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नए चीफ जस्टिस संजीव खन्ना को कितनी सैलरी मिलेगी? डीवाई चंद्रचूड़ के खाते में पेंशन कितनी आएगी?

CJI के तौर पर डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) का कार्यकाल रविवार, 10 नवंबर को पूरा हुआ और संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने 11 नवंबर को नए चीफ जस्टिस के पद की शपथ ली.

देश के मुख्य न्यायाधीश यानी चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) अब संजीव खन्ना हैं. CJI के तौर पर डीवाई चंद्रचूड़ का कार्यकाल रविवार, 10 नवंबर को पूरा हुआ और संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को CJI पद की शपथ ली. नये CJI बने संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई, 2025 तक चलेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं कि CJI के तौर उनको कितनी सैलरी मिलेगी? और CJI के पद से रिटायर हुए डीवाई चंद्रचूड़ की पेंशन कितनी होगी?

भारत के मुख्य न्यायाधीश की सैलरी भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के मुताबिक फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सैलरी 2.8 लाख रुपये प्रति माह है. इसके अलावा CJI के निर्धारित भत्तों में 10 लाख रुपये का फर्निशिंग भत्ता होता है. फर्निशिंग भत्ता किसी कर्मचारी को उसके घर की साज-सज्जा की लागत में मदद करने के लिए दिया जाने वाला भुगतान है. HRA (House Rent Allowance) बेसिक सैलरी का 24% होता है.

इसके साथ ही CJI के लिए हर महीने 45 हजार रुपये का सत्तकार भत्ता (Sumptuary Allowance) होता है. Sumptuary Allowance कर्मचारियों को दिया जाने वाला एक लाभ है. ये भत्ता, आगंतुकों के मनोरंजन पर होने वाले खर्चों को कवर करता है.

इसका मतलब है कि नये CJI बने संजीव खन्ना की हर महीने की सैलरी 2.8 लाख रुपये होगी. इसके अलावा अन्य भत्ते भी मिलेंगे.

CJI के रिटायर होने पर कितनी पेंशन मिलती है?वहीं रिटारमेंट पर CJI की पेंशन सालाना 16 लाख 80 हजार रुपये होती है. पेंशन के साथ अलग से डियरनेस रिलीफ भी जोड़ा जाता है. Dearness relief (DR) पेंशनभोगियों को महंगाई से निपटने में मदद करने के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद है.

इसका मतलब है कि रिटायर हुए पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की सालाना पेंशन 16 लाख 80 हजार रुपये होगी. साथ में, Dearness relief भी मिलेगा. ग्रेच्युटी की बात करें, तो CJI, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के अन्य जजों, सभी के लिए 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी निर्धारित है.

CJI संजीव खन्ना के बारे मेंजस्टिस संजीव खन्ना 51वें CJI बने हैं. सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस रहते हुए संजीव खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 26 अप्रैल को EVM में हेर-फेर के संदेह को ‘निराधार’ करार दिया था. बेंच ने पुराने पेपर बैलेट सिस्टम को वापस लाने की मांग खारिज कर दी थी.

संजीव खन्ना पांच जजों की उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने टाले 6 महीनो में लेने होंगे बड़े फेसले राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग वाली चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया था. वो 5 जजों वाली उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही पहली बार दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी.

 

 

दिल्ली का ‘कचरा मॉडल’ 10 लाख लोगों के फेफड़े खराब कर रहा, ओखला प्लांट पर NYT रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें

Okhla Delhi Waste To Energy Plant: दिल्ली के ओखला में मौजूद एक ‘वेस्ट टू एनर्जी’ (कचरे से बिजली) प्लांट आसपास की करीब 10 लाख आबादी के लिए खतरा पैदा कर रहा है. न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.

