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ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंचे PM मोदी, G-20 सम्मेलन में जलवायु वार्ता पर होगी दुनिया की निगाहें

PM Modi in G-20 summit ब्राजील में भारतीय राजदूत सुरेश रेड्डी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। ब्राजील में आज से होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन पर दुनिया की निगाहें हैं और इसमें ग्लोबल वार्मिंग पर कूटनीतिक तनाव केंद्रीय मुद्दा रहने की संभावना है। अजरबैजान के बाकू में जारी काप-29 में वार्ताकारों के बीच जलवायु वित्त (क्लाईमेट फाइनेंस) के मुद्दे पर गतिरोध की स्थिति है।

PM Modi in G-20 summit ब्राजील पहुंचे पीएम मोदी।

एजेंसी, रियो डि जेनेरियो। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी-20 नेताओं के 19वें शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो पहुंच गए हैं। ब्राजील में भारतीय राजदूत सुरेश रेड्डी के नेतृत्व में भारतीय प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया।

ब्राजील में आज से होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन पर दुनिया की निगाहें हैं और इसमें ग्लोबल वार्मिंग पर कूटनीतिक तनाव केंद्रीय मुद्दा रहने की संभावना है। अजरबैजान के बाकू में जारी काप-29 में वार्ताकारों के बीच जलवायु वित्त (क्लाईमेट फाइनेंस) के मुद्दे पर गतिरोध की स्थिति है और वे उम्मीद कर रहे हैं कि विश्व की 20 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के नेता इस गतिरोध खत्म कर सकते हैं।

पीएम मोदी बोले- मैं सम्मेलन में भाग लेने को उत्सुक

एक्स पर एक पोस्ट में, पीएम मोदी ने विश्व नेताओं के साथ शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और उपयोगी बातचीत में शामिल होने की अपनी प्रत्याशा व्यक्त की। पीएम मोदी ने कहा, “जी 20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में उतरा हूं। मैं शिखर सम्मेलन में विचार-विमर्श और विभिन्न विश्व नेताओं के साथ उपयोगी बातचीत के लिए उत्सुक हूं।”

G-20 समिट में कई अहम मुद्दों पर होगी

जी-20 शिखर सम्मेलन में दो दिन गरीबी व भुखमरी से लेकर वैश्विक संस्थानों में सुधार तक के मुद्दों से निपटने पर विचार-विमर्श होगा। हालांकि, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सैकड़ों अरब डालर जुटाने के लक्ष्य पर सहमति बनाने का काम काप-29 को सौंपा गया है, लेकिन इस धन को जारी करना जी-20 के नेताओं के हाथ में है। जी-20 देशों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में 85 प्रतिशत योगदान है और जलवायु वित्त पोषण में सहायता करने करने वाले बहुपक्षीय विकास बैंकों के वे सबसे बड़े योगदानकर्ता हैं। वे दुनियाभर में 75 प्रतिशत से अधिक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन के लिए भी जिम्मेदार हैं।

 

अमेरिका में Mpox के नए स्ट्रेन ‘क्लेड 1’ ने दी दस्तक, जानिए कितना खतरनाक है यह वायरस

अमेरिकी रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) ने जानकारी दी है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में एमपॉक्स के क्लेड 1 स्ट्रेन (Mpox Clade 1 Strain) का पहला मामला सामने आया है। बता दें यह स्ट्रेन एमपॉक्स के अन्य स्ट्रेन्स की तुलना में ज्यादा आक्रामक माना जाता है। सीडीसी के अनुसार कैलिफोर्निया में रहने वाले एक व्यक्ति में यह संक्रमण पाया गया है।

अमेरिका में मिला Mpox का नया स्ट्रेन, जानिए कितना खतरनाक है ‘क्लेड 1’ वेरिएंट (Image Source: Freepik)

एजेंसी, नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य में एमपॉक्स के क्लेड 1 स्ट्रेन (Mpox Clade 1 Strain) का पहला मामला सामने आया है। बता दें, यह एमपॉक्स का एक ज्यादा संक्रामक रूप है। हालांकि, अमेरिका के स्वास्थ्य विभाग (सीडीसी) का कहना है कि आम लोगों को ज्यादा डरने की जरूरत नहीं है। सीडीसी के अनुसार, प्रभावित व्यक्ति अब ठीक हो रहा है और घर पर आइसोलेट है। ऐसे में, अब स्वास्थ्य विभाग संभावित संपर्कों का पता लगाने के लिए राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य विभागों के साथ मिलकर काम कर रहा है ताकि संक्रमण के आगे फैलने को रोका जा सके। आइए आपको बताते हैं कितना खतरनाक है एमपॉक्स का क्लेड 1 स्ट्रेन।

कितना खतरनाक है एमपॉक्स का नया स्ट्रेन?

एमपॉक्स वायरस के कई अलग-अलग स्ट्रेन या वेरिएंट हैं। क्लेड 1 स्ट्रेन भी इनमें से एक है। वैज्ञानिकों का मानना है कि यह स्ट्रेन अन्य स्ट्रेन्स की तुलना में अधिक संक्रामक है और इससे होने वाली बीमारी अधिक गंभीर हो सकती है। जिसका अर्थ है कि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में अधिक आसानी से फैल सकता है। इसके अलावा, क्लेड 1 संक्रमण के लक्षण भी अधिक गंभीर हो सकते हैं। हालांकि, एमपॉक्स के सभी मामलों का इलाज किया जा सकता है और ज्यादातर लोग पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

कैसे फैलता है एमपॉक्स वायरस?

