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PhD और नेट के विषयों से भी बन सकेंगे यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर, UG-PG की बाध्यता खत्म; UGC ने बदला नियम

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति के नियमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत और लचीला किया है। साथ ही इन बदलावों को लेकर एक मसौदा भी जारी किया है। नई व्यवस्था में उम्मीदवार सिर्फ पीएचडी या नेट में रखे गए विषय के आधार पर ही संबंधित विषय के शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए पात्र होंगे।

 

यूजीसी ने नए नियमों को लेकर ड्राफ्ट जारी किया है। (File Image)

HighLights

  1. यूजीसी ने विश्वविद्यालयों व कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के नियम में बदलाव का जारी किया मसौदा।
  2. नए भर्ती नियमों को एनईपी के अनुरूप बनाया गया लचीला, अनुभव को मिलेगा महत्व।
  3. अगले छह महीनों में सभी संस्थानों को नए नियमों को होगा अपनाना।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। उच्च शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों की तरह विश्वविद्यालयों सहित देश भर के उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया भी अब लचीली होगी, जिसमें अब शिक्षकों की नियुक्ति सिर्फ पीएचडी और नेट के विषयों के आधार पर दी जाएगी।

अभी तक विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती के लिए जो न्यूनतम पात्रता थी, उनमें ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन व पीएचडी या फिर नेट की पढ़ाई एक ही विषय में होनी जरूरी होती थी। हालांकि, अब इस बाध्यता को खत्म कर दिया है। नई व्यवस्था में उम्मीदवार ने भले ही ग्रेजुएशन या पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई किसी भी विषय से की है, लेकिन अब वह सिर्फ पीएचडी या नेट में रखे गए विषय के आधार पर ही संबंधित विषय के शिक्षक पदों पर भर्ती के लिए पात्र होंगे।

यूजीसी ने जारी किया ड्राफ्ट

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती व पदोन्नति के नियमों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत और लचीला किया है। साथ ही इन बदलावों को लेकर एक मसौदा भी जारी किया है। इसके तहत मसौदे को अंतिम रूप देने के छह महीने के भीतर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को इसे अपनाना होगा। इनमें विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, स्वायत्त कॉलेज और कॉलेज भी होंगे।

इसके साथ ही इस नई व्यवस्था में अब शैक्षणिक योग्यता के साथ ही उनके अनुभव और स्किल को महत्व दिया जाएगा। यूजीसी ने यह पहल तब की है, जब उच्च शिक्षा से जुड़े पाठ्यक्रमों को भी पहले के मुकाबले लचीला बनाया गया है, जहां छात्रों को कभी भी पढ़ाई छोड़ने और उसे फिर से शुरू करने का विकल्प दिया गया है।

पदोन्नति में भी स्किल को दिया जाएगा महत्व

यूजीसी ने इसके साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षकों की पदोन्नति में शैक्षणिक प्रदर्शन की जगह उनके स्किल और अनुभव को महत्व देने का सुझाव दिया गया है। नए प्रस्तावित नियमों में योग, संगीत, परफॉर्मिंग व विजुअल आर्ट, मूर्तिकला और नाटक जैसे क्षेत्रों से जुड़ी सर्वश्रेष्ठ प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए विशेष भर्ती प्रक्रिया को अपनायी जाएगी।

इसमें राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हासिल की गई उपलब्धियों को शिक्षक भर्ती की पात्रता से जोड़ा गया है। माना जा रहा है कि इससे इन क्षेत्र को बेहतर शिक्षक मिल सकेंगे। शारीरिक शिक्षा और खेल से जुड़ी शिक्षा में शिक्षक के पद पर नियुक्ति में इन क्षेत्रों में बेहतर योगदान देने वाले खिलाड़ियों को शामिल किया जाएगा। नए भर्ती नियमों में सभी संस्थानों से प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस तहत उद्योग व अपने क्षेत्रों में अनुभव रखने वाले लोगों को नियुक्ति देने पर भी जोर दिया गया है। हालांकि ऐसे पदों की संख्या को संस्थानों में शिक्षकों के कुल स्वीकृत पदों का दस प्रतिशत से अधिक नहीं रखने का सुझाव दिया है।