Delhi Okhla Waste to Energy Plant: साउथ ईस्ट दिल्ली में ओखला के आसपास रहने वाले घातक रसायनों के धुएं में सांस ले रहे हैं. यहां की लगभग 10 लाख आबादी को पास में स्थित कचरे से बिजली बनाने वाले प्लांट (WTE Plant) के चलते स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है. यह दावा द न्यूयॉर्क टाइम्स में शनिवार को छपी रिपोर्ट में किया गया है. इसके मुताबिक, प्लांट के आसपास की आबादी कैडमियम, लेड, आर्सेनिक और अन्य घातक पदार्थों के दुष्‍प्रभावों से जूझ रही है. प्लांट से निकलने वाली राख में भी घातक तत्व होते हैं, वह भी पास ही डंप कर दी जाती है

1 सुरक्षित सीमा से कहीं ज्यादा मात्रा में केमिकल: रिपोर्ट के मुताबिक, बदरपुर के पास की हवा और राख के सैंपल्स में जहरीली धातुएं मिली हैं. यहां के वातावरण में कैडमियम की मात्रा सेफ लिमिट से 19 गुना अधिक, मैंगनीज 11 गुना अधिक, आर्सेनिक 10 गुना अधिक, लेड 4 गुना अधिक और कोबाल्ट 3 गुना अधिक पाया गया. प्लांट से कानूनी सीमा से 10 गुना अधिक मात्रा में डाइऑक्सिन निकल रहे हैं. इलाके में गर्भपातों और सांस की परेशानियां बढ़ गई हैं. त्वचा पर छाले और काले बलगम की शिकायतें भी आम हैं.

2 हवा और मिट्टी के नमूनों की जांच से पता चला: कचरे से बिजली बनाने वाला यह प्लांट 2012 में स्थापित किया गया था. प्लांट की मिल्कियत JITF इंफ्रालॉजिस्टिक्स के पास है. यह प्लांट दिल्ली में कचरे के पहाड़ों को खत्म करने के मकसद से शुरू किया गया था. यहां हर दिन लगभग 2,000 टन कचरे का इस्तेमाल कर करीब 23 मेगावाट बिजली पैदा की जाती है. अपनी रिपोर्ट के लिए, NYT ने 2019 से 2023 के बीच प्लांट के आसपास से हवा और मिट्टी के सैंपल लिए. फिर आईआईटी-दिल्ली के एक्सपर्ट्स को साथ लेकर सैंपल टेस्ट कराए गए. नतीजों को जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एनालाइज किया है.

3 कौन-कौन से इलाके प्रभावित: प्लांट के आसपास रहने वाले लोग बेहद खराब हवा में सांस लेते हैं. जसोला विहार, सुखदेव विहार, हाजी कॉलोनी और जामिया नगर जैसे इलाकों में पूरे साल हवा प्रदूषित नजर आती है. यहां की आबादी में सांस लेने में परेशानी, आंखों में खुजली और सिरदर्द जैसी दिक्कतें आम हैं.

4 ‘नियम ताक पर रखकर चल रहे ऐसे प्लांट’: सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट यूनिट के प्रोग्राम डायरेक्टर, अतिन बिस्वास ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा कि भारत में WTE प्लांट कई सिद्धांतों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं. बिजली बनाने के लिए, या तो गीला कचरा या फिर सूखा कचरा ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन ये प्लांट जलाने के लिए मिश्रित कचरा जमा करते हैं.

5 निकलने वाले जहर से कितना नुकसान: मिश्रित कचरा जलाने से जहरीले कण निकलते हैं जिनमें कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड और सल्फर डाइऑक्साइड शामिल है. उन्होंने कहा, ‘ये कण सांस की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकते हैं और अस्थमा जैसी फेफड़ों की पुरानी समस्याओं को भी जन्म दे सकते हैं. जो लोग प्लांट के नजदीक रहते हैं, उनके स्वास्थ्य को खतरा बहुत अधिक होता

है.’

राशन डिपो से नहीं मिल रहा राशन तो न हों परेशान, ऐसे शिकायत कर सकते हैं आप

Ration Depot Complaint: अगर किसी राशन कार्ड धारक को राशन डिपो से राशन नहीं मिल रहा तो वह इस बारे में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. कहां करनी होगी शिकायत चलिए आपको बताते हैं.

