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पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च, सुरक्षाबलों ने की सख्त कार्रवाई

 

पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। दो दिनों तक पीटीआई समर्थकों ने इमरान खान की रिहाई के लिए मार्च किया। इस्लामाबाद में हालात बिगड़ने के बाद सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच मंगलवार देर रात तक झड़प हुई। बुधवार को पीटीआई ने अपना मार्च समाप्त करने का एलान किया।

पाकिस्तान में भारी बवाल के बाद इमरान की पार्टी पीटीआई ने खत्म किया मार्च (फोटो- सोशल मीडिया)

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजधानी इस्लामाबाद में अपने विरोध प्रदर्शन को समाप्त कर दिया है। पीटीआई समर्थक पूर्व पीएम इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। दो दिनों तक चले इस प्रदर्शन को कंट्रोल करने के लिए इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा था।

इस मामले पर आंतरिक मंत्रालय द्वारा सुबह- एक बयान जारी किया गया। इस बयान में बताया गया कि इस्लामाबाद में कानून प्रवर्तन बल ने मुख्य मार्ग को खाली करा लिया गया है। वहीं, इस पूरे मामले में पाकिस्तान के गृहमंत्री मोहसिन नकवी ने संवाददाताओं को बताया कि इमरान खान की पत्नी बुशरा बीबी और अली अमीन गंदापुर सहित खान की पार्टी के शीर्ष नेता, जो विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे, इलाके से भाग गए।

पीटीआई का प्रदर्शन खत्म

पीटीआई के कार्यकर्ता इमरान खान की रिहाई के लिए आंदोलन कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने राजधानी इस्लामाबाद में दो दिनों तक प्रदर्शन किया। मंगलवार को ये प्रदर्शन हिंसक हो गया था। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सेना को बुलाना पड़ा। खबर है कि रात भर की कार्रवाई के बाद पीटीआई के समर्थकों ने अपने प्रदर्शन को वापस ले लिया।

बुधवार को इमरान खान की पार्टी एक सांसद ने एक टेक्स्ट संदेश में लिखा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ ने सरकार की क्रूर कार्रवाई के बाद विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया है।

कई सुरक्षाकर्मियों की मौत

रविवार को शुरू हुए प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसा का रूप ले लिया। स्थिति नियंत्रण से बाहर जाने लगी, जिसके बाद इस्लामाबाद में सेना को उतारना पड़ा। प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई झड़प में चार सुरक्षा अधिकारियों सहित कम से कम छह लोगों की मौत हो गई है। प्रदर्शन के दौरान खान के हजारों समर्थकों ने सड़कों पर लगे सुरक्षा बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास किया, जिस वजह से सुरक्षाकर्मियों से उनकी झड़प हो गई।

सैकड़ों प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

गौरतलब है कि पीटीआई समर्थक मंगलवार को तथाकथित रेड जोन के पास एकत्र हुए थे। इसी दौरान उन्होंने धरना देने की घोषणा की थी। उन्होंने एलान किया था कि इमरान खान की रिहाई तक ये धरना चलेगा। बता दें कि इमरान खान पर भ्रष्टाचार से लेकर सत्ता के दुरुपयोग तक के 150 से अधिक मामले दर्ज हैं। वर्वतमान में वह जेल में हैं।

तलाशी अभियान जारी

पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने मीडिया से बताया कि तलाशी अभियान अभी जारी है। उन्होंने बताया कि इमरान खान की जेल से रिहाई की मांग को लेकर इस्लामाबाद में धरना देने वाले बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। उन्होंने आगे कहा कि मुख्य प्रदर्शन क्षेत्र को खाली करा लिया गया है और बुधवार को सभी बैरिकेड हटा दिए जाएंगे।

 

Nagaland: पर्यटन, उद्यमशीलता और परिवहन में क्रांति लाएगी राज्य सरकार, सीएम नेइफ्यू रियो ने कही यह बात

Nagaland: नागालैंड के मुख्यमंत्री नेइफ्यू रियो ने राज्य में पर्यटन, परिवहन, कृषि और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं की शुरुआत की है। इन पहलों का उद्देश्य न केवल नागालैंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को उजागर करना है। बल्कि स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाकर रोजगार और समावेशी विकास के अवसर प्रदान करना भी है।

उरा कैब्स और पर्यटन कनेक्ट

मुख्यमंत्री ने उरा कैब्स, एक स्थानीय टैक्सी एकत्रीकरण फ्लेटफॉर्म का उद्घाटन किया। यह प्लेटफॉर्म पर्यटकों के लिए यात्रा के अनुभवों को सुविधाजनक बनाते हुए स्थानीय टैक्सी ऑपरेटरों के लिए स्थिर आय के अवसर प्रदान करेगा। साथ ही नागालैंड टूरिज्म कनेक्ट हॉर्नबिल एडिशन का भी शुभारंभ किया गया। जिसमें नए ब्रांडेड पर्यटन वाहनों को पेश किया गया।

सीएम रियो ने इस अवसर पर अपने विचार साझा करते हुए कहा कि यह पहल न केवल स्थानीय उद्यमियों को सशक्त बनाएगी। बल्कि राज्य में पर्यटन बुनियादी ढांचे को भी नया स्वरूप देगी।

युवाओं और उद्यमियों को मिलेगी सब्सिडी

मुख्यमंत्री ने सीएमएमएफआई के तहत राज्य के युवाओं और उद्यमियों को 42% तक सब्सिडी प्रदान करने की घोषणा की है। इस पहल के तहत व्यावसायिक उपयोग के लिए खरीदे गए वाहनों को सब्सिडी दी जाएगी। जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

डिजिटल पिगरी बीमा योजना

दूरदराज के क्षेत्रों में किसानों के लिए डिजिटल पिगरी बीमा योजना की शुरुआत की गई। इस ऐप-आधारित पहल को आईआरडीएआई और टाटा एआईजी के सहयोग से विकसित किया गया है। जो पशुधन बीमा प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बनाती है।

सीएम ने किया एकजुट होकर काम करने का आह्वान

जैसे-जैसे बहुप्रतीक्षित हॉर्नबिल उत्सव नजदीक आ रहा है। मुख्यमंत्री ने नागालैंड की सांस्कृतिक धरोहर और आतिथ्य को प्रदर्शित करने के लिए सभी हितधारकों को एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया।

पर्यटन मंत्री तेमजेन इम्ना अलोंग ने इस मौके पर कहा कि हॉर्नबिल उत्सव न केवल राजस्व सृजन का बड़ा स्रोत है। बल्कि नागालैंड की सांस्कृतिक पहचान को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देता है। पिछले साल उत्सव ने 100 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व अर्जित किया।

