और धीरे-धीरे ये आदत रुटीन बन गई. इसीलिए टियर-1 और टियर-2 शहरों में डिलिवरी ऐप्स का ट्रेंड तेज़ी से बढ़ा है. द मिंट की रिपोर्ट कहती है कि पिछले दो साल में ये इंडस्ट्री लगभग तीन गुना हो गई है.

ऐसे सभी odds इस इंडस्ट्री के पक्ष में अलाइन हो गए और इस पूरे खेल का सबसे बड़ा खिलाड़ी बना ब्लिंकिट. जिसकी देश की क्विक कॉमर्स मार्केट में 40- 45 फीसदी हिस्सेदारी है. माने फिलहाल blinkit भीखू म्हात्रे है. दूसरे नंबर पर है इंस्टामार्ट, 25% मार्केट शेयर के साथ. ये तो हुई इंडस्ट्री के बढ़ने की वजह. अब बात करते हैं इसके वर्किंग मॉडल की.

Quick Commerce Working Model

शुरुआत होती है डिमांड प्रेडिक्शन से. एक कंपनी के लिए ये सबसे ज़रूरी चीज़ है कि वो पहले से जान ले कि किसी इलाके में किस चीज़ की डिमांड कितनी होगी. इन सवालों का जवाब डेटा के सहारे ढूंढे जाते हैं. जैसे कस्टमर की पसंद-नापसंद क्या है? लोग चाय पसंद कर रहे हैं या कॉफी? और चाय में भी कौन सा ब्रांड. साथ ही लोगों की डिमांड में मौसम का क्या रोल रहेगा. गर्मी में ice cream की मांग बढ़ जाती है, जबकि सर्दियों में चाय और कॉफी का चलन ज्यादा होता है. माने ऐसी डिटेलिंग्स.

इसके साथ ही आर्डर पैटर्न को समझना भी जरूरी होता है. लोग किस वक्त सबसे ज्यादा ऑर्डर करते हैं? क्या आप भी दोपहर में ज़्यादा चाय-कॉफी मंगवाते हैं, या शाम का इंतजार करते हैं? इस सबकी जानकारी के बाद कंपनी समझ पाती है कि किस प्रोडक्ट को, कितनी मात्रा में वेयर हाउस में रखना है और अपने डिलीवरी पार्टनर्स को कैसे और कहां-कहां तैनात करना है. ताकि हर ऑर्डर समय पर पहुंच सके. इसके बाद बारी आती है इस प्रोसेस को अमल में लाने की, यानी लॉजिस्टिक्स की. इसके लिए कंपनियां अलग-अलग मॉडल्स का सहारा लेती हैं. ‘जहां की रही ज़रूरत जैसी, वाके लिए लॉजिस्टिक्स वैसी’ यानि जरूरत के मुताबिक प्लानिंग. इसके लिए कई मॉडल हैं.

पहला – इन्वेंटरी मॉडल. इन्वेंटरी मॉडल का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है, जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि जहां डिमांड ज्यादा है, वहां पहले से ही सामान मौजूद रहे. पहले इसके स्ट्रक्चर को समझ लेते हैं. मान लीजिये, Noida में ABC कंपनी का एक बड़ा वेयरहाउस है. यहां कंपनी अपने सप्लायर्स से सामान मंगवाती है और उसे स्टोर करती है. स्टोरेज के अलावा ये एक बड़े डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर की तरह भी काम करता है. यहां से सामान छोटे-छोटे स्टोर्स में भेजा जाता है, जिन्हें डार्क स्टोर्स कहते हैं.

डार्क स्टोर्स को समझें, जैसे कि आपके घर के नजदीक एक छोटा सा गोदाम. या कंपनी का बेस. जो हर 2-3 किलोमीटर पर होते हैं और यहां पर 1000 से 2000 का स्टॉक रहता है. इनका चयन भी बड़ी सावधानी से होता है, ताकि हर इलाके की डिमांड कम से कम समय में पूरी हो सके. अब जैसे ही आप ऐप खोलते हैं, ऐप आपकी लोकेशन ट्रैक करता है और आपको सबसे नजदीकी डार्क स्टोर से कनेक्ट कर देता है. इस डार्क स्टोर में क्या मौजूद है, इसकी ट्रैकिंग OMS यानी Order Management System सिस्टम के जरिए होता है. यानि जो भी चीजें उस वक्त स्टोर में मौजूद होती हैं, वही आपको ऐप पर दिखाई देंगी.