राशन डिपो शिकायत

Ration Depot Complaint: भारत सरकार देश के नागरिकों के लिए बहुत सारी योजनाएं चलाती हैं. सरकार की योजनाओं का लाभ देश के करोड़ों लोगों को मिलता है. इनमें से ज्यादातर योजनाएं गरीबों जरूरतमंद लोगों के लिए होती है. भारत में आज बहुत से ऐसे लोग हैं. जो अपने खाने का इंतजाम नहीं कर पाते. इन लोगों को भारत सरकार कम कीमत पर राशन मुहैया करवाती है. भारत में करोड़ों की संख्या में राशन कार्ड धारक जिन्हें भारत सरकार की ओर नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत कम कीमत पर राशन दिया जाता है.

सरकारी राशन डिपो से राशन कार्ड धारकों को राशन दिया जाता है. अगर किसी राशन कार्ड धारक को राशन डिपो से राशन नहीं मिल रहा. तो वह इस बारे में अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. क्या होगी इसके लिए प्रक्रिया, कहां करनी होगी शिकायत चलिए आपको बताते हैं.

हेल्पलाइन नंबर पर कर सकते हैं शिकायत

भारत में सभी राज्यों में खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा एक हेल्पलाइन नंबर जारी किया जाता है. जिस नंबर पर काॅल करके सभी राशन कार्ड धारक राशन और राशन कार्ड से जुड़ी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं. अगर किसी को राशन डिपो से राशन नहीं मिल रहा तो वह आधिकारिक वेबसाइट https://nfsa.gov.in/ पर जागर अपने राज्य का हेल्पलाइन नंबर देख सकता है. और उस नंबर पर कॉल करके राशन डिपो से जुड़ी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. शिकायत के बाद विभाग द्वारा इस एक्शन लिया जाएगा.

ऑनलाइन भी कर सकते हैं शिकायत

इसके अलावा नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आपको ऑनलाइन शिकायत करने का मौका दिया जाता है. इसके लिए आप नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट की ऑफिशल वेबसाइट https://nfsa.gov.in/ पर जाकर अपनी शिकायत के बारे में डिटेल जानकारी देकर ऑनलाइन शिकायत कर सकते हैं. अगर आपकी शिकायत सही पाई जाती है तो इसके बाद संबंधित राशन डिपो के अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है.

ऑफिस जाकर भी कर सकते शिकायत

अगर आप किसी छोटे शहर में रहते हैं. और वहां के राशन डिपो में आपको राशन नहीं मिलता. तो आप फिर जिले के राशन डिपो में जाकर उस बारे में शिकायत कर सकते हैं. इसके अलावा अगर जिले में अगर आपकी बात नहीं सुनी जाती. तो फिर आप राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग जाकर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

CM शिंदे का जिक्र कर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बड़ा बयान, ‘महाराष्ट्र में उन्हें वोट करें जो…’

Maharashtra Election 2024: स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का कहना है कि वह किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन नहीं देते हैं बल्कि काम करने वाले लोगों को समर्थन देते हैं.

(स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती, फाइल फोटो)

Maharashtra Assembly Election 2024: ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Swami Avimukteshwaranand Saraswati) भी महाराष्ट्र चुनाव (Maharashtra Election) पर नजर बनाए हुए हैं. अपने बयानों के कारण चर्चा में रहने वाले अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि महाराष्ट्र में उन्हें वोट दिया जाना चाहिए जो हिंदुओं के हित में काम कर रहे हैं. उन्होंने सीएम एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) की भी तारीफ की और कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज वाला काम कर रहे हैं. उन्होंने गाय को ‘राज्यमाता’ का दर्जा दिया.