रचनात्मकता और नवाचार के केंद्र में युवा

नागालैंड की युवा आबादी को रचनात्मकता और नवाचार के लिए प्रेरित करते हुए मुख्यमंत्री ने आईडीएएन के योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने छात्रों और युवा नेताओं को इन योजनाओं में भाग लेने और राज्य के विकास में योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।

नवाचार और बेहतर शासन की दिशा में बड़ा कदम

नागालैंड में विकास केवल आर्थिक वृद्धि तक सीमित नहीं है। बल्कि यह नवाचार और बेहतर शासन की दिशा में भी है। उपमुख्यमंत्री टीआर जेलियांग और अन्य कैबिनेट मंत्रियों ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और राज्य के सतत विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।

नागालैंड के इन प्रयासों का उद्देश्य राज्य को आर्थिक और सामाजिक प्रगति के नए आयामों तक पहुंचाना है। हॉर्नबिल उत्सव के जरिए राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति और आर्थिक संभावनाओं का संदेश न केवल भारत। बल्कि दुनिया तक पहुंचाने की तैयारी में है।

केरल में 1,500 सरकारी कर्मचारियों ने धोखाधड़ी से उठाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन, राज्य सरकार करेगी यह कार्रवाई

Kerala: केरल में लगभग 1,500 सरकारी कर्मचारी जिनमें राजपत्रित अधिकारी और कॉलेज प्रोफेसर शामिल हैं। उन्हें सामाजिक सुरक्षा पेंशन का धोखाधड़ी से लाभ उठाते हुए पाया गया है। यह पेंशन मुख्य रूप से गरीब और वृद्ध व्यक्तियों के लिए निर्धारित है। राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने इस मामले में सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई के आदेश दिए हैं।

इन्फॉर्मेशन केरल मिशन की जांच में हुआ खुलासा

यह धोखाधड़ी इन्फॉर्मेशन केरल मिशन द्वारा की गई जांच में सामने आई है। यह मिशन राज्य की स्थानीय स्व-सरकारी संस्थाओं के डिजिटलीकरण और नेटवर्किंग के लिए काम करता है। इसकी जांच में 1,458 सरकारी कर्मचारियों को पेंशन प्राप्त करते हुए पाया गया। इनमें राजपत्रित अधिकारी, कॉलेज सहायक प्रोफेसर, उच्चतर माध्यमिक शिक्षक और अन्य शामिल हैं।

फर्जी पेंशनधारियों के विभागवार आंकड़े

सरकारी कर्मचारी धोखाधड़ी से पेंशन का लाभ ले रहे थे। उनमें स्वास्थ्य विभाग के सबसे अधिक 373 कर्मचारी पेंशन लाभार्थी शामिल हैं। इसमें सार्वजनिक शिक्षा विभाग के 224 कर्मचारी, चिकित्सा शिक्षा विभाग के 124 कर्मचारी, आयुर्वेद विभाग के 114 कर्मचारी, पशुपालन विभाग 74 कर्मचारी, लोक निर्माण विभाग के 47 कर्मचारी, तकनीकी शिक्षा विभाग के 46 कर्मचारी, होम्योपैथी विभाग के 41 कर्मचारी, कृषि और राजस्व विभाग के 35-35 कर्मचारी, न्यायपालिका एवं सामाजिक न्याय विभाग के 34-34 कर्मचारी, इंश्योरेंस मेडिकल सर्विसेज के 31 कर्मचारी और कॉलेजिएट शिक्षा विभाग के 27 कर्मचारी भी शामिल हैं।

ब्याज सहित वसूल होगी अवैध रूप से ली गई पेंशन राशि

वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने कहा कि अवैध रूप से ली गई पेंशन राशि, ब्याज सहित, वसूल की जाएगी। दोषियों के खिलाफ कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि योग्य व्यक्तियों को उनकी पूरी और सही पेंशन मिले।

सरकार ने निर्णय लिया है कि विभिन्न स्तरों पर नियमित जांच जारी रहेगी। अयोग्य व्यक्तियों को सूची से हटाया जाएगा। योग्य लाभार्थियों को पेंशन वितरण प्रणाली में सुधार किया जाएगा।

62 लाख लाभार्थियों को 1,600 रुपए मासिक पेंशन

केरल सरकार हर महीने लगभग 62 लाख लोगों को 1,600 रुपए की सामाजिक सुरक्षा पेंशन प्रदान करती है। इस घोटाले ने सरकारी तंत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता को रेखांकित किया है।

यह घटना न केवल सरकारी संस्थानों की नैतिकता पर सवाल खड़ा करती है। बल्कि यह भी दर्शाती है कि कमजोर वर्गों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए कड़ी निगरानी और पारदर्शी प्रक्रियाओं की कितनी आवश्यकता है। सरकार ने इस धोखाधड़ी को रोकने के लिए जो कदम उठाए हैं। वह अन्य राज्यों के लिए भी एक नजीर बन सकता है।

चीन में डॉक्टर, मोरक्को में मरीज: हजारों किलोमीटर की दूरी के बीच दुनिया की सबसे लंबी रिमोट सर्जरी कैसे की गई?

World’s Longest Remote Surgery: चीन में बैठे एक फ्रांसीसी डॉक्टर ने 12,000 किलोमीटर दूर मोरक्को में एक मरीज पर प्रोस्टेट कैंसर की सर्जरी की। लेकिन उन्होंने ऐसा कैसे कर दिया?

डॉक्टर ने सर्जरी करने के लिए चीन में बने रोबोट का इस्तेमाल किया है। 16 नवंबर को, यूनेस अहलल ने दो घंटे से भी कम समय में सर्जरी पूरी की है, जिसमें देरी सिर्फ 100 मिलीसेकंड थी। सिन्हुआ समाचार एजेंसी के मुताबिक, इस अंतरमहाद्वीपीय सर्जरी ने दुनिया की अब तक की सबसे लंबी रिमोट सर्जरी का रिकॉर्ड बनाया है, जिसकी राउंड-ट्रिप ट्रांसमिशन दूरी 30,000 किलोमीटर से ज्यादा है।

हजारों किलोमीटर की दूरी से सर्जरी कैसे की गई?

