पाकिस्तान बना ‘कंटेनरिस्तान’, जेल से पाकिस्तान का राजनीतिक एजेंडा कैसे चला रहे हैं इमरान खान?

Imran Khan Pakistan Protest: इमरान खान के समर्थक लगातार इस्लामाबाद पहुंच रहे हैं। हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी में दाखिल हो चुके हैं और हजारों रास्ते में हैं, लिहाजा शहबाज शरीफ की सरकार ने इस्लामाबाद में एक तरह से लॉकडाउन लगा दिया है।

और यह सब इमरान खान की वजह से है। पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री के हजारों समर्थक जेल से उनकी रिहाई की मांग को लेकर राजधानी की ओर कदम से कदम मिलाकर मार्च कर रहे हैं। इमरान खान की पार्टी PTI ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से दर्जनों ऐसे वीडियो पोस्ट किए हैं, जिसमें इमराम समर्थकों को राजधानी की तरफ मार्च करते हुए देखा जा रहा है।

Imran Khan Pakistan Protest

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन रविवार को शुरू हुआ और ये तेजी से बढ़ रहा है। इमरान खान की पार्टी उस वक्त प्रदर्शन कर रही है, जब बेलारूस के राष्ट्रपति 78 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्लामाबाद पहुंचे हैं, लिहाजा इमरान समर्थकों का प्रदर्शन, सरकार के लिए परेशानी का सबब बन चुका है। इससे पहले इमरान समर्थकों ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान भी प्रदर्शन करने के लिए इस्लामाबाद मार्च करने की घोषणा की थी, लेकिन बाद में सरकार के साथ उनका समझौता हो गया और वो बाद में रैली करने के लिए तैयार हो गये और अब उनका प्रदर्शन चल रहा है।

पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी मीडिया से बात करते हुए कहा है, कि ‘प्रदर्शन का नेतृत्व करने वाली बुशरा बीबी, जो इमरान खान की पत्नी हैं, उन्हें ताकत का अहसास हो रहा है और वो खून के गंध की खूशबू सूंघ सकती हैं।’

 

 

इमरान खान के समर्थकों की मांगें क्या हैं?

इमरान खान पिछले साल अगस्त से जेल में हैं और 2022 में संसद द्वारा सत्ता से बाहर किए जाने के बाद से उन पर भ्रष्टाचार से लेकर हिंसा भड़काने तक के सौ से ज्यादा मामले दर्ज किए गये हैं।

डॉन के मुताबिक, इमरान खान ने 13 नवंबर को अपने समर्थकों से “अंतिम आह्वान” विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का आग्रह किया था। खान ने अपने समर्थकों से “चोरी किए गए जनादेश, अन्यायपूर्ण गिरफ्तारियों” और जिसे उन्होंने तानाशाही शासन कहा, उसके खिलाफ प्रदर्शन करने की अपील की। पीटीआई की मांगों में इमरान खान सहित उसके सभी नेताओं की रिहाई और मौजूदा सरकार का इस्तीफा शामिल है, क्योंकि उसका कहना है, कि इस साल चुनाव में धांधली हुई है। बीबीसी के अनुसार, विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व उनकी पत्नी बुशरा बीबी कर रही हैं।

बुशरा बीबी को जनवरी में इमरान खान के साथ जेल भेजा गया था, लेकिन अक्टूबर के अंत में उन्हें जमानत दे दी गई।

पाकिस्तान की राजधानी में रविवार को विरोध प्रदर्शनों से पहले सुरक्षा के लिहाज से नाकेबंदी कर दी गई थी।

सरकार ने इस्लामाबाद की ओर जाने वाले राजमार्गों को ब्लॉक कर दिया है, जिसके माध्यम से इमरान खान के समर्थक, उनकी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पार्टी के सदस्यों के नेतृत्व में, शहर की ओर बढ़ने और संसद के पास इकट्ठा होने की कोशिश कर रहे हैं।