प्रस्तावित भर्ती नियमों में यह भी किया है शामिल

  • शिक्षकों की भर्ती में वैसे तो यूजीसी-नेट का पात्रता अनिवार्य किया गया है, लेकिन 11 जुलाई 2009 से पहले जिन छात्रों ने पीएचडी की है, उनके लिए इसकी बाध्यता नहीं है। यानी वह सीधे आवेदन कर सकेंगे।
  • असिस्टेंट प्रोफेसर से एसोसिएट प्रोफेसर पद पर पदोन्नति के लिए पीएचडी अनिवार्य होगा।
  • यदि किसी भी स्तर पर भारतीय भाषाओं को शामिल किया गया है, तो उन्हें भर्ती में प्राथमिकता मिलेगी।
  • कॉलेजों में प्राचार्यों की नियुक्ति अब पांच साल के लिए ही होगी। जिन्हें इस पर अधिकतम दो कार्यकाल मिल सकता है। यानी कोई भी अधिकतम दस साल तक ही प्राचार्य के पद पर रह सकता है। इसके बाद वह प्रोफेसर पद के लिए प्रोन्नत हो सकता है।

 

डॉक्टरों ने बताए कैंसर के 17 मुख्य लक्षण, इन्हें कभी नहीं करना चाहिए इग्नोर

कैंसर के खिलाफ लड़ाई शुरुआती चरणों में निदान किए जाने वाले लोगों के लिए बेहतर पूर्वानुमान के साथ शुरुआती चरणों में निदान किए जाने पर निर्भर करती है.

कैंसर के खिलाफ लड़ाई शुरुआती चरणों में निदान किए जाने वाले लोगों के लिए बेहतर पूर्वानुमान के साथ, शुरुआती चरणों में निदान किए जाने पर निर्भर करती है. मैकमिलन कैंसर सपोर्ट की रिपोर्ट है कि हर साल के यूके में लगभग 393,000 लोगों को कैंसर का निदान मिलता है. औसतन, हर 90 सेकंड में, यूके में किसी को पता चलता है कि उन्हें कैंसर है.

कैंसर से हर साल लगभग 167,000 लोगों की जान जाती है

चैरिटी ने इस भयावह आंकड़े पर भी प्रकाश डाला है कि यू.के. में कैंसर से हर साल लगभग 167,000 लोगों की जान जाती है. जिसका औसत प्रतिदिन 460 मौतें है. स्टेज 4 कोलन कैंसर का निदान करने वाली डॉक्टर ने मुख्य चेतावनी संकेत शेयर किए गए हैं.
डॉक्टरों द्वारा लक्षणों को कब्ज समझ लेने के बाद बच्चे को कैंसर का पता चलता है. यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के विशेषज्ञों ने कैंसर के 17 प्राथमिक संकेतों और लक्षणों की पहचान की है जिन्हें अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए.

कैंसर के 200 से ज़्यादा अलग-अलग प्रकार हैं जो कई अलग-अलग संकेत और लक्षण पैदा कर सकते हैं. कभी-कभी लक्षण शरीर के खास हिस्सों जैसे पेट या त्वचा को प्रभावित करते हैं. लेकिन संकेत ज़्यादा सामान्य भी हो सकते हैं, और इनमें वज़न कम होना, थकान (थकान) या बिना वजह दर्द शामिल हो सकता है. कैंसर के कुछ संभावित लक्षण, जैसे गांठ, दूसरों की तुलना में ज़्यादा जाने जाते हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं या कैंसर होने की ज़्यादा संभावना है. कैंसर के किसी भी संभावित लक्षण की जाँच करवाना ज़रूरी है.

कैंसर के अलग-अलग लक्षण होते हैं

कैंसर लोगों को अलग-अलग तरह से प्रभावित कर सकता है. एक व्यक्ति में होने वाले लक्षण दूसरों से अलग हो सकते हैं और कुछ लोगों में कोई लक्षण नहीं होते. इसलिए, आपको कैंसर के सभी संकेतों और लक्षणों को याद रखने की ज़रूरत नहीं है.यह जानना ज़रूरी है कि  आपके लिए क्या सामान्य है और अगर आपको कोई असामान्य बदलाव या कुछ ऐसा नज़र आता है जो ठीक नहीं होता है, तो अपने डॉक्टर से बात करें. इससे शुरुआती चरण में कैंसर का निदान करने में मदद मिल सकती है, जब उपचार के सफल होने की संभावना ज़्यादा होती है.

