स्कूलों में दी जा रही है सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग और कानूनी शिक्षा? सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

Self Defense In Schools: सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब माँगा, जिसमें स्कूलों के पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा और आत्म-रक्षा प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की मांग की गई थी। जस्टिस बी. आर. गावई और के. वी. विश्वनाथन की बेंच ने केंद्र, राज्य सरकारों और संघ राज्य क्षेत्रों से याचिका पर चार हफ्ते के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया।

याचिका दायर करने वाली दिल्ली निवासी गीता रानी ने कहा कि “यदि बच्चों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं है, तो उन अधिकारों का कोई मतलब नहीं है।”

 

मौलिक अधिकार का महत्त्व बताया

याचिका में कहा गया कि प्रत्येक नागरिक के लिए यह जानना आवश्यक है कि उनके मौलिक अधिकार क्या हैं, ताकि वे उन्हें सही तरीके से लागू कर सकें और उनका संरक्षण कर सकें। इसके लिए स्कूलों के पाठ्यक्रम में कानूनी शिक्षा को शामिल करना और आत्म-रक्षा प्रशिक्षण को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि बच्चे किसी भी अप्रत्याशित खतरे से अपनी रक्षा कर सकें।

याचिका में NCRB की रिपोर्ट का जिक्र

 

याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि “क्राइम इन इंडिया 2022” नामक राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के अनुसार 2022 में बच्चों के खिलाफ 1.62 लाख अपराध दर्ज हुए थे, जो 2021 की तुलना में 8.7 प्रतिशत अधिक थे। याचिका का कहना था कि कानूनी शिक्षा और आत्म-रक्षा प्रशिक्षण अपराध की रोकथाम और बच्चों को हिंसा से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

साथ ही, याचिका में यह भी कहा गया कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (UNCRC) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसके तहत देश का दायित्व है कि वह बच्चों को सभी प्रकार की हिंसा और उत्पीड़न से बचाए।

याचिका में यह भी बताया गया कि कई मामलों में बच्चे आत्म-रक्षा के अभाव में खुद को बचा नहीं सके, और कहा कि 2013 में सीबीएसई ने कक्षा 11 और 12 में कानूनी अध्ययन को एक वैकल्पिक विषय के रूप में पेश किया था, लेकिन यह अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हो सका है।

 

याचिका में यह भी दावा किया गया कि अगर कानूनी शिक्षा और आत्म-रक्षा को स्कूलों के पाठ्यक्रम में अनिवार्य किया जाता है, तो यह बच्चों की सुरक्षा और कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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