इस्लामाबाद जाने वाली करीब करीब सभी रास्तों को शिपिंग कंटेनरों का उपयोग करके ब्लॉक कर दिया गया है और पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों की बड़ी टुकड़ियां दंगा-रोधी गियर में तैनात की गई हैं।

पाकिस्तान में मोबाइल फोन सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं और तमाम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स बंद कर दिए गये हैं। देश में एक्स (ट्विटर) पहले से ही बंद है।

डॉन के मुताबिक, प्रदर्शनकारियों और देश भर से आए पीटीआई के काफिले के मार्ग को बाधित कर दिया गया है, जो राजधानी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं। इस्लामाबाद पुलिस ने एक बयान में कहा कि कानूनी प्रावधानों के तहत किसी भी तरह के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

वैश्विक इंटरनेट निगरानी संस्था नेटब्लॉक्स ने एक्स पर कहा, कि लाइव मेट्रिक्स से पता चला है कि विरोध प्रदर्शनों से पहले व्हाट्सएप मैसेजिंग सेवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इमरान खान के एक प्रमुख सहयोगी अली अमीन गंदापुर, जो खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के मुख्यमंत्री हैं और उनसे इस्लामाबाद में सबसे बड़े काफिले का नेतृत्व करने की उम्मीद है, उन्होंने लोगों से शहर के रेड जोन के प्रवेश द्वार के पास इकट्ठा होने का आह्वान किया, जिसे “डी चौक” के रूप में जाना जाता है।

इस्लामाबाद के रेड जोन में देश की संसद भवन, महत्वपूर्ण सरकारी प्रतिष्ठान, साथ ही दूतावास और विदेशी संस्थानों के कार्यालय हैं।

शनिवार को एक वीडियो संदेश में उन्होंने कहा, “इमरान खान ने हमसे कहा है कि जब तक हमारी सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, तब तक हम वहीं रहें।”

बुशरा बीबी ने रविवार को इस्लामाबाद जाते समय रास्ते में ब्रेक ले रहे कुछ समर्थकों को चेतावनी दी।

बीबीसी के अनुसार, बीबी ने भीड़ से कहा, “अपने वाहनों में ही रहें और अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए तेजी से आगे बढ़ें। हम इस तरह समय बर्बाद कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, “हम इमरान खान को वापस लाने के लिए यहां हैं और हम उनके बिना वापस नहीं जाएंगे। अपने वाहनों में बैठ जाएं ताकि हम जल्दी पहुंच सकें।” आउटलेट के अनुसार, पुलिस ने उत्तर-पश्चिमी खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में आंसू गैस छोड़ी, जबकि प्रदर्शनकारियों ने उन पर प्रोजेक्टाइल दागे।

काफिला शहर के करीब पहुंच रहा है।

 

 

पीटीआई नेता शौकत यूसुफजई ने डॉन को बताया कि काफिले अपने विशाल आकार के कारण धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे।

उन्होंने कहा कि पुलिस ने “बड़ी रैली” को देखते हुए वापस ले लिया।

यूसुफजई ने दोहराया कि केपी सीएम गंदापुर का इरादा डी-चौक तक “शांतिपूर्ण तरीके से लेकिन किसी भी कीमत पर” पहुंचने का है। उन्होंने कहा कि जुलूस बुरहान, अटक के पास मोटरवे पर है।

पीटीआई नेता सनम जावेद खान ने सोमवार दोपहर कहा, कि उनका काफिला हसनअब्दल में था।

उन्होंने दावा किया कि बुशरा, गंदापुर, बाबर सलीम स्वाति और उमर अयूब खान काफिले में मौजूद थे।

सोमवार को एक विद्रोही बीबी ने प्रदर्शनकारियों से बात की।

उन्होंने कहा, “जब तक खान हमारे पास नहीं आते, हम यह मार्च खत्म नहीं करेंगे। मैं अपनी आखिरी सांस तक खड़ी रहूंगी और आपको मेरा साथ देना होगा। यह सिर्फ मेरे पति के बारे में नहीं है, बल्कि इस देश और इसके नेता के बारे में है।”