वह इसके पहले भी एकनाथ शिंदे की तारीफ कर चुके हैं. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती राजनीतिक बयानों के कारण भी चर्चा में रहते हैं. उन्होंने उस वक्त सबका ध्यान अपनी ओऱ खींचा था जब वह पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे के घर पहुंचे थे. उन्होंने उद्धव ठाकरे से मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में कहा था कि उनके साथ हुए विश्वासघात से हमें दुख है. जब तक वह दोबारा मुख्यमंत्री नहीं बन जाते, हमारा दुख दूर नहीं होगा.

काम करने वालों को देता हूं समर्थन- अविमुक्ताश्वरानं

हालांकि इसके बाद वह एक कार्यक्रम में एकनाथ शिंदे के साथ नजर आए थे और उनकी तारीफ भी की थी. हाल में एबीपी न्यूज़ से बातचीत में अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा था कि महाराष्ट्र पहला ऐसा राज्य है जहां गाय को राज्य माता का दर्जा दिया है. इसलिए विधानसभा चुनाव में मौजूदा शिंदे सरकार को जीत का आशीर्वाद देते हैं. उन्होंने हालांकि यह भी साफ किया था कि जिस भी पार्टी द्वारा गाय की रक्षा को लेकर विचार रखा जाएगा उसे वह समर्थन देंगे. उन्होंने कहा था कि वह पार्टी विशेष को समर्थन नहीं देते, बल्कि जिस पार्टी का कार्य श्रेष्ठ होता है उसे ही समर्थन देते हैं.

चुनाव से पहले बड़ा फैसला लेते हुए सितंबर में एकनाथ शिंदे की सरकार ने गाय को राज्य माता का दर्जा दिया था. इसको लेकर डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा था कि देसी गायें हमारे किसानों के लिए वरदान हैं. इसलिए उन्हें राज्य माता का दर्जा दिए जाने का फैसला किया गया है.

Champions Trophy 2025: ICC इवेंट्स में भारत के खिलाफ नहीं खेलेगा पाकिस्तान

Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी 2025 का आधिकारिक मेजबान पाकिस्तान है, लेकिन बीसीसीआई ने टीम इंडिया के पाकिस्तान की यात्रा करने से इनकार कर दिया है. इससे गुस्साए पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि पाकिस्तान की टीम भारत के खिलाफ किसी भी आईसीसी इवेंट में नहीं खेलेगी.

Champions Trophy 2025: चैंपियंस ट्रॉफी 2025 (Champions Trophy 2025) को लेकर बढ़ते विवाद के बीच पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ किसी भी आईसीसी इवेंट में नही खेलने का फैसला किया है. चैंपियंस ट्रॉफी को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) और पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) के बीच गतिरोध बढ़ता जा रहा है. पाकिस्तान आधिकारिक रूप से इस टूर्नामेंट का मेजबान है. अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने पहले ही पीसीबी को पुष्टि कर दी है कि भारत इस टूर्नामेंट के लिए पाकिस्तान का दौरा नहीं करेगा.

Champions Trophy 2025: पाकिस्तान सरकार सख्त

भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तानी अखबार डॉन की एक रिपोर्ट का दावा किया गया है कि पाकिस्तान वैश्विक आयोजन से पीछे हट सकता है. PCB प्रमुख मोहसिन नकवी पहले ही कह चुके हैं कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी के लिए हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार नहीं करेगा. अगर हाइब्रिड मॉडल को स्वीकार कर लिया जाता तो भारत अपने मैच किसी तटस्थ देश में खेलता. हालांकि, डॉन डॉट कॉम की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार पीसीबी को चैंपियंस ट्रॉफी से हटने के लिए कहने पर विचार कर रही है.

Champions Trophy 2025: एशिया कप में भी नहीं खेलेगा पाकिस्तान

डॉन ने एक सूत्र के हवाले से कहा, “ऐसे मामले में सरकार जिन विकल्पों पर विचार कर रही है उनमें से एक विकल्प यह है कि पीसीबी से कहा जाए कि वह सुनिश्चित करे कि पाकिस्तान चैंपियंस ट्रॉफी में भाग न ले.” रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से ले रही है. डॉन की इसी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान सरकार पीसीबी से यह भी कह सकती है कि वह आईसीसी या एशियाई क्रिकेट परिषद (एसीसी) के किसी भी टूर्नामेंट में भारत के खिलाफ खेलने से इनकार कर दे, जब तक कि दोनों देशों के बीच सरकारी स्तर पर मुद्दे हल नहीं हो जाते.