कैंसर के 15 कॉमन लक्षण

डॉक्टर्स हमेशा कहते हैं कि जिसे मामूली लक्षण समझकर लोग अनदेखा कर देते हैं बाद में पता चलता है कि वह कैंसर के शुरुआती लक्षण हैं और बाद में यही जानलेवा बन जाती है.आज हम इस आर्टिकल के जरिए कैंसर के शुरुआती लक्षणों के ऊपर विस्तार से बात करेंगे जिसे अक्सर लोग मामूली समझकर अनदेखा कर देते हैं. आज हम कैंसर के ऐसे 15 कॉमन लक्षणों के बारे में बात करेंगे जिसे ध्यान देने की जरूरत है.

कैंसर के शुरुआती लक्षण

सर्वाइकल और ओवेरियन कैंसर के लक्षण

अगर किसी महिला या लड़की के पीरियड्स में असमान्य रूप से अक्सर परिवर्तन दिख रहे हैं तो उन्हें डॉक्टर्स से तुरंत दिखाना चाहिए. क्योंकि इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. यह सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

 कोलोन, प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण 

अगर बार-बार बाथरूम की आदत में बदलाव दिख रहे हैं तो यह कोलन और प्रोस्टेट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

ओवेरियन कैंसर

पेट का फूलना, भारीपन अगर हफ्ते में यह बार-बार हो रहा है तो यह ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

ब्रेस्ट कैंसर

अगर किसी व्यक्ति के ब्रेस्ट में चेंजेज, भारीपन, गांठ, निप्पल का कलर बदलना, निप्पल में बदलाव, डिस्चार्ज तो यह ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

लंग्स कैंसर

अगर किसी व्यक्ति को काफी दिनों से खांसी है वह रूक नहीं रही है तो उन्हें तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. साथ ही साथ अगर व्यक्ति को सूखी खांसी है तो यह लंग्स कैंसर या टीबी के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

ब्रेन ट्यूमर

अगर लगातार सिर में दर्द रह रहा है तो यह दर्द काफी समय से हो रहा है तो ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

स्टोमेक कैंसर या गले का कैंसर 

अगर खाना, पानी या किसी भी चीज को निगलने में परेशानी हो रही है तो यह स्टोमेक और गले के कैंसर हो सकते हैं.

ब्लड कैंसर

अगर जांघ या शरीर पर काफी ज्यादा ब्लू पैचेज दिखाई दे रहे हैं या ऐसा लग रहा है कि चोट लगने वाली मार्क है तो यह ब्लड कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

जल्दी-जल्दी बुखार या इंफेक्शन

जल्दी -जल्दी बुखार या इंफेक्शन हो रहे हैं तो यह ल्यूकेमिया कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

ओरल कैंसरये

अगर बहुत दिनों तक मुंह में छाले हो रहे हैं. या बार-बार छाले हो रहे हैं तो यह ओरल कैंसर के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. जो लोग स्मोक करते हैं उन्हें ओरल कैंसर का खतरा काफी ज्यादा रहता है. मेनोपॉज के बाद भी अगर ब्लीडिंग हो रही है तो इसे आप नॉर्मल नहीं ले सकते हैं. यह यूटेरिन और सर्विकल कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. कैंसर के शुरुआती लक्षण ऐसे भी होते हैं कि अचानक से वजन का बढ़ना या गिरना, कई बार भूख की कमी, बालों का झड़ना यह सभी कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं.

‘शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है’, यूएन में भारत ने महिलाओं को लेकर कही ये बात

समानता के संवैधानिक सिद्धांत की बात करते हुए भारत ने मंगलवार को बैंकाक में यूएन मिस्टरल कांफ्रेंस ऑन वेमेन एम्पारमेंट में जारी बयान में कहा कि भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है। इतना ही नहीं विश्व स्तर पर देखा जाए तो एसटीइएम (साइंसटेक्नालाजी इंजीनियरिंग और गणित) विषयों में महिलाओं का अनुपात भारत में सबसे अधिक है।

शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है- यूएन में भारत (फोटो- एक्स)

माला दीक्षित, बैंकाक। समानता के संवैधानिक सिद्धांत की बात करते हुए भारत ने मंगलवार को बैंकाक में यूएन मिस्टरल कांफ्रेंस आन वेमेन एम्पारमेंट में जारी बयान में कहा कि भारत ने शिक्षा के सभी स्तरों पर लैंगिक समानता हासिल कर ली है। इतना ही नहीं विश्व स्तर पर देखा जाए तो एसटीइएम (साइंस,टेक्नालाजी, इंजीनियरिंग और गणित) विषयों में महिलाओं का अनुपात भारत में सबसे अधिक है।

महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सशक्तीकरण की दिशा में किये गए उपायों के सकारात्मक नतीजों का जिक्र करते हुए यह भी कहा कि गैर पारंपारिक सेक्टरों में महिला कार्यबल बढ़ाने, लैंगिक वेतन अंतर, लैंगिक डिजिटल विभाजन खतम करना प्राथमिकता है।

जेंडर एक्वेलिटी की प्रतिबद्धता पर भारत ने कही ये बात

भारत की ओर से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रीतम बी. यशवंत ने लिंग आधारित भेदभाव खत्म करने और जेंडर एक्वेलिटी की प्रतिबद्धता के बीजिंग घोषणा समीक्षा प्रक्रिया में भारत का कंट्री स्टेटमेंट पेश किया। भारत की ओर से रखे गए स्टेटमेंट में कहा गया कि बीजिंग घोषणापत्र और प्लेटफार्म फार एक्शन का कार्यान्वयन हमारे संवैधानिक रूप से निर्धारित समानता के सिद्धांत से प्रेरित है।

महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की दृष्टि से प्रेरित भारत ने शासन में एक अच्छा बदलाव देखा ताकि ये सुनिश्चित हो सके कि महिलाएं विकास पथ को आकार देने वाले उपायों की अवधारणा , डिजाइन और निगरानी में नेतृत्व करें। भारत की बीजिंग प्लस 30 रिपोर्ट में परिलक्षित पिछले पांच वर्षों की प्रगति बताते हुए कहा कि शिक्षा में लैंगिक असमानता को कम करने के क्षेत्रीय रुझानों के अनुरूप भारत ने शिक्षा में सभी स्तरों पर समानता हासिल कर ली है।

महिलाओं की आर्थिक सक्षमता बढ़ने और स्वयं सहायता समूह को परिवतर्न का वाहक बताते हुए कहा कि भारत में आज 100 मिलियन महिलाएं आर्थिक रूप से ग्रामीण परिदृश्य बदल रही हैं और जमीनी स्तर पर बेहतर नेतृत्व कर रही हैं। दुनिया के सबसे बड़े फाइनेंशियल इन्कूजन कार्यक्रम के तहत भारत में आज 300 मिलियन से अधिक महिलाओं के बैंक खाते हैं। लिंग आधारित समानता की प्रतिबद्धता जताते हुए कहा कि ये बात लैंगिक बजट में 218 फीसद की दशकीय वृद्धि से प्रमाणित होती है, जिसमें चालू वर्ष का आवंटन 37 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।

भारत ने कहा कि विकसित अर्थव्यवस्था के हमारे दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए , प्रमुख प्राथमिकताओं में गैर पारंपरिक क्षेत्रों सहित, कार्यबल में महिलाओं की भागेदारी बढ़ाना है। इसके लिए जेंडर जस्ट सोसाइटी का अनुकूल माहौल तैयार करना, महिलाओं की सुरक्षा, के साथ महिलाओं को राजनैतिक रूप से सक्षम बनाने पर जोर है। इसके अलावा लैंगिक वेतन अंतर, लैंगिक डिजिटल विभाजन खतम करना प्राथमिकता है।

आर्थिक सशक्तीकरण को सक्षम करें

भारत ने महिलाओं के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक सशक्तीकरण के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण अपनाया है। स्वच्छ ईंधन, नल से जल और शौचालयों के निर्माण जैसे समाधानों से लैंगिक गरीबी के अंतर को कम करने से लेकर भारत ने बड़े पैमाने पर ऐसी नीतियां बनाई हैं जो महिलाओं के कठिन परिश्रम को कम करती हैं, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती हैं और उनके आर्थिक सशक्तीकरण को सक्षम करें।

भारत यूएन वोमेन के लिंग आधारित समानता का संसार बनाने के लिए किये जा रहे प्रयासों का समर्थन करता है और अपनी प्रतिबद्धता जताता है। मंगलवार को भारतीय डेलीगेशन ने साइड इवेंट प्रेजेन्टेशन भी दिया जिसमे वोमेन लेड डेवलेपमेंट के दृष्टिकोण से किये जा रहे प्रयासों को बताया गया इसमें महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रीतम यशवंत के अलावा निदेशक दया शंकर व पंचायती राज मंत्रालय के अधिकारी निवेदिता ने भाग लिया।

