CJI के तौर पर डीवाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) का कार्यकाल रविवार, 10 नवंबर को पूरा हुआ और संजीव खन्ना (Sanjiv Khanna) ने 11 नवंबर को नए चीफ जस्टिस के पद की शपथ ली.
भारत के मुख्य न्यायाधीश की सैलरी भारत सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस के मुताबिक फिलहाल भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की सैलरी 2.8 लाख रुपये प्रति माह है. इसके अलावा CJI के निर्धारित भत्तों में 10 लाख रुपये का फर्निशिंग भत्ता होता है. फर्निशिंग भत्ता किसी कर्मचारी को उसके घर की साज-सज्जा की लागत में मदद करने के लिए दिया जाने वाला भुगतान है. HRA (House Rent Allowance) बेसिक सैलरी का 24% होता है.
इसके साथ ही CJI के लिए हर महीने 45 हजार रुपये का सत्तकार भत्ता (Sumptuary Allowance) होता है. Sumptuary Allowance कर्मचारियों को दिया जाने वाला एक लाभ है. ये भत्ता, आगंतुकों के मनोरंजन पर होने वाले खर्चों को कवर करता है.
इसका मतलब है कि नये CJI बने संजीव खन्ना की हर महीने की सैलरी 2.8 लाख रुपये होगी. इसके अलावा अन्य भत्ते भी मिलेंगे.
CJI के रिटायर होने पर कितनी पेंशन मिलती है?वहीं रिटारमेंट पर CJI की पेंशन सालाना 16 लाख 80 हजार रुपये होती है. पेंशन के साथ अलग से डियरनेस रिलीफ भी जोड़ा जाता है. Dearness relief (DR) पेंशनभोगियों को महंगाई से निपटने में मदद करने के लिए दी जाने वाली वित्तीय मदद है.
इसका मतलब है कि रिटायर हुए पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की सालाना पेंशन 16 लाख 80 हजार रुपये होगी. साथ में, Dearness relief भी मिलेगा. ग्रेच्युटी की बात करें, तो CJI, सुप्रीम कोर्ट के जजों, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और हाई कोर्ट के अन्य जजों, सभी के लिए 20 लाख रुपये की ग्रेच्युटी निर्धारित है.
CJI संजीव खन्ना के बारे मेंजस्टिस संजीव खन्ना 51वें CJI बने हैं. सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस रहते हुए संजीव खन्ना कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं. जस्टिस खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने 26 अप्रैल को EVM में हेर-फेर के संदेह को ‘निराधार’ करार दिया था. बेंच ने पुराने पेपर बैलेट सिस्टम को वापस लाने की मांग खारिज कर दी थी.
संजीव खन्ना पांच जजों की उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने टाले 6 महीनो में लेने होंगे बड़े फेसले राजनीतिक पार्टियों की फंडिंग वाली चुनावी बॉन्ड योजना को असंवैधानिक घोषित किया था. वो 5 जजों वाली उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के 2019 के फैसले को बरकरार रखा था. जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने ही पहली बार दिल्ली के तत्कालीन सीएम अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए अंतरिम जमानत दी थी.