Champions Trophy 2025: भारत का दौरा करता रहा है पाक

पिछले साल एशिया कप पाकिस्तान में खेला जाना था. लेकिन बाद में इसे हाइब्रिड मॉडल में बदल दिया गया, जिसमें भारत के मैच श्रीलंका में खेले गए. भारत और पाकिस्तान ने आखिरी बार 2012 में एक दूसरे के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज खेली थी. तब से, दोनों देश आईसीसी टूर्नामेंट और एशिया कप में ही एक दूसरे के खिलाफ खेलते हैं. पाकिस्तान 2016 में टी-20 विश्व कप और 2023 में वनडे विश्व कप के लिए भारत का दौरा कर चुका है.

Madan Mohan Malviya: निजाम की ना को महामना ने जूती से हां में बदल दिया.. नहीं जानते होंगे BHU से जुड़ा ये अनोखा किस्सा

Madan Mohan Malviya News: मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा, समाज सुधारक और शिक्षा क्षेत्र के प्रखर विचारक थे. उन्हें महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी.

Madan Mohan Malviya News: मदन मोहन मालवीय भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा, समाज सुधारक और शिक्षा क्षेत्र के प्रखर विचारक थे. उन्हें महात्मा गांधी ने ‘महामना’ की उपाधि दी थी. 12 नवंबर को उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर हम उनके जीवन के कुछ दिलचस्प पहलुओं पर नजर डालेंगे. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) की स्थापना, ‘सत्यमेव जयते’ का प्रचलन, और निजाम की जूती नीलाम करने जैसी घटनाएं उनके साहस और दूरदर्शिता की मिसाल हैं.

संस्कृत में गहरी रुचि

मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसंबर 1861 को संस्कृत के एक विद्वान परिवार में हुआ था. पांच वर्ष की आयु से ही उन्होंने संस्कृत पढ़ना शुरू कर दिया था. उनके पूर्वज मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र से थे. इसलिए उन्हें ‘मालवीय’ कहा जाने लगा. उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की और समाज सेवा की ओर कदम बढ़ाया.

शिक्षक और वकील के रूप में करियर की शुरुआत

मालवीय जी ने अपने करियर की शुरुआत एक शिक्षक के रूप में की. कुछ समय बाद उन्होंने वकालत का पेशा अपनाया और पत्रकारिता में भी कदम रखा. वे एक प्रमुख समाचार पत्र के संपादक भी रहे. जहां से उनकी समाज सेवा और देशभक्ति का सफर शुरू हुआ.

बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना

मदन मोहन मालवीय ने 1915 में बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी की स्थापना की. उनका सपना था कि भारत में एक ऐसा विश्वविद्यालय हो जो भारतीय संस्कृति और मूल्यों को बढ़ावा दे. BHU की स्थापना के लिए उन्होंने देशभर में चंदा इकट्ठा किया और शिक्षा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया.

महात्मा गांधी से संबंध और ‘महामना’ की उपाधि

महात्मा गांधी ने उन्हें ‘महामना’ का सम्मान दिया था और बापू उन्हें अपना बड़ा भाई मानते थे. गांधी जी के साथ उनके विचारों की समानता ने स्वतंत्रता संग्राम में उन्हें एक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया. ‘सत्यमेव जयते’ का प्रचलन भी उन्हीं की देन है, जो बाद में भारत का राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बना.