महिलाओं के राजनैतिक रूप से सक्षम होने और राजनैतिक भागेदारी बढ़ने का प्रमाण दिया गुजरात की वडोदरा की ब्लॉक प्रमुख अंकिता रौनक परमार ने। निदेशक दया शंकर ने लिंग आधारित समानता और महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए किये गए कामों की चर्चा करते हुए कहा कि हम नया भारत, विकसित भारत के लिए तैयार हैं।

रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने निकाली भर्ती, इस डेट से पहले कर लें अप्लाई

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने भर्ती नोटिफिकेशन जारी किया है. जिसके अनुसार अपरेंटिस के पद भरे जाएंगे.

रेलटेल कॉर्पोरेशन भर्ती 2024

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: रेलटेल कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने अपरेंटिस पदों पर भर्ती के लिए आवेदन मांगे हैं. इच्छुक और योग्य उम्मीदवार NATS (नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग सिस्टम) की आधिकारिक वेबसाइट nats.education.gov.in के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं. यह भर्ती अभियान रेलटेल कॉर्पोरेशन में 40 अपरेंटिस पदों को भरने के लिए आयोजित किया जा रहा है. इस भर्ती अभियान के लिए आवेदन करने की अंतिम तारीख 30 नवंबर, 2024 है.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: आवश्यक योग्यता आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों को इंजीनियरिंग/ टेक्नोलॉजी में चार साल की नियमित स्नातक डिग्री या इंजीनियरिंग/ टेक्नोलॉजी में तीन साल का नियमित डिप्लोमा होना चाहिए और संबंधित शाखा में न्यूनतम 60% अंक होने चाहिए. उम्मीदवारों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी शैक्षिक योग्यता की पूरी जानकारी संबंधित अधिसूचना में देख लें.

यह भी पढ़ें- UPSC Success Story: मिलिए उस महिला से जिसने यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस बनने के लिए छोड़ दिया था मेडिकल करियर

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: आयु सीमा उम्मीदवार की आयु 18 से 27 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जो कि इस अधिसूचना के जारी होने की तिथि के आधार पर निर्धारित की जाएगी.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment: ऐसे होगा चयन चयन प्रक्रिया के तहत उम्मीदवारों का चयन इंटरव्यू के आधार पर किया जाएगा. केवल वे उम्मीदवार जिन्होंने इंटरव्यू के लिए शॉर्टलिस्ट होने के बाद, निगम के चिकित्सा मानकों के अनुसार फिटनेस परीक्षा पास की होगी, उन्हें अंतिम चयन के लिए माना जाएगा.

Railtel Corporation Apprentice Recruitment:  स्टाइपेंड ग्रेजुएट इंजीनियरों को 14,000/- प्रति माह का स्टाइपेंड दिया जाएगा, जबकि डिप्लोमा इंजीनियरों को 12,000/- प्रति माह का स्टाइपेंड मिलेगा.

 

Railtel Corporation Apprentice Recruitment:

अन्य विवरण अपरेंटिस की नियुक्ति एक वर्ष के लिए की जाएगी और यह नियुक्ति कोलकाता, सिकंदराबाद/ हैदराबाद, दिल्ली, मुंबई सहित भारत भर के विभिन्न स्थानों पर की जाएगी. ज्यादा डिटेल्स के लिए उम्मीदवार आधिकारिक साइट की मदद ले सकते हैं.

CBSE Board Exam 2025:15% सिलेबस कट,ओपन-बुक फॉर्मेट और अन्य बड़े बदलावों की घोषणा

CBSE बोर्ड परीक्षा 2025 में बड़े बदलाव! सिलेबस में कमी, प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज़ोर, ओपन बुक एग्जाम और भी बहुत कुछ। जानें इन बदलावों का छात्रों पर क्या होगा प्रभाव।

CBSE Board Exam 2025: CBSE ने बोर्ड परीक्षाओं में कई बड़े बदलावों की घोषणा की है, जिनका उद्देश्य छात्रों की शिक्षा को और दिलचस्प बनाना है। इंदौर में एक प्रिंसिपल्स समिट के दौरान CBSE भोपाल के क्षेत्रीय अधिकारी विकास कुमार अग्रवाल ने बताया कि 2025 के लिए कक्षा 10 और 12 के पाठ्यक्रम में 15% तक की कमी की जा रही है। इसका मुख्य मकसद यह है कि छात्र गहराई से पढ़ाई करें और सिर्फ रटने तक सीमित न रहें। इस फैसले से छात्रों को सिलेबस को अधिक गहराई से पढ़ने का मौका मिलेगा और वे विषयों को समझने में और बेहतर बन सकेंगे। जानें बड़े बदलावों के बारे में।