मंकीपॉक्स वायरस करीबी संपर्क जैसे छूना, चूमना या यौन गतिविधियों से फैल सकता है, साथ ही दूषित चीजों जैसे चादरें, कपड़े और सुइयों से भी फैल सकता है। इसके शुरुआती लक्षणों में आमतौर पर बुखार, ठंड लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में कमजोरी और थकावट शामिल हैं, इसके बाद दर्दनाक या खुजली वाला दाने निकलते हैं जो उभरे हुए घावों में बदल जाते हैं और आखिर में कुछ हफ्तों में ठीक भी हो जाते हैं।

क्लेड 1 स्ट्रेन, क्लेड II स्ट्रेन की तुलना में अधिक गंभीर बीमारी से जुड़ा हुआ है। 2022 और 2023 में हुए बड़े प्रकोपों के बाद से अमेरिका में यह स्ट्रेन सक्रिय है। जबकि अमेरिका मुख्य रूप से क्लेड II मामलों से निपट रहा है, हाल के अफ्रीकी प्रकोप क्लेड I के कारण हुए हैं, जो अपने हाई रिस्क के लिए जाने जाते हैं। यह दर्शाता है कि इस बीमारी के विभिन्न स्ट्रेन अलग-अलग भौगोलिक क्षेत्रों में अलग-अलग गंभीरता के साथ फैल सकते हैं।

कनाडा से भारत लाया जाएगा अर्श डल्ला? खालिस्तान समर्थक आतंकी की गिरफ्तारी पर विदेश मंत्रालय का आया बयान

Arsh Dalla Extradition खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला की कनाडा में गिरफ्तारी पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने पहला बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा कि उसे मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से डल्ला की गिरफ्तारी की जानकारी मिली है। अब वह कनाडा से उसके प्रत्यर्पण की मांग करते हुए अनुरोध करेगा। साथ ही विदेश मंत्रालय ने और भी कई अहम जानकारियां दी हैं।

भारत ने 2023 में अर्श डल्ला को आतंकी घोषित किया था। (File Image)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत कनाडा से खालिस्तानी आतंकी अर्श डल्ला के प्रत्यर्पण की मांग करेगा। इसकी जानकारी खुद विदेश मंत्रालय ने दी है। गुरुवार को इस मामले पर बयान जारी करते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि डल्ला खालिस्तान टाइगर फोर्स का प्रमुख है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया जा चुका है।

विदेश मंत्रालय के अनुसार, कनाडा में एक घोषित आतंकवादी की गिरफ्तारी के बारे में मीडिया के सवालों के जवाब में, आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘हमने 10 नवंबर से कनाडा में घोषित अपराधी अर्श सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला की गिरफ्तारी पर मीडिया रिपोर्ट्स देखी हैं, जो खालिस्तान टाइगर फोर्स का वास्तविक प्रमुख है। कनाडा के प्रिंट और विजुअल मीडिया ने गिरफ्तारी पर व्यापक रूप से रिपोर्ट की है। हम समझते हैं कि ओंटारियो कोर्ट ने मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।’

50 से अधिक मामलों मे आरोपी है डल्ला

मंत्रालय ने बताया कि अर्श डल्ला हत्या, हत्या के प्रयास, जबरन वसूली और आतंकी वित्तपोषण सहित आतंकवादी कृत्यों के 50 से अधिक मामलों में घोषित अपराधी है। मई 2022 में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। उसे 2023 में भारत में एक व्यक्तिगत आतंकवादी के रूप में नामित किया गया था। जुलाई 2023 में, भारत सरकार ने कनाडा सरकार से उसकी अनंतिम गिरफ्तारी के लिए अनुरोध किया था। इसे अस्वीकार कर दिया गया था। इस मामले में अतिरिक्त जानकारी प्रदान की गई थी।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘अर्श डल्ला के संदिग्ध आवासीय पते, भारत में उसके वित्तीय लेन-देन, चल/अचल संपत्तियों, मोबाइल नंबरों आदि के विवरण को सत्यापित करने के लिए पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (एमएलएटी) के तहत कनाडा को एक अलग अनुरोध भी भेजा गया था। ये सभी जानकारी जनवरी 2023 में कनाडाई अधिकारियों को प्रदान की गई थी। दिसंबर 2023 में, कनाडा के न्याय विभाग ने मामले पर अतिरिक्त जानकारी मांगी। इन प्रश्नों का उत्तर इस वर्ष मार्च में भेजा गया था।’

प्रत्यर्पण का अनुरोध करेंगी भारतीय एजेंसियां

मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में हुई गिरफ्तारी के मद्देनजर, हमारी एजेंसियां प्रत्यर्पण अनुरोध पर आगे बढ़ेंगी। भारत में अर्श डल्ला के आपराधिक रिकॉर्ड और कनाडा में इसी तरह की अवैध गतिविधियों में उसकी संलिप्तता को देखते हुए, यह उम्मीद की जाती है कि उसे भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित या निर्वासित किया जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही में जानकारी सामने आई थी कि भारत में आतंकी घोषित अर्श डल्ला को कनाडा पुलिस ने गिरफ्तार किया था। इसी के संदर्भ में विदेश मंत्रालय ने हालिया बयान दिया है।

Explainer: कहां से आया था हमारा चांद? साइंटिस्ट्स की नई थ्योरी ने सभी को हैरत में डाला!