सर्जरी को तौमाई रोबोट की मदद से अंजाम दिया गया, जिससे वास्तविक समय में दूर से ही सटीक कंट्रोल और हाई-डेफिनिशन इमेजिंग की सुविधा मिली।

यह अभूतपूर्व प्रक्रिया अक्टूबर में गुर्दे की सिस्ट के लिए की गई सर्जरी के बाद आई है, जिसमें तौमाई रोबोट ने शंघाई और बेनिन के कोटोनौ के बीच 27,000 किलोमीटर की राउंड-ट्रिप दूरी के साथ न्यूनतम इनवेसिव ऑपरेशन में मदद की थी।

इस सर्जरी के दौरान मोरक्कों में रोबोट के हाथ चीन के शंघाई में बैठे डॉक्टर के निर्देश को फॉलो कर रहे थे और उस आधार पर मरीज का ऑपरेशन कर रहे थे। इस दौरान रोबोट ने प्रोस्टेट ट्यूमर को हटाने से लेकर टांके लगाने तक का काम असाधारण सटीकता के साथ किया, जबकि संवहनी-तंत्रिका बंडल के संरक्षण और मूत्रमार्ग की लंबाई को बनाए रखना भी सुनिश्चित किया।

5G टेक्नोलॉजी के बजाय स्टैंडर्ड ब्रॉडबैंड कनेक्शन पर निर्भर होने के बावजूद, वीडियो फीड बिल्कुल सही चल रही थी। अहल्ला ने समाचार एजेंसी को बताया, कि काफी ज्यादा कठिन और मुश्किल सर्जरी थी, लेकिन रोबोट ने बेहतरीन और सटीक तरीके से ऑपरेशन किया।

सबसे महत्वपूर्ण बात ये है, कि इस सफल ऑपरेशन के बाद, रिमोट सर्जरी का यह रूप दुनिया भर में कुशल सर्जनों तक पहुंच बढ़ा सकता है, जिससे रोगियों को विदेश यात्रा करने की जरूरत खत्म हो सकती है। यह वरिष्ठ सर्जनों को जटिल प्रक्रियाओं को संभालने में जूनियर सहयोगियों को दूर से गाइडलाइंस देने के लिए एक मंच भी प्रदान करता है।

क्या रिमोट सर्जरी एक सामान्य प्रोसेस होगा?

टौमाई रोबोट बनाने वाली कंपनी माइक्रोपोर्ट मेडबॉट के अध्यक्ष हे चाओ ने सिन्हुआ समाचार एजेंसी को बताया, कि यह रिमोट टेक्नोलॉजी “भविष्य की चिकित्सा सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए तैयार है।”

उन्होंने कहा, कि “हमारा लक्ष्य रिमोट सर्जरी को एक नियमित अभ्यास बनाना है।”

हाल के वर्षों में सर्जिकल रोबोट, चीनी टेक्नोलॉजी स्टार्टअप के लिए फोकस का एक प्रमुख क्षेत्र बनकर उभरे हैं। हाल ही में आई एक इंडस्ट्री रिपोर्ट के मुताबिक, चीन का सर्जिकल रोबोट बाजार 2026 तक 38.4 बिलियन डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है, जिसकी वार्षिक वृद्धि दर वैश्विक औसत के मुकाबले ज्यादा होगी।

चीन में 5G नेटवर्क के तेजी से विस्तार से रिमोट सर्जरी कॉमन होने की संभावना है, जिससे यह स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी व्यावहारिक होने की उम्मीद है। ही चाओ ने खुलासा किया, कि तौमाई रोबोट पहले से ही 250 से ज्यादा कामयाब 5G अल्ट्रा-लॉन्ग-डिस्टेंस सर्जरी में शामिल रहा है, जिसकी सफलता दर 100% है और कुल ट्रांसमिशन दूरी 400,000 किलोमीटर से ज्यादा है।

चीन के इंडस्ट्री और इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी के मुताबिक, अगस्त तक चीन में 4 मिलियन से ज्यादा 5G बेस स्टेशन थे।

मई में इस रोबोट को EU CE का सर्टिफिकेशन मिल गया है,जिसके बाद तौमाई रोबोट को अब यूरोलॉजी, सामान्य सर्जरी, थोरैसिक सर्जरी और स्त्री रोग संबंधी एंडोस्कोपी सहित विभिन्न सर्जरी में इस्तेमाल किया जा सकता है।

 

 

दुनिया की पहली ट्रांसकॉन्टिनेंटल रिमोट सर्जरी

इस साल की शुरुआत में, एक चीनी सर्जन ने दुनिया का पहला लाइव ट्रांसकॉन्टिनेंटल रिमोट रोबोटिक प्रोस्टेट रिमूवल करके इतिहास रच दिया था, यह ऑपरेशन बीजिंग में रहने वाले एक मरीज पर रोम में किया गया था।

साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, यह अभूतपूर्व टेलीसर्जरी, जिसमें 8,000 किमी की दूरी से सर्जरी की गई, वो इटली में सर्जिकल कंसोल को चीन में रोबोटिक आर्म्स से जोड़ने वाले 5G नेटवर्क और फाइबर-ऑप्टिक कनेक्शन के माध्यम से की गई। इस दौरान, सर्जन झांग जू ने इटली से प्रोस्टेटेक्टॉमी ऑपरेशन किया और एक मेडिकल टीम और एक बैकअप सर्जन, मरीज की मदद के लिए चीन में मौजूद थे। चीन में रोबोटिक भुजाओं ने कैंसरग्रस्त ऊतक को हटाने के लिए झांग द्वारा की गई हर मूवमेंट को फॉलो किया।

भारत में सर्जिकल सिस्टम ऑपरेशन

भारत ने भी अपना स्वदेशी सर्जिकल रोबोट सिस्टम, SSI मंत्र विकसित किया है, जिसे सुधीर श्रीवास्तव ने डिजाइन किया है। यह सिस्टम सर्जनों को रोबोटिक सर्जरी करने की अनुमति देता है, भले ही वे शारीरिक रूप से मरीज के करीब न हों। SSI मंत्र में पांच से ज्यादा अलग-अलग भुजाओं वाला एक मॉड्यूलर डिजाइन है, जो इसे हृदय शल्य चिकित्सा सहित जटिल प्रक्रियाओं के लिए बहुमुखी बनाता है।

श्रीवास्तव, जिन्होंने पहले दा विंची रोबोटिक सिस्टम पर काम किया था, वो एक ऐसा उपकरण बनाना चाहते थे जो भारत में किफायती और सुलभ दोनों हो, क्योंकि मौजूदा 90% सिस्टम अमेरिका और जापान में इस्तेमाल किए जाते हैं।

सुधीर श्रीवास्तव ने साल 2012 में भारत में पहला सर्जिकल रोबोट, एसएसआई मंत्र विकसित करना शुरू किया था और कामयाब रहे थे।

 

लेबनान में युद्धविराम के बाद लौटने लगे विस्थापित, जानिए इजराइल-हिज्बुल्लाह युद्ध थमने के बाद कैसे हैं हालात?