जैसे ही आप ऑर्डर करते हैं, डार्क स्टोर का डिलीवरी पार्टनर तुरंत आंधी जैसे आपका ऑर्डर लेकर निकल पड़ता है. ‘हाल लगाओ हाल फायदा, देर लगाओ का फायदा.’ अब वेयरहाउस और डार्क स्टोर्स कंपनी खुद भी चला सकती है, या फिर किसी व्यक्ति को फ्रैंचाइज़ दे सकती है. फ्रैंचाइज़ी वाले को उसके डार्क स्टोर से हुई बिक्री का एक हिस्सा कमीशन के रूप में दिया जाता है. इससे कंपनी का खुद का खर्च भी कम होता है और लोगों को रोजगार भी मिलता है. बड़े शहरों जैसे दिल्ली, नोएडा, और मुंबई में ये मॉडल सफल रहता है, क्योंकि वहां डिमांड ज़्यादा होती है. लेकिन जब बात आती है टियर-2 शहरों की, वहां इस मॉडल का इस्तेमाल नहीं किया जाता. क्योंकि डिमांड कम होती है, इसलिए वहां कंपनियां दूसरे मॉडल्स अपनाती हैं. ताकि खर्च किफायती रहे.

दूसरा- हाइपर लोकल मॉडल. इसमें कंपनियां खुद सामान स्टॉक करने या गोदाम में जमा करने के बजाय एक प्लेटफॉर्म के तौर पर काम करती हैं. माने खरीदार और दुकानदार के बीच एक पुल की तरह काम करना. इसे ऐसे समझिए जैसे स्विगी खुद रेस्ट्रां नहीं चलाता, बल्कि आपको उनसे कनेक्ट कराता है और बदले में कुछ प्लेटफॉर्म फीस चार्ज करता है. तो कैसे काम करता है ये सिस्टम? जैसे ही आप अपना ऑर्डर देते हैं, ये प्लेटफॉर्म आपके अपने नज़दीकी सप्लायर यानी दुकानदार को एक रिक्वेस्ट भेजता है. दुकानदार उस सामान को पैक करता है, और डिलीवरी पार्टनर उसे आपके दरवाजे तक पहुंचाने के लिए निकल पड़ता है. इस मॉडल से कंपनी का गोदाम में स्टॉक रखने का खर्च बच जाता है. यानी उन इलाकों में जहां डिमांड कम होती है, वहां कंपनी को निवेश भी कम करना पड़ता है. पर कुछ चुनौतियां भी हैं.

जैसे, निर्भरता. इस मॉडल में कंपनी पूरी तरह से दुकानदार पर निर्भर हो जाती है. क्वालिटी. कभी-कभी ऐसा हो सकता है कि दुकानदार पुराना या एक्सपायरी माल दे दे, जिससे कस्टमर का अनुभव बिगड़ सकता है. इस मॉडल से कंपनियां कमाई कैसे करती हैं? इसके लिए प्लेटफॉर्म एक छोटी फीस चार्ज करता है, जो हर ऑर्डर के साथ कस्टमर या दुकानदार से लिया जाता है. यानी जितने ज्यादा ऑर्डर, उतनी ज्यादा कमाई. ये तो हुई मॉडल के वर्किंग की बात. अब समझते हैं. इस इंडस्ट्री में कपनियां कितना पैसे कमाती हैं और कैसे?

Revenue Model

इसके लिए कुछ टेक्निकल टर्म्स से परिचित होना पड़ेगा. ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV). पूरे साल में किसी ऐप पर हुए सारे ऑर्डर्स का कुल दाम जोड़ दिया जाए, तो उसे ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू (GOV) कहते हैं. उदाहरण के तौर पर, अगर सालभर में 10 ऑर्डर्स हुए और उनका कुल मूल्य 1000 रुपये था, तो ये 1000 रुपये आपका GOV कहलाएगा. दूसरा शब्द है एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV), माने औसतन एक ऑर्डर कितने का था? इसके लिए GOV को कुल ऑर्डर्स की संख्या से भाग दिया जाता है. उदाहरण के तौर पर, अगर 1000 रुपये का GOV है और कुल 10 ऑर्डर्स हैं, तो 1000 / 10 = 100 रुपये एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV) है. यानी औसतन हर ऑर्डर 100 रुपये का था.

