क्या ईरान-अमेरिका तनाव सुलझा पाएगा ट्रंप का ‘दूत’ ? जानिए क्या है आमिर सईद से मुलाकात के मायने?

Elon Musk Meet Iran UN Envoy: हाल ही में, हुए अमेरिकी राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप ने जीत हासिल की। नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने मंत्रिमंडल और प्रशासन के विस्तार में जुट गए हैं। इस बीच, ट्रंप ने अपने करीबी सहयोगी एलन मस्क(टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक) के हाथ ईरान-अमेरिका के तनावपूर्ण रिश्तों की डोर थमा दी है।

आखिर हो भी क्यों न, जब नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने अपने आगामी प्रशासन के लिए नवनिर्मित सरकारी कार्यकुशलता विभाग का नेतृत्व करने के लिए मस्क को चुना है। इससे पहले ही, एलन मस्क ने 11 नंवबर को संयुक्त राष्ट्र में ईरान के राजदूत से मुलाकात की।

न्यूयॉर्क टाइम्स ने ईरानी अधिकारियों के हवाले से बताया कि मस्क और ईरान के दूत आमिर सईद इरावानी के बीच न्यूयॉर्क में एक गुप्त स्थान पर बैठक हुई और यह एक घंटे से अधिक समय तक चली। अधिकारियों ने बताया कि चर्चा इस बात पर केंद्रित थी कि दोनों देशों के बीच तनाव को कैसे कम किया जाए? एक अमेरिकी अधिकारी ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र में बाइडेन प्रशासन के अधिकारियों को इस बात की सूचना नहीं दी गई थी कि बैठक हो रही है और अभी तक इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है, जब एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि अगले चार साल ईरान के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा साबित हो सकते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप की निगरानी में तेहरान पर “अधिकतम दबाव” अभियान की वापसी हो सकती है, जो उन्होंने अपने पिछले राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान लागू किया था, जिससे ईरान का अलगाव बढ़ा और उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई।

ईरान-अमेरिका संबंधों की वर्तमान स्थिति

ईरान और अमेरिका के बीच रिश्ते लंबे समय से तनावपूर्ण रहे हैं। 2020 में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद से हटने के बाद, ईरान ने कई आक्रामक कदम उठाए, जैसे…

• यूरेनियम संवर्धन बढ़ाना।

• तेल निर्यात में वृद्धि।

•क्षेत्रीय आतंकी समूहों का समर्थन करना।

• इजरायल पर सीधा हमला करना।

ट्रंप के पिछले कार्यकाल में “अधिकतम दबाव” की नीति लागू की गई थी, जिसने ईरान को आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया था। अब, उनके नए प्रशासन में इस नीति की वापसी की संभावना जताई जा रही है।

क्या नया सरकारी विभाग मददगार होगा?

डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि एलन मस्क और विवेक रामास्वामी उनके नए “सरकारी दक्षता विभाग” का नेतृत्व करेंगे। इस विभाग का उद्देश्य सरकारी कामकाज को बेहतर बनाना और “बाहर से विशेषज्ञों” की मदद लेना है। हालांकि, इस विभाग की कार्यप्रणाली और इसके संभावित प्रभाव पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कांग्रेस की मंजूरी भी इस विभाग के लिए एक चुनौती हो सकती है।

बैठक के राजनीतिक मायने

एलन मस्क और ईरानी राजदूत के बीच हुई इस बैठक ने कई सवाल खड़े किए हैं…

• क्या ट्रंप प्रशासन अपने पहले कार्यकाल की तरह ईरान पर “अधिकतम दबाव” नीति को फिर से लागू करेगा?

• क्या मस्क की कूटनीतिक भूमिका ट्रंप की विदेश नीति में बड़े बदलाव का संकेत देती      है?

विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह कदम ईरान पर कड़ा रुख अपनाने की तैयारी हो सकती है।

ईरान-अमेरिका संबंधों में कब-कब बढ़ा तनाव?

1979 की ईरानी इस्लामिक क्रांति – इस क्रांति में ईरान के शाह (जो अमेरिका समर्थक थे) का तख्तापलट कर दिया गया। इसके बाद ईरान में एक इस्लामिक शासन स्थापित हुआ, जिसने अमेरिका के प्रति विरोध की नीति अपनाई। इसके बाद उसी साल तेहरान में अमेरिकी दूतावास में 52 अमेरिकी नागरिकों को बंधक बना लिया गया, जिससे अमेरिका और ईरान के संबंधों में गहरा अविश्वास पैदा हुआ।

ईरान-इराक युद्ध (1980-88):अमेरिका का समर्थन – ईरान-इराक युद्ध (1980-88) में अमेरिका ने ईरान के दुश्मन इराक का समर्थन किया। इससे भी ईरान में अमेरिका के प्रति घृणा की भावना बढ़ी।

परमाणु कार्यक्रम पर विवाद – ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करना शुरू किया, जिसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों ने एक खतरे के रूप में देखा। अमेरिका ने ईरान पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए और उसे परमाणु हथियार विकसित करने से रोकने की कोशिश की।

क्षेत्रीय संघर्ष – ईरान और अमेरिका कई क्षेत्रों में एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। ईरान पश्चिम एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार करना चाहता है, जबकि अमेरिका उसे रोकना चाहता है। सीरिया, यमन, इराक जैसे देशों में ईरान समर्थित समूह और अमेरिका समर्थित सेनाओं के बीच संघर्ष भी इन दोनों देशों के रिश्तों में तनाव को बढ़ाता है।

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