Lebanon Ceasefire: इजराइल और हिज्बुल्लाह के बीच युद्धविराम की घोषणा के बाद अब लेबनान के लोगों ने शांति की उम्मीद लगानी शुरू कर दी और अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइली बमबारी के बीच जिन लोगों ने अपना घर छोड़ दिया था, वो अब अपने घरों को लौटने लगे हैं।

लेबनान में अब शांति है और पिछले कुछ महीनों से जहां लगातार बम धमाके हो रहे थे, इजराइली फाइटर जेट्स की उड़ानों की जो आवाज सुनी जा रही थी, वो थम गये हैं और युद्ध का शोर थमते ही, दक्षिणी लेबनान में लोगों को अपने घरों की तरफ लौटते देखा जा सकता है।

बुधवार की सुबह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने लेबनान में युद्धविराम का ऐलान किया था, जिसका भारत ने स्वागत किया है।

लेबनानी सेना ने भी जल्दी से घोषणा की है, कि वह उन क्षेत्रों की तरफ जाने की तैयारी कर रही है, जिन इलाकों में इजराइली सेना ने आक्रमण किया था और जहां से वो अब बाहर निकल रहे हैं। इसके अलावा, लेबनाने ने यूनाइटेड नेशंस के संकल्प 1701 के तहत “अपने मिशन को अंजाम देने” की तैयारी कर रही है।

आपको बता दें, कि 2006 के संकल्प का सम्मान करने की प्रतिज्ञा, जिसके मुताबित हिज्बुल्लाह को इजराइल की सीमा से 40 किलोमीटर दूर जाना होगा, वो इस युद्धविराम समझौते के केंद्र में है।

हालांकि, लेबनानी सेना ने अभी लोगों से अपील की है, कि वे इजराइली सेना के वापस जाने तक अग्रिम पंक्ति के गांवों में न लौटें। लेकिन अल जजीरा ने कहा है, कि नागरिकों का एक बड़ा समूह घर की ओर बढ़ रहा है।

इजराइली हमलों में तबाह हो चुका है लेबनान

दक्षिणी लेबनान के भूमध्यसागरीय तटीय शहर सिडोन से रिपोर्टिंग करते हुए, अल जजीरा की जेना खोडर ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, कि युद्ध विराम के जारी रहने के संकेत के साथ, हजारों लोग अपने घर की ओर लौट रहे हैं।

उन्होंने कहा, कि कुछ लोग “विजय” का चिन्ह लहरा रहे हैं, क्योंकि कई लोगों के लिए घर वापसी अपने आप में एक जीत है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या सभी क्षेत्रों तक पहुंच संभव होगी, क्योंकि इजराइली सेना का कहना है, कि उसके बल अभी भी कुछ हिस्सों में काम कर रहे हैं और सेना को लेबनान से निकलने के आदेश अभी भी दिए जा रहे हैं।

खोदर ने बताया है, कि लेबनान में राहत की भावना आ गई है, लेकिन लोगों के अंदर उम्मीद अभी भी कम है और लोगों को डर है, कि यह अभी भी एक बहुत ही नाजुक युद्धविराम है”।

इस युद्ध विराम के तहत, लेबनानी सेना को अगले 60 दिनों में लिटानी नदी के दक्षिण में तैनात होना होग, जो देश का दक्षिणी क्षेत्र है जो इजराइल की सीमा से लगा हुआ क्षेत्र है। इजराइली सैनिक धीरे-धीरे पीछे हटेंगे और हिज्बुल्लाह भी इस क्षेत्र से पीछे हट जाएगा।

हालांकि रिपोर्ट्स बताती हैं कि युद्ध विराम जारी है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।

मंगलवार देर रात समझौते को मंजूरी देने वाली इजराइल की सरकार ने इस बात पर जोर दिया है, कि अगर शर्तों का सम्मान नहीं किया जाता है तो वह और हमले करेगी।

वहीं, बुधवार को, इजराइली सेना ने बताया कि उसने “लेबनानी क्षेत्र में आवाजाही के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र में कई संदिग्धों के साथ एक वाहन की पहचान की है।”

बयान में कहा गया है, कि उसके सैनिकों ने “उन्हें आगे बढ़ने से रोकने के लिए गोलीबारी की, और संदिग्ध क्षेत्र छोड़कर भाग गए।”

इजराइल ने भी सुबह 4 बजे (02:00 GMT) युद्धविराम की शुरुआत से पहले के घंटों में लेबनान पर हमलों की एक नई लहर चलाई, जिसमें उसके युद्धक विमानों ने सीरिया के साथ देश की सीमा पार करने वाली चौकियों पर भारी बमबारी की। इजराइल के मुख्य सहयोगी अमेरिका ने भी सीरिया में एक अज्ञात स्थान पर बमबारी की, जिसमें कहा गया, कि उसने “ईरान-गठबंधन” सशस्त्र समूह के हथियारों के भंडार को निशाना बनाया।

हिज्बुल्लाह के समर्थक ईरान ने बुधवार को युद्धविराम की खबर का स्वागत किया। विदेश मंत्रालय ने तेहरान के ”
“लेबनानी सरकार, राष्ट्र और प्रतिरोध के लिए मजबूत समर्थन” जताया है।

अब गाजा पर फिर इजराइल का फोकस!

लेबनान में युद्ध विराम से गाजा पट्टी की तरफ फिर से दुनिया का ध्यान खींचा है, जहां अक्टूबर 2023 हमास के हमले के बाद इजराइल ने युद्ध शुरू किया था। गाजा पट्टी अब पूरी तरह से तबाह हो चुका है और लाखों लोग विस्थापित हैं।

इजराइली सेना ने घेरे हुए इलाके पर अपना हमला जारी रखा है। अल जजीरा के संवाददाताओं ने कहा है, कि बुधवार को गाजा शहर में विस्थापित लोगों के लिए बने अल-तबीन स्कूल आश्रय पर हुए हमले में कई लोगों के मारे जाने की खबर है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है, कि वह गाजा में युद्ध विराम के लिए “एक और प्रयास” करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इस बात के बहुत कम संकेत हैं, कि फिलहाल कोई कामयाबी मिल पाएगी।

हमास ने अभी तक लेबनान समझौते पर आधिकारिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन पहले उसने कहा था कि अगर इजराइली सेना एन्क्लेव से हट जाती है, लोगों को उनके घरों में लौटने की अनुमति दी जाती है और अधिक मानवीय सहायता स्वीकार की जाती है, तो वह युद्ध विराम के लिए तैयार है।

लेकिन इजराइल ने उन शर्तों को खारिज कर दिया है, और जोर देकर कहा है, हमास जब तक बंधक बनाए गये 100 से ज्यादा लोगों को रिहा नहीं करता है, तब तक युद्धविराम जैसी बात नहीं होगी।

Israel-Lebanon Ceasefire: भारत ने इजराइल-हिज्बुल्लाह युद्धविराम का किया स्वागत, जानिए क्या बोली दिल्ली?