वहीं, पीटीआई के कार्यवाहक अध्यक्ष गौहर अली खान और सांसद अली मुहम्मद खान सहित कई नेताओं ने सोमवार को इमरान खान से मुलाकात की।

हालांकि, इस्लामाबाद के निवासी खुश नहीं हैं।

इस्लामाबाद के निवासी 35 वर्षीय मुहम्मद आसिफ ने बंद बाजार के सामने कहा, “ये लगातार विरोध प्रदर्शन अर्थव्यवस्था को नष्ट कर रहे हैं और अस्थिरता पैदा कर रहे हैं… हम चाहते हैं कि राजनीतिक नेतृत्व एक साथ बैठकर इन मामलों को सुलझाए।”

बीबीसी के अनुसार, शहर को एक नया उपनाम दिया गया है – “कंटेनरिस्तान।”

एक निवासी ने कहा, “यह थका देने वाला है। हर दिन कुछ नया होता है, लेकिन कंटेनर हमेशा वहीं रहते हैं।”

टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, इमरान खान के समर्थक अमेरिका और कनाडा सहित विदेशों में कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

 

 

एक्सपर्ट्स का क्या कहना है?

इंडिया टुडे से बात करते हुए सुशांत सरीन ने कहा, कि इमरान खान पहले ही जीत चुके हैं – चाहे विरोध प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप कुछ भी हो। सरीन ने कहा, कि विरोध प्रदर्शनों ने पहले से ही कमजोर सरकार को और अस्थिर कर दिया है। सरीन ने कहा, कि इमरान खान की स्थायी लोकप्रियता ने पाकिस्तान के कई पर्यवेक्षकों के साथ-साथ राजनीतिक और सैन्य प्रतिष्ठान को भी चौंका दिया है।

उन्होंने कहा, कि इमरान खान ने सेना, न्यायपालिका, मीडिया और पंजाबी उच्च मध्यम वर्ग के बीच भी राय विभाजित कर दी है। सरीन ने कहा, कि नई दिल्ली संभवतः इस्लामाबाद के प्रति अपने मौजूदा रुख को जारी रखेगी।

उन्होंने कहा, कि इस जुड़ाव के परिणामस्वरूप भारत को कुछ लाभ होने की उम्मीद है।

वहीं, कुछ और एक्सपर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान के लिए और भी बुरा होने की उम्मीद है।

वाशिंगटन में विल्सन सेंटर थिंक टैंक में साउथ एशिया इंस्टीट्यूट के निदेशक माइकल कुगेलमैन ने बीबीसी से कहा, “सबसे अच्छी स्थिति में यह एक खतरनाक डिस्ट्रेक्शन है। लेकिन सबसे बुरी स्थिति में, यह कुछ ऐसा हो सकता है जो देश को और भी अस्थिर कर दे। इससे पाकिस्तान की आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करना और भी मुश्किल हो जाता है।”

कुछ लोग पाकिस्तान पर इसके दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में चिंतित हैं। लाहौर स्थित राजनीतिक टिप्पणीकार और पत्रकार मेहमल सरफराज ने बीबीसी से कहा, “जब राजनीतिक दल लड़ते हैं, तो तीसरी ताकत फायदा उठाती है। जब तक राजनीतिक दल एक-दूसरे से बात नहीं करेंगे, तब तक यह हाइब्रिड शासन मजबूत होता रहेगा।”

सफराज ने कहा, कि “इसके बाद हाइब्रिड अधिक स्थायी हो सकता है।” उन्होंने कहा, “खतरा यह है कि लोकतंत्र और कमजोर होता जा रहा है और हाइब्रिड (सेना) की ताकत बढ़ती जा रही है।”

 

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