कांग्रेस अधिवेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका

मालवीय जी ने 1909, 1913, 1919, और 1932 में कांग्रेस के विभिन्न अधिवेशनों की अध्यक्षता की. उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए सविनय अवज्ञा आंदोलन और असहयोग आंदोलन में भी प्रमुख भूमिका निभाई. उनकी अद्वितीय नेतृत्व क्षमता ने कई लोगों को प्रेरित किया.

स्वतंत्रता के प्रति उनके विचार और उम्मीदें

भारत की आजादी के प्रति मालवीय जी का गहरा विश्वास था. उन्होंने कहा था कि भले ही वे स्वतंत्र भारत न देख पाएं, लेकिन उनकी आत्मा हमेशा स्वतंत्रता के सपने को जीवित रखेगी. अफसोस, आजादी मिलने के एक साल पहले ही उनका निधन हो गया.

निजाम की जूती का किस्सा

BHU निर्माण के लिए चंदा जुटाने के दौरान एक रोचक घटना घटी. मालवीय जी ने हैदराबाद के निजाम से आर्थिक सहायता मांगी. लेकिन निजाम ने अभद्रता से मना कर दिया और दान में देने के लिए अपनी जूती दी. मालवीय जी ने वह जूती उठाई और नीलामी के लिए बाजार में पहुंच गए.

बाजार में नीलामी और निजाम की प्रतिक्रिया

जब निजाम को पता चला कि उनकी जूती नीलाम हो रही है. तो उसने मालवीय जी को भारी धनराशि देकर जूती वापस ले ली. यह घटना मालवीय जी के साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक बन गई और आज भी प्रेरणादायक है.

BHU के लिए विशाल चंदा

मालवीय जी ने BHU निर्माण के लिए देशभर से 1 करोड़ 64 लाख रुपए चंदा इकट्ठा किया. उन्हें 1360 एकड़ जमीन, 11 गांव, 70 हजार पेड़ और अन्य संपत्तियां भी दान में मिलीं. यह विश्वविद्यालय निर्माण में उनके योगदान का प्रतीक है.

भारत रत्न और शिक्षा में योगदान की अमिट छाप

मालवीय जी का सपना था कि शिमला में भी BHU की तरह एक विश्वविद्यालय बने, हालांकि यह सपना अधूरा रह गया. 2014 में उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया. जो उनके शिक्षा और समाज सुधार के क्षेत्र में योगदान की पुष्टि करता है.

अर्शदीप डल्ला हुआ गिरफ्तार तो भारत ने कनाडा से कर दी ऐसी मांग, बढ़ जाएगी ट्रूडो की टेंशन!

Canada Police Arrested Arshdeep Dalla: कनाडा पुलिस ने अर्शदीप डल्ला को गिरफ्तार कर लिया है. उस पर भारत में आतंकी मामलों समेत कई अन्य मामले पर भी चल रहे हैं और भारत ने प्रत्यर्पण की मांग की है.

खालिस्तानी आतंकी अर्शदीप डल्ला (फाइल फोटो)

Khalistani Terrorist Detained In Canada: खालिस्तानी आतंकवादी अर्शदीप उर्फ अर्श डल्ला को कनाडा पुलिस ने रविवार (10 नवंबर) को गिरफ्तार कर लिया है. टॉप सोर्स ने एबीपी न्यूज़ से इस बात की पुष्टि की है. भारत ने उसके प्रत्यर्पण की मांग की है. भारत का कहना है कि कनाडा को अर्श डल्ला को भारत को सौंप देना चाहिए क्योंकि उसके खिलाफ कई आतंकी मामले लंबित हैं और अगर कनाडा आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्ध है तो उसे अर्श डल्ला को भारत को सौंप देना चाहिए.

सूत्रों के मुताबिक, मारे गए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर के करीबी डल्ला को 28 अक्टूबर को मिल्टन शहर में हुई गोलीबारी में संदिग्ध संलिप्तता के कारण उसे ओंटारियो में हिरासत में लिया गया था.