 

Israel-Lebanon Ceasefire: भारत ने बुधवार सुबह से शुरू हुए इजराइल और लेबनान के बीच संघर्ष विराम का स्वागत किया है। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया है, कि उसने “हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है।”

भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है, कि “हम इजराइल और लेबनान के बीच घोषित किए गए संघर्ष विराम का स्वागत करते हैं। हमने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। हमें उम्मीद है कि इन घटनाक्रमों से क्षेत्र में शांति और स्थिरता आएगी।”

वहीं, युद्ध विराम के बारे में बोलते हुए, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा, कि युद्धविराम कितने दिनों तक चलेगा, ये लेबनान में क्या होता है, इसपर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, “हम समझौते को लागू करेंगे और किसी भी उल्लंघन का जोरदार तरीके से जवाब देंगे। हम जीत तक एकजुट रहेंगे।”

लेबनान में युद्ध, हमास की तरफ से 7 अक्टूबर 2023 को दक्षिणी इजराइल पर किए गये हमले के ठीक एक दिन बाद शुरू हुआ था, जब हिज्बुल्लाह ने गाजा पट्टी पर इजराइल की जवाबी कार्रवाई के बाद उत्तरी इजराइल में रॉकेट दागना शुरू कर दिया। लेबनानी समूह ने कहा था, कि वह फिलिस्तीनी समूह हमास के समर्थन में तब तक हमले करता रहेगा, जब तक इजराइल गाजा पट्टी में हमले करना बंद नहीं करेगा।

इजराइली प्रधानमंत्री ने युद्ध विराम समझौते के लिए तीन कारण गिनाए हैं:-

1- पहला कारण ईरानी खतरे पर ध्यान केंद्रित करना था, लेकिन वह इसका विस्तार नहीं करना चाहते हैं।

2- उनका दूसरा सुझाव था कि सेना को युद्ध विराम दिया जाए और स्टॉक को फिर से भरा जाए। उन्होंने कहा, कि “मैं खुले तौर पर कहता हूं, यह कोई रहस्य नहीं है कि हथियारों और युद्ध सामग्री की डिलीवरी में बड़ी देरी हुई है। ये देरी जल्द ही हल हो जाएगी। हमें एडवांस हथियारों की आपूर्ति मिलेगी, जो हमारे सैनिकों को सुरक्षित रखेगी और हमें अपना मिशन पूरा करने के लिए ज्यादा स्ट्राइक फोर्स देगी।”

3- उन्होंने कहा कि युद्ध विराम का तीसरा कारण, मोर्चों को अलग करना और हमास को अलग-थलग करना है। उन्होंने कहा, कि “युद्ध के दूसरे दिन से ही हमास, हिज्बुल्लाह पर भरोसा कर रहा था कि वह उसके साथ लड़ेगा। हिज्बुल्लाह के युद्ध से बाहर होने के बाद हमास अकेला हो गया है। हम हमास पर अपना दबाव बढ़ाएंगे और इससे हमें अपने बंधकों को रिहा करने के पवित्र मिशन में मदद मिलेगी।”

कनाडा, चीन और मैक्सिको के बाद भारत का नंबर? डोनाल्ड ट्रंप के ‘व्यापार युद्ध’ का आपके ऊपर क्या होगा असर?

Donald Trump Tariff War: अगले साल जनवरी में राष्ट्रपति पद की शपथ लेने से पहले डोनाल्ड ट्रंप ने एक सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए कनाडा, मैक्सिको और चीन के खिलाफ भारी-भरकम टैरिफ लगाने की बात कही है, जिसने तीनों देशों को परेशान कर दिया है।

रॉयटर्स के एक पोल से पता चला है, कि नई अमेरिकी सरकार अगले साल चीन से सामानों के आयात पर लगभग 40% टैरिफ लगा सकती है। हालांकि, चीन ने ट्रंप के टैरिफ युद्ध से निपटने के लिए अपनी कंपनियों को भारी-भरकम फंड देने का फैसला किया है, लेकिन कनाडा और मैक्सिको, जिनकी आर्थिक स्थिति सही नहीं है, उनके लिए मुश्किलें काफी हैं।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर घोषणा की है, कि वह मैक्सिको और कनाडा से सभी आयातों पर 25% टैरिफ लगाएंगे। इसके अलावा, चीनी वस्तुओं पर 10% अतिरिक्त टैरिफ लगेगा, जब तक कि बीजिंग अमेरिका में सिंथेटिक ओपिओइड फेंटेनाइल की तस्करी को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाता है।

मैक्सिको, चीन और कनाडा पर अमेरिकी टैरिफ क्या हैं?

रॉयटर्स पोल के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप, चीनी वस्तुओं पर 60% टैरिफ लगाने से परहेज करेंगे। जनवरी में पदभार ग्रहण करने वाले ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान ‘अमेरिका फर्स्ट’ व्यापार उपायों के पैकेज के हिस्से के रूप में चीनी आयात पर भारी टैरिफ लगाने का वादा किया था, जिससे बीजिंग में बेचैनी पैदा हुई और चीन के लिए विकास जोखिम बढ़ गया है।

धमकी दी गई है, टैरिफ दरें ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान चीन पर लगाए गए 7.5%-25% से बहुत ज्यादा हैं, जबकि अर्थव्यवस्था भी लंबे समय तक संपत्ति की मंदी, ऋण जोखिम और कमजोर घरेलू मांग को देखते हुए बहुत अधिक कमजोर स्थिति में है।

13-20 नवंबर के रॉयटर्स पोल से पता चला है, कि मुख्य भूमि चीन के अंदर और बाहर दोनों जगह एक मजबूत बहुमत को उम्मीद है कि ट्रंप अगले साल की शुरुआत में टैरिफ लगाएंगे, जिसका औसत अनुमान 38% है। वहीं, कई लोगों का मानना है, कि टैरिफ 15% से 60% तक हो सकता है।

नए अमेरिकी टैरिफ चीन की 2025 की आर्थिक वृद्धि को लगभग 0.5%-1.0% प्रतिशत अंक तक प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि, रॉयटर्स पोल में शामिल ज्यादातर अर्थशास्त्रियों ने इस वर्ष और 2025 के लिए अपने औसत विकास पूर्वानुमानों को क्रमशः 4.8% और 4.5% पर बनाए रखा है, जो अमेरिकी चुनावों से पहले किए गए अनुमानों के लगभग समान है। 2026 में चीन का ग्रोथ रेट और धीमी होकर 4.2% रहने की उम्मीद है।

ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा को भी टेंशन में डाल दिया है। उन्होंने घोषणा की है, कि “अवैध अप्रवास जैसी समस्या का अगर हल नहीं किया गया, तब तक उनके उत्पादों पर 25% टैरिफ लागू रहेगा।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इन मुद्दों को संबोधित करना 20 जनवरी को पदभार ग्रहण करने के बाद उनकी पहली कार्यकारी कार्रवाइयों में से एक होगी।

इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट (EIU) के मुताबिक, मैक्सिको, चीन और कनाडा, अमेरिका के तीन सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार हैं, जो ट्रंप की प्रस्तावित नीतियों के कारण सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं। ईआईयू ने भारत को उन देशों की सूची में आठवें स्थान पर रखा है, जिन्हें ट्रंप के राष्ट्रपति पद के दौरान व्यापार चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

चीन और अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर प्रभाव

अमेरिकी टैरिफ का तत्काल प्रभाव ये होगा, कि कनाडा, मैक्सिको और चीन की कंपनियों के लिए अमेरिका को माल निर्यात करनाक महंगा हो जाएगा, जिससे उनकी इनकम में कमी आएगी। और आशंका ये है, कि ये कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स की कीमत को बढ़ा सकते हैं, जिसका असर आम ग्राहकों पर पड़ेगा, क्योंकि कीमतें बढ़ सकती हैं।

टैरिफ के कारण मैक्सिको की ऑटो इंडस्ट्री को नुकसान हो सकता है। मध्य अमेरिकी देश होंडा, निसान, टोयोटा, माजदा और किआ के साथ-साथ कई चीनी ऑटो पार्ट आपूर्तिकर्ताओं के मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स का घर है।

वहीं, फॉक्सकॉन, एनवीडिया, लेनोवो और एलजी जैसी एशियाई टेक कंपनियां, जिन्होंने कारखानों और अन्य सेवाओं के साथ मैक्सिको में अपना विस्तार किया है, वे भी गंभीर तौर पर प्रभावित होंगी। कनाडाई चैंबर ऑफ कॉमर्स के पिछले अनुमानों का हवाला देते हुए, कनाडाई मीडिया ने बताया है, कि 10% टैरिफ से भी कनाडा को हर साल 21 बिलियन डॉलर का आर्थिक नुकसान हो सकता है। अमेरिका को कनाडा मुख्य रूप से पेट्रोलियम, गैस और गाड़ियों का निर्यात करता है।

हांगकांग में नेटिक्सिस में एशिया प्रशांत क्षेत्र के वरिष्ठ अर्थशास्त्री गैरी एनजी ने अल जजीरा से अमेरिकी केंद्रीय बैंक का हवाला देते हुए कहा, “शुल्कों के कारण अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है, जिसका मतलब है कि फेड के लिए दरों में कटौती करना कठिन हो जाएगा।” वाशिंगटन में चीन के दूतावास ने कहा, कि व्यापार युद्ध से किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होगा। प्रवक्ता लियू पेंगयु ने एक बयान में कहा, “चीन पर अमेरिकी शुल्क के मुद्दे पर, चीन का मानना ​​है कि चीन-अमेरिका आर्थिक और व्यापार सहयोग प्रकृति में पारस्परिक रूप से लाभकारी है।”

भारत पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

अब तक, डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय सामानों पर टैरिफ लगाने की कोई बात नहीं की है, लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है, कि अगला नंबर भारत का हो सकता है। ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत को “बहुत बड़ा व्यापार दुर्व्यवहारकर्ता” कहा था। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और अगर भारत पर भी टैरिफ लगता है, तो भारतीय निर्यात पर गंभीर असर पड़ेगा।

हालांकि, चीनी सामानों पर टैरिफ लगाने से चीनी निर्यात पर तो गंभीर असर पड़ेगा ही, लेकिन बर्नस्टीन द्वारा किए गए शोध से पता चलता है, कि चीनी सामनों पर लगे टैरिफ का भारत को केवल सीमित लाभ ही मिल सकता है। इसके बजाय, भारत को नए टैरिफ दबावों का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के व्यापार विवादों पर फिर से विचार करने का संकेत दिया है।

भारत अमेरिका को 75 अरब डॉलर का सामान निर्यात करता है।

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के मुताबिक, अगर ट्रंप प्रशासन चीन पर टैरिफ लगाता है, तो चीन को अपने सामानों, जैसे EV, बैटरी और टेक्नोलॉजिकल गुड्स को भारत में बेचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। इसने कहा है, कि चीनी फेस मास्क, सीरिंज और सुई, मेडिकल दस्ताने और प्राकृतिक ग्रेफाइट पर अमेरिकी टैरिफ, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मौका बनाते हैं।

शोध रिपोर्ट में कहा गया है, कि “इन मांग वाले उत्पादों के उत्पादन और निर्यात को बढ़ाकर, भारत अमेरिकी बाजार में अपने कारोबार को बढ़ा सकता है।” इसने कहा कि भारत को EV और सेमीकंडक्टर जैसे उत्पादों पर कोई निर्यात लाभ नहीं मिल सकता है, क्योंकि भारत इन उत्पादों का शुद्ध आयातक है।

नई दिल्ली EV में निवेश आकर्षित करने के लिए अपना काम कर रही है। पिछले महीने, सरकार ने इस क्षेत्र के लिए एक नई नीति का अनावरण किया है, जिसमें कुछ मॉडलों पर आयात करों को 100% से घटाकर 15% कर दिया गया, लेकिन इसके लिए शर्त ये है, कि यदि कोई निर्माता कम से कम $500 मिलियन का निवेश भारत में करता है और एक कारखाना भी स्थापित करता है।

जीटीआरआई के अजय श्रीवास्तव ने कहा, “अमेरिका और यूरोपीय संघ (EU) चीन पर निर्भरता कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा रहे हैं। चीन से निर्यात में ठहराव और आयात में वृद्धि के साथ, भारत को भी चीन को लेकर नीति की जरूरत हो सकती है।”

वित्त वर्ष 2024 में, चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार कुल 118.4 बिलियन डॉलर था, जिसमें आयात 3.24% बढ़कर 101.7 बिलियन डॉलर और निर्यात 8.7% बढ़कर 16.67 बिलियन डॉलर हो गया।