एक नई थ्योरी में वैज्ञानिकों को दावा है कि हमारा चंद्रमा किसी ग्रह के टकराने से नहीं बना था. बल्कि यह बाहर से आया था और पृथ्वी ने इस अपने पास खींच लिया था जिससे यह हमेशा के लिए हमारे पास रहने लगा है. इसके लिए

चंद्रमा कैसे पृथ्वी का उपग्रह बना इस पर वैज्ञानिकों ने बिलकुल ही नई और अलग थ्योरी दी है. (फाइल फोटो)

चंद्रमा हमारे सौरमंडल में और पृथ्वी के पास कहां से और कैसे आया? इस बारे में दशकों से हमारे वैज्ञानिकों की एक प्रचलित थ्योरी है. उनके मुताबिक करोड़ों साल पहले पृथ्वी से एक ग्रह टकराया था जिसे उन्होंने थिया नाम दिया है. इस टकराव से बिखरे चूरे मिल कर धीरे धीरे एक पिंड में बदल गए थे जिसे हम आज अपना चंद्रमा कहते हैं. समय समय पर इस थ्योरी के पक्ष में वैज्ञानिकों के कई प्रमाण भी मिलते रहे हैं. पर नई स्टडी ने विज्ञान जगत में हलचल मचा दी है क्योंकि यह पुरानी थ्योरी के कुछ अलग ही दावा कर रही है. इस सिद्धांत ने प्रस्ताव दिया है कि यह किसी टकराव से नहीं बल्कि एक खास बाइनरी-एक्सचेंज प्रक्रिया के तहत पृथ्वी ने अपना ये अनूठा उपग्रह हासिल किया है.

बाइनरी सिस्टम

पेन स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस नए सिद्धांत को पेश किया है. इसमें उन्होंने बताया है कि चंद्रमा मूल रूप से चट्टानों के पिंडों का द्विज जोड़े का हिस्सा था जो स्पेस में एक दूसरे के चक्कर लगा रहे थे. जब ये सिस्टम पृथ्वी के पास के गुजरा, तब हमारे ग्रह के गुरुत्व बल ने इनमें से एक पिंड को अपनी कक्षा में खींच लिया होगा. जबकि दूसरा पिंड अंतरिक्ष में ही दूर कहीं चला गया होगा.

एक नहीं दो सिद्धांत!

इस थ्योरी को प्रोफेसर डैरेन विलियम्स और उनकी टीम ने पेश किया है. उनका कहना है, “कोई नहीं जानता कि चंद्रमा कैसे बना होगा. पिछले चार दशकों से हमारे पास एक संभावना था, अब हमारे पास दो हैं.” नई थ्योरी उन सवालों के जवाब भी देती है जो पुरानी थ्योरी नहीं दे पा रही थी.

चार दशकों से यह माना जा रहा था कि पृथ्वी के एक ग्रह के टकराने से चंद्रमा का निर्माण हुआ था. (प्रतीकात्मक )

पहली संभावना कैसे अपनाई गई?

1984 में हवाई में हुई कोना कॉन्फ्रेंस में वैज्ञानिकों में आपस में चंद्रमा की पैदाइश पर सहमति बनी थी. वे इस नतीजे पर नासा के अपोलो अभियानों के लिए चंद्रमा की मिट्टी की नमूनों के विश्लेषण के आधार पर पहुंचे थे. उन्होंने पाया था कि चंद्रमा की मिट्टी की संरचना पृथ्वी की संरचना से काफी हद तक मेल खाती है. इस आधार पर वे इस नतीजे पर पहुंचे कि हो सकता है कि शुरुआती पृथ्वी के एक खलोलीय पिंड से टकराव के बाद चंद्रमा बना होगा.

क्यों मशहूर हुई पुरानी थ्योरी?

यह थ्योरी इम्पैक्ट थ्योरी से नाम से मशहूर हुई, और इसे व्यापक समर्थन भी मिला क्योंकि यह चंद्रमा की ज्ञात संरचना से काफी तालमेल बैठाती नजर आ रही थी. लेकिन इसमें सारी बातें शामिल नहीं थी. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर चंद्रमा किसी पिंड के चूरों से मिल कर बना होता तो उसे पृथ्वी के और नजदीक हो कर उसका चक्कर लगाना चाहिए था.

पुरानी थ्योरी यह नहीं बता पा रही थी कि चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी के भूमध्य रेखा से झुकी क्यों है.

 

चंद्रमा की कक्षा का झुकाव

चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की भूमध्य रेखा के तल के मुकाबले 7 डिग्री झुकी हुई है. यह भी इम्पैक्ट थ्योरी के साथ विरोधाभास पैदा करता है. इस विसंगति की व्याख्तया करने के लिए शोधकर्ताओं ने बाइनरी एक्सजेंच कैप्चर की अवधारणा की ओर रुख किया. इसमें उन्होंने प्रस्ताव दिया कि पृथ्वी ने पास से गुजर रहे एक पथरीले पिंड को खींच कर अपनी कक्षा में ला कर उसे अपना उपग्रह बना लिया होगा.

नेप्च्यून के साथ भी हुआ था ऐसा

प्रोफेसर विलियम ने नेप्च्यून के सबसे बड़ा चंद्रमा ट्राइटिन की मिसाल दी. अभी माना जाता है कि ट्राइटन भी काइपर बेल्ट से नेप्च्यून की ओर से आया था और उसका उपग्रह बन गया था. नेप्च्यून ग्रह के पार मौजूद काइपर बेल्ट में बहुत सारे पथरीले पिंड हैं जिनमें से हर दस में से एक बाइनरी सिस्टम का हिस्सा हैं. हमारे चंद्रमा की तरह ट्राइटन की भी कक्षा नेप्च्यून की भूमध्य रेखा से 67 डिग्री ज्यादा झुकी है.