अब 40% इंटरनल असेसमेंट से बनेगी ग्रेड

बोर्ड ने इंटरनल असेसमेंट का महत्व बढ़ा दिया है, जिसके तहत अब 40% ग्रेड इंटरनल असेसमेंट से आएंगे और 60% ग्रेड फाइनल बोर्ड परीक्षा के आधार पर होंगे। इंटरनल असेसमेंट में प्रोजेक्ट, असाइनमेंट और समय-समय पर लिए जाने वाले टेस्ट शामिल होंगे। इससे छात्र अपनी पढ़ाई में स्थिरता बनाए रख सकेंगे और अपनी समझ को बेहतर तरीके से प्रदर्शित कर सकेंगे।

प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज्यादा जोर

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के अनुसार, CBSE अब परीक्षा पैटर्न में भी बदलाव कर रहा है। 2025 के बोर्ड परीक्षा में लगभग 50% सवाल छात्रों की प्रैक्टिकल जानकारी और स्किल को चेक करने के लिए होंगे। यानी सवाल अब सिर्फ थ्योरी पर नहीं होंगे, बल्कि रोजमर्रा के जीवन में ज्ञान के इस्तेमाल पर होंगे। इससे छात्रों में क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल को बढ़ावा मिलेगा, और वे रटने के बजाय गहराई से समझ पाएंगे।

डिजिटल मूल्यांकन और ओपन-बुक परीक्षा का आगाज

CBSE कुछ विषयों में आंसरशीट के डिजिटल मूल्यांकन को भी जारी रखेगा, जिससे मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और सटीक होगी। साथ ही, CBSE अंग्रेजी साहित्य और समाजशास्त्र जैसे विषयों के लिए ओपन-बुक एग्जाम शुरू करने की योजना बना रहा है। इसका मतलब है कि परीक्षा में छात्र अपनी किताबें साथ ला सकेंगे और अपने उत्तरों में विश्लेषणात्मक कौशल का प्रदर्शन कर सकेंगे। यह बदलाव छात्रों को कॉन्सेप्ट्स को समझने और उनका प्रैक्टिकल इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।

2026 से दो-टर्म एग्जाम फॉर्मेट

2025 में CBSE एक ही टर्म में परीक्षा आयोजित करेगा, लेकिन 2025-26 सत्र से दो-टर्म एग्जाम फॉर्मेट की वापसी की योजना है। यह मॉडल छात्रों को बार-बार आकलन का मौका देगा, जिससे उन्हें अपने प्रगति का जायजा लेने और तैयारी में सुधार का अवसर मिलेगा। इस प्रणाली से छात्र एक ही परीक्षा पर निर्भर न रहकर पूरे साल अपनी पढ़ाई को बैलेंस कर सकेंगे।

CBSE बोर्ड परीक्षा 2025 के लिए मुख्य बदलाव

* 15% सिलेबस में कमी: छात्रों पर पढ़ाई का बोझ कम करते हुए 15% तक सिलेबस     कम किया गया है।

* 40% इंटरनल असेसमेंट: कुल ग्रेड का 40% अब प्रोजेक्ट, असाइनमेंट और               पीरियॉडिक टेस्ट से निर्धारित होगा।

* प्रैक्टिकल आधारित प्रश्न: लगभग 50% प्रश्न प्रैक्टिकल ज्ञान पर आधारित होंगे,           ताकि छात्र अपने ज्ञान को वास्तविक जीवन में लागू कर सकें।

* डिजिटल मूल्यांकन: कुछ विषयों में डिजिटल मूल्यांकन जारी रहेगा ताकि अधिक           सटीकता और पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

* ओपन-बुक परीक्षा: अंग्रेजी साहित्य और समाजशास्त्र जैसे विषयों के लिए ओपन-बुक      परीक्षा प्रारूप शुरू होगा।

* एक-टर्म परीक्षा प्रारूप (2025), दो-टर्म परीक्षा (2026 से): 2025 में एक टर्म           फॉर्मेट रहेगा, लेकिन 2026 से दो-टर्म प्रारूप लागू होगा।