इसके विपरीत, भारत और अमेरिका के बीच व्यापार में मामूली गिरावट देखी गई। वित्त वर्ष 24 में दोनों तरफ का व्यापार कुल 118.3 बिलियन डॉलर रहा, जिसमें भारतीय निर्यात 1.32% घटकर 77.5 बिलियन डॉलर और आयात 20% घटकर 40.8 बिलियन डॉलर रह गया। जनवरी में जब ट्रंप सत्ता संभालेंगे, तो भारत समेत अमेरिका के व्यापारिक साझेदार उनकी नीतियों के संभावित नतीजों के लिए तैयार रहेंगे।

Manipur: मणिपुर में लापता युवक की तलाशी के लिए सेना का अभियान तेज, ड्रोन और ट्रैकर डॉग्स तैनात

Manipur: मणिपुर के थौबल जिले में एक 22 वर्षीय युवक के लापता होने की घटना ने पूरे राज्य में सनसनी फैला दी है। युवक की गुमशुदगी के बाद से मणिपुर पुलिस और भारतीय सेना ने एक व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। ड्रोन, ट्रैकर डॉग्स और आधुनिक तकनीक का उपयोग कर लापता युवक की खोज जारी है।

क्या है पूरा मामला

19 नवंबर 2024 को युवक अचानक लापता हो गया। जिसके बाद उसके परिवार और स्थानीय लोगों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए थौबल पुलिस और सेना ने एक विशेष अभियान शुरू किया है।

युवक की गुमशुदगी के पीछे किसी आपराधिक साजिश की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा है। स्थानीय सूत्रों का कहना है कि युवक आखिरी बार गांव के पास एक खेत में देखा गया था।

सेना और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई

ड्रोन और ट्रैकर डॉग्स का उपयोग कर तलाशी अभियान में क्षेत्र के घने जंगलों और दुर्गम स्थानों की जांच के लिए मदद ली जा रही है। ट्रैकर डॉग्स को घटनास्थल के आसपास खोजबीन के लिए लगाया गया है। सेना ने अपनी सर्च एंड रेस्क्यू टीम और स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर क्षेत्र में जांच शुरू की है।तलाशी अभियान में स्थानीय नागरिकों और स्वयंसेवकों की मदद भी ली जा रही है।

सेना का आधिकारिक बयान

भारतीय सेना ने एक आधिकारिक बयान में कहा है कि हम लापता युवक को जल्द से जल्द ढूंढने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। तलाशी अभियान में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है और हमारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं।

स्थानीय प्रशासन की भूमिका

मणिपुर सरकार और स्थानीय प्रशासन ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग जैसे तकनीकी उपायों का सहारा लिया है। प्रशासन ने जनता से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की जानकारी तुरंत साझा करने की अपील की है।

स्थानीय जनता में चिंता

इस घटना ने मणिपुर के थौबल जिले में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है। स्थानीय लोगों ने युवक की सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। कई जगह प्रदर्शन और विरोध भी हुए। जिनमें प्रशासन से जल्द से जल्द कार्रवाई करने की मांग की गई।

पहले की घटनाओं से जुड़ी आशंकाएं

मणिपुर हाल के महीनों में सामाजिक अशांति और तनाव का सामना कर रहा है। लापता युवक की घटना ने फिर से राज्य में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना को मानव तस्करी या आपराधिक गतिविधियों से जोड़कर भी देखा जा रहा है।

मणिपुर के थौबल जिले में लापता युवक की तलाश में सेना और पुलिस का व्यापक अभियान जारी है। ड्रोन, ट्रैकर डॉग्स और विशेषज्ञ टीमों की मदद से तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है।

राज्य प्रशासन और सेना के समर्पित प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही युवक का पता लगाया जाएगा और उसके परिवार को राहत मिलेगी। मणिपुर की जनता इस मामले में सरकार और सुरक्षा एजेंसियों से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद कर रही है।

14 साल बाद खुद ललित मोदी ने बताया क्यों छोड़ा भारत? करप्शन नहीं ये थी असली वजह, मिले थे बस 12 घंटे

Lalit Modi News: इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के फाउंडर ललित मोदी ने 2010 में भारत से अचानक बाहर निकलने के बारे में बड़ी जानकारी शेयर की है। 14 साल बाद ललित मोदी ने देश छोड़ने को लेकर बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि करप्शन नहीं बल्कि जान के खतरे के चलते उनको देश छोड़ना पड़ा।

उनका दावा है कि अंडरवर्ल्ड के सरगना दाऊद इब्राहिम की धमकियों की वजह से उन्हें भारत से भागना पड़ा। ललित मोदी ने खुलासा किया कि उन्होंने 2010 में कानूनी परेशानियों के कारण नहीं, दाऊद की वजह से देश छोड़ा। मोदी ने कहा कि उनका जाना कानूनी मुद्दों के कारण नहीं था, बल्कि भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके सख्त रुख के कारण था, जिसके कारण उन्हें निशाना बनाया गया।

‘मुझे सबसे पहले धमकी दी, क्योंकि मैं…’

राज शमनी के पॉडकास्ट फिगरिंग आउट में अपनी मौजूदगी के दौरान ललित मोदी ने आईपीएल में अपने सामने आने वाली धमकियों और भ्रष्टाचार विरोधी प्रयासों के बारे में खुलकर बताया। उन्होंने कहा, “जब मुझे जान से मारने की धमकी मिली तो मैंने देश छोड़ दिया। शुरू में कोई कानूनी मामला नहीं था। दाऊद इब्राहिम ने आईपीएल-1 के बाद मुझे सबसे पहले धमकी दी, क्योंकि मैं भ्रष्टाचार विरोधी था। मैंने किसी को भी ऐसा करने की अनुमति नहीं दी। मैं एक बहुत सख्त भ्रष्टाचार विरोधी कमिश्नर था।”

मोंटेनेग्रो में मुझ पर हमला हुआ-ललित मोदी

ललित मोदी ने दक्षिण अफ्रीका, थाईलैंड और मोंटेनेग्रो जैसे देशों में अपनी हत्या के कई प्रयासों का जिक्र किया। उन्होंने कहा, “छोटा शकील पहले ही रिकॉर्ड पर जा चुका है और लाइव इंटरव्यू दे चुका है कि उन्होंने मेरे साथ मुद्दों को सुलझा लिया है। लेकिन मोंटेनेग्रो में मुझ पर हमला हुआ। मेरे बेटे का ब्रिटेन में अपहरण भी हो गया। उन्होंने बड़ी रकम की पेशकश की। इतनी रकम कि आप मना नहीं कर सकते। मैंने मना कर दिया। मैं खेल से बाहर हो गया। 2010 में जब मैं गया, तो भ्रष्टाचार शुरू हो गया।”