एक और टर्म है. मान लीजिए, कंपनी को GOV का एक हिस्सा मिलता है, जो उनकी कमीशन और ऐड रेवेन्यू से आता है. इसे Take Rate कहते हैं. यहां एक बात ध्यान रहे. ये कंपनी का प्रॉफिट नहीं है, कमाई है. प्रॉफिट तो कमाई से खर्च को घटने के बाद निकलता है. इस Take Rate में कमीशन के साथ Ad Monetisation और डिलीवरी चार्ज शामिल है. माने अगर टेक रेट 10% है, तो कमाई 1000 का 10% यानी 100 रूपये हुई. इस इंडस्ट्री का रेवेन्यू मॉडल बस इसी Take Rate पर टिका है. अगर GOV, AOV और Take Rate ज्यादा हो और खर्चे कम, तो बिज़नेस सफल. कैसे? इसे टॉप 2 बड़े प्लेयर्स के आंकड़ों से समझते हैं. इंस्टमार्ट और ब्लिंकिट.

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2022 में जोमाटो ने इस कंपनी को खरीदा और क्विक कॉमर्स की दुनिया में कदम रखा. यहां कदम रखना आसान था, लेकिन असली चुनौती थी इस तेज़ी से बदलते बाज़ार में टिकना और बढ़ना. वित्तीय वर्ष 2022-23 में ब्लिंकिट की क्या स्थिति थी?

GOV (ग्रॉस ऑर्डर वैल्यू) – कंपनी ने पूरे साल में कुल 6450 करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया.
एवरेज ऑर्डर वैल्यू (AOV): हर ऑर्डर औसतन 541 रुपये का था.
टेक रेट: कंपनी का टेक रेट 16.5% था, जिससे कंपनी को 1000 करोड़ रुपये की कमाई हुई.

लेकिन इस कमाई के बावजूद कंपनी को भारी नुकसान उठाना पड़ा. स्टोर्स का खर्च और डिलीवरी एजेंट्स को भुगतान मिलाकर जैसे कई खर्च मिलाकर कमाई से दोगुना हो गए और नतीजा हुआ 1000 करोड़ का नुकसान. जोमाटो और कंपनी के बाकी इन्वेस्टर्स ने आगे बढ़कर निवेश किया. ये रणनीति रंग लाने लगी.

डार्क स्टोर्स में विस्तार: एक साल में डार्क स्टोर्स की संख्या 383 से बढ़कर 639 हो गई.

बढ़ता कस्टमर बेस: जहां पिछले साल 12 करोड़ ऑर्डर्स थे, वहीं 2023-24 में ये संख्या बढ़कर 20 करोड़ पार कर गई. ऑर्डर्स और कस्टमर्स बढ़ने से GOV लगभग दोगुना हो गया. इस बढ़त का फायदा कंपनी को दिखा. ज्यादा लोग ऐप का इस्तेमाल करेंगे, तो विज्ञापनों से भी कमाई बढ़ी, साथ ही ज्यादा डिमांड की वजह से डिलीवरी चार्जेज भी बढ़े. इससे Take Rate में सुधार आया. Take Rate 16.5% से बढ़कर 18.5% हो गया, जो भारत में किसी भी क्विक कॉमर्स कंपनी के लिए अब तक सबसे ज्यादा टेक रेट है.

नतीजा 2023-24 में कमाई का आंकड़ा 2300 करोड़ पार कर गया. लेकिन नए स्टोर्स के खुलने की वजह से खर्च भी बढ़ा. कंपनी को 384 करोड़ का नुकसान हुआ. हालांकि ये पिछले साल के मुकाबले काफी कम था. और अब अप्रैल से सितम्बर 2024 के बीच कंपनी ने अपना नुकसान सिर्फ 11 करोड़ तक सीमित कर लिया. ये ट्रेंड बताता है कि कंपनी जल्द ही नो प्रॉफिट, नो लॉस या मुनाफे की ओर बढ़ सकती है. ब्लिंकिट का ये मॉडल बताता है, कि क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री में सक्सेस के लिए, मार्केट में पकड़ बनाना ज़रूरी है, जिसके लिए बड़े निवेश की ज़रूरत है. और इसके साथ ही स्पीड और क्वालिटी पर ध्यान देना जरूरी है. तभी Take Rate बढ़ेगा, और लॉस कम होगा.