इससे पहले हाल्टन क्षेत्रीय पुलिस सेवा (एचआरपीएस) ने 29 अक्टूबर को कहा था कि उसने दो लोगों को “इरादे से गोली चलाने” के आरोप में गिरफ्तार किया था. इन लोगों को अस्पताल भर्ती कराया गया और उनमें से एक का इलाज किया गया था, लेकिन गोली लगने से उसकी जान को खतरा नहीं था और बाद में उसे छुट्टी दे दी गई.

कौन है अर्शदीप डल्ला?

अर्शदीप सिंह गिल उर्फ अर्श डल्ला का जन्म पंजाब के लुधियाना में हुआ था. भारत सरकार ने 2023 में उसे आतंकवादी घोषित किया था. गृह मंत्रालय (एमएचए) के गजट नोटिफिकेशन के मुताबिक, डल्ला प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन खालिस्तान टाइगर फोर्स से जुड़ा है. डल्ला पर हत्या, जबरन वसूली और टारगेट किलिंग जैसे जघन्य अपराधों में शामिल होने का आरोप है. उस पर आतंकवाद के वित्तपोषण, बड़े पैमाने पर ड्रग्स और हथियारों की सीमा पार तस्करी का भी आरोप है.

गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, अर्श डल्ला राष्ट्रीय जांच एजेंसी की ओर से रजिस्टर्ड और जांच किए गए विभिन्न मामलों में आरोपी है, जिनमें लक्षित हत्या, आतंकवाद के वित्तपोषण के लिए धन उगाही, हत्या का प्रयास, सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ना और पंजाब राज्य के लोगों में आतंक पैदा करना शामिल है.

पंजाब पुलिस ने अर्श डल्ला के साथियों को किया गिरफ्तार

नवीनतम घटनाक्रम में, पंजाब पुलिस ने पिछले महीने राज्य के फरीदकोट जिले में सिख कार्यकर्ता गुरप्रीत सिंह हरि नौ की हत्या के मामले में कथित संलिप्तता के लिए अर्श डल्ला के दो प्रमुख कार्यकर्ताओं को रविवार को गिरफ्तार कर लिया. कनाडा स्थित गैंगस्टर के निर्देश पर गिरफ्तार किए गए दो लोगों ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में जसवंत सिंह गिल (45) नाम के एक शख्स की भी गोली मारकर हत्या कर दी.

सुप्रीम कोर्ट से Mukesh Ambani को बड़ी राहत, SEBI की जुर्माने वाली याचिका को कोर्ट ने किया खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी की ओर से मुकेश अंबानी के खिलाफ 25 करोड़ रुपये के जुर्माने वाले याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, सेबी ने रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के शेयरों की हेराफेरी के आरोप में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

Mukesh Ambani

सुप्रीम कोर्ट से Mukesh Ambani को बड़ी राहत, SEBI की जुर्माने वाली याचिका को किया खारिज

नई दिल्ली: देश के सबसे अमीर शख्स मुकेश अंबानी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. शीर्ष अदालत ने सेबी की ओर से मुकेश अंबानी पर 25 करोड़ रुपये जुर्माना लगाने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. दरअसल, सेक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ने कथित तौर पर रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर पर साल 2007 में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड के शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगाया था. बता दें कि साल 2009 में रिलायंस पेट्रोलियम लिमिटेड रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड में मर्ज हो गई थी.

अंबानी को व्यक्तिगत दोषी ठहराने से कोर्ट का इनकार

शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “इस केस में लॉ का कोई सवाल नहीं उठाया गया है. इसे खारिज किया जाता है.” जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने 2 दिसंबर को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ सेबी की ओर से दाखिल मामले की सुनवाई करने पर सहमति जताई है, लेकिन कथित कामों के लिए अंबानी को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह ठहराने से इनकार कर दिया.

 

सेबी ने SAT के फैसले को दी थी चुनौती

दरअसल, मार्केट रेगुलेटरी ने बीते साल दिसंबर महीने में प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) के आदेश को चुनौती दी थी, जिसने रिलायंस इंडस्ट्रीज, अंबानी, नवी मुंबई एसईजेड और मुंबई एसईजेड पर कुल 70 करोड़ रुपये की पेनाल्टी की मांग को खारिज कर गया था.