सिर्फ मिले 12 घंटे

अपने जाने के नाटकीय घटनाक्रम के बारे में बताते हुए मोदी ने कहा कि उन्हें आसन्न हमले की चेतावनी दी गई थी।उन्होंने कहा, “विमान में मेरे निजी अंगरक्षक ने मुझे हवाई अड्डे के पीछे के प्रवेश द्वार का उपयोग करने के लिए कहा। पुलिस उपायुक्त हिमांशु रॉय वहां थे। उन्होंने मुझसे कहा, ‘ललित, हम अब तुम्हारी सुरक्षा नहीं कर सकते। हमें केंद्र से आदेश मिले हैं। तुम पर हमला होगा, और हम तुम्हें केवल अगले 12 घंटों तक ही सुरक्षा दे सकते हैं।’

‘मेरे काफिले के पीछे मीडिया भी था’

मोदी के अनुसार, चेतावनी के कारण उनके पास उस रात देश छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। “मुझे उस रात देश छोड़ना था। सत्ता में बैठे लोगों ने यह तय कर लिया था, कांग्रेस के लोगों को छोड़कर बाकी सभी लोग इसमें शामिल थे। हमें मुझे बिना मारे बाहर निकालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। तो मैं हवाई अड्डे के लिए निकल पड़ा। मेरे काफिले के पीछे मीडिया भी था।”

उन्होंने आगे कहा, “इसलिए मेरा काफिला मुंबई के फोर सीजन होटल के गैरेज से मेरी तरह कपड़े पहने किसी व्यक्ति के साथ एक दिशा में निकल गया और ताज की ओर चला गया, और मेरे एक मित्र ने मुझे बिना नाम बताए उठाया – वह अभी भी भारत में है – और हमारे एक राजनीतिक मित्र ने मुझे उठाया जो उस समय केंद्र सरकार में मंत्री थे। (वह) गठबंधन का हिस्सा थे। (उन्होंने) मुझे रेंज रोवर के पीछे बिठाया, और मैं हवाई अड्डे से चला गया।”

‘मैं भगोड़ा नहीं था, लेकिन मेरी जान को खतरा था’

महावाणिज्यदूत के रूप में अपने मानद प्रमाण-पत्रों का उपयोग करते हुए, मोदी ने पुलिस जांच को दरकिनार कर दिया। “मेरे पास एक देश के मानद परिषद जनरल होने के वीआईपी प्रमाण-पत्र भी थे। इसलिए मैं पुलिस जांच से गुजरे बिना आव्रजन से गुजर सकता था, जो मैंने किया। और मुझे विमान में चढ़ने की अनुमति दी गई। उस समय तक मेरे खिलाफ एक भी मामला नहीं था। मैं भगोड़ा नहीं था, लेकिन मेरी जान को खतरा था।”

Chennai Rains: बारिश की चेतावनी के बीच IndiGo ने जारी की एडवाइजरी, चेक करें कौन सी फ्लाइट होगी बाधित

IndiGo Travel Advisory: इंडिगो एयरलाइंस ने खराब मौसम के कारण चेन्नई, तूतीकोरिन और मदुरै से आने-जाने वाली उड़ानों में व्यवधान के कारण यात्रा सलाह जारी की है। एयरलाइन ने यात्रियों के धैर्य के लिए उनका आभार व्यक्त किया और चुनौतियों के शीघ्र समाधान की उम्मीद जताई।

एयरलाइन ने एक्स पर जारी किए बयान में कहा, “#6ETravelAdvisory: खराब मौसम के कारण चेन्नई, तूतीकोरिन और मदुरै से आने-जाने वाली उड़ानें प्रभावित हो रही हैं, जबकि तिरुचिरापल्ली और सलेम पर भी असर पड़ सकता है।”

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने खुलासा किया कि बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम में बना एक गहरा दबाव क्षेत्र 10 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से उत्तर की ओर बढ़ रहा है। मंगलवार को 11:30 PM IST तक, यह सिस्टम अक्षांश 7.5°N और देशांतर 82.6°E के पास, त्रिंकोमाली से लगभग 190 किमी दक्षिण-पूर्व, नागपट्टिनम से 470 किमी दक्षिण-पूर्व, पुडुचेरी से 580 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व और चेन्नई से 670 किमी दक्षिण-दक्षिणपूर्व में केंद्रित था।

IMD का अनुमान है कि यह सिस्टम बुधवार तक एक चक्रवाती तूफान में बदल सकता है और अगले दो दिनों में उत्तर-पश्चिम की ओर तमिलनाडु तट की ओर बढ़ सकता है।

मौसम संबंधी चेतावनियां

आईएमडी ने तमिलनाडु के लिए कई अलर्ट जारी किए हैं, जिसमें 26 नवंबर को तीन केंद्रीय जिलों में अत्यधिक भारी वर्षा के लिए रेड अलर्ट और 27 नवंबर को दो जिलों के लिए रेड अलर्ट शामिल है। चेन्नई में 27 नवंबर से 29 नवंबर तक भारी वर्षा के लिए येलो अलर्ट घोषित किया गया है, जबकि कांचीपुरम, तिरुवल्लूर और चेंगलपट्टू जिले 27 नवंबर से 30 नवंबर तक येलो और ऑरेंज अलर्ट के तहत हैं। चेन्नई के उपनगरीय इलाकों में भी बारिश की खबरें हैं।

आईएमडी ने 27 नवंबर को तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल में कई स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश, कभी-कभी गरज और बिजली के साथ बारिश की भविष्यवाणी की है। 28 नवंबर को तमिलनाडु के तटीय क्षेत्रों और आंतरिक कुछ इलाकों में कई जगहों पर बारिश होने की संभावना है।

तमिलनाडु के कई हिस्सों में बारिश

चेन्नई में क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र (आरएमसी) की ओर से मंगलवार को पुष्टि की गई कि दबाव क्षेत्र गहरा हो गया है और बुधवार तक चक्रवाती तूफान में तब्दील होने की संभावना है। मंगलवार सुबह से ही चेन्नई और उसके आसपास के इलाकों में व्यापक बारिश देखी गई है। गुरुवार, 28 नवंबर तक के पूर्वानुमान में रुक-रुक कर भारी बारिश हुई है। चेन्नई क्षेत्रीय मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक एस. बालचंद्रन ने एएनआई को दिए एक बयान में कहा, “कल का दबाव क्षेत्र गहरा हो गया है। इसके चक्रवाती तूफान में तब्दील होने और तमिलनाडु तट की ओर उत्तर की ओर बढ़ने की संभावना है।”

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