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इंस्टामार्ट, ब्लिंकिट के मुकाबले कभी काफी पीछे दिखाई दे रहा है. जैसे इसके लिए भी 2022-23 और 2023-24 के आंकड़ों को देखते हैं. साल 2022-23 में, कंपनी ने पूरे साल में करीब 510 करोड़ रुपये का ऑर्डर हासिल किया. जिसकी एवरेज आर्डर वैल्यू 398 रूपये थी. Take Rate करीब 10.6 % के करीब था. इस साल कंपनी ने 547 करोड़ की कमाई की. 2023-24 में कंपनी ने बेहतर परफॉर्म किया. आर्डर की संख्या साढ़े 12 करोड़ से बढ़ कर साढ़े 17 करोड़ पहुंची. हर ऑर्डर का औसत भी बढ़ा. 398 से बढ़कर 460 हुआ. कमाई 510 करोड़ से बढ़कर 1100 करोड़ पहुंची. लेकिन साल 2023-24 में भी कंपनी लॉस में रही. जो पिछले साल के मुकाबले कम हुआ. लेकिन अगर इस लॉस की तुलना ब्लिंकिट से करें, तो कुल जमा ये निकलता है कि जितना नुकसान ब्लिंकिट को साल 2023-24 में हुआ, करीब उतना ही लॉस इंस्टमार्ट को एक क्वॉर्टर में हुआ- अप्रैल 2023 से लेकर जून 2023 में. दोनों सबसे बड़े क्विक कॉमर्स इंडस्ट्री के प्लेयर्स के आंकड़े देखने के बाद एक बात तो साफ़ जाहिर होती है. कि ये इंडस्ट्री पेशेंस का गेम है. पर डिमांड और इंटरनेट रीच ऐसी है कि बड़ी बड़ी कंपनियां इनवेस्ट कर रही हैं. इस सब के बाद भी कुछ कंपनियों के डूब जाने का ख़तरा फिर भी रहेगा ही. बिज़नेस का, और जीवन का भी यही नियम है- सर्वाइवल ऑफ़ द फिटेस्ट

PAK की हर चाल होगी फेल, चीन को भी मिलेगा करारा जवाब, रूस की मदद से भारत ने की दुश्मनों को टेंशन देने की तैयारी

चीन और पाकिस्‍तान को टेंशन देने के लिए भारतीय नौसेना ने तैयारी पूरी कर ली है. इस महीने भारत को मिसाइल गाइडेड युद्धपोतो मिलने जा रहा है, जिसके बाद भारतीय नौसेना की ताकत काफी ज्‍यादा बढ़ जाएगी.

 

नई दिल्ली. चीन और पाकिस्‍तान से सटे बॉर्डर पर भारत के लिए हर वक्‍त खतरा बना रहता है. यह दोनों ही देश अपने नापाक इरादे एलएसी और एलओसी पर अमल में लाने की कोशिशों में लगे रहते हैं. जिसके चलते भारतीय सेना हमेशा अतिरिक्‍त सावधानी के साथ इन सीमाओं पर पड़ोसियों के साथ डील करती हैं. दोनों पड़ोसियों की हर चाल को फेल करने के लिए भारत की तैयारी पक्‍की है. भारत को इस महीने के अंत तक रूस में बने अपने दो गाइडेट मिसाइल युद्धपोतों में से पहला मिलने वाला है. रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण लंबे समय से हो रही देरी के बाद अब भारत को इसकी डिलीवरी होगी.चीन और पाकिस्‍तान के बढ़ेगी टेंशन. (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

चीन और पाकिस्‍तान के बढ़ेगी टेंशन. (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार 4 हजार टन वाला यह युद्धपोत इस वक्‍त रूस के कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में खड़ा है. फिलहाल 200 से ज्‍यादा भारतीय नौसिक और अधिकारी इसका जायजा ले रहे हैं. महीने के अंत तक इसे भारत को सौंप दिया जाएगा. इसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा इस युद्धपोत को आईएनएस तुशील के रूप में भारतीय नौसेना में कमीशन किया जाएगा. दिसंबर की शुरुआत में यह युद्धपोत भारत पहुंचने वाला है. दावा किया जा रहा है कि दूसरा युद्धपोत अगले साल की शुरुआत में भारतीय नौसेना को सौंप दिया जाएगा.