और भी संकेत

गणितीय मॉडल भी यही सुझाव देते हैं कि इस तरह की घटना हमारे चंद्रमा के साथ भी हुआ होगा. प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने गणना की कि पृथ्वी अपने कुल भार का एक से 10 फीसदी भार वाले पिंड को अपनी कक्षा में खींच सकती है और 1.2 फीसदी वाले भार का चंद्रमा इस दायरे में आता है. इसके लिए लिए यह बाइनरी सिस्टम 128750 किमी की दूरी के भीतर और 10800 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से पृथ्वी के पास से गुजरना चाहिए.

इस थ्योरी का सबसे बड़ा फायदा ये है कि यह चंद्रमा की कक्षा के झुकाव की व्याख्या करती है साथ ही वह उन तत्व की मौजूदगी की व्याख्या भी करती है जो चंद्रमा पर तो हैं, पर पृथ्वी पर नहीं है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के बाइनरी सिस्टम सौरमंडल के शुरुआत में ज्यादा हुआ करते थे.

Pinaka Mk.2: इजराइली PULS रॉकेट को खारिज कर भारत से पिनाका खरीदेगा फ्रांस? MBRLS के लिए धड़का पेरिस का दिल

Pinaka Mk.2: फ्रांस अमेरिकी M270 MLRS मिसाइल सिस्टम की जगह लेने के अपने डिफेंस प्रोग्राम के तहत भारतीय 214-mm Pinaka MBRLS (मल्टीपल बैरल रॉकेट लॉन्च सिस्टम) खरीदने पर विचार कर रहा है।

PULS Multi-Caliber Rocket System

पिनाका सिस्टम में फ्रांस की दिलचस्पी इसलिए भी आश्चर्यजनक है, क्योंकि कई यूरोपीय देश एम270 एमएलआरएस के प्रतिस्थापन के रूप में इजराइली PULS मल्टी-कैलिबर रॉकेट सिस्टम खरीदने पर विचार कर रहे हैं। लेकिन, फ्रांस का ध्यान भारतीय रॉकेट सिस्टम पर है।

इजराइली PULS (Precise and Universal Launching System) एक एडवांस, मॉड्यूलर, मल्टी-कैलिबर रॉकेट आर्टिलरी प्रणाली है, जिसे इजराइल के एल्बिट सिस्टम ने विकसित किया है। ज्यादा लचीलेपन के लिए डिजाइन किया गया, PULS विभिन्न प्रकार के रॉकेट कैलिबर का समर्थन करता है, जिससे ऑपरेटरों को मिशन की जरूरतों के आधार पर विभिन्न हथियारों का चयन करने में सुविधा होती है।

PULS लॉन्च कर सकता है

-40 किमी रेंज वाले 122 मिमी रॉकेट

-45 किमी रेंज वाले 160 मिमी रॉकेट

-150 किमी रेंज वाले 306 मिमी रॉकेट

-300 किमी रेंज में सक्षम एक्स्ट्रा और प्रिडेटर हॉक जैसे भारी रॉकेट और मिसाइल

 

PULS एक मॉड्यूलर आर्किटेक्चर का उपयोग करता है और इसे प्लेटफ़ॉर्म-अज्ञेय होने के लिए डिजाइन किया गया है। इसे 4×4, 6×6 और 8×8 कॉन्फ़िगरेशन सहित कई तरह के पहिएदार या ट्रैक किए गए चेसिस पर एकीकृत किया जा सकता है। सिस्टम को अलग-अलग इलाकों, जैसे खुले रेगिस्तान, शहरी क्षेत्रों या ऊबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों के लिए कॉन्फ़िगर किया जा सकता है।

PULS को मौजूदा कमांड-एंड-कंट्रोल नेटवर्क में एकीकृत किया जा सकता है या ऑटोनॉमस रूप से संचालित किया जा सकता है और यह सीधे यूएवी, रडार या आगे के ट्रेजेक्टरी से लक्ष्यीकरण डेटा प्राप्त कर सकता है। इसकी बहुमुखी प्रतिभा, सटीक लक्ष्यीकरण क्षमताओं के साथ मिलकर इसे आधुनिक युद्ध के मैदान के वातावरण के लिए अत्यधिक उपयुक्त बनाती है, जहां अनुकूलनशीलता, गति और सटीकता महत्वपूर्ण हैं।

Pinaka MBRLS के हैं दो वेरिएंट

भारत का पिनाका एमके.2 रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित एक एडवांस MBRLS है।

Pinaka Mk.2, पिनाका एमके.1 MBRLS का एक व्यापक अपग्रेड है, जिसे डीआरडीओ ने अप्रचलित रूसी GRAD BM-21 को बदलने के लिए विकसित किया है।

Pinaka Mk.1 MBRLS

पिनाका एमके.1 एक फ्री-फ्लाइट आर्टिलरी रॉकेट एरिया बॉम्बार्डमेंट सिस्टम है, जिसे भारतीय सेना की मौजूदा 105 मिमी आर्टिलरी गन के पूरक के रूप में डिजाइन किया गया है, जिसकी रेंज 37.5 किमी है। त्वरित प्रतिक्रिया समय और उच्च दर की मारक क्षमता की विशेषता के साथ, एक पिनाका सिस्टम 44 सेकंड में मल्टी-बैरल लॉन्चर से 12 HE रॉकेट की एक सैल्वो फायर करता है।