 

 

शेयरों में हेराफेरी का मामला

बता दें कि मामले की सुनवाई के दौरान सेबी के वकील सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने कोर्ट से सेबी की अपील पर एक नोटिस जारी करने का आग्रह किया, जिसमें मैनेजिंग डायरेक्टर के प्रतिनिधि दायित्व से जुड़े मामले पर जोर दिया गया. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर सैट के परस्पर विरोधी फैसलों ने कानूनी अस्पष्टता पैदा की है. न्यायालय ने हालांकि, अंबानी की जवाबदेही से संबंधित सेबी की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. वहीं, अंबानी के पक्ष वाले वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और रितिन राय ने सैट के फैसले के समर्थन में तर्क दिए. बता दें कि यह मामला आरपीएल में 5% हिस्सेदारी की बिक्री पर केंद्रित था, जिसमें सेबी शेयरों में हेराफेरी का आरोप लगा रहा है. आरआईएल की एक लिस्टेड सब्सिडरी थी, जिसका साल 2009 में आरआईएल में मर्जर कर दिया गया था.

Delhi: देहात बचाओ यात्रा, 360 खाप के प्रधान की सरकार को चेतावनी, समस्याओं का नहीं समाधान तो…

Delhi News: पालम 360 खाप की गांव देहात बचाओ यात्रा दिल्ली के लाडो सराय गांव पहुंची. 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने ग्रामीणों की समस्याओं को ध्यानपूर्वक सुना.

पालम 360 खाप की देहात बचाओ यात्रा जारी

Delhi News: उत्तर भारत की सबसे बड़ी पालम 360 खाप की गांव देहात बचाओ यात्रा जारी है. पालम 360 खाप के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी की अगुवाई में शुरू हुई यात्रा करीब 155 गांवों का सफर कर चुकी है.

आज दिल्ली के लाडो सराय गांव में चौधरी सुरेंद्र सोलंकी पहुंचे. उन्होंने बताया कि गांव देहात बचाओ यात्रा को ग्रामीणों का जबरस्त समर्थन मिल रहा है. चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने लाडो सराय गांव में ग्रामीणों की समस्याओं को सुना.

चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि अबकी बार लड़ाई आर पार की है. चुनाव से पहले समस्याओं का समाधान हो जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि 360 गांव के लोगों ने काम नहीं होने पर वोट नहीं देने का फैसला लिया है. उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक पार्टियों के सांसद, विधायक लोगों को बरगलाने की कोशिश कर रहे हैं. दिल्ली के ग्रामीण अब की बार बहकावे में नहीं आएंगे. सोलंकी ने राजनीतिक दलों को अल्टीमेटम दिया. उन्होंने कहा कि गांव वालों को बहकाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए.

पालम 360 खाप की गांव देहात बचाओ यात्रा

उन्होंने कहा कि ग्रामीण अब बहकावे में नहीं आएंगे. चौधरी सोलंकी के मुताबिक ग्रामीणों को आश्वासन नहीं, समाधान चाहिए. उन्होंने सख्त लहजा अपनाते हुए कहा कि जरूरत पड़ने पर मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के आवास का घेराव भी किया जायेगा. सोलंकी ने बताया कि आंदोलन को धार देने की रणनीति बनाने के लिए 360 गांवों की महापंचायत बुलाई जाएगी. जरूरत महसूस होने पर उत्तर भारत की सभी खापों के साथ भी बैठक की जायेगी.

लाडो सराय गांव में नेताओं की एंट्री पर रोक

हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब समेत सभी राज्यों से खापों एवं किसान संगठन के नेताओं को बुलाकर आगे की रणनीति तय होगी. लाडो सराय निवासी चौधरी रामकिशन ने कहा कि आज से गांव में नेताओं की एंट्री पर पाबंदी लग गयी है. गांव के लोग नेताओं की सभा का बहिष्कार करेंगे.