चीन-पाक की बढ़ी टेंशन

जैसे ही ये युद्धपोत भारतीय नौसेना में शामिल होंगे, पड़ोसी देश चीन और पाकिस्‍तान की नाक में दम होना तय है. दोनों युद्धपोत ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल सहित अन्‍य आधुनिक हथियारों से लेस होंगे. पहले से तय समझौते के तहत भारत ने अक्टूबर 2018 में चार ग्रिगोरोविच-श्रेणी के फ्रिगेट की खरीद का सौदा रूस से किया था. इसके तहत कुल चार युद्धपोत रूस से खरीदे जाने हैं. पहले दो युद्धपोत लगभग 8,000 करोड़ रुपये में भारत आयात करेगा. बाकी दो युद्धपोत रूस भारत को टेक्‍नोलॉजी ट्रांसफर के साथ 13,000 करोड़ रुपये की कुल लागत के साथ देगा. तीसरा औरा चौथा युद्धपोत भारत में ही गोवा शिपयार्ड में बनाया जाएगा.

पाकिस्तानी रक्षा विशेषज्ञ का बड़ा दावा- हमारा देश तो छोड़िए भारत इस मिसाइल से अमेरिका से यूरोप तक साध सकता है निशाना

India Agni-5 : वर्तमान में भारत के पास सबसे एडवांस मिसाइल अग्नि-5 है. जो भारत के रक्षात्मक क्षमता को कई गुना बढ़ाता है. भारत की इस मिसाइल की रेंज में पूरे एशिया और यूरोप के कई देश आते हैं।

Pakistan on Indian Missiles : भारत की लगातार बढ़ती रक्षात्मक क्षमता में विकास हो रहा है. भारत अपने स्वदेश निर्मित हथियारों से दुनिया में अपना लोहा मनवा चुका है. भारत में निर्मित मिसाइल्स को भी दुनिया में बड़ी अहमियत दी जाती है. वर्तमान में भारत के पास स्वदेश में बनी हुई कई इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) हैं, जो एशिया और यूरोप के कई हिस्सों को निशाना बना सकती हैं.

हाल ही में पाकिस्तान के इस्लामाबाद की कायद-ए-आजम यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ पॉलिटिक्स एंड इंटरनेशनल रिलेशंस में एक रक्षा विशेषज्ञ प्रोफेसर जफर नवाज जसपाल ने इसको लेकर बड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा है कि भारत एक नए मिसाइल सिस्टम ‘सूर्या’ के एक आईसीबीएम (ICBM) को विकसित करने पर काम कर रहा है, जो अमेरिका और ब्रिटेन जैसे कई पश्चिमी देशों को भी निशाना बना सकता है.

कितनी होगी इस ‘सूर्या’ मिसाइल की रेंज

वर्ल्ड इको न्यूज को जानकारी हुए प्रोफेसर जसपाल ने बताया कि इस सूर्या ICBM की रेंज 5,500 से 8,000 किलोमीटर तक हो सकती है, जिसका स्पष्ट मतलब है कि भारत की मिसाइल क्षमता अब अमेरिका तक पहुंच सकती है. उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की मिसाइल का विकास पाकिस्तान के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप और रूस के लिए चिंता का कारण होना चाहिए. क्योंकि भारत के पास पहले से कई मिसाइलें उपलब्ध हैं जो पाकिस्तान के किसी भी हिस्से को निशाना बना सकती हैं।

भारत ने सूर्या मिसाइल को लेकर क्या कहा

वहीं, भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने इस तरह के किसी ‘सूर्या ICBM’ प्रोजेक्ट पर काम करने की बात को सिरे से नकार दिया है. डीआरडीओ के अधिकारियों ने पहले ही इस बात को स्पष्ट किया है कि भारत का फोकस अपनी रक्षात्मक क्षमता को बढ़ाने पर है, जो सिर्फ रणनीतिक आवश्यकताओं के अनुरूप हो. हालांकि इसमें किसी नए इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) का जिक्र नहीं किया गया है.

भारत के पास वर्तमान में मौजूद हैं कई मिसाइलें

भारत के पास वर्तमान में अग्नि-V सबसे एडवांस मिसाइल है, जिसकी रेंज करीब 5,500 से 8,000 किलोमीटर तक है. इस रेंज के कारण अग्नि-V पूरे एशिया और यूरोप के कई हिस्सों को निशाना बनाने की क्षमता रखता है. अग्नि-V परियोजना को भारत की रक्षा क्षमता को बढ़ाने और खासकर चीन के खिलाफ रणनीतिक तैयारियों को ध्यान में रखकर विकसित किया गया है.