214 मिमी बोर पिनाका रॉकेट का पेलोड 100 किलोग्राम है। एक सैल्वो फायर 1000×800 मीटर के क्षेत्र को बेअसर कर सकता है। इसे विभिन्न वॉरहेड्स, जैसे कि एंटी-टैंक माइंस और ब्लास्ट-कम-प्री-फ्रैगमेंटेड हाई एक्सप्लोसिव से सुसज्जित किया जा सकता है।

पिनाका मार्क I का विकास 1988 में शुरू हुआ, और एक प्रोटोटाइप वेरिएंट 1999 के कारगिल युद्ध में युद्ध में तैनात किया गया था। 2002 में युद्ध सिद्ध होने के बाद, इसके और उत्पादन के आदेश दिए गए। नवंबर 2020 तक, चार पिनाका रेजिमेंट सेवा में थीं और 6 और रेजिमेंट खरीदने के लिए ऑर्डर दिए गये हैं।

Pinaka Mk.2 MBRLS

पिनाका एमके.2 214 मिमी रॉकेट में 250 किलोग्राम का वारहेड है और इसमें कैनार्ड-आधारित वायुगतिकीय नियंत्रण के साथ एक नई प्रणोदन प्रणाली का उपयोग किया गया है। इनकी विस्तारित सीमा 60-75 किमी तक है, जो एमके.1 वेरिएंट की 40 किमी की सीमा से काफी ज्यादा है।

इसके अलावा, रॉकेट को जड़त्वीय नेविगेशन (INS) और सैटेलाइट नेविगेशन (सैटकॉम) के संयोजन का उपयोग करके उनके लक्ष्य तक हमला किया जाता है। पिनाका एमके.2 में एक डिजिटल फायर कंट्रोल सिस्टम (FCS) शामिल है जो युद्धक्षेत्र कमांड और कंट्रोल (C2) सिस्टम के साथ कॉर्डिनेट करता है।

टाट्रा हाई-मोबिलिटी वाहन पर स्थापित, पिनाका एमके.2 सिस्टम को त्वरित तैनाती और शूट-एंड-स्कूट रणनीति के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे यह दुश्मन की काउंटर-बैटरी फायर से बच सकता है।

फ्रांस को पिनाका क्यों चाहिए, PULS क्यों नहीं?

हालांकि साफ पता चलता है, कि इजराइली PULS MLRS, पिनाका Mk.2 की तुलना में ज्यादा शक्तिशाली और बहुमुखी है। लेकिन, अनुमान लगाया जा रहा है कि फ्रांस पिनाका पर विचार कर रहा है, न कि अन्य यूरोपीय संघ के देशों की तरह PULS पर, क्योंकि गाजा और लेबनान में फिलिस्तीनियों के खिलाफ इजराइल की कथित क्रूरता को लेकर हाल ही में उसके साथ मतभेद हुए हैं।

बेशक, फ्रांसीसी ऐसा नहीं कहते हैं।

लेकिन, फ्रांसीसी सेना के ब्रिगेडियर जनरल स्टीफन रिचौ ने एएनआई को बताया, “हम पिनाका मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम का मूल्यांकन कर रहे हैं, क्योंकि हमें इस तरह के सिस्टम की जरूरत है। हम इस सिस्टम का मूल्यांकन ऐसे सिस्टम की पेशकश करने वाले शीर्ष देशों द्वारा पेश किए जाने वाले अन्य सिस्टम के बीच कर रहे हैं। भारत हथियार बनाने वाले शीर्ष देशों में से एक है।”

उन्होंने कहा, “यह व्यापारिक साझेदारी से कहीं बढ़कर है, और यह सहयोग है, और यह एक साझा भविष्य है।”

यह ध्यान रखना दिलचस्प है, कि डीआरडीओ ने पहले पिनाका रॉकेट की सटीकता में सुधार के लिए फ्रांस की सेजम के साथ साझेदारी की थी। जून 2010 में, सेजम ने कथित तौर पर 2 पिनाका रेजिमेंट के साथ एकीकरण के लिए अपना सिग्मा 30-रिंग लेजर जाइरोस्कोप (आरएलजी) सिस्टम दिया था। इस सिस्टम को टाटा पावर एसईडी और लार्सन एंड टुब्रो द्वारा एकीकृत किया जाना था।

पारंपरिक जाइरो के विपरीत, RLG बहुत सटीक और मजबूत होते हैं। RLS-आधारित INS सिस्टम रॉकेट के उड़ान पथ को सटीक रूप से ट्रैक कर सकता है और जैमिंग के कारण SATNAV सिग्नल की अनुपस्थिति में मार्गदर्शन इनपुट प्रदान कर सकता है।

सिग्मा 30 सिस्टम का उपयोग आर्टिलरी प्लेटफ़ॉर्म की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ किया जा सकता है, जिसमें स्व-चालित हॉवित्जर, मोर्टार और कई रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं।

फ्रांस के भारत के पिनाका एमबीआरएलएस पर विचार करने के और भी अच्छे कारण हैं।

भारत अब केवल फ्रांसीसी सैन्य हार्डवेयर के लिए एक अच्छा बाजार नहीं है, बल्कि यह संयुक्त हथियार प्रणाली विकास के लिए एक विश्वसनीय भागीदार भी है। भारत और रूस द्वारा संयुक्त हथियार प्रणाली विकास के अच्छे परिणाम मिले हैं, और फ्रांस को भी अब इसकी संभावना नज़र आ रही है। भारत के साथ रक्षा विनिर्माण में एक करीबी साझेदारी, फ्रांस को देश की प्रतिभा पूल का लाभ उठाने, लागत में कटौती करने और अपने पारंपरिक भागीदारों पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी।