इस बदलाव से छात्रों को क्या होगा फायदा

CBSE के ये बदलाव छात्रों के लिए नई संभावनाओं का दरवाजा खोलते हैं। इसके जरिए छात्र सिर्फ रटने के बजाय समझ पर ध्यान केंद्रित कर पाएंगे। आंतरिक मूल्यांकन, प्रैक्टिकल ज्ञान और ओपन-बुक परीक्षा जैसे उपाय छात्रों को शिक्षण में वैश्विक ट्रेंड्स से जोड़ेंगे और उच्च शिक्षा के लिए भी बेहतर तैयारी कराएंगे। इस नए बदलाव के साथ, CBSE का उद्देश्य छात्रों को आत्मनिर्भर, क्रिटिकल थिंकर और प्रभावी समस्या-सुलझाने वाला बनाना है, जिससे वे न केवल परीक्षा में बल्कि वास्तविक जीवन में भी सफल हो सकें।

 

CBSE Date Sheet 2025 जल्द जारी होगी कक्षा दसवीं और बारहवीं बोर्ड परीक्षा की तिथि

CBSE Date Sheet 2025 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बहुत जल्द कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए समय सारणी 2025 जारी करने वाला है. जो विद्यार्थी देश और विदेश में सीबीएसई कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं

CBSE Date Sheet 2025 : केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड बहुत जल्द कक्षा 10वीं और 12वीं के लिए समय सारणी 2025 जारी करने वाला है. जो विद्यार्थी देश और विदेश में सीबीएसई कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा में शामिल होना चाहते हैं, वह डेट शीट की घोषणा होने के बाद सीबीएसई की आधिकारिक वेबसाइट cbse.gov.in या cbse.nic.in के माध्यम से समय सारणी के बारे में पता कर सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं

15 फरवरी से 2025 से शुरू होगी बोर्ड परीक्षा – CBSE

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने 2024 के परिणाम की घोषणा करते हुए कक्षा दसवीं और बारहवीं की बोर्ड परीक्षा 15 फरवरी 2025 से शुरू होने की पुष्टि की है. बोर्ड ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि 2025 में भारत और विदेश के 26 अन्य देशों के 8000 स्कूलों में लगभग 44 लाख छात्रों के लिए कक्षा दसवीं और कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित की जाएगी.

1 जनवरी से होंगी प्रैक्टिकल परीक्षाएं

सीबीएसई बोर्ड एग्जाम 2025 में बैठने के लिए छात्रों की न्यूनतम अटेंडेंस 75% होनी अनिवार्य है. कक्षा 10 और 12 की बोर्ड परीक्षा के लिए सीबीएसई बोर्ड प्रैक्टिकल परीक्षाएं और आंतरिक मूल्यांकन (आईए) 1 जनवरी से आयोजित किए जाएंगे. सर्दियों में आने वाले स्कूलों के लिए सीबीएसई प्रैक्टिकल परीक्षाएं 5 नवंबर से 5 दिसंबर 2024 तक आयोजित की जाती है.

डेट शीट देखने का तरीका

  • सबसे पहले सीबीएसई की वेबसाइट cbse.nic.in या cbse.gov.in पर जाए.
  • डेट शीट जारी होने के बाद latest@cbse क्षेत्र में दसवीं और बारहवीं क्लास की डेट शीट डाउनलोड लिंक, डेट शीट जारी होने के बाद एक्टिव हो जाएगा.
  • डेट शीट के डाउनलोड लिंक पर क्लिक करने के बाद विषय के अनुसार एग्जाम डेट चेक करें.
  • भविष्य के लिए डेट शीट डाउनलोड करें या प्रिंटआउट निकलवा कर रख लें.

CBSE Board Exam 2025: Mistakes Students Make during CBSE 10th 12th Board Exam Preparation

CBSE Date Sheet 2025 Class 12 pdf download

Students awaiting to download CBSE 12th Date Sheet 2025 PDF must note that CBSE Date Sheet 2025 Class 12 pdf download link will be active as soon as the CBSE Class 12 Time Table 2025 is released. Meanwhile, check CBSE 12th Date Sheet 2024 for your reference.