कौन हैं तुलसी गबार्ड, डोनाल्ड ट्रम्प ने बनाया अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का प्रमुख

डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को DNI नियुक्त किया है। गबार्ड अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की प्रमुख बनने वाली पहली हिंदू महिला होंगी। सेना में सेवा दे चुकीं गबार्ड ने ट्रंप का आभार जताया है।

वाशिंगटन। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को पूर्व डेमोक्रेट तुलसी गबार्ड को DNI (Director of National Intelligence) बनाया है। तुलसी पहली हिंदू कांग्रेस महिला होंगी जो अमेरिकी जासूसी एजेंसियों के शीर्ष पद पर बैठेंगी। वह ट्रंप की खुफिया सलाहकार के रूप में काम करेंगी।

सोशल मीडिया पर ट्रंप ने कहा कि तुलसी गबार्ड एक “प्राउड रिपब्लिकन” हैं। वह खुफिया समुदाय में अपनी “निडर भावना” ला सकती हैं। डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति पद के लिए नामांकन के लिए एक पूर्व उम्मीदवार के रूप में उन्हें दोनों दलों में व्यापक समर्थन प्राप्त है।”

अमेरिका की खुफिया प्रमुख बनाए जाने पर तुलसी गबार्ड ने डोनाल्ड ट्रम्प का आभार व्यक्त किया है। उन्होंने लिखा, “डोनाल्ड ट्रम्प, अमेरिकी लोगों की सुरक्षा और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए आपके मंत्रिमंडल के सदस्य के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए धन्यवाद। मैं काम करने के लिए उत्सुक हूं।”

तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी सेना में दी है सेवा

तुलसी गबार्ड खुफिया मामलों में अनुभवी नहीं हैं। उन्होंने दो दशकों से अधिक समय तक अमेरिकी सेना में सेवा की है। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी से अपने संबंध तोड़ लिए थे। 2024 की शुरुआत में ट्रम्प का समर्थन किया था।

तुलसी गबार्ड की मां ने अपनाया था हिंदू धर्म

तुलसी गबार्ड को उनके नाम के चलते अक्सर भारतीय मूल का समझा जाता है। उनका भारत से कोई सीधा संबंध नहीं है। उनकी मां ने हिंदू धर्म अपना लिया था। उन्होंने अपने बच्चों के नाम हिंदू रखे। गबार्ड भी खुद को हिंदू मानती हैं। उन्होंने अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू सदस्य के रूप में इतिहास रचा है। अमेरिकी समोआ मूल की गबार्ड ने भगवद गीता पर हाथ रखकर कांग्रेस की शपथ ली।

क्या ट्रंप बदलेंगे अमेरिका का संविधान? तीसरा बार भी बनना चाहते हैं राष्ट्रपति, पढ़ें क्या कहता है US का कानून

US President Trump प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए रिपब्लिकन नेताओं के सामने अपने भाषण के दौरान कहा मुझे संदेह है कि मैं तब तक दोबारा चुनाव नहीं लड़ूंगा जब तक आप यह नहीं कहते वह अच्छे हैं हमें कुछ और सोचना है। अमेरिका में वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था में कोई भी व्यक्ति दो कार्यकाल से ज्यादा राष्ट्रपति पद पर नहीं रह सकता है।

(तीसरा बार भी राष्ट्रपति बनना चाहते हैं ट्रंप।(फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक ऐसा बयान दिया है, जिससे अमेरिका में खलबली मच गई है। दूसरी बार राष्ट्रपति बनने वाले ट्रंप ने इशारों-इशारों में यह बात कहा है कि वो तीसरी बार भी राष्ट्रपति बनने के इच्छुक हैं।

बुधवार को निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रतिनिधि सभा में चुनाव जीतकर आए अपनी रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों से भी मिले। उन्होंने सदन में पार्टी की स्थिति पर संतोष जताया। कहा, जीत हमेशा अच्छी होती है। इस दौरान ट्रंप ने राष्ट्रपति पद के तीसरे कार्यकाल में भी कार्य करने की इच्छा जताई।

ट्रंप ने लोगों से मांगा समर्थन

प्रतिनिधि सभा के लिए चुने गए रिपब्लिकन नेताओं के सामने अपने भाषण के दौरान कहा, ‘मुझे संदेह है कि मैं तब तक दोबारा चुनाव नहीं लड़ूंगा, जब तक आप यह नहीं कहते, वह अच्छे हैं, हमें कुछ और सोचना है।’

अमेरिका में वर्तमान संवैधानिक व्यवस्था में कोई भी व्यक्ति दो कार्यकाल से ज्यादा राष्ट्रपति पद पर नहीं रह सकता है। इस संवैधानिक व्यवस्था में बदलाव तभी हो सकता है जब अमेरिका के सभी राज्यों की असेंबली तीन चौथाई बहुमत से प्रस्ताव पारित करें। गौरतलब है कि राष्ट्रपति का कार्यकाल बढ़ाने के लिए संविधान में संशोधन की यह प्रक्रिया करीब सात वर्ष लंबी है।

फ्रैंकलिन डी रुजवेल्ट 1933 में राष्ट्रपति बनने के बाद 1945 में मृत्यु होने तक राष्ट्रपति रहे थे। वह अमेरिका के दो कार्यकाल से ज्यादा राष्ट्रपति रहने वाले इकलौते व्यक्ति हैं। उन्हीं के बाद संविधान में संशोधन कर अधिकतम दो बार राष्ट्रपति बनने की व्यवस्था बनाई गई।

ट्रंप रचेंगे इतिहास 

राष्ट्रपति पद की शपथ लेने वाले अमेरिका के इतिहास के सबसे बुजुर्ग राष्ट्रपति होंगे। दरअसल, 20 जनवरी को जब ट्रंप राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे तो उनकी उम्र 78 साल 221 दिन होगी।

ट्रंप ने बाइडन से की मुलाकात 

बता दें कि बुधवार को व्हाइट हाउस में मुलाकात हुई। मुलाकात में बाइडन ने पूर्व वादे के अनुसार जनवरी में सामान्य तरीके से सत्ता के हस्तांतरण का वचन दिया। ओवल हाउस में हुई दोनों नेताओं की मुलाकात सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई।

Pakistan Latest news:पाकिस्तान के रक्षा मंत्री को लंदन में रोककर कहे अपशब्द, चाकू से मारने की भी दी धमकी

Pakistan Latest news: अपने मंत्री के साथ हुए इस दुर्व्यवहार पर पाकिस्तान सरकार ने संज्ञान लिया है और लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग को ब्रिटिश परिवहन पुलिस से संपर्क करने का निर्देश दिया है.

Pakistan Defence Minister Khawaja Muhammad Asif heckled: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ लंदन में बड़ी घटना का शिकार होने से बाल-बाल बच गए. मंगलवार (12 नवंबर 2024) को एक अज्ञात व्यक्ति ने लंदन ग्राउंड स्टेशन पर उनके साथ धक्का-मुक्की की और ‘चाकू से हमला’ करने की धमकी भी दी.

इस घटना का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. पाकिस्तानी टीवी चैनल जियो न्यूज के मुताबिक, मंत्री के करीबियों ने इस घटना की पुष्टि करते हुए कहा कि वीडियो असली है और मंत्री को दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा. उन्होंने पुष्टि की है कि यह घटना मंगलवार के हीथ्रो हवाई अड्डे के पास हुई.

लंदन ग्राउंड स्टेशन पर हुई घटना

जानकारी के मुताबिक, आरोपी ने पहले तो आसिफ का वीडियो बनाना शुरू किया इसके बाद उन्हें अपशब्द भी कहे. टोकने पर उन्हें धमकी दी. इस घटना का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है, उसमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ को लंदन ग्राउंड स्टेशन पर एक अज्ञात व्यक्ति पहले तो रोकता है और फिर अपशब्द कहते हुए चाकू से हमला करने की धमकी देता है. इस बीच, पाकिस्तान सरकार ने कथित तौर पर इस घटना का संज्ञान लिया है और लंदन में पाकिस्तान उच्चायोग को ब्रिटिश परिवहन पुलिस से संपर्क करने का निर्देश दिया है. पाक सरकार का कहना है कि यह एक गंभीर घटना है और इसकी जांच होनी चाहिए.

निजी यात्रा पर लंदन गए हुए हैं आसिफ

रिपोर्ट के अनुसार, आसिफ फिलहाल एक निजी यात्रा पर लंदन गए हुए हैं. वहां उन्होंने पीएमएल-एन के अध्यक्ष नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज से भी मुलाकात की. लंदन में रक्षा मंत्री के साथ पार्टी समर्थकों को संबोधित करते हुए नवाज ने इस घटना पर खेद व्यक्त किया और कहा कि ऐसे लोगों को पीछा करने के लिए प्रशिक्षित और तैयार किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि आसिफ ने हमेशा हर मुश्किल का सामना हिम्मत से किया है. यह पहली बार नहीं है कि ब्रिटिश राजधानी में पाकिस्तानी अधिकारियों या राजनीतिक नेताओं को परेशान किया गया हो.

Imsha Rehman: पाकिस्तानी टिकटॉकर इम्शा रहमान का अश्लील वीडियो वायरल, बंद किया अकाउंट

Imsha Rehman Viral Video: पाकिस्तान की मशहूर युवा टिकटॉकर इम्शा रहमान को अपना प्राइवेट वीडियो लीक होने के बाद सोशल मीडिया अकाउंट बंद करना पड़ा है. उन्होंंने एक इमोशनल नोट लिखने के बाद इंस्टाग्राम और टिकटॉक अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया है.

Imsha Rehman

पाकिस्तान की मशहूर टिकटॉक स्टार इम्शा रहमान ने प्राइवेट वीडियो लीक होने के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए हैं. युवा टिकटॉकर कथित तौर पर डेटा चोरी का शिकार हो गई, जिसकी वजह से उनके निजी पल के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए.

लोकल मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टिकटॉक स्टार इम्शा का एक वीडियो वॉट्सऐप, एक्स और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब शेयर किया जा रहा है, जिसमें वह अपने एक दोस्त के साथ आपत्तिजनक हालत नजर आ रही हैं. इस वीडियो को लेकर पाकिस्तान की युवा टिकटॉकर इम्शा को चौतरफा आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिससे परेशान होकर उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट बंद कर दिए.

यह दूसरी बार है जब किसी पाकिस्तानी सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर के प्राइवेट वीडियो ऑनलाइन लीक हुए हैं. इससे पहले टिकटॉक स्टार मिनाहिल मलिक के प्राइवेट वीडियोज लीक हुए थे. हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि ये वीडियो कैसे लीक हुए. किसी भी हैकर ने अभी तक इसकी जिम्मेदारी नहीं ली है.