CBSE Date Sheet 2024 Class 12 pdf download link Download PDF 
CBSE Date Sheet 2025 Class 12 pdf download link Download PDF (Link to be active soon)

Madan Mohan Malviya: निजाम की ना को महामना ने जूती से हां में बदल दिया.. नहीं जानते होंगे BHU से जुड़ा ये अनोखा किस्सा

Madan Mohan Malviya News: मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा, समाज सुधारक और शिक्षा क्षेत्र के प्रखर विचारक थे. उन्हें महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी.

Madan Mohan Malviya News: मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा, समाज सुधारक और शिक्षा क्षेत्र के प्रखर विचारक थे. उन्हें महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी. 12 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनके जीवन के कुछ दिलचस्प पहलुओं पर नजर डालेंगे. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की स्थापना, ‘सत्यमेव जयते’ का प्रचलन, और निजाम की जूती नीलाम करने जैसी घटनाएं उनके साहस और दूरदर्शिता की मिसाल हैं.

संस्कृत में गहरी रुचि

मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को संस्कृत के एक विद्वान परिवार में हुआ था. पांच वर्ष की आयु से ही उन्होंने संस्कृत पढ़ना शुरू कर दिया था. उनके पूर्वज मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र से थे. इसलिए उन्हें ‘मालवीय’ कहा जाने लगा. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और समाज सेवा की ओर कदम बढ़ाया.

शिक्षक और वकील के रूप में करियर की शुरुआत

मालवीय जी ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की. कुछ समय बाद उन्होंने वकालत का पेशा अपनाया और पत्रकारिता में भी कदम रखा. वे एक प्रमुख समाचार पत्र के संपादक भी रहे. जहां से उनकी समाज सेवा और देशभक्ति का सफर शुरू हुआ.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना

मदन मोहन मालवीय ने 1915 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना की. उनका सपना था कि भारत में एक ऐसा विश्वविद्यालय हो जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा दे. BHU की स्थापना के लिए उन्होंने देशभर में चंदा इकट्ठा किया और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया.

महात्मा गांधी से संबंध और ‘महामना’ की उपाधि

महात्मा गांधी ने उन्हें ‘महामना’ का सम्मान दिया था और बापू उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे. गांधी जी के साथ उनके विचारों की समानता ने स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया. ‘सत्यमेव जयते’ का प्रचलन भी उन्हीं की देन है, जो बाद में भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बना.

कांग्रेस अधिवेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका

मालवीय जी ने 1909, 1913, 1919, और 1932 में कांग्रेस के विभिन्न अधिवेशनों की अध्यक्षता की. उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भी प्रमुख भूमिका निभाई. उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता ने कई लोगों को प्रेरित किया.

स्वतंत्रता के प्रति उनके विचार और उम्मीदें

भारत की आजादी के प्रति मालवीय जी का गहरा विश्वास था. उन्होंने कहा था कि भले ही वे स्वतंत्र भारत न देख पाएं, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा स्वतंत्रता के सपने को जीवित रखेगी. अफसोस, आजादी मिलने के एक साल पहले ही उनका निधन हो गया.

निजाम की जूती का किस्सा

BHU निर्माण के लिए चंदा जुटाने के दौरान एक रोचक घटना घटी. मालवीय जी ने हैदराबाद के निजाम से आर्थिक सहायता मांगी. लेकिन निजाम ने अभद्रता से मना कर दिया और दान में देने के लिए अपनी जूती दी. मालवीय जी ने वह जूती उठाई और नीलामी के लिए बाजार में पहुंच गए.

बाजार में नीलामी और निजाम की प्रतिक्रिया

जब निजाम को पता चला कि उनकी जूती नीलाम हो रही है. तो उसने मालवीय जी को भारी धनराशि देकर जूती वापस ले ली. यह घटना मालवीय जी के साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गई और आज भी प्रेरणादायक है.

BHU के लिए विशाल चंदा

मालवीय जी ने BHU निर्माण के लिए देशभर से 1 करोड़ 64 लाख रुपए चंदा इकट्ठा किया. उन्हें 1360 एकड़ जमीन, 11 गांव, 70 हजार पेड़ और अन्य संपत्तियां भी दान में मिलीं. यह विश्वविद्यालय निर्माण में उनके योगदान का प्रतीक है.

भारत रत्न और शिक्षा में योगदान की अमिट छाप

मालवीय जी का सपना था कि शिमला में भी BHU की तरह एक विश्वविद्यालय बने, हालांकि यह सपना अधूरा रह गया. 2014 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. जो उनके शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान की पुष्टि करता है.

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