सोशल मीडिया पर लगातार हेट कमेंट्स को देखते हुए इम्शा ने इंस्टाग्राम और टिकटॉक अकाउंट को डिएक्टिवेट कर दिया. उन्होंने इस मामले पर किसी तरह की बयानबाजी नहीं की है. हालांकि, यह वीडियो असली है या किसी ने डीपफेक तकनीक का उपयोग किया है, इसकी पुष्टि होना अभी बाकी है.

22 साल की इम्शा उत्तर पाकिस्तान से हैं. वह अपनी ब्यूटी टिप्स, लाइफस्टाइल और फैशन कंटेंट के लिए मशहूर हैं. वह टिकटॉक के अलावा इंस्टाग्राम पर भी काफी एक्टिव थीं, लेकिन प्राइवेट वीडियो लीक मामले के कारण उन्होंने कुछ समय के लिए सोशल मीडिया से दूरी बना ली है.

इससे पहले पाकिस्तानी टिकटॉकर मिनाहिल मलिक ने अपने प्राइवेट वीडियो के लीक होने के बाद लोगों की कड़ी आलोचनाओं पर खुलकर बात की थी. उन्होंने अकाउंट डिएक्टिवेट करने से पहले इंस्टाग्राम पर लिखा था, ‘यह मेरे लिए आसान नहीं है, पर मैं अब ऊब चुकी हूं. अलविदा कहना मुश्किल है. आपसे यही कहना है कि प्यार फैलाएं. आप लोगों को बहुत मिस करूंगी. खयाल रखें.’

तालिबान ने मुंबई में नियुक्त किया अपना कांसुलर, भारत ने कहा- अभी मान्यता नहीं

हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय का एक विशेष दल अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गया था। इसके बाद अब तालिबान सरकार ने भारत में अपना प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया है। यह नियुक्ति मुंबई स्थित अफगान वाणिज्य दूतावास में की गई है। भारत सरकार ने भी कहा कि प्रतिनिधि के नियुक्त होने का मतलब यह नहीं है कि तालिबान सरकार को मान्यता दे दी गई है।

तालिबान ने मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास में कांसुलर नियुक्त किया।

नई दिल्ली। तकरीबन तीन वर्ष बाद अफगानिस्तान की तालिबान सरकार का भारत में प्रतिनिधि नियुक्त कर दिया गया है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्रालय ने जानकारी दी है कि डॉ. इक्रामुद्दीन कामिल को अफगान के मुंबई स्थित वाणिज्य दूतावास में कार्यवाहक काउंसिल के तौर पर नियुक्त किया गया है। वह कांसुलर सेवा विभाग में अपनी सेवा देंगे और भारत व अफगानिस्तान के बीच सहयोग को बढ़ावा देंगे।

तालिबान सरकार को मान्यता नहीं

भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि कर दी है, लेकिन यह भी स्पष्ट किया है कि इसका मतलब यह नहीं है कि तालिबान सरकार को मान्यता दी गई है। इस बारे में भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ ही काम करेगा। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि पिछले तीन वर्षों के दौरान अफगान दूतावास और कांसुलेट में काम करने वाले तकरीबन सभी राजनयिक पश्चिमी देशों में शरण ले चुके हैं या भारत छोड़ चुके हैं। सिर्फ एक राजनयिक यहां रह गया है जिसकी वजह से अफगानिस्तानी दूतावास काम कर रहा है।

भारत में अफगानों की संख्या अधिक

दूसरी तरफ भारत में रहने वाले अफगानी नागरिकों की संख्या काफी ज्यादा है जिन्हें राजनयिक सेवाओं की जरूरत है। इन नागरिकों को उचित सेवा देने के लिए काफी संख्या में कांसुलर अधिकारियों की जरूरत है। बताते चलें कि उक्त अफगानिस्तानी कांसुलर अधिकारी वही हैं, जिसे तालिबान सरकार ने भारत की जिम्मेदारी दी है।

भारत में की कांसुलर प्रभारी

सूत्रों का कहना है कि विदेश मंत्रालय इन नए कांसुलर प्रभारी को पहले से जानता है। इन्होंने भारत में ही शिक्षा हासिल की है और भारतीय विदेश मंत्रालय की छात्रवृत्ति पर ही साउथ एशियन विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की है। भारत के लिए वह एक अफगानी नागरिक हैं, जो यहां अफगानी नागरिकों के हित के लिए काम करेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत ने तालिबान को मान्यता दे दी है तो सूत्रों ने कहा कि किसी भी सरकार को मान्यता देने की एक प्रक्रिया होती है। इस बारे में भारत अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के साथ ही काम करेगा।

अफगानिस्तान जा चुका विदेश मंत्रालय का दल

सनद रहे कि हाल ही में भारतीय विदेश मंत्रालय का एक विशेष दल काबुल गया था। इस दल की तालिबान सरकार के रक्षा मंत्री से भी मुलाकात हुई थी। अगस्त, 2021 में अमेरिकी सेना की अचानक वापसी के बाद तालिबान ने काबुल पर कब्जा जमाया हुआ है। तब माना गया था कि तालिबान भारत के हितों के विरुद्ध होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जबकि तालिबान को सींचने वाले पाकिस्तान से रिश्ते खराब हो चुके हैं। तालिबान और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव भी चल रहा है, जबकि भारत अफगानी नागरिकों को खाना और दवाइयां भेज रहा है।